कामिनी सक्सेना

मजा और सजा

लेखक : जो हन्टर सहयोगी : कामिनी सक्सेना यह कहानी तीन भागों में है। मैं पुलिस स्टेशन से बाहर आया और अपनी मोटर साईकल उठा

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मजा या सजा

लेखिका : कामिनी सक्सेना सहयोगी : जो हन्टर मैं उस समय कॉलेज में पढ़ती थी। मेरा एक बॉय-फ़्रेंड था सुधीर, जो मेरा क्लासमेट था। मेरे

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जीजू का प्यार

मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं और कुछ पीछे उभरे हुए भी हैं… मेरे सफ़ेद टाईट पैन्ट में चूतड़ बड़े ही सेक्सी लगते हैं। मेरे चूतड़ों की दरार में घुसी पैन्ट देख कर किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था… फिर जीजू तो मेरे साथ ही रहते थे और कभी-कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार कर अपनी भड़ास भी निकाल लेते थे। उनकी ये हरकत मेरी शरीर को कँपकँपा देती थी।

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किराये का घर-2

‘यह लिपस्टिक का निशान है! अच्छा! समझ गई! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा! मम्मी भी ना बस! सुबह मन नहीं भरा उनका?’ सोनल बोली.

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किराये का घर-1

मेरे हाथ सोनल की नरम नरम जांघो पर फ़िसल रहे थे… नया ताजा माल मिल रहा था… सारा बदन अनछुआ लग रहा था. मैंने अपने हाथ उसकी चूत तक पहुंचा दिये.

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मेरा राज़ और चूत चुदाई

उसने तुरन्त उपने होन्ठ मेरी चूत से चिपका दिये। मेरे मुख से आह निकल गयी। मैंने अपनी पैन्ट नीचे से पूरी उतार दी। फिर अपना टोप भी उतार दिया। अपनी चूत को मैं अब जोर लगा कर उसके होंठो से रगड़ मार रही थी।

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अस्पताल में इलाज़

मैं मुसकराती हुयी बाहर चली आयी। मुझे लगा आज काम फ़िट हो गया। मुझे उसके हाथों का स्पर्श अभी भी महसूस हो रह था। दिल में एक गुदगुदी सी उठ रही थी। मेरे जिस्म में वासना जागने लगी। मेरा दिल अब उस से अकेले में मिलने को आतुर हो उठा।

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दो कामुक बहनें

कामिनी ने तुरन्त डिल्डो खींच के बाहर निकाल दिया… रीता झड़ रही थी… उसने मुझे चिपटा लिया… कामिनी को उसके बदन की और चूत की ऐंठन महसूस हो रही थी… दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गये… और प्यार में डूब गये…

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कुँवारा लण्ड, खेली खाई चूत

मैं चुदने को उतावली हो रही थी। मैंने उसके पास आकर उसका लण्ड पकड़ लिया… उसे फिर से अच्छी तरह से देखा… सुपारे की चमड़ी धीरे से ऊपर कर दी… मेरी चूत पानी छोड़ रही थी।

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चाची ने मुझे चुदवाया

मैंने धीरे से खिड़की से झांक कर देखा। वो लड़के सुमन की चूचियाँ दबा रहे थे। सुमन ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लण्ड पकड़ रखा था। सुमन बार बार आनन्द से सिसकारियाँ भर रही थी।

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