चाची ने भतीजे को चुदाई का पाठ पढ़ाया- 4

(Aunt Nephew Anal Play)

आंट नेफ्यू एनल प्ले में मैंने अपनी चाची को खूब चोदा. तब मैंने चाची की गांड के छेद पर लंड टिकाया और धक्का दे दिया. मेरा लंड चाची की गांड में घुस गया.

दोस्तो, मैं शरद सक्सेना आपको अपनी देसी चाची की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के तीसरे भाग
चाची के साथ सेक्स का गंदा खेल
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं चाची को घोड़ी बना कर उनकी चुत गांड को चाट कर उन्हें मजा दे रहा था.

अब आगे आंट नेफ्यू एनल प्ले:

चाची की चूत और गांड चाटने के चक्कर में मेरा लंड बिस्तर से टकरा रहा था.
फिर मैंने अपने लंड को चाची की चूत में सैट किया और पुश किया, तो लंड अन्दर पेवस्त हो गया.

मैंने चाची की कमर को पकड़ा और धक्के देना शुरू कर दिया.
थप-थप, घप-घप की आवाज कमरे में गूंजने लगी.

चुदाई के साथ साथ मैं चाची की चूचियों को मसलने लगा.

कोई 10-20 धक्के लगाने के बाद मैंने लंड को गांड में सैट किया, तभी चाची बोल उठीं- नहीं आशु, अभी गांड में लंड मत डालो!

‘चाची मत रोको, आपकी खुली गांड खुद ही दावत दे रही है!’

यह कहते हुए मैंने लंड को पुश किया और लंड भी बिना किसी रोक-टोक के गांड में पेवस्त हो चुका था.
बस अब लंड को अन्दर-बाहर करना बाकी था.

‘आशु … आह मर गई!’
चाची बोल नहीं पा रही थीं और इधर मैं धक्के पर धक्के पेल रहा था.

चाची ‘आह-ओह आह-ओह.’ कर रही थीं.
मेरे लंड की खुजली बढ़ती जा रही थी और स्पीड अपने आप बढ़ती जा रही थी.

मैं कभी गांड में लौड़े को पेलने लगता तो कभी चूत चोदने लगता.
कुछ ही देर में मुझे ऐसा लगने लगा था कि लंड अपना पानी छोड़ना चाहता था.

तभी चाची बोलीं- आशु, अपना लंड बाहर निकाल!

मैंने पूछा- क्यों चाची?
‘निकाल … मैं बता रही हूं!’
‘लेकिन मेरा पानी निकलने वाला है!’ ‘पहले अपना लंड छेद से बाहर कर!’

मैंने लंड बाहर निकाला, चाची पलट गईं और मेरे लंड को चूसने लगीं.

मेरे लंड की ताकत खत्म हो गई थी, धार कभी भी बाहर आ सकती थी लेकिन चाची लंड को छोड़ ही नहीं रही थीं.
इसी बीच लंड चाची के मुँह के अन्दर अपनी धार छोड़ने लगा जिसे चाची चप-चप करके पी गईं.

उन्होंने लंड से निकलती हुई रस के एक-एक बूंद को चाट लिया और वापस से बिस्तर पर लेट गईं.

वे अपनी टांगें फैलाती हुए बोलीं- आशु, अब तू मेरी चूत के रस को चाटकर इसका मजा ले!
चाची की बात मानकर मैंने उनकी चूत को अच्छे से चाटकर साफ की और फिर उनके बगल में लेट गया.

चाची ने मेरी नाक को पकड़ा और बोलीं- क्यों आशु, चाची की गांड को भी मार लिया?
‘चाची आपकी गांड ही नहीं, मुँह भी चोद दिया!’
आंट नेफ्यू एनल प्ले वाली बात से वे हंसने लगीं.

मेरे लंड का रस निकल चुका था तो हल्की सी कमजोरी भी लग रही थी.
लेकिन मेरा मन नहीं माना, इसलिए अभी भी मेरी उंगलियां चाची की चूत में चल रही थीं.

तभी चाची ने मेरे सिर को पकड़ा और अपनी चूचियों के ऊपर रख दिया.
वे बोलीं- लो साथ में इनको भी चूसो, बड़ा मजा आएगा!

