बीवी की सहेली की चुदाई- 2

(Ass Cock Sex Kahani)

ऐस्स कॉक सेक्स कहानी में मैं अपनी बीवी की सहेली को चोद कर मजा दे चुका था. वह मेरे लंड की कायल हो चुकी थी. मैंने उसे गांड मरवाने को कहा. तो वह मान गयी.

कहानी के पहले भाग
बड़े लंड से बीवी की सहेली की चूत फाड़ी
में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी बीवी की सहेली की जेठानी की बेटी को देखा तो मेरा लंड कमसिन जवानी को भोगने की इच्छा करने लगा. मगर मुझे मिली बीवी की सहेली की चूत.

अब आगे ऐस्स कॉक सेक्स कहानी:

थोड़ी देर बाद शांत होने के बाद भाभी मेरे बालों में हाथ फिराते हुए मुझे बेतहाशा चूमने लगी और बोली, “कसम से देवर जी, आपने मेरे मरे अरमान जगा दिए! चुदाई का मज़ा क्या होता है, मैं तो भूल ही गई थी! असली मर्द हो आप! मेरा बदन कितना हल्का हो गया आज आपसे चुदवाकर!”

मैं भाभी के ऊपर से उठते हुए साइड में लेट गया।

भाभी मेरे हटते ही लण्ड को पकड़कर चूसने लगी।
चाटकर पूरा साफ करने के बाद भाभी बोली, “आपका वीर्य कितना खुशबूदार और स्वादिष्ट है!”
मैंने कहा, “भाभी, अब आप जब चाहें मेरा वीर्य पी सकती हो!”

भाभी मेरे बगल में लेटकर मुझसे चिपक गईं और आँखें बंद करके बोली, “बस देवर जी, कभी-कभी अपनी इस भाभी को प्यार करते रहना! आपका बहुत अहसान होगा!”
मैंने भाभी के चेहरे को चूमकर कहा, “मेरी रानी, तुम जब चाहो मुझसे चुदवा सकती हो!”

मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ों के बीच से उसकी गांड के छेद को छू रहा था।

मैंने उसकी गांड के छेद को कुरेदते हुए कहा, “भाभी, अभी तो इसकी सेवा बाकी है!”

भाभी ने मेरा हाथ पकड़कर हटाते हुए कहा, “देवर जी, हमने आजतक कभी पीछे लण्ड नहीं डलवाया। पर हमने सुना है आप पीछे डालने के शौकीन हो। इसलिए हम आपको इसके लिए भी मना नहीं करेंगे!”

तभी बाहर से बेल बजी, तो भाभी उछलते हुए उठकर खड़ी हो गईं और कपड़े पहनने लगीं।
वो बोली, “देवर जी, लगता है चिंकी आ गई! आप भी कपड़े पहन लो!”

मैं भी फटाफट कपड़े पहनकर बाहर आकर कुर्सी पर बैठ गया.

भाभी ने जाकर दरवाजा खोला।

तभी चिंकी अंदर आकर बोली, “मम्मी, इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में?”
भाभी बोली, “बेटा, कुछ जरूरी बात कर रही थी तुम्हारे अंकल से!”
चिंकी मेरे पास बैठते हुए बोली, “ठीक है मम्मी!”

मैंने चिंकी का हाथ पकड़कर अपनी गोद में बिठाते हुए कहा, “और पढाई कैसी चल रही है चिंकी की?”

चिंकी मेरी गोद में लण्ड के ऊपर अपने प्यारे से चूतड़ रखकर बोली, “बहुत अच्छी चल रही है चाचू!”

चिंकी ने इस टाइम हाफ जीन्स पहनी हुई थी, जिससे उसकी गोरी टाँगें बिल्कुल नंगी थीं।

मैंने चिंकी की नंगी टाँग पर हाथ फेरते हुए भाभी की तरफ देखा.
तो मुझे महसूस हुआ कि वो गुस्से से मेरी तरफ देख रही थी।

शायद उसे चिंकी को गोद में बिठाना अच्छा नहीं लग रहा था।

तो मैंने चिंकी से कहा, “चलो बेटा, तुम पढ़ाई करो! मैं भी अब चलता हूँ!”
चिंकी उठकर अंदर चली गई।

