गांड चुदवाने के लिए मचली मैरिड भाभी

(Gand chudwane ke liye machli married bhabhi)

दोस्तो, मेरा नाम है चार्ली! मैं कोल्हापुर, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. अभी-अभी मैंने बी.ई. पास किया है और अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़ पर यह मेरी तीसरी कहानी है. जिनको मेरी कहानियाँ पढ़नी हैं वो मेरी स्टोरीज़ चेक कर सकते हैं. मेरी पिछली कहानी के बाद काफी मेल आये मुझे. उनमें से कुछ लड़कियों के मैसेज थे और कुछ भाभियों के.
जो भी मेल मेरे पास आये उनमें से कितनी असल में लड़कियाँ हैं और कितने लड़कों ने लड़की की आई-डी बनाकर मेल किया है ये तो मैं नहीं जानता लेकिन फिर भी जिन्होंने भी मुझे मेल किया उनका धन्यवाद करता हूँ.

मुझे बहुत सारे लड़के ऐसे भी मिले जो मुझसे कह रहे थे कि उन्हें भी मैं अपने ग्रुप में शामिल कर लूँ लेकिन उनको मैं कहना चाहता हूँ कि मैं कोई ऐजेन्ट नहीं हूँ जो आप लोगों के लिए सेटिंग करता फिरूँ.
बात करूं पिछली कहानी
मैं प्यासी भाभी से सेट हो गया
की तो उसमें मैंने संजना (बदला हुआ नाम) की चुदाई की थी. उसी कहानी को मैं इस भाग में और आगे बढ़ा रहा हूँ. मैं उम्मीद करता हूँ कि आप इस कहानी को इंजॉय करेंगे.

एक बार फिर से अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए बताना चाहता हूँ कि मेरी हाइट 6 फीट के करीब है और शरीर भी ऐवरेज ही है. मेरे लंड का साइज 6.5 इंच लंबा है जबकि मोटाई 2.5 इंच है.
अब बात करते हैं संजना की गांड चुदाई की. उसकी गांड के बारे में क्या बताऊं आपको … जो एकदम मस्त सी, अनछुई सी, बिल्कुल वर्जिन, कोरी सी, गोरी-गोरी सी, परफेक्ट शेप वाली और गोल-गोल है. 38 का साइज है उसका और बिल्कुल गुलाबी छेद. संजना रोज योगा करती है तो उसका फीगर एक बेटा के होने के बाद भी परफेक्ट है अभी तक. उसका फीगर 36-30-38 है. उसको देख कर कोई कहेगा भी नहीं कि यह औरत एक बच्चे की माँ है.

पिछली कहानी में मैंने बताया था कि मेरी और संजना की चुदाई बहुत अच्छे से हो गयी थी. अब बारी थी उसकी गांड की. उसने खुद ही वादा किया था मुझे कि अपनी गांड का मजा दिलवायेगी. हम दोनों की चुदाई के बाद एक हफ्ता गुज़र गया. मगर हैरानी की बात थी कि न ही संजना का कोई कॉल आया और ना ही कोई मैसेज.

मैंने उसको फोन करने की कोशिश की थी मगर न तो उसने कोई कॉल उठाया और न खुद ही किया. मुझे संजना पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले मैं सारी बात की जांच-पड़ताल कर लेना चाहता था. मैं नहीं समझ पा रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही है.
अगले हफ्ते मैंने संजना की सहेली शीना को मेसेज किया और पूछा- संजना को कुछ प्रॉब्लम हुई है क्या?

शीना ने बताया कि संजना का बेटा अचानक बीमार पड़ गया था इसलिये वो शायद फोन नहीं उठा रही होगी और वो पिछले हफ्ते घर पर भी नहीं थी.

शीना से जानकारी मिलने के बाद मैं भी अब नर्म पड़ गया था. चूंकि मैं संजना की मदद नहीं कर पाया और उसकी मदद करने की बजाय उल्टा उस पर ही गुस्सा कर रहा था.
फिर मैंने शीना से कहा- ठीक है. अगर कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे बता देना, मैं हेल्प कर दूँगा.
यह कहकर मैंने तुरंत फोन रख दिया. मैं संजना के बारे में सोचने लगा कि उसको मेरी जरूरत थी और मैं उसकी मदद नहीं कर पाया.

मैंने संजना के घर जाने के बारे में सोचा ताकि उसके बेटे से भी मिल लूंगा और उसको थोड़ा सहारा भी मिल जाएगा.

