कमसिन बेटी की महकती जवानी-2

(Kamsin Beti Ki Mahakti Jawani Part-2)

This story is part of a series:

इस सेक्सी कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि पद्मिनी का बापू उसको चोदने की नजर से देखने लगा था और वो आज रात ही पद्मिनी की चूत का मजा लेना चाहता था. इसलिए वो अपनी बेटी से दारू पीने की कह कर घर से निकल गया.
अब आगे…

जब पद्मिनी का बाप ठेके पर पहुँचा तो उसको एक दोस्त की मां के देहांत का समाचार मिला और वह पीने से पहले अपने दोस्त के घर चला गया. जाते जाते वो अपने घर पद्मिनी को यह बताने गया भेजा कि वह देर से घर वापस आएगा. वो उसका इंतज़ार न करे और टाइम पर सो जाए.

उसका पिता देर से आएगा, यह जान कर खाना खाने के बाद पद्मिनी सभी बातों को भूलकर सोने चली गयी.

अब पद्मिनी साधारण परिवार की लड़की थी, तो रात को नाइटी नहीं पहनती थी बल्कि वैसी ही सो जाती थी, जिस ड्रेस में रहती थी, यानि वही छोटा स्कर्ट और छोटी सी तंग चोली में सो जाती थी. जब सुबह हर रोज़ की उठकर नहाती थी… तभी ड्रेस चेंज करती थी.

चूंकि वो अपने बापू के पास सोती थी, तो पद्मिनी आज भी उसके बिस्तर पर सो गयी. उधर उसका बाप अपने दोस्त के घर से आकर रघु के ठेके में गया और पीना शुरू किया.

जब वो दारू पी रहा था तो उसने सुना कि कुछ लोग पद्मिनी की बातें कर रहे थे. कुछ लोग फुसफुसा रहे थे कि ‘यही उस लड़की का पिता है, क्या माल है इसके घर में यार, मेरी वैसी बेटी होती तो मैं ही उसको चोद देता. सच में क्या क्या काँटा माल है, क्या कदली सी जाँघें हैं उसकी, आह… क्या मस्त नाज़ुक नाज़ुक कोमल उभरी हुई चूचियां हैं साली की, पट्ठी जब रास्ते में चलती है तो उसी वक़्त लंड खड़ा हो जाता है और उसको चोदने को मन करता है. जाने उस टीचर से कितना चुदवाती होगी साली, बहुत मज़ा आता होगा उस साले टीचर को, क्या किस्मत पाई है साले ने…’

तभी एक दूसरे जवान मर्द ने कहना शुरू कर दिया, जो उन लोगों के साथ बैठा था. वो बोला- सही कहा दोस्त… अरे बापरे, जब पद्मिनी यूनिफार्म में स्कूल जाती है… तब देखा है उसको? क्या छोटा सा स्कर्ट पहनती है… बाप रे, उसका बाप खुद उसकी जाँघ को निहारता होगा इसलिए छोटी छोटी स्कर्ट्स पहनवाता होगा उसको… एक घर में जिसमें माँ नहीं हो… लड़की बाप के सामने वैसे कपड़े पहने, तो समझ जाना चाहिए कि क्या मामला है. यार… साला ये भोसड़ी का तो अपनी एकलौती बेटी के साथ खूब मज़ा करता होगा. सच में क्या मलाई माल है इसके घर में… आह मेरा तो बात करते ही मुठ मारने का मन करने लगा.

यह सब बातें सुनकर पद्मिनी के पिता को ग़ुस्सा नहीं आया बल्कि उसको अच्छा लग रहा था. ये सब सुनने से उसका लंड और भी कड़क होकर खड़ा हो गया था. वो सोच रहा था कि अगर लोग सोचते हैं कि वह पद्मिनी को चोदता है, तो उसको चोदना ही चाहिए. उसने सोचा और अपने आप से कहा कि उसने आज पद्मिनी को चोदने को सही निर्णय लिया है. आज घर जाकर पद्मिनी को ज़रूर चोदूँगा… पता नहीं उस टीचर ने उसकी सील तोड़ी है या मुझको ही काम तमाम करना पड़ेगा… देखूंगा… पता नहीं अगर सील तोड़नी पड़ी तो चिल्लाएगी या हल्ला करेगी.

