बीवी की सहेली की चुदाई- 9
(Tight Ass Anal Sex Kahani)
टाइट ऐस्स एनल सेक्स कहानी में कुंवारी चूत फाड़ने के बाद मैं उस स्कूल गर्ल की गांड मारने को बेताब था. वह भी सेक्स के पूरे मजे लेना चाहती थी पर डरती थी दर्द होने की आशंका के चलते.
कहानी के आठवें भाग
कमसिन लड़की की चूत का पानी
में आपने पढ़ा कि मैं आरती को स्कूल ले गया और उसके प्रिन्सीपल से मिल कर उसकी समस्या हल कर दी।
उसके बाद हम घर आ गए.
अब आगे टाइट ऐस्स एनल सेक्स कहानी:
अंदर आते ही भाभी ने पूछा, “प्रिंसिपल क्या बोला?”
आरती ने खुश होते हुए भाभी को पूरी बात बताई और कहा कि कल से वो स्कूल जाएगी।
भाभी ने आरती की गाल पर हाथ फेरते हुए कहा, “बेटी, ऐसे ही खुश रहा कर! और देख, अब तू जवानी के खूब मजे लूट! यही उम्र है हँसने-खेलने की!”
आरती बोली, “जी चाची!”
भाभी बोली, “चाची नहीं, मम्मी बोला कर तू मुझे!”
आरती मुस्कुराते हुए बोली, “जी मम्मी!”
फिर भाभी ने आरती का हाथ पकड़कर कहा, “जा, अब तू देवर जी की गोद में बैठ जा और उन्हें भी खुश कर दे! वो जैसा बोलें, जो माँगें, उन्हें दे दे!”
आरती मुस्कुराते हुए मेरी गोद में बैठ गई और गर्दन घुमाकर मेरे होंठों को चूमते हुए बोली, “भैया, आई लव यू!”
मैंने भी उसके नरम होंठों को चूमते हुए अपने दोनों हाथ उसकी चिकनी टाँगों पर फिराते हुए कहा, “आई लव यू टू बेबी!”
आरती कसमसाकर मेरी बाहों में समा गई।
मैंने धीरे-धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर उठाकर उसकी नंगी जाँघों पर हाथ फिराने लगा।
हमारे होंठ पागल प्रेमियों की तरह एक-दूसरे से उलझे हुए थे।
थोड़ी देर तक आरती ने मेरे होंठ चूसकर और अपने चुसवाकर होंठों को अलग किया और उठकर मेरी तरफ मुँह करके मेरी टाँगों पर बैठ गई।
वो मुझसे लिपटते हुए बोली, “भैया, अब से आप ही मेरे बॉयफ्रेंड हो! मैं आपको अपनी सब सहेलियों से मिलवाऊँगी!”
भाभी, जो हमारे पास ही खड़ी थी, हँसते हुए बोली, “अरे बेटी, ऐसी गलती मत करना! देवर जी बहुत बड़े लड़कीखोर हैं! ये तेरी सारी सहेलियों की चूत फाड़ देंगे!”
आरती इठलाते हुए बोली, “ये ऐसा करने की हिम्मत तो करके दिखाएँ! अब ये सिर्फ मेरे हैं!”
फिर वो अपना एक हाथ अपनी चूत के पास से मेरी जिप पर रखकर लंड को टटोलते हुए बोली, “और इनका लंड अब सिर्फ मेरा है! मैं अब भैया को किसी को भी हाथ नहीं लगाने दूँगी!”
आरती सही बोल रही थी क्योंकि जब कोई कमसिन लड़की किसी मर्द से अपनी चूत फड़वाकर कामसुख के चरम को पा लेती है, तो वो उस मर्द को दिल से चाहने लगती है।
तब वो नहीं चाहती कि वो मर्द उसके बिना किसी को देखे भी।
इस समय आरती की यही हालत थी।
पर वो ये नहीं जानती थी कि वो जिस मर्द को प्यार कर बैठी है, वो उसकी कामवासना को ऐसा भड़काएगा कि वो खुद अपनी सहेलियों को बुलाकर उनकी चूत में लंड डलवाएगी।
भाभी बोली, “अरे बेटी, ऐसा मत बोल! अगर तू ऐसा करेगी, तो मेरा क्या होगा? मेरी चूत तो प्यासी रह जाएगी!”