तभी शीना की कॉल आ गयी मुझे. उसने कहा- क्यूँ जी? हर वक़्त बस संजना ही दिखती है क्या आपको? मुझमें क्या कीड़े पड़े हैं जो हमसे बात भी नहीं की आपने? मैं खूबसूरत नहीं हूँ क्या? जो हर वक़्त संजना की माला जपते रहते हो? कभी हमें भी पूछ लिया करो.

मैंने कहा- ऐसा कुछ भी नहीं है जी, आपसे तो ज्यादा बात भी नहीं होती. आप तो हमेशा अपने में ही रहती हो. हमारे ऐसे नसीब कहाँ जो आप हमें याद करो. रही बात खूबसूरती की तो मैं दिल की ख़ूबसूरती पर विश्वास रखता हूँ.

कुछ देर तक ऐसे ही हमारी बातें चलती रहीं. फिर शीना ने बताया कि उसके ससुर आये हैं तो वो थोड़ी देर के बाद बात करेगी और कहकर उसने फोन रख दिया.

मैंने तभी संजना को कॉल किया तो उसने अभी भी मेरा फोन रिसीव नहीं किया. मैंने सोचा कि सीधा उसके घर ही चला जाता हूँ. मैंने अपनी बाइक निकाली और उसके घर पहुंच गया. वहां जाकर पड़ोसियों से मुझे ये पता चला कि संजना अपने बेटे को लेकर हॉस्पिटल गयी है.
मैं सीधे ही हॉस्पिटल चला गया.

मैं जैसे ही वहाँ पहुंचा तो संजना मुझे ऋषि (संजना का बेटा) के साथ दिखाई दी. मैंने वहां जाकर पहले तो ऋषि की तबियत के बारे में पूछा और उसकी मेडिसिन लेकर संजना को अपनी बाइक पर बैठा कर उसके घर ले आया. घर जाने के बाद संजना ने सब बताया कि वो मुझे फ़ोन क्यों नहीं कर सकी इतने दिनों से.

अगर मैं चाहता तो उसे वहीं पर चोद सकता था मगर ऐसा करना मुझे अच्छा नहीं लगा. ऐसे वक़्त में अगर मैं उसको चुदाई के लिए कहता तो शायद उसकी नज़रों में मेरी अहमियत कम हो जाती. इसलिए मैंने ऐसा कुछ भी करना ठीक नहीं समझा.

उसके बाद मैं फिर रोज़ ऋषि की तबियत पूछने जाता लेकिन संजना को मैंने न तो छूने की कोशिश की मैंने और ना ही उसको कुछ बोला या पूछा क्योंकि मैं जानता था संजना अपने बेटे को लेकर चिंता में है.

जब ऋषि फिर से ठीक हो गया तो संजना ने ख़ुद ही मुझे अपने घर बुलाया. ऋषि स्कूल गया हुआ था.

हम दोनों में ऐसे ही बातें होती रहीं कि तभी पता नहीं संजना को क्या हुआ कि उसने सीधे उठ कर मेरे होंठों को चूम लिया और बोली- काश तुम मेरे पति होते. जिसने मेरे बेटे को पैदा किया उसको तो कुछ खबर भी नहीं और जो अभी मिला है वो इतना कर रहा है मेरे बच्चे के लिए कि जैसे वह उसका अपना बेटा हो. मैं जानती हूँ कि अगर तुम मुझे बस हवस की नज़रों से देखते तो यह सब कभी भी नहीं करते जो तुमने मेरे लिए और ऋषि के लिए किया. मैं जिंदगी भर तुम्हारी ही रहूंगी चाहे जो हो जाए. अब चाहे कुछ भी हो जाये अब मैं तुम्हारे बच्चे को पैदा करना चाहती हूँ. इसके लिए भले ही मुझे अपने पति से अलग क्यों न होना पड़े!

संजना की ये बातें सुन कर मुझे उस पर हद से ज्यादा प्यार आने लगा. उसके पास किसी चीज़ की कमी नहीं थी. पति था, बच्चा था. हर तरह का सुख और आराम था. मगर फिर भी वह मेरे लिए सब कुछ छोड़ने के लिए उतारू हो गयी. मैंने तो इंसानियत की खातिर संजना की मदद की थी लेकिन वह मुझसे इतना प्यार करने लगी थी कि खुद की शादीशुदा जिंदगी को छोड़ने के लिए तैयार हो गई.