फिर मैं भाभी से इधर-उधर की बातें करके और उनका नंबर लेकर वापस चला गया।

अगले दिन सुबह नौ बजे भाभी ने मेरे फोन पर अपनी बहुत-सी नंगी फोटोज़ भेजीं, जिनमें उनके चूतड़ों पर मेरे मारने के लाल निशान थे, और उनके बूब्स पर मारने और मेरे दाँतों के निशान थे।
भाभी की चूत भी फूलकर थोड़ी लाल हो चुकी थी।

नीचे भाभी ने लिखा था, “देवर जी, देखो ना, आपके डंडे की पिटाई से हमारी कैसी लाल हो गई है! उफ्फ, अब भी सारा बदन दुख रहा है। पर आपसे प्यार करके हमें बहुत मज़ा मिला। आप मानोगे नहीं, हम जिंदगी में रात पहली बार सुकून की नींद सोए हैं। आज चिंकी और मिन्की को भी स्कूल नहीं भेज पाए, क्योंकि हम अभी उठे हैं!”
मैंने कहा, “जानमन, अभी तो कुछ भी नहीं हुआ! अभी तो आपको और मज़ा मिलने वाला है!”

भाभी ने फिर से मैसेज किया, “हम उस मज़े का हर पल बेसब्री से इंतज़ार करेंगे! आप जब चाहें अपनी इस रंडी के पास आ सकते हैं!”
मैंने कहा, “ठीक है मेरी प्यारी रंडी, अगर आज टाइम मिला तो मैं आऊँगा!”

भाभी बोली, “आने से पहले फोन कर देना, हम चिंकी और मिन्की को कहीं भेज देंगे!”
मैंने कहा, “ठीक है, मैं फोन कर दूँगा!”

दोपहर में भाभी ने फिर से एक फोटो भेजी, जिसमें वो कुतिया की तरह गांड फैलाकर झुकी हुई थी।
फोटो में भाभी के गोरे चूतड़ों की गहरी खाई के बीच प्यारा-सा हल्के भूरे रंग का छेद दुबका हुआ था और उसके तीन अंगुल नीचे चूत के फूले-फूले होंठ आपस में चिपके हुए थे।

नीचे भाभी ने लिखा था, “देवर जी, देखो ना, हम अपना पीछे वाला छेद देखकर सोच रहे थे कि इसमें आपका हमारी कलाई जितना मोटा डंडा कैसे घुसेगा! इसमें तो कभी अंगुली भी नहीं गई। हम इस वक्त अकेले हैं। चिंकी और मिन्की शाम तक आएँगी। अगर टाइम है तो आ जाओ!”

मैं भाभी का फोटो भेजने का कारण समझ गया कि ये कुतिया गांड का छेद दिखाकर मुझे बुलाकर अपनी चूत मरवाना चाहती है। मैं भाभी की फोटो देखकर लण्ड को सहलाते हुए सोच रहा था कि ये अपनी चूत मरवाने के लिए आरती तो क्या, अपनी बेटी को भी आराम से चुदवा सकती है।

मैंने लण्ड को मसलते हुए उसे मैसेज किया, “चल मेरी रानी, तेल डालकर रख अपनी गांड के छेद में! मैं दस मिनट में पहुँच रहा हूँ!”

भाभी का झट से रिप्लाई आया, “नहीं देवर जी, आप हमारी गांड मारने के लिए इतना ताव मत दिखाइए! हमें तो आपका लण्ड अपनी चूत में चाहिए!”
मैंने कहा, “ठीक है, मैं आ रहा हूँ!”

मैं दस मिनट में भाभी के घर पहुँच गया।
उसके घर का दरवाज़ा खुला था।

मैंने अंदर जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया और हॉल की तरफ बढ़ गया।

जैसे ही मैं अंदर गया, सामने भाभी खड़ी थी।

उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया क्योंकि वो इस वक्त बहुत ही झीनी काले रंग की नाइटी में थी।
उसका गोरा बदन नाइटी से झाँक रहा था।
भाभी के गोरे चूचे और उसकी चूत की लाइन दिख रही थी।

भाभी मुझे देखकर घूमते हुए अपने चूतड़ थिरकाकर बोली, “देखो ना देवर जी, कैसी लग रही हूँ!”
मैंने कहा, “जन्नत से आई परी जैसी!”