आरती बोली, “मम्मी, क्या हुआ! मैं आपकी चूत से निकली नहीं हूँ! पर मुझे आपकी चूत का पूरा ख्याल है, क्योंकि आपकी वजह से ही भैया मुझे मिले हैं! आप जब चाहें भैया से चुदवाओ, मैं आपको कभी मना नहीं करूँगी!”
भाभी खुश होते हुए बोली, “थैंक्स बेटी!”
मैं आरती की शर्ट का बटन खोलकर उसकी एक चूची को चूस रहा था और दूसरी चूची को मुट्ठी में लेकर मसल रहा था।
आरती अपनी गांड हिलाकर चूत को मेरी जींस के ऊपर से लंड पर रगड़ रही थी।
वह एकदम चुदास कुतिया की तरह मेरी गोद में, “आह भैया, उफ्फ भैया!” करते हुए मचल रही थी।
तभी भाभी ने मेरे पैरों के बीच बैठते हुए पीछे से आरती की स्कर्ट उठाकर उसके दोनों चूतड़ पकड़कर फैला दिए और अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर फिराने लगी।
जैसे ही भाभी ने जीभ को आरती की गांड से लगाया, आरती जोर से ऊपर को उछल गई।
भाभी जीभ फिराते हुए बोली, “देवर जी, हमारी बेटी की गांड का छेद देखो, कितना सुंदर है! इसको भी अपने लंड से खोल दो ना!”
मैंने कहा, “रंडी, पहले तेरी बेटी से पूछ! ये गांड में लंड लेने के लिए नखरे तो नहीं करेगी ना!”
मैंने आरती को गोद से उठाकर सोफे पर लिटा दिया और उसकी स्कर्ट उठाकर टाँगें फैला दीं।
आरती की फूली हुई चूत मेरे सामने थी।
प्यारी सी चूत देखकर मेरे से रहा नहीं गया।
मैंने अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत के कोमल होंठों से भिड़ा दी और जीभ को ऊपर से नीचे तक फिराने लगा।
आरती मेरे बालों को पकड़कर ‘आह भैया, बहुत मजा आ रहा है! उफ्फ आह, करो ना!’ बोलते हुए मचलकर अपनी गांड उठाकर चूत को मेरे मुँह से रगड़ रही थी।
भाभी ने आरती की शर्ट के सभी बटन खोलकर उसकी शर्ट निकाल दी और उसके निपल्स चूसने लगी।
आरती सुबह से गर्म थी और इस डबल मजे को बर्दाश्त नहीं कर पाई।
उसका कोमल बदन काँपते हुए अकड़ गया, उसकी चूत ने भरभराकर पानी छोड़ दिया।
आरती लंबी-लंबी साँसें लेते हुए निढाल हो गई।
मैंने आरती को वहीं छोड़कर अपने कपड़े उतार फेंके और भाभी को जमीन पर बिठाकर लंड उसके मुँह में दे दिया।
भाभी भी मुस्कुराते हुए लंड को किसी रंडी की तरह गले तक अंदर लेकर चूसने लगी।
मैंने उसके गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “रंडी, तेरी बेटी तो खलास भी हो गई!”
भाभी ने लंड बाहर निकालकर कहा, “देवर जी, गुस्सा क्यों करते हो! ये अभी नई-नई है! आप देखना, ये मुझसे भी बड़ी रंडी बनेगी और एक दिन ये एक साथ दो-दो लंड लेगी!”