पद्मिनी का बाप पीते वक़्त खुद में बड़बड़ा रहा था. आखिर में वह पीने के बाद वहां से निकला और वापस अपने घर जाते वक़्त पद्मिनी को अपने मन में सोचता हुआ चला जा रहा था. तभी रास्ते में एक किसी एक जान पहचान वाले का एक्सीडेंट हो गया. अब पद्मिनी का बाप उस आदमी का जान पहचान वाला था और उस बेचारे ने विनती की कि वह उसके साथ हॉस्पिटल चल चले… क्योंकि उस वक़्त कोई भी उस के साथ जाने वाला नहीं था. मजबूरन उसको हॉस्पिटल तक उस आदमी के साथ जाना पड़ा. अब हॉस्पिटल में सब फॉर्मलिटीज पूरी करने और उस आदमी को एडमिट करने में जितना वक़्त गुज़रा, तब तक उसका सारा नशा उतर गया. वो फिर से पीने आ गया. इस बार जब दारू का काम फिनिश किया तो रात के ग्यारह बज गए थे.

जब वह घर पहुँचा तो देखा कि इस वक्त तक पद्मिनी गहरी नींद में सो गई थी.

वह सीधे अपने कमरे में गया और पद्मिनी के पास बैठ कर अपने कपड़े उतारने लगा. बिस्तर पर ही बैठ कर आँखें मूँद ही रहा था, तब धीरे से आधी नींद में पद्मिनी ने आँख को मुंदे हुए ही कहा- आप खाना खा लेना बापू.
यह कहकर वह फिर सो गयी, नींद में ही वह बात कह गई. बापू ने लड़खड़ाते जुबान से धीरे से कहा- खा चुका हूं, अब तो तुझको खाना है.
पद्मिनी ने कुछ नहीं सुना, सच में वह उस वक़्त गहरी नींद में थी.

बापू सिर्फ अपने अंडरवियर में बिस्तर पर बैठ गया और बगल में उसी बिस्तर पर पद्मिनी गहरी नींद में सोयी हुई थी. तो उसका बापू धीरे धीरे, बिल्कुल आहिस्ते आहिस्ते पद्मिनी के ऊपर से चादर को हटाता गया. पद्मिनी करवट लिए अपने पैरों को मोड़ कर सो रही थी.

उसके पैर मोड़ने की वजह से तो उसकी छोटी सी स्कर्ट और भी ऊपर उठ गयी थी. इस वक्त दारु के नशे में बापू को उसकी खूबसूरत जवान जांघों का क्या मस्त नज़ारा दिख रहा था. बापू के मुँह में पानी आ गया… और हाँ, उस पोजीशन में पद्मिनी की गांड भी अच्छे फॉर्म में दिख रही थी.

ज़रा सोचिए दोस्तो, जब एक जवान लड़की पैरों को मोड़कर अपने करवट लिए सोयी हुई हो और छोटी सी स्कर्ट में हो तो कैसा नज़ारा देखने को मिलता है. वही नज़ारा बापू के आँखों के सामने था और उसका लंड अंडरवियर से बाहर निकलने को उछल गया.

पद्मिनी के बाप ने हल्के से अपने हाथों को पद्मिनी के गांड पर फेरते हुए अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले जाता गया. जब तक कि उसका हाथ पद्मिनी की अधनंगी बाज़ुओं के ऊपर न पहुँच गया. वहां से फिर उसने अपने हाथ को पद्मिनी की बांहों के नीचे फेरा, जहाँ छोटे छोटे बाल उग गए थे… और अपनी नाक को वहां रगड़ कर सूंघना शुरू किया.

पद्मिनी की पसीने की खुशबू… या बदबू कह लो, किसी को उस जगह की खुशबू पसंद होती है, किसी को नहीं… पर पद्मिनी के बापू को पद्मिनी की बांहों तले वाली महक बहुत पसंद थी और उस महक ने उसको और भी गरम कर दिया.

उसने हल्के से अपनी जीभ को उस नाज़ुक जगह पर फेरा और उस नमकीन लज्ज़त वाले हिस्से को चाटा. पद्मिनी ने नींद में ही एक छोटी सी अँगड़ाई ली. तब बापू ने बिस्तर के दूसरे तरफ जाते हुए, पद्मिनी को अपने सामने पाया. पहले तो उसकी पीठ पर था, अब वो सामने आ गया था और सोयी हुई पद्मिनी की चूचियों को ऊपर नीचे उठक बैठक करते देख रहा था. जब वह सांसें ले रही थी सोते वक़्त, उसकी तंग चोली में पद्मिनी एकदम जबरदस्त सेक्सी, गरम माल जैसी दिख रही थी.

उसके बापू से बिल्कुल सब्र नहीं हुआ. उसने अपना अंडरवियर उतार फेंका और बिस्तर पर ऊपर आ गया. पहले तो अपनी जीभ को पद्मिनी के होंठों पर फेर कर चाटा. पद्मिनी नींद में अपने हाथ से भीगे हुए होंठ को पौंछा.

