लेडी डेंटिस्ट की प्यासी जवानी- 8

(Ass Ass Sex Kahani)

ऐस ऐस सेक्स कहानी में मैं पड़ोस वाले फ्लैट में एक जवान भाभी को चोद रहा था. लेकिन मेरा मन उसकी गांड मारने का था. मैंने उसकी गांड में उंगली की तो उसने रोक दिया.

कहानी के सातवें भाग
पड़ोस की जवान बहू की चुदाई
में आपने पढ़ा कि अपने हिजड़े पति से दुखी भाभी मेरे साथ चुदाई का मजा लेने के लिए तैयार हो गयी. उसने मुझे रात को अपने शयनकक्ष में बुलाया. मैं उसके चिकने नंगे जिस्म को चाटने केबाद उसकी चूत में लंड घुसा चुका था.

अब आगे ऐस ऐस सेक्स कहानी:

तभी गुंजन के मोबाइल की घंटी बज उठी.
उसने फोन देखा और बोली- अंकल जी, मेरे पति का फोन है. आप मुझे चोदते रहो चुपचाप. बोलना कुछ नहीं, मैं देखती हूं इस चूतिये को!
“ओके डार्लिंग बेबी, एम् फकिंग योर टाइट स्लिपरी कंट व्हाइल यू स्कोल्ड योर हस्बैंड!” मैंने उसकी चूत में लंड अन्दर बाहर करते हुए कहा.

“या अंकल कीप फकिंग मी योर वाइलडेस्ट वे; माय कन्ट नीड्स योर हार्ड लंड मूविंग इनसाइड माई चूत आल द टाइम!” गुंजन बोली और अपने पति से बात करने लगी.

“क्या है? इतनी रात को फोन कर रहे हो, सारा मजा किरकिरा कर दिया आपने, तुम्हारे बस का तो कुछ है नहीं!” वो चिढ़ते हुए फोन में बोली.
“कौन सा मज़ा ले रहीं थी डार्लिंग इतनी रात में?” मुझे किसी पुरुष की आवाज सुनाई दी.
गुंजन का पति था ये.

“नहीं बताती जाओ, आप तो ये बताओ कि इतनी रात को फोन कैसे किया?”
“कुछ नहीं … ऐसे ही नींद नहीं आ रही थी.” वो बोला.

“अरे तो मेरा मज़ा क्यों ख़राब कर रहे हो, चलो सोने की कोशिश करो.” गुंजन डांटती सी बोली.
“अरे मैंने ये बताना था कि मैं अब एक हफ्ते बाद ही लौट पाऊंगा कम्पनी ने मुझे एक और असाइनमेंट दे दिया है.” वो बोला.
“अच्छा अच्छा समझ गई, आ जाना आराम से!” वो बोली और फोन काट दिया.

‘साला चूतिया, कवाब में हड्डी कहीं का … अंकल जी आप तो करो … ताकत से चूत मारो मेरी!” गुंजन बोली.

“हां, मेरी जान गुंजन … ये लो ये लो और लो … अब तो तुम ही मालकिन हो इस लंड की!” ऐसे बोलते हुए मैं उसे बेरहमी से किसी रंडी की तरह चोदने लगा.

“हां, अंकल जी … फाड़ डालो आज मेरी चूत को. ये हरामजादी बहुत सताती है मुझे … इसे कुचल कर रख दो आप अपने मूसल से! और सुनो अंकल जी आज आपसे अपने पति के बेडरूम में उसी के बेड पर आपसे चुद कर बहुत मस्त मस्त फील कर रही हूं; बहुत मज़ा आ रहा है मुझे जैसे मैंने उस नाकारा नपुंसक इंसान से कोई बदला चुका लिया; हम्मम् सीई ईस्स्स जोर जोर से चूत मारो मेरी मेरे अंकल राजा, आज से मैं आपकी रखैल, आपकी पर्सनल रंडी बन कर जिंदगी भर चुदूँगी आपके इसी लंड से ये मेरा पक्का वादा रहा.”

