एक उपहार ऐसा भी- 22

(Ladki Ki Gand Chudai Hindi : Ek Uphar Aisa Bhi- Part 22)

संदीप साहू 2020-06-13 Comments

This story is part of a series:

दोस्तो … सेक्स कहानी की इस नदी में पिछली बार आपने प्रतिभा दास की चुत चुदाई की कहानी का मजा लिया था. इस बार उस लड़की की गांड चुदाई हिंदी में लिख रहा हूँ … आनन्द लीजिएगा.

प्रतिभा ने जैसे ही गांड मारने की स्वीकृति दी मानो मेरे लंड में फुरफुरी आ गई थी.

लड़की की गांड चुदाई हिंदी में:

मैंने प्रतिभा को बांहों में ही जोरों से कस लिया और आभार स्वरूप चेहरे, गले, कंधे, माथे, गालों, लबों पर अनेकों चुंबन अंकित कर दिए.

प्रतिभा मेरे इस प्रेम वर्षा से पूरी तरह नहा गई, उसके हाथ सीधे ही मेरे लंड को दबाने और सहलाने लगे.

मेरा लंड जो पहले से ही कड़क हो चुका था, वो और फुंफकार उठा. मैंने प्रतिभा के कंधों को हल्के से नीचे की ओर दबाया और प्रतिभा भी झुकती चली गई. उसने झुक कर मेरे लंड के टोपे को मोहक अंदाज में ऐसे चूसा, मानो कह रही हो कि तुम ही तो हो, जो मेरी गांड को सुख देने वाले हो.

दोस्तों सुबह होने से पहले प्रतिभा को रूम में जाना था और हम फोरप्ले का भी काफी मजा ले चुके थे. इसीलिए मैंने कुछ देर ही लंड चुसवा कर प्रतिभा को घोड़ी बनने का इशारा किया.

उसने भी बिना समय गंवाए बिस्तर के किनारे पोजीशन ले ली. फिर मैंने पास रखी क्रीम की ट्यूब उठाकर गांड की छेद में बहुत सी लगाई और हल्की मालिश करते हुए चूत चाटने लगा.

प्रतिभा का शरीर फिर ज्वर की भांति तपने लगा … चूत लपलपाने लगी, गांड का छिद्र खुल बंद होकर सांस लेने लगा. प्रतिभा की गांड भी अनुभवी थी, इसलिए किसी बात का डर नहीं था.

इस अवस्था में प्रतिभा के गोल नितंब बहुत ही आकर्षक लग रहे थे, चिकने चिकने दो घड़े आपस में मिलकर मेरा मन ललचा रहे थे.

मैंने चूत चाटना छोड़ा और लंड को चूत में सैट करके घुसेड़ दिया. उसकी एक आह के साथ ही मैंने चंद सेकंडों में ही तेज रफ्तार पकड़ ली और गांड पर जोरों से चपत लगाते हुए गांड को लाल कर दिया.

इस दौरान मैंने गांड के अन्दर उंगली डालना जारी रखी और दो उंगली डालकर थोड़ी गहराई तक क्रीम लगा कर लंड के लिए पर्याप्त जगह बना ली.

थोड़ी देर चूत बजाने के बाद मैंने लंड फक की आवाज के साथ बाहर खींचा. प्रतिभा कामुक ध्वनि निकालने लगी थी, वो तड़प सी गई.

मैंने उसकी पीठ सहलाई और गांड पर चपत मारते हुए प्रतिभा से पूछा- क्या तुम तैयार हो?
प्रतिभा- तुम्हारे लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं डार्लिंग.

उसकी इस सहमति के साथ मैंने लंड का टोपा सुंदर मांसल नितंबों के मध्य भूरे छेद में फंसा दिया.

प्रतिभा ने ‘आहहह..’ की मधुर ध्वनि के साथ मेरा कठोर प्रेम स्वीकार किया.

प्रतिभा की कसी हुई गांड के सुखद अहसास में मेरा लंड और फूल गया और बेकाबू घोड़े की तरह तेजी से अन्दर बाहर होने लगा. प्रतिभा के अनुभव ने मेरे सारे जुल्म हंसकर सह लिए.

लड़की की गांड चुदाई बहुत तेज गति पर थी और निरंतर काफी देर तक चली. फिर मैंने प्रतिभा की कमर को पकड़ लिया और अपनी सारी उर्जा समेट कर चरम सुख पाने और देने का प्रयास करने लगा.