मैंने आरती की तरफ देखा, तो वो उलटी लेटकर हमें ही देख रही थी।
आरती की मदमस्त गांड फैली हुई थी।
उसके दोनों चूतड़ खुले हुए थे जो आरती के हिलने से थिरक रहे थे।
मैं आरती की कसी हुई गांड के बारे में सोचते हुए भाभी का मुँह चोदने लगा।
भाभी के मुँह में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी के मुँह से लंड बाहर खींचकर आरती की तरफ लपका और उसे दोनों बाहों में लेकर ऊपर उठा लिया।
आरती छोटी ब.च्ची की तरह मेरी बाहों में हँसने लगी।
मेरा लंड एकदम तना हुआ था और लंड का सुपाड़ा बुरी तरह फूलकर छत की तरफ उठा हुआ था।
मैंने आरती को थोड़ा नीचे खिसकाकर सुपाड़े पर उसके चूतड़ टीका दिए।
सुपाड़ा उसकी गांड के छेद के आसपास लगा हुआ था।
वो मेरी कमर में अपनी टाँगें लपेटकर, बाहों को मेरी गर्दन में डालकर मुझसे लिपटी हुई थी।
आरती का कुछ वजन मेरे लौड़े पर पड़ रहा था।
पर जब लौड़ा अपने विकराल रूप में हो, तो उसे लड़की के वजन से कहाँ कोई फर्क पड़ता है!
आरती मेरी बाहों में झूलते हुए बोली, “भैया, बड़े जोश में लग रहे हो!”
मैं उसकी बात का जवाब दिए बिना उसके होंठ चूसते हुए उसे गोद में उठाए ही कमरे की तरफ बढ़ गया।
अंदर जाकर मैंने आरती को बेड पर पटका और उसकी टाँगों के बीच आकर लंड को उसकी चूत के होंठों पर रगड़ते हुए उसके होंठ चूसने लगा।
मेरे दोनों हाथ उसकी नरम चूचियों को मसल रहे थे।
मैंने आरती के होंठों को छोड़कर उसके कान में कहा, “चल आरती, तुझे गांड में मजा देता हूँ!”
आरती मेरे नीचे लेटी हुई, मेरी आँखों में आँखें डालकर बोली, “भैया, क्या ये जरूरी है?”
मैंने कहा, “मेरी ब.च्ची, जैसे चूत मरवाना जरूरी होता है, वैसे गांड मरवाना भी बहुत जरूरी होता है! अगर तुम गांड में लंड नहीं लोगी, तो तुम्हारा बदन पूरा खुल नहीं पाएगा!”
आरती मासूमियत से बोली, “वो तो ठीक है भैया, पर मैंने सुना है पीछे बहुत दर्द होता है!”
मैंने उसकी गाल थपथपाते हुए कहा, “मेरे पे भरोसा है ना?”
आरती बोली, “बहुत ज्यादा!”
मैंने कहा, “चल फिर ठीक है! मेरे पर भरोसा है, तो चुपचाप लंड अपनी गांड में ले ले! तुझे बहुत मजा आएगा!”
आरती बोली, “ठीक है भैया, पर प्लीज ध्यान से करना!”
मैंने आरती के चूतड़ों के नीचे तकिया लगा दिया और आरती की दोनों टाँगें उठाकर उसे पकड़ा दीं।
आरती ने घुटनों के पीछे से दोनों टाँगों को हाथों से कसकर पकड़ लिया।
भाभी हमारे पास खड़ी हमें देख रही थी।
मैंने अपने लंड को हाथ से हिलाते हुए आरती की गांड के गुलाबी छेद के पास ले जाकर भाभी की तरफ देखते हुए कहा, “साली रंडी की औलाद, देख क्या रही है! अपनी बेटी की गांड सूखे लंड से ही फड़वाएगी क्या!”
भाभी जैसे नींद से एकदम उठी हो, वैसे बोली, “अरे नहीं देवर जी! रुको थोड़ा, आपका मूसल इसकी गांड के नन्हें से छेद में ऐसे नहीं जाएगा!”
फिर वो अलमारी की तरफ लपकी और उसे खोलकर वैसलीन की डब्बी निकाल लाई।
भाभी ने काफी सारी वैसलीन निकालकर मेरे लंड को चिकना करने लगी।
मैंने भी वैसलीन की डब्बी में अपना अंगूठा डालकर उस पर वैसलीन लगा ली और अंगूठे को आरती की गांड के छेद के बाहर फिराने लगा।
फिर मैंने धीरे से अंगूठा आरती के छेद में डाल दिया।
अंगूठा अंदर जाते ही आरती ने कमर को उछालकर हँसते हुए कहा, “आह भैया, मत करो ना! गुदगुदी होती है!”