“आह जानूं … मैं दूसरी बार आने वाली हूं आपके लंड पर … जल्दी जल्दी मारो मेरी चूत … आप पूरी ताकत से शॉट्स लगाइये!” वो बेचैनी से बोले जा रही थी.
लगता था वो अपने बस में थी ही नहीं.

गुंजन की चूत से इतना पानी निकल रहा था कि चूत लबालब भर के फचफच फचाफाच की आवाजें करने लगी थी और मेरी झांटें और जांघें तक गीली हो चुकीं थीं उसकी चूत के रस से.

जिस बेड पर मैं गुंजन को चोद रहा था वो दीवार के सहारे लम्बाई में लगा था; मैंने कुछ सोच कर गुंजन की चूत से अपना लंड निकाल लिया तो उसने मुझे सवालिया निगाहों से देखा तो मैंने कोई रेस्पोंस नहीं दिया और मैंने खूंटी पर टंगी उसके पति की शर्ट उतार ली उसी से उसकी गीली चूत को अच्छे से पौंछ डाला अन्दर बाहर से इसके बाद मैंने अपना लंड और झांटें भी उसी शर्ट के सूखे हिस्से से पौंछ लीं.

फिर मैंने गुंजन को दूसरी स्थिति में लिटा दिया जिससे उसके पैर दीवार की तरफ हो गए और फिर उसकी कमर के नीचे दो तकिये लगा कर उसके पैर ऊपर हवा में उठा दिए और मैं उसके पैरों के बीच में आ गया और अपने पैर दीवार से अड़ा दिए.

फिर मैंने अपने पैर के पंजों को दीवार से अड़ा कर जोरदार शॉट मारा तो मेरा लंड फुल फोर्स के साथ गुंजन की चूत को फाड़ता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया और उसके मुंह से आनन्ददायक किलकारी सी निकल गयी और और बदले में उसने आवेश में आकर अपनी चूत जोर से उछाल कर मेरे लंड पर दे मारी और फिर उसने अपने पैर मेरी कमर में ढीले ढाले से लपेट दिए.

अब हर धक्के के साथ वो मेरे संग झूला सा झूलते हुए चुद रही थी और मुझे भी मस्त मज़ा आ रहा था.
दीवार से पैर अड़ा कर चूत मारने का आनन्द ही अलग आता है क्योंकि सामने वाली की चूत में लंड पूरी ताकत के साथ घुसता है जिससे उसे चरम आनन्द का अनुभव होता है. इस तरह मैं उसे दे दनादन चोदने लगा.

“हाय अंकल जी, मस्त मज़ा दे रहे हो आप मुझे ऐसे ही चोदो अपनी गुंजन को, मैं आज से गुलाम हो गयी आपकी … आह, अब तो मैं जिन्दगी भर आपकी रण्डी और रखैल बन कर चुदूंगी आपसे. हां ऐसे ही उम्म्म्म य्य्य्याआअ … ” गुंजन मुहसे लिपटी हुई बोले जा रही थी.

प्यारे पाठको, उस रात गुंजन को पहली दफा चोदते टाइम मुझे एक तो व्हिस्की का मस्त गुलाबी सा नशा था और दूसरे नया माल मेरे लंड के नीचे था, वो भी मस्त, सुन्दर, जवान और सेक्सी डाक्टरनी!

मैं पूरी बेरहमी और बेदर्दी से उसकी चूत में गहरे, आड़े, तिरछे, शॉट्स मारने लगा और अपनी कमर को गोल गोल कभी क्लॉकवाइज कभी एंटी क्लॉकवाइज घुमाते हुए उसकी चूत को अपने लंड से मथानी की तरह मथने लगा.
जिससे वो और भी मस्ता गयी और मेरे साथ खुल कर खेलने लगी.

मैं भी उसकी चूत पूरे दम से चोदने लगा, अपनी झांटों से उसका क्लाइटोरिस रगड़ रगड़ कर उसकी चूत मारने लगा.

