बीवी की सहेली की चुदाई- 7

(Bhabhi Ki Gand Ki Chudai)

भाभी की गांड की चुदाई कहानी में मैंने भाभी के सामने एक कुंवारी चूत का उद्घाटन किया तो वे भी चुदाई करने की जिद करने लगी, मेरा लंड चूसने लगी. तो मैं उसकी गांड चाटने लगा.

कहानी के छठे भाग
कुंवारी बुर चुद गयी बड़े लंड से
में आपने पढ़ा कि भाभी ने अपनी जेठानी की जवान बेटी की बुर की सील मेरे कड़क लंड से खुलवा दी थी.

उसके बाद भाभी ने मुझे गर्म दूध पिलाया।
भाभी मेरे पास नंगी ही बैठी थी।

अब आगे भाभी की गांड की चुदाई कहानी:

भाभी बोली, “देवर जी, आपकी और आरती की चुदाई देखकर मजा आ गया! कैसे उसकी नन्ही सी चूत में आपका मूसल लंड अंदर-बाहर हो रहा था!”
वो आगे बोली, “मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा कि आरती ने आपके लंड को झेल लिया!”

मैंने भाभी की एक चूची को सहलाते हुए कहा, “भाभी, आरती की कुंवारी चूत फटते हुए देखकर इतना ही मजा आया, तो तुम्हारे पास दो चूत और जवान हो रही हैं! तुम चाहो तो उन्हें भी चोद दूँ!”
भाभी थोड़ा उखड़ते हुए बोली, “नहीं देवर जी, वो मेरी बेटियाँ हैं! आप उनके बारे में गलत सोचो भी मत!”

मैंने भाभी को याद दिलवाते हुए कहा, “थोड़ी देर पहले तुम ही तो आरती से बोल रही थी कि तुम चिंकी और मिंकी को भी मुझसे चुदवा दोगी!”
भाभी बोली, “नहीं, कभी भी नहीं! मैं तो सिर्फ आरती को उकसाने के लिए ये बात बोल रही थी!”

भाभी ने आगे कहा, “देवर जी, आपको नहाकर और दूध पीकर कैसा लग रहा है?”
मैंने भाभी की चूची मसलते हुए कहा, “पहले से अच्छा लग रहा है! पर लंड में अभी भी जलन सी है!”

भाभी बोली, “एक मिनट, मैं सरसों का तेल लेकर आपके लंड की मालिश कर देती हूँ!”

भाभी उठकर एक कटोरी में सरसों के तेल में लहसुन गर्म करके ले आई.
फिर वे जमीन पर घुटने टिकाकर बैठते हुए मेरा लंड पकड़कर ध्यान से देखते हुए बोली, “देवर जी, आपका लंड लाल हो रखा है! लगता है आरती की टाइट चूत से हल्का छिल गया!”
भाभी लंड पर हाथ से बहुत सारा तेल चुपड़कर लंड की मालिश करने लगी।

भाभी की मालिश से लंड फिर से खड़ा होने लगा।

मैंने भाभी की तारीफ करते हुए कहा, “भाभी, आप लंड की मसाज बहुत अच्छी करती हो!”
भाभी मुस्कुराते हुए बोली, “देवर जी, हमें मालूम है आपको इसकी मसाज करवाना बहुत पसंद है!”

मैंने कहा, “भाभी, तुम्हें कैसे मालूम?”
भाभी बोली, “देवर जी, हम औरतों को आस-पास के हर मर्द की जानकारी रहती है! किसका कितना बड़ा है, कौन अपनी पत्नी को कैसे चोदता है, सब मालूम होता है!”

मालिश करते-करते भाभी लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
थोड़ी देर में ही लंड पूरे तनाव में आ गया।

भाभी लंड मुँह से बाहर निकालकर मेरा हाथ पकड़कर खींचते हुए बोली, “चलो ना देवर जी, अंदर कमरे में!”

मैं जैसे ही सोफे से उठा, भाभी अपनी चूत को लंड से भिड़ाकर मुझसे लिपटकर धीरे से बोली, “देवर जी, हमारी चूत की आग बुझती क्यों नहीं! दिल करता है दिन-रात आपका लंड लेती रहूँ!”