भाभी, जो मेरे लंड को अभी भी वैसलीन से चिकना कर रही थी, ने आरती की बात पर हँसते हुए कहा, “अरे बेटी, इसे गुदगुदी नहीं, खुजली बोलते हैं! अब देवर जी का लंड तेरी गांड में घुसकर तेरी खुजली मिटाएगा!”
मैं आरती के बहुत ही कसे हुए छेद में अंगूठा घुमाकर उसे अंदर से चिकना कर रहा था।
मैंने चार-पाँच बार अंगूठे और अंगुली से आरती के छेद को पूरा चिकना कर दिया।
भाभी ने मेरा लंड छोड़कर आरती के पास बैठते हुए उसके बालों में हाथ फिराते हुए कहा, “बेटी, बिल्कुल ढीला छोड़ दे अपनी गांड को! तू गांड को जितना ढीला छोड़ेगी, लंड उतनी ही आराम से अंदर जाएगा!”
आरती ने भाभी का एक हाथ कसकर पकड़ते हुए कहा, “जी मम्मी, एकदम ढीला छोड़ रखा है मैंने!”
मैंने आरती के घुटनों के पीछे, जहाँ से आरती ने अपनी टाँगों को पकड़ा था, वहाँ अपनी बाँह रखकर टाँगें दबाते हुए उसके पेट से लगा दीं और दूसरे हाथ से लंड को बॉल्स के पास से पकड़कर आरती की चूत के होंठों पर फिराने लगा।
आरती छोटी ब.च्ची की तरह मेरे नीचे दबी हुई थी।
भाभी ने बड़ी फुर्ती से मेरा लंड पकड़कर आरती की गांड के छेद से लगाकर कहा, “देवर जी, कर दो मुहूर्त मेरी बेटी की गांड का!”
मैंने आरती की आँखों में देखते हुए सुपाड़े को उसके छेद पर दबाते हुए आरती से कहा, “तैयार हो आरती!”
आरती के चेहरे पर थोड़े डर के भाव थे।
वो उन्हें छुपाते हुए सिर हिलाकर धीरे से बोली, “जी भैया!”
उसकी हाँ सुनते ही मैंने सुपाड़े को आरती के छेद पर दबाते हुए अंगूठे से अंदर धकेल दिया।
आरती की गांड और मेरा लंड बहुत ज्यादा चिकना होने से सुपाड़ा फच करके अंदर चला गया।
सुपाड़ा अंदर जाते ही मैंने कसकर धक्का मार दिया, जिससे आरती संभल नहीं पाई और अपनी बहुत ही टाइट और अनचुदी गांड में उसकी कलाई से मोटा और लोहे जैसा आधा लंड जाते ही बिलबिला उठी।
वो पूरे जोर से मुझे पीछे धकेलते हुए लंड बाहर निकालने की मिन्नतें करने लगी।
बेचारी कमसिन, मासूम और प्यारी सी गुड़िया जैसी आरती की टाइट गुफा में मैं आधा लंड फंसाए हुए उसके गिड़गिड़ाने के मजे ले रहा था।
वो हाथ जोड़कर बोली, “प्लीज भैया, निकालो बाहर अपना लंड! आह, आप मेरी चूत मार लो! आह, छोड़ दो मुझे!”
उसकी मासूम और भोली बातों पर मुझे हँसी आ गई।
मुझे हँसता हुआ देखकर भाभी ने आरती के दोनों बूब्स पर अपना एक हाथ फिराते हुए कहा, “देख बेटी, इन मर्दों के लंड के सामने हम औरतों की औकात सिर्फ एक रंडी जैसी होती है! हम कितना भी चीखें-चिल्लाएँ, इनका लंड एक बार थोड़ा सा भी अंदर चला गया, तो समझो वो, हमारी चूत हो चाहे गांड, फाड़ के ही बाहर आएगा!”
आरती बोली, “मम्मी जी, मेरी जान निकल रही है! इतना बड़ा लंड मैं और अंदर नहीं रख सकती!”
भाभी ने मुझे इशारे से करते रहने को बोलकर आरती की चूत के दाने को मसलते हुए उसके होंठ चूसने लगी।
मैंने बिना किसी परवाह के एक धक्का और मारकर लंड को पूरा का पूरा आरती की गांड की सुरंग में उतार दिया।
आरती जोर से बोली, “आह मम्मी, मर गई! उफ्फ, निकाल बहनचोद बाहर! साले कुत्ते, आह, मार दिया!”