मैंने भी संजना को पूरी शिद्दत के साथ चूमना शुरू कर दिया. वह मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. उसके बाद वह उठ कर खड़ी हो गई. मुझसे बोली- तुम दस मिनट के लिए बैठो, मैं बस अभी वापस आती हूँ.

उसके जाने के बाद मैं वहीं सोफे पर बैठा रहा. कुछ देर के बाद जब वह वापस आई तो उसके हाथ में एक दुपट्टा था. उसने उसे मेरी आंखों पर बांध दिया. इससे पहले मैं कुछ सोच पाता वो बांध कर वापस चली गई.
फिर जब वह दोबारा से आई तो मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. मैंने कहा- दुपट्टे को खोल दूं क्या?
वह बोली- हां खोल दो.

जैसे ही मैंने दुपट्टा खोला तो संजना मेरे सामने पूरी की पूरी नंगी थी और अपनी गांड को मेरे सामने करके बैठी थी. उसके दोनों हाथ उसके कूल्हों पर थे और चेहरा नीचे झुका हुआ था. यह सब देख कर तो मेरा लंड एकदम से तन गया.
मैंने पूछा- यह सब क्या है?
वो बोली- याद करो, पिछली बार जब हम मिले थे तो मैंने तुमसे कहा था कि अपनी गांड तुम्हारे लिये परोस कर रखूंगी. आज वो दिन आ गया है मेरी जान … मेरी गांड का कल्याण करके मुझे पूरी तरह से अपनी रखैल बना लो.

मैंने संजना के चेहरे को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. साथ ही उसके दूधों को भी मैं बीच-बीच में दबाने लगा. संजना भी मुझमें खो सी गयी. वह अपने हाथों से अपने चूतड़ रगड़ रही थी. दस मिनट तक यही सब चलता रहा.

संजना बोली- बस मेरे राजा, अब मुझसे और नहीं रुका जायेगा. जल्दी से अपना यह लौड़ा मेरी गांड में उतार दो और मुझे अपनी छिनाल बना दो. इतने दिनों से मैंने लौड़ा नहीं लिया है. अगर तुमने ज्यादा देर की तो मेरा इरादा बदल जायेगा और फिर मैं तुमको अपनी गांड नहीं चोदने दूंगी.

मैं संजना की मन की इच्छा भला कैसे न पूरी करता. मैंने उसको बांहों में उठाया और उसको बेडरूम में ले गया. जब अंदर गया तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. उसने पहले से ही पूरा कमरा फूलों से सजा कर रखा हुआ था. सारे कमरे में फूलों की खुशबू फैली हुई थी.

मैंने इसका कारण पूछा तो वह बोली- मेरी बरसों की आरजू आज पूरी होने जा रही है. मेरी गांड आज फटने को जा रही है. मैंने अपनी गांड चुदाई के लिए स्प्रिंग मैट्रेस भी लिया है. मेरी तमन्ना थी कि मैं इसी तरह के मैट्रेस पर अपनी गांड को चुदवाऊं. मैं इस पल को यादगार बना देना चाहती थी. अब तुम बातों में समय ज़ाया न करो और मुझे ले जाकर चोद दो.

संजना के द्वारा किये गये प्लान से मैं सचमुच में ही सरप्राइज़ हो गया था. मैंने उसको उल्टी करके बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. मैंने उसकी गांड को चौड़ा किया और उसको चाटने लगा. उसकी गांड के साथ साथ मेरी जीभ उसकी चूत पर भी चली जाती थी. संजना की सीत्कारें निकलना शुरू हो गई थीं.

यह खेल 10-15 मिनट तक चला और संजना जोरदार तरीके से झड़ गयी और उसकी चीखें निकल गयी. मैंने उसको वहीं पर छोड़ दिया और उसके नीचे से होते हुए उसके होंठों पर आ गया. संजना की चूत से जो रस निकला था उसको मैंने उसी के होंठों पर लगा दिया. अब तक किये गये खेल से मेरा लंड बिल्कुल टाइट हो गया था जो कि संजना की चूत के पास ही था. जैसे ही संजना थक कर नीचे की तरफ आने लगी तो मेरा लंड उसकी चूत में स्वत: ही प्रवेश कर गया. आह्ह … उसके मुंह से एक कामुक सीत्कार निकल गया.