परिणाम स्वरूप कुछ ही देर बाद तेज गांड चुदाई, मेरी गिड़गिड़ाहट, बड़बड़ाहट में बदल गई. मैंने अतिम पलों में तेजी से खुद को पीछे खींच कर लंड बाहर निकाला और प्रतिभा की पीठ पर फुहार छोड़ने लगा.

मुझे नहीं पता था कि इस समय प्रतिभा स्खलित हुई थी या नहीं, पर मेरा अनुमान है कि इतनी लंबी चुदाई के बीच वो भी स्खलित हो ही चुकी होगी.

मैं एक बार फिर से बिस्तर पर लुढ़क गया और प्रतिभा मेरे सीने से लिपट कर प्यार करने लगी.

प्रतिभा ने कहा- अगर मुझे गांड में लंड लेने की आदत ना होती, तो तुम्हारी गांड चुदाई से मैं अपनी जान गंवा बैठती.
मैंने हंस कर कहा- नहीं प्रतिभा, तुम्हारे अन्दर इतनी आग है कि हाथी का लंड भी तुम्हारे सामने फीका लगे.

उसने मुँह बनाकर मुझे मुक्का मारा और ये कहते हुए कि इतना बड़ा छेद भी नहीं है यार! वो उठकर कपड़े पहनने लगी.

मैं उसे निहारता रहा. उसके बदन का नशा मेरे सर से अब भी ना उतरा था. पर क्या करता, मैं उसे रोक भी तो नहीं सकता था, आखिर मेरी हैसियत ही क्या थी.

प्रतिभा ने कमरे से निकलने से पहले मुझसे लिपट कर धन्यवाद दिया और कल रात फिर से मिलने का वादा करके कमरे से बाहर चली गई.

सुबह हो चुकी थी, मैंने फोन पर होटल स्टाफ को साफ सफाई के लिए कहा और बता दिया कि मैं सो रहा हूँ, मुझे ना उठाया जाए … कमरा खुला है, सफाई करें और चले जाएं.

मैंने अपने नाइट वाले कपड़े पहने और बिस्तर पर जाकर फिर से सो गया.

फिर पता नहीं मैं कितनी बेखबरी से सोया रहा.

जब मुझे किसी ने हिलाया डुलाया, तो मेरी नींद खुली. मैंने आंखें पूरी खोल बिना देखा, तो ये पायल थी.

उसने मुझे जोर से कहा- रात भर सोये नहीं क्या … दोपहर हो गई है. आज आप दिखे नहीं … तो सभी चिंता कर रहे हैं.

मैं अंगड़ाई लेते हुए उठा … और मैंने बेझिझक पायल को बिस्तर पर खींच लिया.
उसने बड़ी अदा से कहा- हायय … मैं तो कब से आपकी बांहों में समाना चाहती हूँ … पर अभी इसका वक्त नहीं है.

मेरे गालों पर किस करते हुए उसने कहा- मौका मिला, तो मैं खुद चली आऊंगी.

फिर मेरे ऊपर से उठकर मुझे निर्देश दिया- अभी जल्दी से नहा धोकर लंच कर लो … फिर मायरा शुरू हो जाएगा, तो हम सब व्यस्त हो जाएंगे.

मैंने मुँह बनाकर कहा- मायरा में शामिल होना जरूरी है क्या?
तो पायल ने कहा- जरूरी तो नहीं है, पर आपकी मर्जी.
मैंने कहा- मैं मायरा में नहीं आ रहा हूँ.
पायल ने कहा- ठीक है कोई बात नहीं, मुझे तो दीदी ने आपको देखने ही भेजा था कि आपको कोई परेशानी तो नहीं. और हां रात को संगीत फंक्शन के लिए तैयार रहना.

ये कहते हुए पायल कमरे से निकल गई.

अभी-अभी पायल को मैंने बांहों में भरा था, उसकी नाजुक जवानी का मीठा अहसास मेरे मन को गुदगुदा गया. पायल जैसी फूल को पाने का ख्वाब हर भौंरा देखता है. फिर अगर मेरे अन्दर भी ये ख्वाब पल रहा था, तो गलत कैसा.

फिर पायल को पसंद करने का एक और कारण भी था. पायल खुशी के चाचा की लड़की यानि की उसकी बहन थी. इस नाते मैं पायल में अपने प्यार अपने यार खुशी की झलक देखता था.