हमारी पहली चुदाई का ये खेल बीस मिनट के करीब चला होगा कि वो मुझसे जोंक की तरह लिपट गयी और उसने अपने नाखून मेरी पीठ में जोर से गड़ा दिए और झड़ने लगी.

“अंकल जी, मेरे राजा … मैं तो आ गयी, तृप्त कर दिया आपने मुझे, कब से तरस रही थी ऐसी चुदाई के सुख के लिए!” वो मुझे चूमते हुए बोली.

इधर मेरा भी उसके साथ ही हो गया और मैंने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया जिससे उसकी चूत में संकुचन होने लगे वो सिकुड़ सिकुड़ कर मेरे लंड को दबा दबा कर वीर्य की एक एक बूंद निचोड़ने लगी.

फिर जल्दी ही मेरा लंड शहीद हो गया जिसे उसकी चूत ने सिकुड़ कर बाहर का रास्ता दिखा दिया.

इसके बाद गुंजन ने अपने पति की शर्ट से मेरा लंड और फिर अपनी चूत अच्छे से पौंछ डाली.

फिर मैं गहरी गहरी सांसें लेता उसके बगल में ढेर हो गया और वो मुझे चूमती हुई मेरा सिर अपने स्तनों में छिपा कर मेरा सिर सहलाने लगी.

मुझे पता नहीं कब नींद आ गयी और मैं नंगा ही उसकी बांहों में सो गया.

मेरी नींद फिर साढ़े तीन के करीब खुल गयी और मैंने महसूस किया कि गुंजन भी जागी हुई थी; पता नहीं वो सोयी भी थी या नहीं.

हमारे नंगे जिस्म आपस में लिपटे हुए थे.

ऐसे में कामदेव कहां चुप बैठने वाले थे सो जल्दी ही मेरा लंड एक नयी पारी खेलने को तैयार होने लगा और मेरे होंठों ने गुंजन के राईट साइड वाले बूब का निप्पल अपने मुंह में भर लिया.

“अब क्या शरारत करने लगे आप इतनी रात में, सोना नहीं है क्या?” गुंजन मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर बोली.

“बहू, जब से इसे तेरे बदन का स्वाद मिला है ये चैन से नहीं बैठ रहा; इसे आज अपनी मनमानी कर लेने दो बहूरानी!” मैंने उसे चूमते हुए कहा.

“ठीक है अंकल जी, तो लो आ जाओ न फिर, अब तो आप मेरे और मेरे इस जिस्म के मालिक हो, मैं कौन होती हूं आपको रोकने वाली!” गुंजन बोली और अपने पैर खोल दिए और मेरा लंड अपनी चूत की गीली दरार में रगड़ने लगी.

“नहीं बेटा, अभी यहां नहीं. पीछे वाली गली में जाना है इसे तो!” मैंने उसकी गांड का छेद सहलाते हुए कहा.
“धत्त अंकल जी, आप लोग भी ना … नहीं नहीं वहाँ नहीं, बहुत दुखती है वो जब लंड घुसता है.” वो बोली.

“मेरी जान … पर मज़ा भी तो वही देती होगी न, है न?” मैंने पूछा
“हम्म्म्” उसके मुंह से निकला पर वो बोली कुछ नहीं.

फिर मैंने गुंजन की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचा तो तो पलट कर चित लेट गयी और अपनी टांगें ऊपर उठा दीं.

मैंने फिर से दो तकिये उसकी कमर के नीचे लगाए और उसके घुटने मोड़ कर ऊपर की तरफ उठा दिया जिससे उसकी चूत और गांड के दोनों छेद एक एक साथ मेरे सामने थे.

मैंने उसकी चूत में दो उंगलियां घुसेड़ कर चूत के रस से गीली कीं और वो रस अपने लंड पर चुपड़ लिया और फिर लंड को उसकी गांड के छेद पर रख कर उसके पैर पकड़ लिए और लंड को उसकी गांड में ठेल दिया लंड का आगे का हिस्सा उसकी गांड में घुस गया.