चूत में लंड के प्रवेश होते ही मेरे धक्के लगने शुरू हो गये और उसकी चूत की चुदाई शुरू हो गई. मुझे मजा आने लगा और संजना भी मेरे लंड का आनंद लूटने लगी.

ऊपर की तरफ मेरे हाथ उसके मम्मों को भींच रहे थे और नीचे से तगड़े धक्के चल रहे थे। अचानक संजना उठी और अपना ढेर सारा थूक निकाल कर अपनी गांड पर लगा दिया और मेरे सामने अपनी गांड निकाल कर घोड़ी बन गयी और कहा- मेरे राजा, तुमने मेरी चूत की सेवा तो बहुत कर ली है. अब मेरी गांड को भी अपने लंड से भर दो। मैं तुम्हारे लंड को अपनी गांड में लेने के लिए प्यासी हो रही हूँ।

यह सुनना ही था कि मैंने संजना की गांड को थाम लिया और अपना लौड़ा उसकी गांड के छेद पर रख दिया। संजना भी आगे को झुक गयी और पहले से ही चादर को पकड़ कर दर्द सहने के लिए खुद को तैयार करने लगी।
अब मैंने अपने लौड़े पर भी थोड़ा थूक लगा दिया जिससे चिकनाहट आये और संजना की चूत का रस भी थोड़ा सा लगा दिया जो कि बहुत ही ज्यादा चिकना था। अब मैं मेरी जान की गांड फाड़ने के लिए तैयार था.

मैंने थोड़ा सा धक्का दिया जिससे टोपे का थोड़ा ही हिस्सा गांड के अंदर जा पाया और संजना की चीखें निकल गयीं और वो रोने लगी। मैंने उस पर रहम करने के लिए जैसे ही लौड़े को निकालना चाहा तभी संजना बोली- जान, मैं कितनी भी रोऊँ या चिल्लाऊं मगर तुम अपना काम पूरा करना। मुझे जितना भी दर्द हो, मैं तुम्हारे लिए सब कुछ सह लूंगी। बस तुम मुझे आज हर छेद से चोद कर छलनी बना दो.

यह सुन कर मैंने फिर से लौड़ा थोड़ा तेज़ी के धक्के के साथ अंदर किया जिससे संजना की गांड में मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा चला गया और गांड अंदर से छिल गयी और शायद मेरा लंड भी।

फिर भी मैंने इस बार आखरी धक्का देने के लिए लंड को थोड़ा पीछे खींच कर एक और धक्का दे दिया जिससे पूरा 6.5″ का लंड अब संजना की कोमल गांड में घुस गया। संजना तो जैसे पूरा दर्द अपने अंदर ही समेट कर रह गयी मेरे लिए। मुझे उस पर और ज्यादा प्यार आने लगा था। फिर भी मैंने अपना लंड अंदर घुसा कर ही रखा। थोड़ी देर तक मैं संजना की पीठ को चूमता रहा। उसके मम्मों को दबाता रहा।

जब संजना फिर से मूड में आ गयी तब उसने खुद मेरी तरफ देखा और मुझे बोली- जान, चोदो मेरी गांड को। तुम्हारे लंड को लेकर मुझे बहुत सुख मिल रहा है। मेरी गांड को खरोंचों अपने लंड से प्लीज़। खून निकाल दो इसका जिससे कि मेरी इस खुजलाती गांड की खुजली ख़त्म हो जाए।

उसकी ऐसी बातें सुन कर मुझे भी जोश चढ़ने लगा और मैं उसकी गांड थाम कर उसकी गांड चुदाई करने लगा। संजना हर एक धक्के के साथ आगे को झुक जाती मगर फिर से उसी स्पीड से वापस अपनी गांड को धकेल देती। जिससे मुझे भी काफी मज़ा आने लगा था। इसी बीच संजना अपनी चूत को अपनी उंगलियों से सहला रही थी।
यह देख कर मैंने कहा- जान तुम्हारे आशिक को यह करने का मौका दो। फिर से मूत निकाल दूँगा तुम्हारा।

संजना यह सुन के मुस्कुराते हुए अपना हाथ हटा कर मेरा हाथ अपनी चूत पर ले गयी. मैं भी उसकी गांड मारते हुए कभी उसकी चूत में 3 उंगलियां डाल देता तो कभी उसकी गांड पर थप्पड़ मार देता।
जोरदार चुदाई की वजह से संजना चिल्ला रही थी- चोदो मुझे मेरे राजा। फाड़ दो मेरी गांड को। तुम्हारा लौड़ा मैं पूरा महसूस कर रही हूँ अपनी गांड में। चोदो मुझे … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह … जोर लगाओ और चोदो मुझे।

