बहूरानी की चूत की प्यास-5
(Bahu Ki Gand Ki Chudai: Bahoo rani Ki Choot Ki Pyas- Part 5)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बहूरानी की चूत की प्यास-4
-
keyboard_arrow_right बहूरानी की चूत की प्यास-6
-
View all stories in series
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने अपनी बहु की झांटें शेव करके उसकी चूत को चिकनी कर दिया.
उसी दिन दोपहर के बारह बजे का टाइम होगा, बहू रानी किचन में लंच के लिए सब्जी काट रही थी, मैं वहीं चेयर पर बैठा मोबाइल से खेल रहा था. बहूरानी ने मैक्सी पहन रखी थी जिसमें से उसका पिछवाड़ा बड़े शानदार तरीके से उभरा हुआ नज़र आ रहा था. क्या मस्त गांड थी बहूरानी की… जिसे देख कर मन मचल गया.
मैं उठा और बहूरानी को पीछे से पकड़ कर अपने से सटा लिया और गर्दन चूमने लगा.
“काम करने दो पापा जी, परेशान मत करो अभी!” बहूरानी ऐसे ही मना करती रही और मैं मनमानी करता रहा.
फिर उनकी मैक्सी नीचे से ऊपर तक उठा दी, सामने हाथ ले जा कर दोनों मम्में दबोच लिए और गर्दन चूमते हुए मम्में सहलाने लगा, ब्रा ऊपर खिसका कर नंगे दूध मसलने लगा, फिर दोनों अंगूरों को धीरे धीरे उमेठने लगा.
“उफ्फ… अब मान भी जाइए ना प्लीज!” बोलते हुए बहूरानी मुझे दूर हटाने लगी लेकिन मैंने एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और चिकनी चूत मुट्ठी में भर के उससे खेलने लगा.
“बहू रानी, तुमने अपने बाल तो कटवा लिए पर नाई की फीस तो दी ही नहीं?”
“सब कुछ तो ले लिया मेरा और मनमानी अब भी कर रहे हो. अब और क्या फीस चाहिए मेरे नाई जी को?”
मैंने बहु की पैंटी नीचे खिसका दी और अपना लंड गांड के छेद से अड़ा दिया- फीस तो मैं इसी छेद से वसूलूंगा आज!
“धत्त, वहाँ मैंने कभी नहीं करवाया.”
“तो आज करवा के देखो. वहाँ भी बहुत मज़ा आता है बिल्कुल चूत की तरह!”
“नहीं बाबा वहाँ नहीं. बहुत मोटा है आपका, मैं वहाँ नहीं सह पाऊँगी.”
“अरे एक बार ट्राई तो कर, मज़ा नहीं आये तो मत करने देना.”
“अच्छा, एक बार घुसाने के बाद आप क्या मान जाओगे?”
“सच में अदिति बेटा, बहुत दिनों से मन में था तेरी गांड मारने का. आज मत रोक मुझे!”
“पर पापा जी मुझे बहुत बहुत डर लग रहा है वहाँ नहीं. आप तो आगे वाली में कर लो चाहो तो!”
“कुछ नहीं होता बेटा, तेरी मम्मी की भी तो लेता हूँ पीछे वाली!”
“अच्छा करो धीरे से, लेकिन निकाल लेना जल्दी से अगर मैं कहूँ तो!”
“ठीक है तू चिंता मत कर अब.”
मैंने पास रखे सब्जी फ्राई करने वाले तेल से लंड को अच्छे से चुपड़ लिया और बहूरानी के दोनों हाथ सामने स्लैब पर गैस के चूल्हे के पास रख दिए और उसे झुका कर कमर पकड़ कर पीछे की तरफ खींच ली जिससे उसका पिछवाड़ा अच्छी पोजीशन में मेरे लंड के सामने आ गया.
इसी स्थिति में मैंने बहूरानी की चूत में लंड पेल दिया और दस बारह धक्के लगा कर बहूरानी को तैयार किया. फिर मैंने बहूरानी की दोनों टांगों को दायें बाएं फैला के लंड को उसके गांड के छेद से सटा दिया और उसके कूल्हों पर चपत लगाने लगा, पहले इस वाले पे, फिर उस वाले पे.
“अदिति बेटा, जरा अपनी गांड को अन्दर की तरफ सिकोड़ो और फिर ढीली छोड़ दो.”
“कोशिश करती हूँ पापा.” बहूरानी बोली और अपनी गांड को सिकोड़ लिया. उसकी गांड के झुर्रीदार छेद में हलचल सी हुई और उसका छेद सिकुड़ गया.