मैं भले ही यहां वहां अपने सेक्स की प्यास बुझा रहा हूँ, पर मेरे दिलो दिमाग में खुशी ही बसी थी.

अभी मैं खुशी और पायल के ख्यालों में खोया हुआ था कि दरवाजे पर किसी के नॉक करने की आवाज आई.

मैंने उस अन्दर आ जाने को कहा.

अन्दर आने वाले शख्स को मैं जानता था, वो नेहा थी. इसके बारे में मैंने आपको पिछली एक कड़ी में बताया था और इसके लिए नेहा को खुशी की फटकार भी सुननी पड़ी थी.

नेहा होटल की स्टॉफ थी, जो खास मेहमानों की मेहमान नवाजी में लगी हुई थी. खुशी ने नेहा को मेरी वजह से हुई गलतफहमी के कारण डांटा था. उस बात के लिए मैं शर्मिंदा भी था, पर माफी मांगने का मौका मुझे नहीं मिला था और मैं ये भी नहीं जानता था कि नेहा मुझसे नाराज थी या नहीं.

नेहा ने मेरे सामने आकर मुझे गुड आफ्टरनून कहा.
मैंने उस रिप्लाई किया.

मैंने गौर किया. मगर उसके चेहरे पर नाराजगी बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही थी.

मैंने नेहा से कहा- मुझे माफ कर दो यार नेहा … उस दिन मेरी वजह से तुम्हें डांट सुननी पड़ी. पर मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था, बस थोड़ी सी मस्ती भारी पड़ गई थी.
नेहा ने कहा- कोई बात नहीं सर … हमें तो ऐसी डांट सहन की आदत होती है.

इस बार मैंने नेहा की बातों में दर्द और नाराजगी महसूस की. मैंने नेहा को सवालों भरे निगाह से देखा. उसने भी मेरी ओर खामोश नजरों से देखा.

फिर उसने माहौल हल्का करने के लिए कहा- सर, सफाई वाले ने बताया कि शायद आपकी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए मैं आपका हालचाल जानने चली आई.

मैंने भी साधारण सा जवाब दिया- अभी जिन्दा हूँ.
उसकी आंखों में आंसू तैर आए, पर उसने बहने से रोक लिया.

वो वापस जाने के लिए मुड़ी ही थी कि मैंने उसकी बांह पकड़ ली और कहा- पहले बताओ कि तुमने मुझे माफ किया या नहीं!
नेहा ने कहा- मैं तो आपसे नाराज ही नहीं हूँ सर … फिर माफी कैसी … और मुझे अपनी औकात पता चल गई है, मैं आपसे नाराज होने की गुस्ताखी कैसे कर सकती हूं.

उसकी इस बात ने फिर से मेरे हृदय को छलनी कर दिया था.

मैंने सख्त लहज में कहा- बिल्कुल नाराज नहीं होओगी? मैं बांह मरोडूं तब भी नहीं? बांहों में भर लूं … तब भी नहीं?
नेहा ने सपाट उत्तर दिया, मगर उसके शब्दों में नाराजगी स्पष्ट थी- हां सर तब भी नहीं.

मैंने फिर कहा- अगर मैं तुम्हारे साथ कुछ ज्यादा कर जाऊं … तब भी नहीं? तुम्हारे साथ बिना सहमति के सेक्स कर लूं … क्या तब भी नहीं?

नेहा ने फिर सपाट उत्तर दिया- हां सर तब भी मैं नाराज नहीं हो सकती. क्योंकि नाराजगी किसी अपने से होती है. नौकर और मालिक के बीच कैसी नाराजगी. और रही बात सेक्स की … तो हम गरीबों का जिस्म तो होटल की चादर के समान होता है, एक रात के लिए कोई भी सोकर निकल जाता है. इसमें बुरा मानने से क्या होगा!

अब तो जैसे नेहा ने मेरे अस्तित्व को ही ललकार दिया था. उसने मुझे इतना नीच बना दिया था, जितना मैं था नहीं.

मैंने नेहा को अपनी पकड़ से आजाद किया और हाथ जोड़ते हुए घुटनों पर आ गया. मेरी आंखों से आंसू निरतर झर रहे थे.

मैंने नेहा से मिन्नत करते हुए कहा- बस नेहा बस … अब और जलील मत करो.

नेहा ने फिर हड़बड़ाते हुए मुझे एक और झटका दिया- अर..र … उठिए सर, अगर किसी ने देख लिया या मैम को खबर लग गई, तो इस बार वो मुझे नौकरी से ही निकलवा देंगी.

