ट्रेन का स्टाफ और मैं अकेली
आज मैं आपको एक और जोरदार चुदाई का किस्सा सुनाने जा रही हूँ, ट्रेन का सफर था और मुझे अकेले ही जाना था इसलिए मेरे पति ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे लिए रिज़र्वेशन करवा दिया था.
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आज मैं आपको एक और जोरदार चुदाई का किस्सा सुनाने जा रही हूँ, ट्रेन का सफर था और मुझे अकेले ही जाना था इसलिए मेरे पति ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे लिए रिज़र्वेशन करवा दिया था.
मैं पलंग पर सीधी लेट गई और उन पांचों ने मेरे मुंह के चारों तरफ़ घेरा डाल लिया. मैंने एक एक करके सबके लंड को मुंह में ले कर पानी निगलना चालू कर दिया.
मैंने फिर से आंटी का कहना माना और उनकी चूत की दरार को ऊँगली से चौड़ा करके दाने को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. दो मिनट बाद ही आंटी की हालत ख़राब हो गई.
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