वो खिलखिलाकर हँसते हुए मुझसे लिपट गई और मुझे चूमते हुए बोली, “आपके मिलने के बाद तो कसम से हम खुद को परी ही समझने लगी हैं!”

फिर हम दोनों एक-दूसरे में खो गए।
मैंने भाभी को अच्छे से गर्म करने के बाद उसकी गांड मारनी चाही, पर वो गांड मरवाने के लिए तैयार नहीं हो रही थी।

फिर मैं उससे थोड़ा नाराज़ हो गया, तो उसने बड़े आराम से अपनी गांड मेरे सामने परोस दी।

मैंने आधे घंटे तक भाभी को रुला-रुलाकर उसकी गांड मारी।
भाभी ने भी हर आसन में मुझसे गांड मरवाई।

फिर मैंने अपने लण्ड के गरम पानी से उसका छेद भर दिया।

गांड मरवाने के बाद भाभी मेरी बाहों में लेट गई और मेरी छाती में अंगुलियाँ फिराते हुए बोली, “बड़े ज़ालिम हो आप तो देवर जी!”

मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फिराते हुए कहा, “भाभी, कुँवारी चूत और गांड मारने का अलग ही मज़ा होता है। देखो, बुरा मत मानना, आपकी चूत तो चूदी हुई थी, पर गांड एकदम कुँवारी थी। अब तुम्हारी गांड मारने के बाद तुमसे एक रिश्ता-सा बन गया!”
भाभी बोली, “अब मेरे तो सब कुछ आप ही हो! मेरे मालिक भी आप ही हो!”

फिर भाभी मेरे लण्ड से खेलते हुए बोली, “देवर जी, आपने आज तक कितनी चूत मारी है?”
मैंने कहा, “अनगिनत!”

फिर भाभी पूछने लगी, “आपको सबसे ज़्यादा कैसी औरतों से सेक्स पसंद है?”
मैंने उसे कहा, “भाभी, मुझे कच्ची कलियाँ पसंद हैं। उन्हें अपने लण्ड से फूल बनाकर फिर एकदम रंडियाँ बनाना मुझे बहुत अच्छा लगता है!”

भाभी मेरा लण्ड छोड़कर कुछ सोच में पड़ गई।
मैंने भाभी की ठुड्डी पकड़कर कहा, “अरे मेरी जान, उदास क्यों हो गई?”

मैंने कहा, “मैं चिंकी जैसी उम्र की लड़कियों की बात नहीं कर रहा। जैसे आरती है ना, वैसी लड़कियों की बात कर रहा हूँ। तुम भी तो आरती से एक-दो साल ही बड़ी लगती हो, एकदम बीस-इक्कीस साल की मस्त लड़की लगती हो!”

भाभी मेरी बात पर खुश होकर अपनी कमर मेरे पास करके, लण्ड पकड़कर उसे हिलाते हुए अपनी चूत से लगाने लगी। मुझे पता था ये अब मेरे कंट्रोल में है। मैं इसे कुछ भी बोलूँ, ये कुछ नहीं कहेगी।

मैंने कहा, “यार भाभी, आरती भी कितनी हॉट है! साली की गांड आपसे भी बड़ी है, और बूब्स देखो कितने गोल-गोल हैं। जब चलती है तो कैसे स्प्रिंग की तरह उछलते हैं!”

भाभी अपना एक बूब पकड़कर उसका निपल मेरे होंठों में लगाते हुए बोली, “क्या मेरे सुंदर नहीं हैं?”
मैंने कहा, “यार, तुम्हारे भी बहुत सुंदर हैं!”

फिर मैं उसके निपल को चूसने लगा।

भाभी बोली, “देवर जी, अगर आपको बड़ी गांड पसंद है, तो मैं हमेशा आपसे गांड मरवाने के लिए तैयार हूँ! आप चाहो तो हर रोज़ मेरी गांड मारकर इसे बड़ी कर लो!”

मैंने हालांकि, “नहीं मेरी जान, तुम परफेक्ट हो! बस एक बार आरती चोदने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए!”