गुंजन के मुंह पर पीड़ा के चिह्न उभरे और उसने अपना निचला होंठ दांतों से काट लिया.
“अंकल जी … धीरे!” वो बोली और मेरी आँखों में देखती रही जैसे अगले धक्के का इंतज़ार करने लगी हो.

अब मैंने उसके पैर अपनी कोहनियों में फंसाये और उस ऊपर झुक गया और एक और जोरदार शॉट दे मारा तो इस बार पूरा लंड उसकी गांड में समा गया.

“मर गयी रे … दया ममता तो आपके हृदय में है ही नहीं चाहे कोई जिये या मरे आपकी बला से. आपको तो अपनी मनमानी करने से मतलब!” वो चिढ़ कर बोली.
“मेरी प्यारी बहू रानी, अब तो तू मेरे दिल की रानी है, मेरे लंड की मालकिन है, तुझे बहुत प्यार करने लगा हूं मैं!” मैंने उसके दोनों गाल चूमते हुए कहा.

“रहने दो अंकल जी; पहले अपनी सोनम बहूरानी से तो पूछ लो. आपके दिल की असली रानी और मालकिन तो वही है न?” वो तुनक कर बोली उसके स्वर में ईर्ष्या भाव स्पष्ट झलक रहा था.

ये भारतीय नारियों की विशेषता है कि वे किसी से एक बार चुद कर ही उस पर अपना हक़ मानने लगतीं हैं और फिर किसी की पहले वाली से ईर्ष्या होने लगना एक स्वाभाविक गुण है इनका.

“गुंजन बेटा, सोनम अपनी जगह है और तू अपनी जगह है. अभी तो तू ही मेरा सर्वस्व है मेरी जान!” मैंने कहा और उसके दूध दबाने लगा.
“अच्छा रहने दीजिये ये बातें. आप तो जल्दी कर लो जो जो करना हो फिर सोना है मुझे, सारी रात तो हो गयी जागते हुए!” वो बोली.

फिर मैंने उसकी गांड तेजी से मारना शुरू किया; चूत की अपेक्षा गांड ज्यादा अच्छी तरह से लंड को जकड़ती है, गांड की जकड़ ज्यादा अच्छी लगती है चोदने में, चूत तो सबकी लूज हो ही जाती है चुदते चुदते. गुंजन की गांड भी मस्त कसी हुई थी और मैं धकापेल उसमें शॉट्स लगाए जा रहा था.

कोई दस बारह मिनट ही मैंने उसे इस पोज में चोदा होगा कि वो कहने लगी कि उसके पैर दुःख गए उठाये उठाये.

मैंने उसे डॉगी स्टाइल में घोड़ी बना लिया और फिर से उसकी ऐस ऐस सेक्स का मजा लेने लगा.
गुंजन भी मस्ती में आकर अपनी गांड हिलाने लगी, ऐसे कितनी ही देर मैं कभी उसकी पीठ चूमता कभी उसके पोंदों पर चपत लगा लगा कर उसे चोदता रहा और फिर उसकी गांड में ही झड़ गया और लेट कर सुस्ताने लगा.

गुंजन ने फिर अपने पति की शर्ट उठाई और मेरा लंड और अपनी गांड अच्छे से पौंछ डाली और मेरे गले में बांहें डाल कर मुझसे सट कर गुडनाईट बोली और सोने की कोशिश करने लगी.
मैंने भी उसे गुडनाईट बोला और उसके सिर पर हल्की थपकी देता उसे सुलाने लगा.
फिर पता नहीं मुझे भी कब नींद आ गयी.

तो प्रिय पाठको, यह थी मेरी और डा.गुंजन के पहले मिलन की दास्तान.

जैसा कि आपको पता ही है कि उसके पति को एक सप्ताह बाद वापिस लौटना था तो मैंने तीन दिन की छुट्टी ले ली और फिर हमने चुदाई की सारी हदें पार कर दीं.
जो जो मेरे मन की ख्वाहिशें या फंतासी थीं, मैंने वो सब की सब पूरी कीं.