मैं चाची के दूध को पी रहा था और चाची मेरी पीठ के साथ-साथ मेरी गांड सहला रही थीं.

कुछ देर बाद चाची ने अपने दोनों हाथों को अपने सिर के पीछे ले लिया, उनके कांख से एक अजीब सी स्मैल आ रही थी.

हालांकि यह स्मैल पहले भी थी लेकिन काफी कम.

मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उस स्मैल को सूंघने के लिए अपनी नाक पास ले गया.
अब एक अजीब सी खुमारी मेरे ऊपर चढ़ने लगी.

मैं तुरन्त उठा और चाची की जांघों पर आ गया.
मैंने चाची के दोनों हाथों को पीछे ही पकड़ लिया और बारी-बारी से उनकी कांख चाटने लगा.

चाची कुछ नहीं बोल रही थीं.
मुझे ऊपर के हिस्से में चाची की कांख को चाटने का मजा आ रहा था और नीचे उनकी चूत से निकलती हुई गर्म-गर्म हवा मेरी गांड से टकरा रही थी.

मैं चाची के हर एक अंग को चाट रहा था.
क्या-क्या बताऊं … उनका हर एक अंग मुझे चाटने के लिए उकसा रहा था.

चाची के होंठ, उनकी आंखें, उनके कान की लौ, उनकी नाक, उनके सेवफल से लाल लाल गाल … सुराही जैसी गर्दन … रसभरी चूचियां, सपाट पेट, गहरी नाभि, सभी कुछ चाटते हुए एक बार फिर से मैं चाची की चूत पर जीभ चलाने ही वाला था कि उन्होंने ‘रुको’ की आवाज लगा दी.

चाची ने मुझे रोकते हुए पीछे किया और अपनी दोनों टांगों को हवा में उठाकर उनको पकड़ लिया- लो अब गांड का छेद और चूत का छेद दोनों तुम्हारे सामने हैं!

मैं चाची के हवा में उठी हुई टांगों के बीच बैठ गया और चाची की चूत को चाटने लगा और साथ ही उनकी खुली हुई गांड को भी चाट रहा था.

‘शाबास आशु, बहुत अच्छे से अपनी चाची को मजे दे रहा है!’

‘चाची, मजा तो आपकी चूत ने भी काफी दिया है, जब आपकी चूत के अन्दर मेरा लंड रगड़ मार रहा था तो एक अलग सी उत्तेजना हो रही थी. कभी लगता था कि मेरा रस अब निकला कि तब निकला, लेकिन मजा बहुत आ रहा था … देखो न अभी भी आपके रस से मेरा लंड चिपचिपा रहा है!’

यह कहते हुए मैंने चाची को अपना लंड पकड़ा दिया.

चाची उठीं और लंड को चूमती हुई बोलीं- मेरे लाल, चूत और लंड जब आपस में रगड़ मारते हैं, तो रस निकलता ही है और निहाल होकर आपस में मिल जाते हैं … अब तूने अपना लंड मेरे हाथ में थमा ही दिया है तो अब मैं भी इसको प्यार करूंगी!

मैंने उनके हाथ में अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
चाची बोलीं- तू एक काम कर .. चल पलट कर लेट जा. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ जाते हैं, जिससे तू मेरी चूत चाट सके और मैं तेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस सकूं.

हम दोनों 69 पोजीशन में हो गए.
इस समय मेरा लंड चाची के मुँह में था और उनकी चूत पर मेरी जीभ चल रही थी.

बीच-बीच में चाची मेरी गांड को अपने नाखूनों से कुरेद देती थीं या फिर उसके अन्दर अपनी जीभ चला देती थीं.

हम दोनों काफी देर तक इसी तरह एक दूसरे को चाटते रहे.

फिर मैं पलंग से उतरा और चाची को अपनी गोद में उठाकर उनकी चूत के अन्दर लंड डालकर पूरे कमरे में टहलते हुए उनको चोदने लगा.

