पुष्पा का पुष्प-2 09-10-2009 उसकी पनीली आँखों में, जिनमें एक अजब-सा मर्म को छूता भाव उमड़ रहा था। शर्म से लाल गालों पर झूलती लट, बालों के बीच सफेद पूरी कहानी पढ़ें »
पुष्पा का पुष्प-1 08-10-2009 मैंने उसके नितम्बों को बाँहों में घेरा और कमर के नीचे उस स्थान पर जहाँ भीतर जांघों का संधिस्थल था उसमें मुँह घुसाकर जोर से चूम लिया। पूरी कहानी पढ़ें »
स्वीटी-2 06-05-2007 स्वीटी-1 और तब मुझे पता चला कि मेरी जांघों पर कोई मोटी चीज गड़ रही है। जांघों के बीच इधर उधर फिसलती हुई कुछ खोज पूरी कहानी पढ़ें »
स्वीटी-1 05-05-2007 मैं एकदम चौंक पड़ी। अभी कुछ बोलती ही कि एक हाथ आकर मेरे मुँह पर बैठ गया। कान में कोई फुसफुसाया- जानेमन, मैं हूँ, सुरेश। पूरी कहानी पढ़ें »