और बिफरते हुए रोने लगी।
भाभी बिना रुके आरती की चूत को हथेली से मसल रही थी और उसके होंठ और चूचियों को चूस रही थी।
मैंने आरती की परवाह न करते हुए धीरे-धीरे उसकी गांड में लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मेरे हर झटके के साथ आरती के नर्म, गद्देदार और चिकने चूतड़ थिरकते हुए मेरी जाँघों से टकरा रहे थे।
आरती की दूध जैसी गोरी टाँगें मेरी गर्दन में थीं।
मैं उसकी टाँगों को चूमता हुआ उसकी संकरी गुफा में लंड पेल रहा था।
आरती मेरे हर झटके पर, “आह ओह भैया!” बोल रही थी।
थोड़ी देर बाद आरती जोर से बोली, “भैया, रुको ना! मेरी टाँगें बुरी तरह थक चुकी हैं! प्लीज, थोड़ा रुको, फिर कर लेना!”
मैंने लंड बाहर निकाले बिना आरती पर झुककर उसके होंठ चूसकर कहा, “आरती, कैसा लग रहा है?”
आरती बोली, “भैया, पहले बहुत दर्द था, पर अभी कुछ ठीक है!”
मैंने उसकी बात सुनकर अपना लंड बाहर खींच लिया।
जैसे ही मैंने आरती को ढीला छोड़ा, वो लंबी साँस लेते हुए बोली, “उफ्फ भैया, आप बड़े बेरहम हो! बिल्कुल भी तरस नहीं करते! आपका लंड ऐसा-ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी रीढ़ की हड्डी में जाकर फंस गया हो! मुझे तो अब साँस आया है!”
उसकी बात सुनकर भाभी बोली, “कुछ दिन की बात है मेरी बच्ची! फिर तो तू खुद एक साथ दो-दो लंड माँगेगी!”
आरती बोली, “कभी नहीं! मैं तो सिर्फ भैया की ही हूँ! और अब मेरा सब कुछ भैया का है!”
तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजने लगी।
मैंने भाभी को फोन लाने को कहा, तो वो उठकर हॉल में चली गई और फोन ले आई।
तब तक मैंने आरती को घोड़ी बनाकर उसकी गांड के छेद पर अपना लंड लगा चुका था।
मैंने धीरे-धीरे आरती की गांड में लंड डालते हुए भाभी को फोन स्पीकर पर डालने को कहा और खुद आरती की कमर में हाथ डालकर जोर से धक्का मार दिया।
जैसे ही मैंने धक्का मारा, आरती जोर से ‘हाय मम्मी!’ करते हुए चीखी।
उधर भाभी ने फोन उठा लिया।
फोन उठाते ही मेरी पत्नी जोर से बोली, “क्या कर रहे हो? ये चीख कैसी थी?”
मैंने लापरवाही से कहा, “आरती की गांड मार रहा हूँ! ये आरती की चीख थी!”
मेरी पत्नी बोली, “थोड़ी बकवास कम किया करो! पता भी है वो कितनी छोटी है आपसे और आपको भैया बोलती है! उसके बारे में भी ऐसी गंदी बातें कर रहे हो!”
मैंने हँसते हुए कहा, “अरे नहीं यार, मैं और आरती उसके स्कूल आए हुए हैं! मैं गाड़ी में बैठा हूँ, आरती बाहर अपनी सहेलियों के साथ है और कोई लड़की खेलते हुए चीखी थी!”
मेरी पत्नी बोली, “जानू, मुझे मालूम है आप दूसरी लड़कियों के बारे में सिर्फ गंदा बोलते ही हो, ऐसा कभी करोगे नहीं! और रही बात आपके लंड की, उसे सिर्फ मैं ही बर्दाश्त कर सकती हूँ! दूसरी लड़की झेल नहीं पाएगी!”
मैंने कहा, “यार, जो भी है, आरती की गांड है बड़ी मस्त! साली जब स्कर्ट पहनकर चलती है, तो उसके चूतड़ कैसे मटकते हैं! मेरा तो लंड खड़ा हो चुका है उसको देखकर!”
