संजय मजुमदार

कविता संग पहला प्यार भरा संसर्ग

मेरे घर के पास एक लड़की थी, वो चलती थी तो उसका दुपट्टा गले पर होता था जिससे उसकी चूचियाँ उभर कर दिखती थीं, ऐसे मन होता था कि काश ये चूचियां मसकने को मिल जाती…

पूरी कहानी पढ़ें »

अन्तर्वासना इमेल क्लब के सदस्य बनें

हर सप्ताह अपने मेल बॉक्स में मुफ्त में कहानी प्राप्त करें! निम्न बॉक्स में अपना इमेल आईडी लिखें, सहमति बॉक्स को टिक करें, फिर ‘सदस्य बनें’ बटन पर क्लिक करें !

* आपके द्वारा दी गयी जानकारी गोपनीय रहेगी, किसी से कभी साझा नहीं की जायेगी।

Scroll To Top