“गुड वर्क, बेटा. ऐसे ही करो तीन चार बार!”
मेरे कहने पर बहूरानी ने अपनी गांड को तीन चार बार सिकोड़ के ढीला किया.
“बेटा, अब बिलकुल रिलैक्स हो जाओ. गहरी सांस लो और गांड को एकदम ढीला छोड़ दो.”
बहू रानी ने बिल्कुल वैसा ही किया.
“अदिति बेटा, गेट रेडी, मैं आ रहा हूँ.” मैंने कहा. और लंड से उसकी गांड पर तीन चार बार थपकी दी.
“पापा जी आराम से”
“आराम से ही जाएगा बेटा, बस तू ऐसे ही रहना; एकदम रिलैक्स फील करना.”
गांड के छेद का छल्ला थोड़ा सख्त होता है. लंड एक बार उसके पार हो जाए फिर तो कोई प्रॉब्लम नहीं आती. अतः मैंने अपनी फोरस्किन को कई बार आगे पीछे करके सुपाड़े को तेल से और चिकना किया और बहूरानी की गांड पर रख कर उनकी कमर कस के पकड़ ली और लंड को ताकत से धकेल दिया गांड के भीतर.
लंड का टोपा पहले ही प्रयास में गप्प से बहूरानी की गांड में समा गया. उधर बहूरानी जलबिन मछली की तरह छटपटाई- उई मम्मी रे… बहुत दर्द हो रहा है, पापा… फाड़ ही डाली आपने तो; हाय राम मर गयी, हे भगवान् बचा लो आज!
बहूरानी ऐसे ही आर्तनाद करने लगी.
ऐसे अनुभव मुझे पहले भी अपनी धर्मपत्नी के साथ हो चुके थे, वो भी ऐसी ही रोई थी और रो रो कर आसमान सिर पर उठा लिया था, बाद में जब मज़ा आने लगा था तो अपनी गांड हिला हिला के लंड का भरपूर मज़ा लिया था और आज भी लेती है.
मैं जानता था कि बस एक दो मिनट की बात थी और बहूरानी भी अभी लाइन पर आ जायेगी. अतः मैं बहूरानी की चीत्कार, रोने धोने को अनसुना करके यूं ही स्थिर रहा और उसकी पीठ चूमते हुए नीचे हाथ डाल कर उसके बूब्स की घुन्डियाँ मसलता रहा और उसे प्यार से सांत्वना देता रहा.
उधर बहूरानी चूल्हे पर अपना सिर रख के सुबक सुबक के रोती रही.
कुछ ही मिनटों बाद मुझे अनुभव हुआ कि मेरे लंड पर गांड का कसाव कुछ ढीला पड़ गया साथ ही बहूरानी भी कुछ रिलैक्स लगने लगीं थी. हालांकि रोते रोते उसकी हिचकी बंध गई थी.
“अदिति बेटा, अब कैसा लग रहा है?” मैंने लंड को गांड में धीरे से आगे पीछे करते हुए पूछा.
“पहले से कुछ ठीक है पापा, लेकिन दर्द अब भी हो रही है.”
“बस थोड़ी सी और हिम्मत रखो बेटा, दर्द अभी ख़त्म हो जाएगा फिर तुझे एक नया मज़ा मिलेगा.”
मैं लंड को यूं ही उसकी गांड में फंसाए हुए उसके हिप्स सहलाता और मसलता रहा; बीच बीच में पीठ को चूम कर मम्में दबाता रहा. कुछ ही मिनटों में बहू रानी नार्मल लगने लगी, लंड पर उसकी गांड की जकड़ कुछ ढीली पड़ गई और उसकी कमर स्वतः ही लंड लीलने का प्रयास करते हुए आगे पीछे होने लगी.
“पापा जी, नाउ इट्स फीलिंग गुड. जल्दी जल्दी करो अब!” बहूरानी ने अपनी गांड उचका के दायें बाएं हिलाई.
“आ गई ना लाइन पे, बहुत चिल्ला चिल्ला के रो रो के दिखा रही थी अभी!” मैंने बहूरानी के कूल्हों पर चांटे मारते हुए कहा.
“अब मुझे क्या पता था कि पीछे वाली भी दर्द के बाद इतना ढेर सारा मज़ा देती है.”
“तो ले बेटा, अपनी गांड में अपने ससुर के लंड का मज़ा ले.” मैंने कहा और लंड को थोडा पीछे ले कर पूरे दम से पेल दिया बहूरानी की गांड में.