मुझे भी जोश आ रहा था उसकी ऐसी बातों से और मैं गांड मारते हुए थप्पड़ लगाये जा रहा था। इस वज़ह से उसकी गांड लाल हो चुकी थी और उसकी चूत अब झड़ने वाली थी। शायद तीसरी बार वो झड़ रही थी इस चुदाई के खेल में। थोड़ी देर बाद उसकी चूत का रस फिर से निकल गया पर इसके साथ-साथ उंगलियां करने की वजह से चूत-रस के साथ उसका मूत-रस भी निकल गया। जब वह इस तरीके से झड़ी तो इतनी जोर से चिल्लाई कि पूरे घर में आवाज़ गूँज गयी।

किंतु उसकी गांड को चोदने की मेरी ललक अभी ख़त्म नहीं हुई थी और न ही मेरा पानी अभी निकला था। मैं संजना को घोड़ी बना कर उसकी गांड मारता ही जा रहा था। ऐसे ही 15-20 धक्कों के बाद मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने संजना से पूछा- “कहां निकालूँ मेरी जान? मुँह में लोगी या गांड में? या फिर आज तुम्हें अपना बच्चा दे दूँ?
संजना मुस्कुराई और बोली- मेरी गांड में ही छोड़ दो जानू। गांड की प्यास भी बुझ जाएगी। बच्चा तो मैं तुम से लेकर ही रहूँगी। अभी तो हमारे पास पूरी जिन्दगी पड़ी है।

तब मैंने धक्कों की रफ़्तार को तेज़ करते हुए उसकी गांड में ही अपना सारा माल छोड़ दिया। हांफते हुए मैं उसकी बाजू में आकर लेट गया। फिर वह भी मेरी छाती पर अपना सिर रख कर वहीं पर लेट गयी और मुझे चूमने लगी।
संजना बोली- जानू, ये लौड़ा हमेशा मेरा ही रहेगा। ऐसे चोदता है कि बस लगता है इसको अपनी चूत, गांड और मुँह में लेकर ही जिन्दगी गुज़ार दूँ। चाहे जो भी हो मुझे अपने से अलग मत करना कभी भी। मैं गुलाम बन चुकी हूँ तुम्हारी। तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ। तुमसे अलग होने के बारे में मैं कभी सोच भी नहीं सकती.

मैं भी जवाब में बस मुस्कुरा दिया और मैंने उसके माथे को चूम लिया। तभी अचानक बेडरूम का दरवाजा खुला और शीना अंदर आ गयी। हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे की बांहों में थे और पूरा बेड बिखरा पड़ा था। शायद गलती से संजना ने मेन दरवाजा सही तरह से लॉक नहीं किया था तो शीना ढूंढते हुए अंदर आ गयी थी।

जब शीना ने यह सब देखा तो उससे बर्दाश्त न हुआ. उसका नतीजा क्या हुआ कि वह भी हमारे खेल में शामिल होने की जिद करने लगी और उसने मुझे सेक्स के लिए धमकाना शुरू कर दिया. मगर संजना भी साथ में थी. संजना को मनाना आसान नहीं था इसके लिये.
आगे की कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने संजना को मनाया.

कहानी के बारे में एक और जानकारी आपको देना चाहता हूँ कि अपनी कहानी प्रकाशित होने के बाद मैंने कमेंट्स को संजना और शीना को भी दिखाया. उन्हीं के साथ मिल कर मैंने इस कहानी को लिखा है. संजना तो बहुत ही ज्यादा चुदासी हो गयी थी स्टोरी पढ़ने के बाद.

स्टोरी पढ़ने के बाद संजना ने उसी वक्त मुझे अपने घर पर बुलाया और अपनी चूत की धुआंधार चुदाई करवाई. उसके अगले दिन शीना और संजना ने मिलकर मेरे साथ थ्रीसम भी किया. यह सब मैं आपको विस्तार से बताऊंगा. उसके लिए बस आप इंतजार करते रहिए और कहानियों पर कमेंट करके बताते रहिए कि आपको मेरी कहानी कैसी लगती हैं.
आपका अपना चार्ली।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top