गाँव की नेहा की चूत से नेह-4

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Gaanv Ki Neha Ki Choot Se Neh-4

मैं अपनी कहानी की अगली कड़ी लेकर हाज़िर हूँ…

उसका शरीर एकदम अकड़ गया और उसकी चूत की पकड़ भी मेरे लौड़े पर और बढ़ गई।

अब लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद में भी झड़ने वाला था और कुछ ही पलों में एक तेज़ आवाज़ ‘आआआःह्हआआ’ के साथ मेरे लण्ड ने भी नेहा की चूत में पिचकारी चलानी शुरू कर दी और मैं निढाल होकर नेहा के ऊपर गिर पड़ा।

नेहा भी एकदम चित पड़ी थी।

अब आगे…

कुछ देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर मेरे फोन में 4 बजे का अलार्म बज गया, अब मैं नेहा के ऊपर से जल्दी से उठा और नेहा भी बैठ गई।

नेहा के बैठते उसकी चूत से खून ओर वीर्य दोनों बाहर निकलने लगे और बेड के पास फर्श पर टपक गया।

नेहा की चूत और उसके मम्मे बुरी तरह से लाल हो गए थे, उसकी चूत सूज गई थी, मैंने नेहा की चूत को कपडे से साफ कर दिया और उसने मेरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया।

जब नेहा उठी तो उससे चला भी नहीं जा रहा था, मैं उसे सहारा देकर उसकी छत पर छोड़ आया और अपने कमरे में जैसे ही वापस आया तो बेड देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

बेड की चादर बुरी तरह से खून में सन गई थी।

मुझे लगा कि अब तो मैं गया…

तभी मेरी नज़र बेड के पास रखी टेबल पर गई जहाँ वाटर कलर रखे हुए थे।

मैंने रेड कलर को एक ग्लास पानी में घोल कर बेड पर डाल दिया और लेट गया।

फिर में सरदर्द का बहाना करके दोपहर के 12 बजे तक सोता रहा।

उस दिन नेहा भी कॉलेज नहीं गई थी क्योंकि उसे बुखार हो गया था।
उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।

अब मैं बहुत खुश था क्योंकि जिससे पूरी गली के लड़के बात करने तक को तरसते थे, मैंने उसकी चूत मार ली थी।

अब मेरा मन उसकी गांड मारने के लिए करने लगा था।

अब ऐसे ही पूरा दिन गुज़र गया और रात के 8 बजे में ॠतु को पढ़ाने के लिए उनके घर गया।

तो जाते ही आंटी ने पूछा- रात को तू छत से ही चला गया था क्या?

मैंने बोला- जी आंटी!

वो बोली- ठीक है।

मैं फिर ऊपर वाले कमरे में चला गया, वहाँ नेहा लेटी हुई थी और ॠतु पढ़ रही थी।

मुझे देखकर नेहा बैठ गई।

मैंने नेहा से पूछा- क्या हुआ?

वो बोली- कुछ नहीं, बस रात सर्दी से बुखार हो गया।

मैं जोर से हँस पड़ा और बोला- इतनी गर्मी में सर्दी से बुखार हो गया?

और फिर ऋतु भी हँस पड़ी।

अब मैंने ॠतु को पढ़ाना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद आंटी ने नीचे से ॠतु को आवाज़ दी और नेहा की दवाई ले जाने के लिए बोला।

ॠतु नीचे चली गई, मैंने नेहा से कहा- क्यों, रात मज़ा आया या नहीं?

वो बोली- पहले तो मैं दर्द के मारे मर ही गई थी लेकिन बाद में बहुत मज़ा आया।

तो मैं बोला- आज रात को फिर आ जाना, क्या पता हम कल रहें, ना रहें?

इतना कहते ही उसने मेरा मुँह बंद कर दिया और बोली- आज तो कह दिया, अब कभी मत कहना… अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी ज़िंदा नहीं रहूँगी।

मैंने उसे कहा- पूरी रात मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला रहेगा, एक बजे तक आ जाना…

वो बोली- ठीक है।

फिर मैं ऋतु को पढ़ा कर अपने घर आ गया और नेहा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।

12.30 बजे नेहा मेरे कमरे में आ गई।

नेहा के आते ही मैं उस पर टूट पड़ा, उसे बुरी तरह से चूमने लग गया, उसका शरीर बुखार की वजह से अब भी गर्म था।

अब मैंने नेहा को पीछे बेड पर लिटा दिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डालकर चूसने लगा, उसके चूचे कमीज के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए।

5 मिनट बाद मैंने उसका कमीज उतार दिया और अब वो मेरे सामने ब्रा में थी।

मैंने उसके मुम्मे चूसने और दबाने शुरू कर दिए।

नेहा भी मेरे सिर को पकड़ कर अपने चूचों पर जोर जोर से दबा रही थी और सिसकारी भर रही थी।

उसके चूचे फूल कर कड़े हो गए थे।

अब मैंने उसकी ब्रा भी उतार फेंकी, उसके चूचे मुझे आज कल से बड़े दिख रहे थे, मैं उनका निप्पल मुँह में लेकर चूसने लग गया।

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अब नेहा और भी तेज़ सिसकारी लेने लगी थी, उसके चूचों से हल्का सफ़ेद पानी निकलने लगा था, जिसे में बड़े चाव से पी रहा था।

अब मैं उसके कान के पीछे और गर्दन पर किस करने लग गया, नेहा तो पागल सी होती जा रही थी।

फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी और एक हाथ से उसके चूतड़ सहलाने लग गया ओर एक हाथ से उसकी चूत को।

मैंने उसकी पैंटी भी उतार फेंकी जो गीली हो गई थी, उसकी चूत भी सूजी हुई थी।

मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में जैसे ही डाली, वो कराह उठी।

फिर मैंने धीरे धीरे ऊँगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी और अपनी जीभ से उसकी चूत के दाने को चाटने लग गया।

फिर मैंने उसकी गांड भी चाटनी शुरू कर दी।

अब नेहा मादक आवाज़ें निकाल रही थी और मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा कर बोल रही थी- जान खा जाओ मेरी चूत को आआज्ज…

फिर हमने पोजीशन बदली और 69 की पोजीशन पर आ गए, अब वो मेरे लण्ड की मुट्ठ मार रही थी और अपने होंठों से चूस रही थी।

अब मैं उसकी चूत और गांड दोनों को चाट रहा था और उसके चूचों को भी मसल रहा था, उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था जिसे मैं चाट रहा था।

अब मैंने एक हाथ उसके चूचे से हटाकर एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी।

नेहा के मुख से ‘ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ! की आवाज़ आ रही थी।

मैंने नेहा को घोड़ी बनने को कहा तो वो उठी और घोड़ी बन गई।

नेहा मुझ से बोली- जान धीरे से करना, कल बहुत दर्द हुआ था।

मैं बोला- ठीक है, आज पीछे से करूँगा, थोड़ा दर्द होगा, पर सह लेना… बाद में कल से भी ज्यादा मज़ा आएगा।

कहानी अभी जारी रहेगी…

दोस्तो, आप मुझे अपने सुझाव मुझे मेल कर सकते हैं।

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