मैंने भाभी को चूमते हुए कहा, “कल दो लंड लेकर भी तेरी चूत ठंडी नहीं हुई! साली रंडी की औलाद, तेरा ये हाल रहा, तो एक साथ दस लंड भी कम पड़ेंगे!”
भाभी बोली, “देवर जी, जब आपने हमें गैर मर्द से चुदवा ही दिया, तो अब दस लंड लेने में भी क्या परेशानी!”

मैंने भाभी की चुचियों पर थप्पड़ों की बरसात करते हुए कहा, “चल रंडी, अब तेरी असली चुदाई करूँगा! उस टाइम आरती के सामने तुझे प्यार से चोदा था!”

भाभी लंबी साँस लेते हुए वहीं अपने घुटनों पर हाथ रखकर झुकते हुए बोली, “देवर जी, हमें आपसे वहशी तरीके से चुदवाकर ही असली मजा आता है! अब तो आरती की चूत भी आपने फाड़ दी, अब तो आप मुझे उसके सामने किसी भी तरीके से चोद सकते हैं!”

मैंने भाभी के थिरकते चूतड़ों पर भी थप्पड़ मारते हुए कहा, “चल मेरी रंडी, अब आरती के सामने तेरी गांड मारूँगा!”
भाभी अपनी गांड को सहलाते हुए सीधी होकर बोली, “आह सी, देवर जी, बड़े बेरहम हो आप!”

मैं भाभी के बाल खींचकर उसे कमरे में धकेलते हुए अंदर ले गया।
मेरा लंड एकदम तनकर छत की तरफ देख रहा था।

कमरे में आरती अपनी चूत की सील तुड़वाने के बाद पहली बार लौड़े की चोट से चरमसुख पाकर मजे से सो रही थी।
भाभी बेड के पास खड़ी होकर आरती को देख रही थी।
मैं उसके पीछे खड़ा था।

मेरा लंड भाभी के चूतड़ से छू रहा था।

भाभी ने अपना एक हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को जड़ से पकड़कर, लंड की चमड़ी आगे-पीछे करते हुए बोली, “देवर जी, पहली बार चुदने का अपना ही मजा होता है! देखो, ये कैसे आपके लंड से टकराकर पस्त होकर सो रही है!”
वो आगे बोली, “कसम से, अगर किसी लड़की को पहली बार में आपके जैसा लौड़ा मिल जाए, तो कहना ही क्या!”

फिर भाभी ने आरती की चूत की तरफ अंगुली करके कहा, “देवर जी, देखो तो सही, कितनी छोटी सी चूत है आरती की! कोई भी ये नहीं मानेगा कि ये आपका लंड ले पाई होगी!”

मैंने बिना कुछ बोले, भाभी की एक टाँग को पीछे से धकेलते हुए बेड पर रखा। अब भाभी की एक टाँग बेड पर थी और दूसरी जमीन पर। भाभी ने अपने बदन का कमर तक का हिस्सा बेड पर रखकर अपने एक पंजे के सहारे चूतड़ों को उचकाकर अपनी पूरी गांड ऊपर उठाकर खोल दी।

मैं भाभी के मखमली चूतड़ पकड़कर नीचे बैठकर उसकी गांड के छेद पर जीभ फिराने लगा।

भाभी बोली, “आह सस्सस्सी, देवर जी, चाटो मेरी गांड! चोदने के साथ आपका चाटने का अंदाज भी मस्त है! उफ्फ मम्मी, आह! मेरी गांड मारने से पहले नरम कर लो मेरी गांड का छेद! उफ्फ आह!”

मैं जीभ को तीखी करके भाभी की गांड के छेद को अंदर तक चाट रहा था।
अब उसका पीछे का छेद मेरे थूक से भर चुका था।

भाभी बोली, “देवर जी, क्या आप आरती की भी गांड मारोगे?”

मैंने नीचे से उठकर लंड भाभी की गांड के छेद पर लगाकर सिर्फ टोपा अंदर धकेला.
तो भाभी बोली, “अअ अअह हह सीसीसी, देवर जी, कितना मोटा है आपका!”