‘आह लल्ला … इस तरह चोदना कहां से सीखा?’
‘चाची, सीखा कहीं से नहीं, बस अभी-अभी दिमाग में आ गया तो आपको अपने लंड की इस तरह से सवारी करा दी!’

कुछ देर के लिए मैंने पेलाई रोकी और चाची की चूचियों को बारी-बारी से चूसते हुए मैं उनकी गांड में अपनी उंगली रगड़ने लगा था.

चाची मेरी गोदी से उतरती हुई बोलीं- आशु, तू गांड में उंगली डालने के बजाय गांड को उंगली से क्यों घिस रहा था?

‘गांड घिसने में ज्यादा मजा आ रहा था!’
चाची ने एक बार फिर से अपने बालों को समेटा और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, मेरे टट्टों को मुट्ठी में भर कर मसलने लगीं.

कभी वे लंड को पूरा मुँह में भर लेतीं तो कभी जांघों पर अपनी जीभ फेरने लगतीं … तो कभी अंडकोष को मुँह में भर लेतीं.

काफी देर तक ऐसा करने के बाद चाची मेरे निप्पलों पर बारी-बारी से अपनी जीभ चला रही थीं.

मेरे पूरे जिस्म में सिरहन सी दौड़ गई, चाची यहीं नहीं रुकीं, वे मेरे पीछे आईं और मेरी गांड पर तड़ाक-तड़ाक से कई झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ने लगीं.

फिर एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाने लगीं.
जितनी ताकत से वे मेरे कूल्हे को दबा सकती थीं, उतनी ही जोर से दबा रही थीं.

फिर मेरे चूतड़ों को फैलाकर गांड के छेद पर पहले अपनी एक उंगली से छेद को कुरेदा और अगले ही पल छेद को चाट-चाट कर गीला कर दिया.

जब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया तो मैंने चाची को पकड़ा और उनके होंठ चूसते हुए उनकी चूचियों को दबाने लगा.

चाची मेरे लंड को दबाती हुई बोलीं- राजा, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है … आ जाओ यार और जिस पोजीशन में तुम चाहो … मेरी चूत को चोदो और गांड मार लो!
इतना कहकर चाची ने अपने हाथों को पलंग पर टिका दिया और दोनों टांगों को फैलाकर खड़ी हो गईं.

मैंने उनकी चूत पर लंड सैट किया और चुदाई का प्रोग्राम एक बार फिर से शुरू कर दिया.
अब मेरा लंड कभी उनकी बुर में होता तो कभी गांड में होता.

फच-फच की आवाज से कमरा गुंजाएमान हो गया.
चाची भी मेरा हौसला बढ़ा रही थीं.

हम दोनों के बीच पेलम-पेलाई का खेल तब तक चलता रहा, जब तक मेरे लंड ने इशारा करना शुरू नहीं कर दिया- राजा रुक जाओ, मेरा माल कभी भी बाहर आ सकता है.

मैंने उसी समय लंड को बाहर निकाला, चाची की गीली हो चुकी चूत को चाटा और फिर उनके मुँह को चोदने लगा.

एक-दो मिनट बाद ही लंड महाराज ने चाची के मुँह में उल्टी कर दी, जिसे चाची पी गईं और उन्होंने मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ कर दिया.

हम दोनों ही थक गए थे.
हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए.

कुछ देर तक हम दोनों ही अपनी सांसों में काबू पाते रहे.

फिर मैंने चाची से कहा- चाची, लंड इजाजत नहीं दे रहा है और मन कह रहा है अभी इच्छा नहीं भरी हो तो एक बार फिर से चाची के चूत की सैर कर लो!

‘चाहती तो मैं भी हूं मेरे लाल कि मेरी चूत से तेरा लंड बाहर ही न आए … हम दोनों थोड़ी देर आराम कर लेते हैं. फिर जब तेरा लंड टाइट होकर चूत की सैर करने को तैयार हो जाए तो मुझे अपनी चूत चुदवाने में कोई ऐतराज नहीं होगा!’

थोड़ी देर तक हम दोनों आपस में चिपक कर एक दूसरे की गर्मी का सुख लेते रहे.
इधर चाची लंड को चूत पर घिस रही थीं.