कभी उससे रसोई में पूरी नंगी करके खाना बनवाया और दोनों ने नंगे ही साथ खाया भी, गुंजन के हाथ के खाने का स्वाद भी लाजवाब था खाते खाते पेट भर जाता या ज्यादा भी खा जाता पर नियत नहीं भरती थी.

कभी मैंने साथ नहाते हुए शावर के नीचे उसकी चूत की खबर ली, कई बार वो मेरे ऊपर सवार होकर मेरा लंड अपनी चूत में लील कर खूब उछली और उसके उछलते मम्में देख देख कर मैं मज़ा लेता रहा.

मैंने गुंजन की सारी नई साड़ियाँ पहनवा पहनवा कर उसे सिर्फ साड़ी में ही चोदा.
अब ऐसे ऐसे सारे वाकये लिखूं तो ये कहानी कभी ख़त्म ही न हो.

हमारे पहले मिलन के बाद मेरे और गुंजन के सम्बन्ध ऐसे हो गए जैसे हम एक दूजे के लिए ही बने हों; मॉल में हाथ में हाथ लिए घूमना साथ खाना पीना.

गुंजन ने न जाने कितने गिफ्ट्स मुझे खरीद कर दिए, शर्ट्स, टी शर्ट्स, टाई, हैंकी … बस जो जो कुछ उसे मेरे लायक अच्छा लगता वो मेरे लाख मना करने के बावजूद खरीद लेती.
जब मैं सख्ती से मना करता तो कहती ‘आपको मेरी कसम’
इस ब्रह्मास्त्र के आगे भला कौन जीत सकता है.

जब हम मॉल से वापिस लौटते तो अपने फ़्लैट में जाते समय वो लिफ्ट में ही मुझसे लिपट जाती और प्यार करने लगती.

कई बार हमने उसके बड़े वाले एलईडी टीवी में पेनड्राइव लगा कर ब्लू फिल्म्स भी खूब देखीं और चुदाई की.

एक बार और जब गुंजन का पति वापिस लौटा तो मैंने प्लान के मुताबिक़ उससे दोस्ती गांठी और जल्दी ही हम हम-प्याला हम-निवाला वाले लंगोटिया यार बन गए.

हालांकि उसका पति मुझे भी अंकल जी ही कहता था पर हमारे सम्बन्ध बिल्कुल गहरे दोस्तों जैसे थे.
उसी के घर में खाना पीना होता था.

कई बार मैंने उसे ज्यादा पिला दी और जब वो पूरी तरह से टुन्न हो कर लुढ़क गया तो मैंने उसी के बगल में गुंजन से लंड चुसवाया और उसे पूरी नंगी करके चोदा.

गुंजन ने भी इसे खूब पसंद किया.
बोलती थी अपने पति के बगल में लेट कर गैर मर्द से चुदवाने में गजब का थ्रिल और संतुष्टि मिलती है.

ये सही भी है, जब किसी का पति उसे चुदाई से संतुष्ट नहीं कर पाता तो स्त्री ऐसे ही तरीकों से उससे बदला निकालती है क्योंकि अपने सामजिक सरोकारों और संस्कारों के चलते वो उससे डायरेक्टली तो पति से कुछ कह ही नहीं पाती.

उसका पति मुझ पर अटूट विश्वास करने लगा था, वो जब भी चार पांच दिन के टूर पर जाता तो मुझसे बोलकर जाता कि अंकल जी गुंजन को अकेले में डर लगता है जब तक मैं न लौटूं आप हमारे यहां ही सो जाया करना.

मैं भी थोड़ी ना नुकुर के साथ हां बोल देता था और फिर रात रात भर मेरा और गुंजन का खुला खेल फर्रुखाबादी चलता रहता.

तो मित्रो, डा.गुंजन की स्टोरी फिलहाल यहीं तक है.
अगर और कुछ याद आया या नया हुआ तो वो सब भी आप सबसे जरूर शेयर करूंगा.
धन्यवाद.

ऐस ऐस सेक्स कहानी पर आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा रहेगी.
अपने अमूल्य विचार अवश्य लिखें.
धन्यवाद.

What did you think of this story

Comments

Scroll To Top