फिर बापू नीचे पद्मिनी की जांघों की तरफ आ पहुँचा. उसका लंड एकदम तना हुआ खड़ा था. जब वह घुटनों के बल बिस्तर पर पद्मिनी के पैरों के पास गया, तो उस का लंड पद्मिनी की कमर से छुआ, जिससे उसको एक अजीब सी कशिश हुई और उसकी हलक से ‘इश…’ निकला. पद्मिनी की जांघों के पास बैठ कर बापू ने हल्के से अपना हाथ उसकी कोमल, मुलायम नाज़ुक जांघों पर फेरा. साथ साथ ऊपर पद्मिनी के चेहरे पर देख रहा था कि उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी. मगर वह तो नींद में थी, उसको उस वक़्त कुछ भी पता नहीं था.

बापू पागल हो रहा था, उसने आहिस्ते से पद्मिनी की स्कर्ट को ऊपर उठाया. स्कर्ट तो इतनी छोटी थी कि पल भर में पद्मिनी की छोटी सी पेंटी नज़र आने लगी. ये देख कर बापू के मुँह में पानी आ गया. उसने देर न करते हुए अपनी उंगलियों को पद्मिनी की पेंटी पर ठीक चूत के पास फेरा. फिर अपनी जीभ से उसकी दोनों जांघों के दरमियान वाला नाज़ुक हिस्से को हल्के हल्के चाटना शुरू किया. वो एक तरफ जाँघ चाट रहा था और अपनी उंगली पद्मिनी की चूत पर पेंटी के ऊपर से ही धीरे धीरे रगड़ रहा था.

उसका लंड तो कब से घुसने को तैयार था… मगर कैसे भी हो उसके मन में अब भी एक डर सा था. क्योंकि अभी तक तो पद्मिनी की रज़ामंदी नहीं मिली थी और वह तो नींद में थी… और जो बापू कर रहा था, वह तो बिल्कुल एक चोरी की तरह था. यह सोचते हुए बापू कुछ घबराया भी, फिर भी इंतज़ार नामुमकिन था… सो वह आगे बढ़ता गया.

आहिस्ते से उसने अपने आपको स्थिति के अनुसार करके पद्मिनी के जिस्म की लम्बाई तक होकर सोने की कोशिश की. अब उसका लंड पद्मिनी की जांघों के बीचों बीच था, उसने खुद पद्मिनी की दोनों जांघों को थोड़ा उठाकर अपने लंड को बीच में डाला और ऊपर उसने पद्मिनी की चोली को ढीला करके उसकी नर्म नर्म रुई जैसी, छोटी सी नाज़ुक चूचियों को सहलाना शुरू किया.

यह वह वक़्त था, जब पद्मिनी की नींद टूटी. मगर उसने सोने का नाटक करना शुरू किया. अब अपने मन में पद्मिनी बोली- हाय राम… बापू तो शुरू हो गया… मैं क्या करूँ अब… चलो देखती हूँ कि कहाँ तक उसकी पहुँच होती है. मैं सोने का नाटक करती हूँ, ऐसे सुबह उसकी आँखों में देख सकूंगी.

तो अब पद्मिनी को सब पता था मगर वह जानबूझ कर सोने का ड्रामा कर रही थी. वो अपने आपको मुश्किल से सँभाल रही थी. क्योंकि जिस तरह से उसका बाप उसको चूस रहा था… उससे वो खुद उत्तेजित हो रही थी.

अपने बापू के मोटे लंड को अपनी जांघों के बीच पाकर पद्मिनी की चुत भीग गयी और वह कसमसाने लगी. बापू ने पद्मिनी को उसकी पीठ के बल औंधा लिटा दिया… और खुद ने पद्मिनी की गांड पर अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया. फिर, उसको अच्छा नहीं लगा क्योंकि उसकी पेंटी से उसके लंड पर रगड़ खाते हुए दर्द हो रहा था, तो उसने धीरे धीरे पद्मिनी की पेंटी को आहिस्ते आहिस्ते उतारना शुरू किया. साथ ही वो दबी नज़र से देखता हुआ जा रहा था कि कहीं पद्मिनी जग न जाए. उसको नहीं पता था कि पद्मिनी जागी हुई है और उसे सब पता है कि वह उसके साथ क्या कर रहा है.

उधर पद्मिनी बहुत मुश्किल से अपनी दोनों मुठ्ठियों को बंद करके, अपनी छाती के नीचे दबाए ज़ोरों से दांतों को जबरन दबाए सह रही थी. अपने बापू के साथ इस अनोखी रगड़न के कारण उसको दिल ही दिल में मज़ा भी आ रहा था. मगर एक डर भी लग रहा था क्योंकि उसके साथ यह उसका सगा पिता कर रहा था. वैसे तो छोटी उम्र से ही वो हर रात ही पिता के साथ सोती आई थी. मगर ऐसा पहली बार हो रहा था.

