ज़ारा की मोहब्बत- 5
आपने सोच भी कैसे लिया ये? अरे मैं! मैं आपकी ज़ारा! सिर्फ आपकी ज़ारा! आपके साथ बेवफाई करूंगी? ऐसा ख्याल भी आपके दिमाग में कैसे आया?
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आपने सोच भी कैसे लिया ये? अरे मैं! मैं आपकी ज़ारा! सिर्फ आपकी ज़ारा! आपके साथ बेवफाई करूंगी? ऐसा ख्याल भी आपके दिमाग में कैसे आया?
महबूबा के साथ सेक्स सिर्फ दो जिस्मों का मिलना भर है लेकिन बीवी के साथ सेक्स से जिम्मेदारी जुड़ी है. बीवी शादी के बाद बनती है और महबूबा कभी भी!
पहली बार गांड चुदवाने के बाद ज़ारा की गांड में बहुत दर्द हो रहा था. फिर भी उसकी सेक्स की जरूरत कम नहीं हो रही थी. उसकी अन्तर्वासना हर वक्त चुदाई मांगती थी.
आप मेरी गांड चोदना चाहते हो ना? आज मैं तैयार हूँ … मुझे दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?
यह कोई कहानी नहीं है बल्कि मेरे जीवन का हिस्सा है. इसे मैंने बिल्कुल वैसा ही लिखा है जैसे बीता है! इसमें केवल प्रेम है, विशुद्ध प्रेम! ये मोहब्बत है ज़ारा की!
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