बड़ा आनन्द आ रहा था लेकिन प्रेशर भी बन रहा था.

‘चाची!’ मैंने चाची के कान में कहा.
‘हूं.’ वे थोड़े अलसाई सी आवाज में बोलीं.

‘चाची, मुझे पेशाब आई है!’
‘तो जा कर आ!’

‘हूं … आप चल कर कराओ न, बड़ा मजा आता है!’
‘चल फिर!’

‘आपको नहीं आई है क्या?’
‘आई है, लेकिन उतनी तेज नहीं, पर चल ही रही हूं तो मैं भी कर लूंगी!’

चाची बाथरूम में जाकर पॉट पर बैठने लगीं.

‘चाची मेरी तरह खड़ी होकर आप भी मूतो न!’
चाची खड़ी हो गईं, तो मैं उनके पीछे आया और उनकी चूत पर हाथ रख दिया.

‘ये क्या कर रहा है आशु?’
‘कुछ नहीं चाची, अब आपकी बुर से निकलती हुई गर्मी का अहसास करना है मुझे … आप भी चाहो तो मेरे लंड की गर्म-गर्म पानी की धार का मजा ले सकती हो!’

यह कहते हुए मैं चाची की चूत को रगड़ने लगा, इधर चाची ने धार छोड़नी शुरू कर दी.

गर्म-गर्म पानी मेरे हाथों से होता हुआ बह रहा था.
चाची भी मेरे लंड को पकड़ कर सुपारे पर अपना अंगूठा चला रही थीं.

मुझे वैसे ही बहुत तेज पेशाब लगी थी, तो मैंने भी धार को छोड़ना शुरू कर दिया जो चाची के हाथ से होता हुआ उनकी गांड में गिर रहा था.

चाची चौंकती हुई बोलीं- बहुत बदमाश हो गया है … साले मेरी गांड में ही मूत रहा है!’

‘चाची बहुत तेज से आई थी, बर्दाश्त नहीं हो रहा था, निकल गई!’

जब हम दोनों फारिग हो गए तो चाची को मैंने गोदी में उठाया और श्रृंगारदान के सामने उनको खड़ा कर दिया.
मैं खुद उनके पीछे खड़ा हो गया और उनकी फांकों पर उंगली चलाते हुए उन उंगलियों को चाट रहा था.
चाची ने भी वही किया.

वे मेरे सुपारे पर अपने अंगूठे को रगड़कर फिर उस अंगूठे को अपने मुँह में ले रही थीं.

मैं साथ ही चाची के गाल को चूमने के साथ ही उनके निप्पल को हौले से मसल रहा था.
इधर चाची अपनी आंखें बंद की हुई मेरे लंड को पकड़ कर मसल रही थीं.
साथ ही वे अपनी गांड पर लंड की नोक को रगड़ भी रही थीं.

मैं धीरे-धीरे उनके निप्पलों को मसलते हुए … उनके पेट को सहलाते हुए उनकी चूत की फांकों के बीच उंगली डालकर रगड़े जा रहा था.

उधर चाची भी अपने होंठों को चबाती हुई मेरे सुपारे में अपने नाखून गड़ा रही थीं.

कुछ देर हम दोनों के बीच ऐसे ही चलता रहा.

फिर चाची बोलीं- आशु, तेरा लंड फिर से टाइट हो गया!
‘क्या करूं चाची, आपकी गांड और चूत के आगे बेचारा मेरा लंड बेबस है!’
‘और इसी बेबस लंड ने मेरी चूत में एक बार फिर आग लगा दी है … मन कर रहा है कि तेरे लंड को काटकर खा जाऊं!’

‘चाची मना कहां कर रहा हूं … देखो न लंड भी आपकी बात सुनकर उछाल मार रहा है!’
‘हां अभी इसकी अकड़ निकालती हूं!’ यह कहते हुए उन्होंने फिर से लंड को मुँह में दबोच लिया.

इस समय चाची वास्तव में मेरे लंड को खा जाना चाहती थीं.
मैंने भी उनके बालों को पकड़ा और उनके मुँह की चुदाई शुरू कर दी.