फिर मैंने उसके बूब्स से खेलते हुए कहा, “भाभी, आपने कभी किसी की चुदाई देखी है?”
भाभी बोली, “नहीं, आज तक तो नहीं देखी!”

मैंने उसे प्यार से कहा, “तुम चाहो तो देख सकती हो!”
भाभी बोली, “कैसे?”

मैंने कहा, “अगर तुम आरती को चुदाई के लिए मना लो तो!”
मैंने कहा, “फिर मेरा लण्ड तुम्हारे सामने उसकी छोटी-सी डब्बी में अंदर जाता हुआ देखना!”

भाभी बोली, “देवर जी, ये नामुमकिन है! वो इतनी छोटी है, आपका नहीं झेल पाएगी! और मैं उसको आपसे सेक्स के लिए कैसे मना सकती हूँ?”

मैंने उसे समझाया, “आरती जवान हो चुकी है। वो आज नहीं तो कल किसी का लण्ड तो लेगी ही। अगर वो मुझसे चुदवा ले तो किसी को पता भी नहीं लगेगा!”

भाभी झल्लाते हुए बोली, “मेरे से ये सब नहीं हो पाएगा! आप बस मेरे साथ करो जो भी करना है!”

फिर वो उठकर मेरा लण्ड चूसने लगी।
आरती की बातें करते-करते मेरा लण्ड पहले ही खड़ा हो चुका था।

मैंने भाभी की दो बार कसकर चूत मारी।

शाम के चार बज चुके थे। मुझे जाना था, पर भाभी मुझे जाने नहीं दे रही थी।
जैसे-तैसे मैं उसे समझाकर अपने ऑफिस आ गया।

अगले दिन भाभी का मैसेज आया।
वो मुझे आज फिर बुला रही थी।

पर मैंने उसको कोई रिप्लाई नहीं दिया।

उसने मुझे बहुत से कॉल भी किए पर मैं उसे इग्नोर करता रहा।

मैं चाहता था कि वो चूत की आग में खूब जले और इतनी मजबूर हो जाए कि आरती तो क्या, वो अपनी बेटी की चूत भी अपने एक हाथ से खोलकर, दूसरे हाथ में मेरा लण्ड पकड़कर उसकी चूत में डलवाए!

चौथे दिन संडे था।
मेरी पत्नी बाहर गई हुई थी।
मैं घर में अकेला बैठा पोर्न मूवी देखते हुए लण्ड की सरसों के तेल से मालिश कर रहा था।

तभी डोर बेल बजी।

मैंने उठकर तौलिया लपेटा और दरवाज़ा खोला, तो सामने भाभी खड़ी थी।
वो बिना कुछ बोले अंदर घुस गई।

मैंने दरवाज़ा बंद किया, तो वो मुझसे लिपटते हुए बोली, “आप हमसे गुस्सा हैं क्या?”
मैंने कहा, “नहीं, बस ऐसे ही!”

भाभी रोने जैसा मुँह बनाते हुए बोली, “प्लीज़ देवर जी, हमें मत छोड़िए! हमें आपसे प्यार हो गया है! हम जानते हैं आप घर पर अकेले हैं, इसलिए हम आ गईं! आपको पता है, हम आपके बिना तड़प रहे हैं! तीन दिन से हमने खाना भी नहीं खाया!”
मैंने भाभी से कहा, “ऐसी कोई बात नहीं! आप बैठिए!”

वो बोली, “हम यहाँ बैठने नहीं आए! बस आपको ये बताने आए हैं कि अगर आप गुस्सा हुए तो हम मर जाएँगे!”

मैंने भाभी को बाहों में लेकर उसके माथे पर चूमते हुए कहा, “अरे मेरी जान, ऐसी बात नहीं है!”
भाभी रोने जैसी हो गई थी।

अचानक मेरा तौलिया खुल गया, जिससे मेरा फनफनाता हुआ लण्ड बाहर आ गया।

मैंने भाभी का हाथ पकड़कर उसे लण्ड पकड़ाते हुए कहा, “देखो ना भाभी, मैं अभी इसकी मालिश कर रहा था, तो ये आरती की सुरंग में घुसने के लिए तैयार हो गया!”