अब मैं उठ गया और खुद पर काबू करते हुए आंसू पौंछे और नेहा से कहा- अगर तुम्हारा काम हो चुका हो तो तुम जा सकती हो. और आगे से मेरी देखरेख के लिए तुम मत आना, लेकिन अपनी जगह किसी ऐसी लड़की को भेजना, जो इंसान को समझ सके, आंखों को पढ़ सके.

मैंने ये कहते हुए मुँह फेर लिया और नेहा के जाने की प्रतीक्षा करने लगा.
पर मेरा मन चाह रहा था कि वो ना जाए … फिर से कुछ कहे.

नेहा के कदमों की आहट ने मुझे विचलित कर दिया, वो जाने लगी थी, पर मैं शांत खड़ा रहा … बिना कुछ कहे.

वो दरवाजे तक जाकर रूक गई और उसने पलट कर मुझसे कहा- अगर इजाजत हो, तो जाते हुए मैं एक बात पूछ सकती हूँ.
मैंने भरे गले से कहा- हां पूछो.

नेहा ने कहा- मुझे होटल में जॉब करते काफी समय हो चुका है, पर आज तक मैंने किसी ग्राहक की नजरों में अपने लिए आंसू नहीं देखे. क्या मैं जो समझ रही हूँ … वो सही है?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता कि तुम क्या समझ रही हो.

नेहा ने कहा- माना कि आप भावुक इंसान हैं, पर नासमझ तो बिल्कुल नहीं हैं. आप अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि मैं क्या पूछ रही हूँ … और आप सुनना ही चाहते हैं, तो सुनिए … क्या आपकी नजरें मेरे लिए वासना से आग बढ़कर प्रेम तक पहुंच चुकी हैं?
मैंने साफ साफ रूखे शब्दों में कहा- नहीं.

इस पर नेहा दौड़ कर मेरे पास आई और मुझसे लिपट गई. वो कहने लगी- मैं औरत हूँ … और अनुभवी भी, मैंने आपकी नजरों में अपने लिए प्रेम देख लिया है. अब चाहे ये सच हो, या झूठ … मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता … पर मैं आपको चाहने लगी हूँ.

मैंने नेहा को खुद से दूर करते हुए रूखे स्वर में कहा- नेहा तुम अपनी सीमा लांघ रही हो. तुम्हारी इस हरकत की वजह से तुम्हारी नौकरी भी जा सकती है.

नेहा ने विश्वास भरे लहजे में कहा- मुझे कोई परवाह नहीं. नौकरी जाती है तो जाए. मैं आपसे प्रेम करती हूँ, अगर आप मुझे नकार भी दोगे, तब भी मैं आपसे प्रेम करती रहूंगी. मैंने आपको रूलाया इसके लिए मैं माफी चाहती हूँ. पर वह भी मेरा प्रेम ही था.

मैंने कहा- कैसा प्रेम? किससे प्रेम?

नेहा ने कहा- आपसे प्रेम … मेरा प्रेम … सच्चा प्रेम … और उस दिन जब खुशी मैडम ने मुझे डांटा, तो मुझे ज्यादा बुरा नहीं लगा, लेकिन मैंने उसकी आंखों में भी आपके लिए वैसा ही प्रेम देखा जैसा मैं आपसे करती हूँ … तो मैं टूट गई. मेरी दुनिया तो पहले ही बिखरी हुई है, उस पर दुबारा वज्रपात मैं सह ना सकी. इसलिए खुद को मैं आपसे दूर रखना चाहती थी, ताकि भावनाओं में बह कर मैं कोई अनर्थ ना कर बैठूं. और इसीलिए आपसे बेरूखी भरा व्यवहार कर गई.

मैं उसकी बात सुनकर अन्दर तक हिल गया था. मगर वो बोले जा रही थी.

प्रतिभा दास की चुत चोदने के बाद अब नेहा मेरे साथ प्रेम की बात कर रही थी. हालांकि किसी वजह से वो ख़ुशी से डांट खा चुकी थी और अब वो फिर से मुझसे अपने प्रेम का इजहार कर रही थी.

अगले भाग में नेहा के सेक्स कहानी किस मोड़ पर जाती है … इसको पढ़ना ना भूलिएगा.

चालू लड़की की गांड चुदाई हिंदी में आपको केई लगी? आप मेल करते रहिए.
[email protected]
कहानी जारी है.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top