चाची का मुँह भी उनकी गांड और चूत की तरह मजा दे रहा था.
वे मेरे लंड से चुद भी रही थीं और अपनी चूत और चूची से खुद ही खेल रही थीं.

फिर चाची जमीन पर बैठ गईं और थोड़ा आगे होकर अपनी पीठ को दीवार से लगाती हुई अपनी टांगों को फैलाकर मुझे चूत चाटने का इशारा करने लगीं.

मैं पेट के बल लेटकर उनकी टांगों के बीच होकर उनकी चूत को चाटने लगा.
मुझे दो तरफा मजा आ रहा था.

एक इस प्रकार उनकी चूत चाटने का … और दूसरा मेरा लंड जो जमीन में घिस रहा था … उससे होने वाली सुरसुरी का.

इतने लंबे सेक्स में मुझे एक बात समझ में आई कि किसी अनुभवी के साथ सेक्स करो तो उसका मजा ही अलग आता है.

उस रात चाची ने मुझे कई पोज में चुदाई का मजा दिया.

सुबह के करीब 4 बजे चाची अपने कमरे में जाने के लिए कपड़े पहनने लगीं.

मैंने उनके कपड़े लेते हुए कहा- ऐसे ही नंगी अपने कमरे में जाओ!
वे मुझे एक चपत मारती हुई बोलीं- एक ही रात में हर मजे लूट लेगा!

‘चाची प्लीज ना!’
‘अच्छा ठीक है, तब एक काम करते हैं. चल तू भी अपने कपड़े ले ले और मेरे साथ चल!’

मैं उन्हें देखने लगा कि यह क्या बात हुई.
‘हम दोनों तेरे कमरे से नंगे ही मेरे कमरे में जाएंगे और वहां तू मुझे मेरी पैंटी पहनाएगा फिर मैं तुझे तेरी चड्डी पहनाऊंगी … फिर उसी पोजीशन में तेरे कमरे में हम दोनों वापिस आएंगे और इधर आकर तू मुझे मेरी ब्रा पहनाएगा और मैं तुझे तेरी बंडी … फिर हम दोनों मेरे कमरे में जाएंगे. वहां मैं मैक्सी पहन लूंगी और तू अपना लोअर पहन कर वापस आ जाएगा!’

उनकी बात सुनकर मैं भी उत्साह में आ गया और बोला- अरे इसमें तो बड़ा मजा आएगा चाची!

फिर मैंने और चाची ने अपने-अपने कपड़े लिए और दोनों ही नंगे चाची के कमरे में आ गए.

बाथरूम में मैंने चाची की चूत साफ करके उसे पौंछा और उन्हें पैंटी पहनाई.
चाची ने मेरे लंड को साफ करके मुझे चड्डी पहनाई.

फिर हम दोनों केवल पैंटी और चड्डी में मेरे कमरे में आए.

मैंने चाची को ब्रा और चाची ने मुझे बंडी पहनाई.
एक बार फिर से हम दोनों चाची के कमरे में गए और वहां चाची अपनी मैक्सी पहनी. मैं लोअर पहन कर अपने कमरे में आकर सो गया.

सुबह चाची मुझे झकझोर रही थीं- कितनी देर सोएगा!
उन्होंने यह कहते हुए अपनी एक चूची को मेरे मुँह में भर दिया.

कुछ देर मुझे अपनी चूची पिलाने के बाद वे चली गईं.

अब मेरा रोज का चाची को चोदना हो गया था.
जब चाचा रात की ड्यूटी में होते तो चाची रात में मुझसे चुदवातीं और सुबह जब उठाने आतीं तो मेरे चेहरे को कभी अपनी चूत पर रगड़तीं या अपनी गांड मेरे चेहरे में रगड़ने लगतीं, कभी वे मुझे अपनी चूची पिलातीं.

इस तरह से मेरा मेरी चाची के साथ सेक्स संबंध बन गया था.

तो दोस्तो, मेरी आंट नेफ्यू एनल प्ले कहानी आपको कैसी लगी.
आप सभी के मेल के इंतजार में मैं आपका अपना शरद सक्सेना.
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