मैंने भाभी के दोनों कंधे पकड़कर एक और झटका मारकर भाभी की गांड में पूरा लंड उतार दिया।

भाभी जोर से चीखी।
पर मैंने उसकी चीखों की परवाह किए बगैर कहा, “सुन मेरी रंडी! मैं जिसकी चूत मारता हूँ, उसकी गांड भी जरूर मारता हूँ! जैसे मैंने तेरी आरती की चूत मारी है, उसकी गांड में भी मैं तेरे हाथ से लंड डलवाऊँगा!”

भाभी बोली, “आह, जरूर देवर जी! मैं आरती की गांड में भी आपका लंड डलवाऊँगी! उफ्फ, कितना मस्त चोदते हो आप!”

मैं भाभी की गांड में कसकर लंड पेलने लगा।
भाभी अपना एक हाथ पीछे लाकर अपनी चूत के दाने को मसल रही थी।
वो बीच-बीच में मेरी बॉल्स को भी मसल रही थी।

थोड़ी देर तक भाभी की गांड की चुदाई ऐसे ही करने के बाद मैंने भाभी को आरती की बगल में लिटाया।

भाभी ने भी फुर्ती से अपनी दोनों टाँगें उठाकर अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए।

भाभी मेरे चेहरे को ललचाई आँखों से देख रही थी, जैसे बोल रही हो कि मेरे दोनों छेद तुम्हारे सामने हैं, जिसमें मर्जी अपना लंड घुसेड़ दो!

मैंने भाभी की टाँगों के बीच आकर अपना फौलादी लंड उसकी चूत के होंठों में रगड़ना शुरू कर दिया।

भाभी अपना होंठ काटते हुए सिसकारियाँ लेकर बोली, “आह देवर जी, क्यों तड़फा रहे हो! कर दो ना अपना बंबू अंदर!”

मैंने सुपाड़ा उसके छेद से भिड़ाकर उस पर झुकते हुए भाभी के मुँह पर एक थप्पड़ मारकर कहा, “देख कुतिया, कैसे तू रंडी की तरह अपनी टाँगें उठाकर मेरे सामने लेटी है!”
भाभी बोली, “देवर जी, हम रंडी हैं, तो आप भी कौन-सा किसी कुत्ते से कम हो! आप भी तो हमारे छेद से अपना लंड भिड़ाकर हमारे ऊपर झुके हुए हो!”

वो आगे बोली, “और एक बात याद रखो, जितनी जरूरत हमारी चूत को आपके लंड की है, उससे ज्यादा जरूरत आपके लंड को हमारी चूत की होगी!”

भाभी की बात सुनकर मैंने जोर से झटका मारकर अपना पूरा लंड भाभी की चूत की जड़ में उतार दिया।
भाभी जोर से, “हाये देवर जी, मारोगे क्या!” बोलते हुए चीखी।

जिससे आरती की नींद खुल गई।
वो उठते हुए बोली, “क्या हुआ चाची?”

भाभी उसकी नंगी जाँघों पर हाथ फिराते हुए बोली, “देख नहीं रही क्या! कैसे देवर जी ने हमारी बच्चेदानी हिला दी! एक झटके में पूरा लंड पेलकर!”

आरती मासूमियत से भाभी की चूत में फंसा हुआ लंड देखकर कुछ सोचने लगी।
मैं आरती को देखते हुए भाभी की चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगा।

भाभी नीचे से अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा लंड लीलने लगी।
वो दोनों हाथों से अपने निपल्स मसलते हुए बोली, “देवर जी, आह! और जोर से! आह, बहुत मजा आ रहा है! जल्दी करो! आह, निकाल दो हमारी चूत का पानी! फिर आरती बिटिया को हमारी गांड मारकर दिखाना!”

वो आगे बोली, “आह, देवर जी, हमारी चूत में बहुत खुजली मची रहती है! दिल करता है हमेशा आपका लंड हमारी चूत के अंदर रगड़ खाता रहे! आह, देख आरती बिटिया, तेरी मम्मी की चूत में कैसे लंड अंदर-बाहर हो रहा है! उफ्फ, आई ईईई आह सीसी, आह देवर जी, और जोर से!”