भाभी लण्ड को छोड़कर मुझसे दूर हटते हुए अपना सूट उतारकर एक मिनट में पूरी नंगी हो गई और वहीं ज़मीन पर घोड़ी बनते हुए बोली, “आपको आरती की गांड पसंद है ना? लो, मारो हमारी गांड! पर प्लीज़ हमारे साथ ऐसा मत करो!”

मैंने भाभी के बाल पकड़कर खींचते हुए उसे उठाया और उसके होंठों को दाँतों से काटते हुए, उसके दोनों गालों पर चार-पाँच थप्पड़ मारते हुए, उसके मुँह पर थूककर उसे धकेलते हुए ज़मीन पर बिठा दिया।

फिर मैंने एक हाथ से लण्ड पकड़कर उसके गाल पर ज़ोर से मारते हुए कहा, “सुन रंडी, तू आरती तो क्या, अब अपनी बेटियों को भी मेरे लण्ड से चुदवाएगी!”
भाभी हाथ जोड़ते हुए बोली, “देवर जी, हमारे घर के पास एक नई बहू आई है, थोड़े दिन पहले ही। एकदम अंग्रेजी मेम है। अगर आप चाहो तो मैं उसे मना सकती हूँ!”

मैंने भाभी को छोड़ते हुए ज़मीन पर गिरा तौलिया उठाया और कमर में लपेटते हुए कहा, “ठीक है, आप कपड़े पहन लो और आप जा सकती हैं!”

भाभी अचानक से रोने लगी और मेरे पैर पकड़कर बोली, “नहीं देवर जी, आप फिर गुस्सा हो गए! ठीक है, अगर आपको आरती चाहिए, तो मैं उससे बात करूँगी!”

वो बोली, “पर मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं उसको आपके लिए कैसे मनाऊँ!”
मैंने गुस्से से कहा, “साली रंडी, उसकी कोई कमी ढूँढ! फिर उसको मेरे नीचे ला!”
भाभी बोली, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगी! पर आप हमसे नाराज़ मत हो!”

मैंने उसके बाल खींचकर उठाया और उसके होंठ चूसने लगा।
भाभी के दोनों बड़े बूब्स मेरी छाती से रगड़ खा रहे थे।

कितनी देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैं उसके बूब्स पर टूट पड़ा और किसी ज़ालिम की तरह उन्हें काट-काटकर चूसने लगा।
मैंने अपना तौलिया उतारकर फेंक दिया और लण्ड उसकी गीली चूत से भिड़ाकर खड़े-खड़े चूत में सरका दिया।

भाभी सिहरते हुए बोली, “बड़े ज़ालिम हो आप तो! आह देवर जी, मुझे मार डालो! उफ्फ, मैं आपकी दीवानी हो चुकी हूँ!”

मैं भाभी को खींचते हुए बेडरूम में ले आया।
वहाँ टेलीविज़न पर एक गोरी, बहुत ही कम उम्र की लड़की पर चार नीग्रो चढ़े हुए थे।

मैंने भाभी से कहा, “देख, ये भी तो आरती जितनी उम्र की है! कैसे मज़े से सबके लण्ड ले रही है!”
भाभी बोली, “हाँ देवर जी, मुझे भी ऐसे ही चोदो!”

मैंने भाभी को दीवार के सहारे खड़ा किया और उसके चूतड़ फैलाकर उसकी चूत में लण्ड पेल दिया।
मैं फुल स्पीड से लण्ड अंदर-बाहर करने लगा।

ऐस्स कॉक सेक्स से कमरे में भाभी के चीखने की आवाज़ें और लण्ड अंदर-बाहर होने से फच-फच की आवाज़ें गूंजने लगीं।

फिर मैंने भाभी को ज़मीन पर घोड़ी बनाकर उसकी सवारी की।
भाभी भी मस्ती से अपनी गांड उछाल-उछालकर चूत में लण्ड ले रही थी।

कोई आधे घंटे की चुदाई में भाभी दो बार झड़ी।
फिर मैंने भाभी के मुँह में अपना वीर्य निकाला जिसे भाभी मस्त रंडी की तरह जीभ निकालकर चाट गई।

उधर फिल्म में भी चारों नीग्रो लड़की के मुँह में बारी-बारी अपना पानी निकाल रहे थे।

भाभी टेलीविज़न की तरफ देखकर बोली, “देवर जी, देखो ना, ये लड़की कैसे सबका पानी पी रही है!”
मैंने कहा, “भाभी, तुम आरती का जुगाड़ करो! तुम्हें लण्ड की कभी कमी नहीं होगी!”