“लाओ, दो पापा जी.. ये लो अपनी बहूरानी की गांड!” अदिति बोली और अपनी गांड को मेरे लंड से लड़ाने लगी.
“शाबाश बेटा, ऐसे ही करती रह.” मैंने बहू रानी की पतली कमर दोनों हाथों से कसके पकड़ के उसकी गांड में लंड से कसकर ठोकर लगाई, साथ में नीचे उसकी चूत में अपनी बीच वाली उंगली घुसा के अन्दर बाहर करने लगा.
“आह…पापा जी, आज तो गजब कर रहे हो आज, मेरा मन जोर जोर से चिल्ला चिल्ला के चुदने का कर रहा है.”
“तो चिल्ला जोर से!” मैं उसकी चूत के दाने को मसलते हुए बोला.
“पापा आ… तीन उंगलियां घुसेड़ दो मेरी चूत में और धक्के लगाओ जोर जोर से!”
“ये लो अदिति बेटा… ऐसे ही ना?” मैंने हाथ का अंगूठा और छोटी अंगुली मोड़ कर तीनों उंगलियाँ बहूरानी की बुर में घुसा दीं और उसकी गांड में धक्के पे धक्के देने लगा.
बहूरानी की चूत रस बरसा रही थी. मेरी सारी उंगलियां और हथेली उसके चूत रस से सराबोर हो गयी.
“और तेज पापा और तेज… अंगुलियां और भीतर तक घुसा दो चूत में पापा!” बहूरानी मिसमिसा कर बोली.
अबकी मैंने अपनी चारों उंगलियां उसकी चूत में जितना संभव था उतनी गहराई तक घुसा के उसकी गांड ठोकने लगा.
“आह… यू आर ग्रेट पापा; फक मी लाइक अ बिच… टिअर माय बोथ होल्स… फाड़ के रख दो मेरी गांड को और उंगलियां गहराई तक घुसा दो मेरी चूत में और चोदो मेरी गांड को!” बहूरानी अब अपने पे आ चुकी थी और मज़े के मारे बहकी बहकी बातें करने लगी थी.
मैं जानता था कि औरत जब पूरी हीट पर आ जाये तो उसे बड़े ही एहितयात से टेक्टफुल्ली संभालना होता है; इसी पॉइंट पर पुरुष की सम्भोग कला और धैर्य का इम्तिहान होता है.
“हाँ अदिति बेटा ये ले!” मैंने कहा और उसकी चोटी अपने हाथ में लपेट के खींच ली जिससे उसका मुंह ऊपर उठ गया और अपने धक्कों की स्पीड कम करके लंड को धीरे धीरे उसकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा.
“पापा जी, लंड को चूत में दीजिये न कुछ देर प्लीज!”
“ये लो बेटा!” मैंने कहा और लंड को गांड से निकाल कर फचाक से बहूरानी की चूत में पहना दिया और चोदने लगा.
“वाओ पापा… चोदो तेज तेज चोदो… लंड के साथ अपनी दो अंगुलियां भी घुसा दो भीतर.” बहू रानी किसी हिस्टीरिया से पीड़ित की तरह बहकने लगी.
अदिति की गांड का छेद मुंह बाए लंड के इंतज़ार में कंपकंपा सा रहा था लेकिन मैं एक अंगुल नीचे उसकी चूत को अपने लंड से संभाले हुए था.
तभी मुझे एक आडिया आया. किचिन में सामने प्लेटफॉर्म पर सब्जियां रखीं थी. मेरी नज़र कच्चे केलों के गुच्छे पर गयी जिसमें बड़े बड़े लम्बे मोटे साइज़ के हरे हरे कच्चे कड़क कठोर केले लगे थे. बहूरानी को कच्चे केलों की सब्जी बहुत पसंद है न.
“अदिति बेटा तुझे कच्चे केले की सब्जी बहुत अच्छी लगती है ना?” मैंने उसकी चूत को लंड से धकियाते हुए पूछा.
“हाँ, पापा जी. कल बनाऊँगी आप भी खाना. मस्त लगती है मुझे तो!” बहूरानी ने अपनी कमर पीछे ला के लंड लीलते हुए कहा.