मेरी पत्नी हँसते हुए बोली, “मेरे लिए तो अच्छा ही है! जब आप बाहर से किसी लड़की को देखकर लंड खड़ा करके आते हो, तो मुझे डबल मजा देते हो! मैं तो कहूँगी, आरती की स्कर्ट उठाकर उसके चूतड़ भी देख लो, ताकि घर आकर आप पूरी रात मेरी चुदाई कर सको!”
मैंने कहा, “ठीक है, आरती आ गई, हम निकलते हैं!”
मेरी पत्नी बोली, “ठीक है, मैं भी फ्री थी और आरती की चाची के घर जाने की तैयारी कर रही थी!”
मैंने कहा, “यार, मैं आरती को उसके घर छोड़कर सीधा घर आ रहा हूँ! तुम घर पर ही रहो!”
मेरी पत्नी बोली, “ठीक है, आप आ जाओ! मैं उनके घर शाम को चली जाऊँगी!”
मैंने फोन काटकर एक हाथ की अंगुली को आरती की चूत में डालकर उसकी गांड में पूरी स्पीड से लंड पेलना शुरू कर दिया।
मेरे हर झटके के साथ आरती, “आह भैया, धीरे! उफ्फ, थोड़ा स्लो करो ना! उफ्फ आह!” बोल रही थी।
पर मैं अपनी मस्ती से उसकी टाइट गांड में अपना लंड पेल रहा था।
थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया और झटके मारते हुए आरती की टाइट ऐस्स में वीर्य की बरसात कर दी।
मैंने अंगुली से आरती की चूत चोदते हुए उसकी चूत का भी पानी निकाल दिया।
टाइट ऐस्स एनल सेक्स करके हम दोनों पसीने से भर चुके थे।
भाभी ने मुझे तौलिया लाकर दिया।
मैंने अपने चेहरे से पसीना पोंछते हुए आरती की गांड से लंड बाहर खींचकर उसे भी साफ किया।
लंड बाहर निकलते ही आरती बेड पर उलटी ही लेट गई और लंबी साँसें लेते हुए हाँफने लगी।
मैंने बेड से उठकर भाभी से कहा, “भाभी, मेरी पत्नी आने वाली थी!”
भाभी मेरे थोड़ा ढीले हो चुके लंड को सहलाते हुए मेरी आँखों में देखकर बोली, “देवर जी, हमें ऐसे ही छोड़कर जाओगे क्या?”
मैंने कहा, “भाभी, मेरे लंड में इतना दम है कि मैं तुम्हें, तुम्हारी दोनों बेटियों और इस आरती को पूरी रात एक साथ चोद सकता हूँ!”
भाभी बोली, “अरे देवर जी, हमारा मतलब वो नहीं था! बस जब आप आरती की गांड में लंड पेल रहे थे, तो हम भी अपनी चूत को सहलाते हुए आपके लंड लेने के बारे में सोच रहे थे!”
वो आगे बोली, “चलो छोड़ो, कोई बात नहीं! आप बस ये बताइए, आरती की गांड मारकर आपको कैसा लगा?”
मैंने भाभी को चूमते हुए कहा, “सच में यार, ये आरती बड़ी मस्त है! मजा आ गया इसको चोदकर! देख, साली की गांड से कैसे मेरे लंड का पानी बह रहा है और वो कैसे मस्ती से चुदवाकर लेटी हुई है!”
भाभी बोली, “जी देवर जी, अब आप जाइए! कहीं देवरानी जी ना आ जाएँ!”
मैंने भाभी को छोड़कर आरती पर झुककर उसकी गाल चूमते हुए कहा, “ठीक है आरती, फिर मिलते हैं! अभी तुम आराम करो!”
आरती ने मेरे गले में बाँह डालते हुए कहा, “भैया, आई लव यू!”
फिर मैंने उन दोनों से विदा ली और घर आ गया।
आगे की कहानी की प्रतीक्षा कीजिये.
यह टाइट ऐस्स एनल सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
कमेंट्स और मेल में बताएं.
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टाइट ऐस्स एनल सेक्स कहानी का अगला भाग:
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