भाभी हँसते हुए अपनी चूत छूकर बोली, “देवर जी, आप तो मेरी सुज़ाकर रख देते हो! आरती पता नहीं कैसे आपको बर्दाश्त करेगी!”

भाभी के मुँह से आरती का नाम सुनते ही मेरे लण्ड ने फिर से अंगड़ाई ली।
मैंने लण्ड भाभी के मुँह में देना चाहा।

भाभी लण्ड पकड़कर बोली, “देवर जी, देवरानी ना आ जाए!”

मैंने कहा, “यार, आरती का नाम लेते ही ये फिर से खड़ा हो गया! एक मिनट रुक, मैं फोन करके पूछता हूँ कि वो कब आएगी!”
भाभी मेरा लण्ड चूसने लगी।

मैंने अपनी पत्नी को फोन करके पूछा, “कब तक आओगी?”
मेरी पत्नी बोली, “एक घंटा और लगेगा!”

मैं फोन काटकर भाभी को बेड पर लिटाकर, खुद उसके मुँह के पास खड़ा हो गया और उसके बाल पकड़कर उसका मुँह चोदने लगा।
भाभी गप-गप, लप-लप करते हुए लण्ड चूस रही थी।

कुछ ही देर में मेरा लण्ड पूरे आकार में आ गया।
मैंने भाभी के गांड के छेद में बहुत-सी वैसलीन भरकर भाभी को कहा, “टाँगें उठा!”

उसने अपनी पूरी टाँगें उठाकर गांड मेरे सामने खोल दी।
मैंने लण्ड गांड के छेद पर रखकर ज़ोर से धक्का मारा तो लण्ड लपलपाता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर चला गया।

भाभी अपना नीचे वाला होंठ दाँतों में दबाकर बोली, “आह, मर गई! उफ्फ, धीरे करो ना थोड़ा!” और कराहने लगी।

मैंने खुद की पोजीशन सेट करके लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से कसकर एक झटका मारा।
वैसलीन लगी होने से लण्ड पूरा उसके अंदर चला गया।

दोस्तो, किसी भी लड़की या औरत की गांड चिकनी करके मारने का अलग ही मज़ा होता है।
मेरे वार से भाभी के हाथों से उसकी टाँगें छूट गईं।

मैंने भाभी के कंधे पकड़कर उसे झकड़ते हुए एकदम से स्पीड बढ़ाकर उसकी गांड मारने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही उसकी गांड मारने के बाद मैंने भाभी को लण्ड के ऊपर बिठाकर उसकी गांड मारी।

कोई आधे घंटे के तूफान के बाद मैंने उसकी गांड को भी अपने वीर्य से भर दिया।
ऐस्स कॉक सेक्स का मजा लेने के बाद हम दोनों अलग हुए तो भाभी हाँफते हुए बेड पर गिर गई।

मैं उठकर बाथरूम में घुस गया और सूसू करने के बाद लण्ड को अच्छे से धोया।
फिर तौलिया लपेटकर बाहर आ गया।

भाभी कुनमुनाते हुए बोली, “देवर जी, मैं बहुत थक गई हूँ! दिल कर रहा है यहीं सो जाऊँ!”
मैंने कहा, “यहाँ सोओगी, तो मैंने तुम्हारी गांड फाड़ी है! मेरी पत्नी आकर मेरी फाड़ देगी!”

मेरी बात पर भाभी हँसने लगी।
फिर वो बेड से उठी तो लड़खड़ाकर गिरने लगी।

मैंने उसे संभालकर बाहर सोफे तक लाया और उसे कपड़े देकर पहनने को कहा।
फिर मैंने उसे पानी पिलाया।

जब भाभी जाने लगी, तो वो फिर से लड़खड़ाई।
फिर मैं उसे अपनी कार से उसके घर छोड़कर आया।

आगे की कहानी की प्रतीक्षा कीजिये.

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