मैं बिना रुके भाभी की चूत को अपने लंड से ड्रिल कर रहा था।
कुछ और झटकों के बाद भाभी मेरी कमर में अपने नाखून गड़ाते हुए झड़ गई।
उसका बदन एक झटके से एक बार अकड़ गया।

फिर थोड़ी देर में वो ढीली होते हुए हाँफने लगी।
मेरा लंड अब भी उसकी चूत में था।

वो लगभग चीखते हुए बोली, “निकालो इसे बाहर देवर जी!”
मैंने उसकी बात सुनकर लंड झटके से बाहर खींच लिया और आरती का हाथ पकड़कर उसके कोमल हाथ में थमा दिया।

आरती भाभी के पानी से भीगे लंड को हिलाकर आश्चर्य से देखने लगी।

उधर भाभी बेड पर घोड़ी बनते हुए बोली, “बेटी, ऐसे क्या देख रही है तू देवर जी के लंड को! थोड़ी देर पहले इसने तेरी चूत की सील तोड़ी है और अभी-अभी इसने तेरी मम्मी की चूत का पानी निकाला है!”

वो आगे बोली, “अब देखना, ये मूसल तेरी मम्मी की गांड में जाएगा! आ जाओ देवर जी, हमारी गांड में लंड डालकर दिखा दो हमारी बेटी को कि गांड कैसे मारी जाती है!”

मैंने आरती के हाथ से लंड खींचते हुए घुटनों के बल घूमकर लंड भाभी के गांड के छेद से भिड़ाकर धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू कर दिया।

भाभी कमर को सीधी करके गर्दन ऊपर उठाकर बोली, “आह सीसी, देवर जी! डाल दो पूरा हमारी गांड में!”

मैंने अपना पूरा लंड भाभी की गांड में डालकर उसकी कमर में एक बाँह डालकर उसे अपने से चिपका लिया और अपनी कमर को आगे-पीछे करते हुए उसे चोदने लगा।

भाभी बोली, “आह, देखो ना आरती बेटी! कैसे तुम्हारी मम्मी की गांड में इतना बड़ा लंड अंदर-बाहर हो रहा है! आह, बहुत मजा आ रहा है! आरती, जब बहुत ही मजबूत सख्त लौड़ा कोमल गांड में अंदर-बाहर होता है, तो बहुत मजा आता है! देवर जी के पत्थर जैसे लंड पर उभरी हुई नसों की रगड़ बहुत मजा दे रही है!”

फिर भाभी मुझसे बोली, “देवर जी, आप रुको! हम आरती को सिखाएँगी कि लंड को गांड में लेकर कैसे चुदवाया जाता है!”

मैं धक्के मारना बंद करके एक जगह रुक गया।

भाभी ने अपनी गांड आगे करके लंड बाहर निकाल दिया और उठकर बैठते हुए लंड को पकड़कर चूमते हुए आरती से बोली, “लो बेटी, पकड़ो इसे!”

आरती ने अपनी पतली-पतली कोमल अंगुलियों से मेरे लंड को पकड़ लिया।

फिर भाभी बोली, “बेटी, इसको कसकर पकड़ो और प्यार करो!”
आरती लंड को कसकर पकड़कर चूमने लगी।

भाभी आरती के बालों में हाथ फिराते हुए बोली, “बेटी, गांड में लोगी इसे?”

आरती बोली, “मम्मी, मुझे पहले ही आगे बहुत दर्द हो रहा है! मुझे तो भरोसा नहीं हो रहा कि भैया का ये लंड मैंने कैसे ले लिया!”

भाभी मेरी गोलियों को मसल रही थी।
आरती के नरम हाथों से मेरे लंड की हालत खराब होने लगी।

मैंने आरती की चूची मसलते हुए कहा, “भाभी, मैं ऐसे नहीं झड़ना चाहता!”

भाभी मेरी बात समझकर घोड़ी बन गई और आरती से बोली, “चल बेटी, लंड को पकड़कर चूमते हुए मेरे छेद से लगा और देवर जी की आँखों में देखते हुए बोल, ‘पापा, मेरी मम्मी की गांड मारो!’”

आरती ये सब देखकर मस्ती में आ चुकी थी।
इसलिए उसने बड़ी ही बेशर्मी से मेरे लंड को कसकर पकड़ा और भाभी के छेद से सुपाड़ा लगाकर हाथ से धकेलते हुए अंदर डालने की कोशिश करते हुए, बड़े ही नशीले अंदाज से मेरी आँखों में देखकर, “डैडी!” बोलकर चुप हो गई।

मैंने आरती के चूतड़ पर हाथ फिराते हुए कहा, “बोलो बेटी!”
आरती बोली, “डैडी, प्लीज मेरी मम्मी की गांड मारो ना!”

