शरद वैष्णव

मामी की चूत चुदाई का सपना

मेरा अपनी मामी की सूरत और फिगर पर दिल आ गया था, मैं सोचता था कि कैसे अपने दिल की बात उनसे कहूँ। एक दिन हिम्मत कर के मैंने एक चिट्ठी लिखी उनको वो पत्र मिला और वो उसे वहीं खड़ी होकर पढ़ने लगीं। पत्र पढ़ते वक़्त मामी को मुस्कुराते देख कर मेरा डर भी चला गया और मैं मामी के सामने आकर उनसे पत्र का जवाब मांगने लगा। मामी कुछ ना बोलीं और अपने गुलाबी होंठों से मेरे गालों को चूम कर भाग गईं। रात में मामी ने मिलने के लिए बुलाया।

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