बापू ने पेंटी उतार कर उसकी चूत को चाटा और देखकर हैरान हुआ कि चूत एकदम भीगी हुई थी. बापू सोच में पड़ गया कि क्या इसको नींद में भी महसूस हो रहा है… जो इसकी चूत इतनी भीग गयी है?

बापू ने पहले ऐसा सोचा, फिर अपने आप से कहा कि चलो देखता हूँ कि उस टीचर ने इसकी सील को तोड़ दिया है या नहीं, अगर सील बंद होगी, तो ऊपर ऊपर ही चोद लूंगा और अगर सील टूटी हुई निकली तो अन्दर अपना पूरा लंड घुसा दूंगा.

अब बापू ने अपनी बेटी की भीगी हुई चुत में पहले जीभ घुसाने की कोशिश की, पर नाकामयाब रहा… तो उंगली से काम लिया. धीरे धीरे आहिस्ते आहिस्ते अपनी उंगली को चूत के छेद में डालना शुरू किया. पद्मिनी अपने आपको बहुत मुश्किल से संभाल रही थी. उसको ज़ोर से चिल्लाने को मन कर रहा था, मगर नींद का बहाना जो कर रही थी, तो सब सहना पड़ रहा था. बड़ी ज़ोरों से अपने दांतों को मुँह में दबाए पद्मिनी अपने बाप की उंगली को अपने अन्दर लेते हुए सह रही थी. बापू की उंगली आधे से कम चूत में पहुँच गई और उसने उससे थोड़ा ज़्यादा जाने की कोशिश की तो पद्मिनी चिल्ला उठी. मगर वो ऐसे चिल्लाई, जैसे कि वो सपने में हो. ताकि बापू को पता न चले कि वह जागी हुई है.

बापू अचानक चौंक गया और उसको पता चल गया कि उसकी बेटी अभी तक कुँवारी है… और यह जानकर उसको अच्छा लगा.

अब बापू ने खूब जी भर के अपनी बेटी की चूत को चाटा और चूसा… जैसे कि खुशी से एक इनाम के तौर पर उसको चूसना और चाटना मिल गया था. वह बहुत खुश था कि उसकी बेटी अभी तक कुंवारी थी.

मगर खूब चूमाचाटी के बाद अब बापू से रहा न गया और वो पद्मिनी के ऊपर चढ़ गया. पद्मिनी सोच रही थी कि उफ़ क्या करेगा यह बापू अब… ओह माय गॉड? कहीं अन्दर तो नहीं डालेगा… मैं क्या करूँगी अगर अन्दर डाला तो??

मगर बापू ने अन्दर नहीं पेला, पद्मिनी के चूतड़ों के बीच दोनों ऊंचे हिस्सों के बीच वाली फांक में अपना लंड रगड़ता रहा थोड़ा सा जोर लगा कर भी लंड को रगड़ा और बहुत ही जल्द, बल्कि कुछ ज़्यादा ही जल्दी पद्मिनी को ज़ोर से अपने बांहों में जकड़ कर झड़ने लगा. वो अपने मुँह को उसकी गर्दन पर दबाते हुए अपने जीभ को उसकी गाल पर फेरते चाटते… उसका लंड वहीं फांक में काफी देर तक फंसा रहा. बापू अपने पूरे जिस्म के वज़न से काफी देर तक अपनी छोटी सी बेटी पद्मिनी पर लदा रहा और अपना गीला लंड पद्मिनी की भीगे चूतड़ों पर रखे रहा. उसका सारा पानी पद्मिनी के चूतड़ों के बीच बह रहा था.

फिर जब पद्मिनी को अपने बापू के मुँह से शराब की बू आयी, तब पद्मिनी ने झूठमूठ के नींद में करवट बदलने का नाटक किया. तब बापू जल्दी से उस पर से हट कर एक तरफ हो गया. उसने जल्दी से एक कपड़े से अपनी बेटी की गांड को पौंछा और फिर उसको वापस पेंटी पहना कर उसको अपनी बाँहों में लेकर सो गया.

पद्मिनी अपने बापू को सोता देख कर मुस्कुरा रही थी. उसने धीरे से अपने बाप के लंड तक जाकर सोए हुए नर्म लंड को चूमा. फिर वो अपनी जीभ को उस पर फेरते हुए अपने बापू के चेहरे पर देख रही थी.
उसने आहिस्ते से कहा- शुक्रिया बापू…

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