आरती का मस्ताना अंदाज देखकर मुझे आग लग गई।
मैंने उसकी गर्दन पकड़कर उसके होंठ अपने होंठों में कस लिए और उन्हें लगभग काटने की तरह चूसने लगा।

मैंने एक हाथ से लंड पकड़कर भाभी की गांड में पूरा घुसेड़ दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे हवा में उठाकर भाभी की कमर पर बिठा दिया, उसके होंठ चूसते हुए मैं भाभी की गांड मारने लगा।

मैं भाभी की गांड में फुल स्पीड से लंड पेलने लगा।
आरती छोटी सी गुड़िया की तरह मेरी बाहों में झूल रही थी।

एक प्यारी कमसिन लौंडिया के पतले और रसीले होंठ चूसते हुए बड़े-बड़े गद्देदार चूतड़ों के छेद में लंड डालने का अलग ही मजा था।

थोड़ी देर में मेरा लंड फूलने लगा।
मैं आरती के होंठ दाँतों से काटते हुए भाभी के चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए झड़ गया।
मेरे लंड ने बॉल्स में बचा हुआ पानी भाभी की गांड में भर दिया।

मैं हाँफते हुए आरती की कमर में हाथ डालकर उसे बेड पर पटक दिया और उस पर लेट गया।

थोड़ी देर बाद जब मेरी साँसें कंट्रोल हुईं, तो मैंने अपने नीचे दबी आरती को देखा।
वो मासूमियत से मेरा चेहरा देख रही थी।

भाभी मेरी बगल में लेटी मुस्कुरा रही थी।

मैंने दोनों के बीच में लेटते हुए कहा, “साली रंडियो, तुम दोनों ने तो मेरे लंड को निचोड़ ही लिया!”
भाभी हँसते हुए बोली, “देवर जी, आपको तो मेरी बेटी की कुंवारी चूत मारकर खुश होना चाहिए! पर आप तो लंड का पानी बहाकर दुखी हो रहे हो!”

मैंने आरती को खींचकर अपनी छाती पर लिटा लिया और उसे प्यार करते हुए कहा, “नहीं भाभी, मैं आरती की चूत खोलकर बहुत खुश हूँ! बहुत मस्त लड़की है आरती! इसको चोदकर तो मजा आ गया!”

फिर मैंने आरती के बालों में हाथ फेरते हुए पूछा, “आरती, तुम्हें पहली बार लंड लेकर कैसा लगा?”
आरती शर्माते हुए मेरी छाती में अपना सिर छुपाते हुए बोली, “भैया, बहुत मजा आया! पर अभी भी बहुत दुख रहा है!”

मैंने कहा, “कोई बात नहीं, तुम आज आराम करो! कल तक तुम फिर से चुदवाने लायक हो जाओगी!”

भाभी उठकर बैठते हुए बोली, “देवर जी, कल तो आप आरती के स्कूल भी जाकर आना!”

मैंने कहा, “ठीक है भाभी! कल पहले आरती के स्कूल जाकर आऊँगा, फिर आरती की गांड का मुहूर्त करूँगा!”
आरती बोली, “नहीं भैया, मैं पीछे नहीं लूँगी! आपका बहुत बड़ा है!”

भाभी बोली, “आरती, अब तुम देवर जी को भैया-भैया मत बोलो! अब से ये हम दोनों के सइयाँ हैं! राजा जी, बाबू या कुछ और बोला करो!”

आरती मुस्कुराते हुए मेरे गाल पर चूमते हुए बोली, “जी मेरे जानू, आई लव यू!”

मैंने आरती को बाहों में कसकर चूमा और फिर उठकर कपड़े पहन लिए क्योंकि टाइम काफी हो चुका था।

फिर मैं दोनों से विदा लेकर ऑफिस आ गया।

शाम को घर जाने के बाद मेरी पत्नी ने आरती के स्कूल के बारे में पूछा, तो मैंने झूठ बोल दिया, “प्रिंसिपल नहीं था, कल जाकर आऊँगा!”

आगे की कहानी का इन्तजार करें.

यह भाभी की गांड की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी?
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