“तो बेटा, आज तेरी चूत को कच्चे केलों का स्वाद चखाता हूँ मैं!” मैंने कहा और केलों के गुच्छों में से दो बड़े वाले जुड़े हुये केले तोड़ लिए और अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल के एक सबसे बड़ा वाला केले पर तेल चुपड़ के बहूरानी की चूत में कोशिश करके पूरा घुसा दिया, दूसरा केला नीचे लटक के झूलने लगा; इसी स्थिति में मैं लंड को फिर से अदिति की गांड में घुसाने लगा. नीचे चूत में केला फंसे होने के कारण लंड को केले की रगड़ महसूस हो रही थी और वो अटकता हुआ सा गांड में घुस रहा था. मैंने धीरे धीरे करके लंड को आगे पीछे करते हुए आखिर पूरा लंड बहूरानी की गांड में जड़ तक पहना दिया. और उसकी कमर पकड़ कर गांड मारने लगा.
लंड के धक्कों से नीचे लटकता हुआ केला जोर जोर से झूलने लगता साथ में चूत में फंसे हुए केले में भी कम्पन होने लगते इस तरह बहूरानी की चूत और गांड दोनों छेदों में जबरदस्त हलचल मचने लगी. मैं पूरी ताकत और स्पीड से दांत भींच कर लंड चलाता रहा.
गांड मारने का अपना अलग ही मज़ा है कारण की गांड के छल्ले में लंड फंसता हुआ अन्दर बाहर होता है जिससे दोनों को अविस्मरणीय सुख की अनुभूति होती है. चूत तो चुदते चुदते सभी की ढीली ढाली हो ही जाती है और फिर चुदाई के टाइम इतना पानी छोड़ती है कि लंड को बीच में रोक के पौंछना ही पड़ता है; जबकि गांड हमेशा एक सा मज़ा देती रहती है.
“पापा जी… बहुत थ्रिलिंग महसूस हो रहा है चूत में. ऐसा मज़ा तो पहले कभी भी नहीं आया मुझे!” बहूरानी बोली और अपना हाथ पीछे ला कर केले को चूत में और भीतर तक घुसा लिया और अपनी गांड पीछे की तरफ करके धक्कों का मजा लेने लगी और बहुत जल्दी झड़ने पे आ गयी.
“आह..मैं तो आ गयी पापा” बहूरानी बोली और खड़ी हो गई और अपनी पीठ मेरे सीने से चिपका के अपनी बांहें पीछे लाकर मेरे गले में डाल के मुझे लिपटा लिया. उत्तेजना के मारे बहूरानी का जिस्म थरथरा रहा था.
मेरा लंड अभी भी उसकी गांड में फंसा हुआ था. मैं भी झड़ने के करीब ही था, मैंने बहू रानी के दोनों मम्में मुट्ठियों में दबोच लिए और जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा जिससे चूत में घुसा हुआ केला धक्कों से नीचे गिर गया साथ में मैं झड़ने लगा और मेरे लंड से रस की फुहारें निकल निकल के उसकी गांड में समाने लगीं.
“पापा जी मुझे नीचे लिटा दो अब अब खड़ा नहीं रहा जाता मुझसे!” बहूरानी कमजोर स्वर में बोली.
मैंने उसे पकड़े हुए ही धीरे से फर्श पर लिटा दिया और और खुद उसके बगल में लेट कर हाँफने लगा.
“पापा, आज तो गजब का मज़ा आया पहली बार!” बहूरानी प्यार से मेरी आंखों में देखती हुई बोली और मेरे सीने पर हाथ फिराने लगी.
मैंने भी उसे चूम लिया और अपने से लिपटा लिया. बहुत देर तक हम दोनों ससुर बहू यूं ही चिपके पड़े रहे.
“छोड़ो पापा जी, लंच भी तो बनाना है अभी!” बहूरानी बोली और उठ के खड़ी होने लगी और जैसे तैसे खड़ी होकर प्लेटफोर्म का सहारा ले लिया और धीरे धीरे बाथरूम की तरफ चल दी.
मैंने नोट किया कि बहूरानी की चाल बदली बदली सी लगने लगी थी.
जिस दिन दोपहर की यह घटना है उस दिन रात को और अगले दिन बहूरानी ने मुझे कुछ भी नहीं करने दिया; कहने लगी कि उसकी गांड बहुत दर्द कर रही है और उसे चलने फिरने में भी परेशानी हो रही है. अतः मैंने भी ज्यादा कुछ नहीं कहा और ये दो दिन बिना कुछ किये ऐसे ही निकल गए.
मेरी बहु की गांड की चुदाई की कहानी कैसी लगी?
[email protected]
What did you think of this story
Comments