घर की लाड़ली-18

(Ghar Ki Ladli- Part 18)

इंडियन लवर 2018-10-31 Comments

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मयूरी ने अपने बाप से गांड मरवाने के बाद उसका लंड मुंह में लिया तो उसे अपनी गांड की महक और स्वाद के साथ अपने बाप का लंड का स्वाद आने लगा. थोड़ी ही देर में अशोक के लंड से वीर्य की बाढ़ निकली और मयूरी का मुँह उससे भर गया.
फिर दोनों बाप बेटी बिस्तर पर फिर से हांफते हुए गिर गए. और मयूरी अपने नंगे बाप से लिपट गयी.

फिर थोड़ी देर बाद ऐसे ही चिपके रहने के बाद मयूरी बोली- पापा…
अशोक- हाँ बेटा?
मयूरी- आपको याद है ना कि कल मेरा जन्मदिन है?
अशोक- हाँ बेटा… ये मैं कैसे भूल सकता हूँ?

मयूरी- तो फिर इस बार आप क्या तोहफा देने वाले है मुझे जन्मदिन पर?
अशोक- आपको क्या चाहिए बेटा?
मयूरी- मैं जो बोलूंगी वो दिलाओगे आप?
अशोक- हाँ बेटा… आप जो बोलोगे वो दिला देंगे आपको!
मयूरी- सोच लोग पापा, कहीं मुकर ना जाना फिर बाद में?
अशोक- अरे आप बोलो तो सही… दिला देंगे आपको.

मयूरी बच्चों की तरह जिद करती हुई- पहले आप प्रॉमिस करो कि मैं जो बोलूंगी आप दिलाओगे.
अशोक बड़े प्यार से उसका सर सहलाते हुए- अच्छा प्रॉमिस… अब बताओ?
मयूरी- तो मुझे अपने जन्मदिन पर…
अशोक- हाँ… बोलो… बोलो…
मयूरी- अपने जन्मदिन पर घर के तीनों मर्दों का लंड एक साथ लेना है… एक का मुँह में, एक का चूत में और एक अपने गांड में…
अशोक आश्चर्य से- क्या?
मयूरी शरारती मुस्कान के साथ- हाँ…
अशोक- तू पागल हो गयी है क्या?
मयूरी- क्यूँ? क्या हुआ?
अशोक- मैं तुम्हें ये कैसे दिला सकता हूँ? वो दोनों तेरे अपने भाई हैं… और तू उनसे चुदवाना चाहती है?
मयूरी- पापा… आप कैसी बात कर रहे हो? आप तो मेरे पिता हो… और देखो अपने आप को… अभी मेरी गांड मारी है और नंगे चिपके पड़े हो मेरे साथ… और कह रहे हो कि अपने भाई से कैसे चुदवा सकती हूँ?

अशोक को अपने गलती का अहसास हुआ. वो अपने शब्दों को सँभालते हुए आगे बोला- अरे पर हमारी बात अलग है… आप हमसे से चुदवाना चाहती थी और हम आपको बड़े दिनों से चोदना भी चाहते थे. तभी ये मुमकिन हो पाया कि आपके इस चूत में मेरा लंड गया… नहीं तो कैसे होता बताओ?
मयूरी- वो मुझे नहीं पता… आप उनसे बात करो और मुझे उनका लंड दिलवाओ… बस.
अशोक- मतलब मैं उनको जाके क्या बोलूं? कि चलो अपनी बहन को चोदना है तुम्हें… वो भी एक साथ… मैं भी चोदूँगा साथ में… और ये तुम्हारी बहन के जन्मदिन का तोहफा है?
मयूरी- हाँ… एकदम सही.
अशोक- तुम सच में पागल हो गयी हो.
मयूरी- पर अपने वादा किया था?
अशोक- पर ये कैसे? मुझे लगा कि तुम कुछ महँगा सामान मांगोगी तो दिला दूंगा.

मयूरी मुस्कुराते हुए- अच्छा एक बात सुनो आप…
अशोक- हाँ बोलो?
मयूरी- आपको याद है मैंने बताया था कि मैं पहले से अपनी चूत चुदवा चुकी हूँ वो भी दो लोगों से.
अशोक- हाँ… याद है… अब क्या उनको भी बुलाना है आपको चोदने के लिए?
मयूरी- आप बात तो सुनो… आज आपको बहुत सारी बातों का पता चलेगा और ये सारे आपके जीवन के बड़े रहस्य हैं… जो आपको जरूर पता होना चाहिए.
अशोक- अच्छा? बताइये.

मयूरी- क्या आप जानना नहीं चाहते कि वो कौन लोग हैं जिन्होंने आपकी बेटी की जवान चूत का भेदन किया और उसकी सील तोड़ दी?
अशोक- हाँ… जरूर जानना चाहूंगा… बताइये… कौन हैं वो लोग?
मयूरी- वो दो लोग आपके अपने दोनों बेटे हैं.
अशोक आश्चर्य से- क्या…????
मयूरी- हाँ… मैंने पहली बार अपने दोनों भाइयों से ही चुदवाया था… वो भी एक साथ.
अशोक- कैसे?

फिर मयूरी ने अशोक को अपने और रजत एवं विक्रम के साथ हुई चुदाई की सारी बात बताई, बस बताया कुछ इस तरह कि लगे कि सब अपने आप हुआ हो और इसमें मयूरी की कोई प्लानिंग नहीं थी.
अशोक ने मयूरी की अपने भाइयों से चुदाई की पूरी कहानी बड़े ध्यान से सुनी; उसको अपने बच्चों की आपसी चुदाई की कहानी सुनने में बड़ा रोमांच और आनन्द महसूस हुआ.

पूरी बात सुनने के बाद अशोक के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था, उसने मयूरी से पूछा- तो मेरे घर में मेरे तीनों बच्चे मेरी नज़रों के नीचे चुदाई कर रहे थे और मुझे पता भी नहीं चला?
मयूरी- आपको तो कुछ भी पता नहीं चलता पापा!
अशोक- मतलब?
मयूरी- आपकी नज़रों के नीचे इस घर में और क्या क्या हुआ और आपको कुछ भी नहीं पता!
अशोक- और क्या-क्या हुआ?

मयूरी- बताती हूँ… जब मैंने अपने दोनों भाइयों में अपना हुस्न रोज़ बाँट रही थी तो एक दिन मैंने सोचा कि ये मैं क्यूँ कर रही हूँ?
अशोक- फिर?
मयूरी- फिर मुझे बहुत सोचने पर यह समझ आया कि शायद यह मेरी उम्र और शरीर की मांग है… और आपकी और आपके इस घर-परिवार की इज्जत को बाहर नीलाम नहीं कर सकती थी, इसलिए मैंने अपने घर में ही अपने लिए लंड का इंतजाम किया… और मेरे भाइयों के साथ भी शायद ऐसा ही हुआ हो.

अशोक बड़ी ही उत्सुकता से- हाँ फिर?
मयूरी- फिर मुझे लगा कि अगर ऐसा है तो फिर तो मेरे इस खूबसूरत शरीर पर आपका भी हक़ होना चाहिए और उस मायने में आपको भी ये शरीर और ये हुस्न मिलना चाहिए.
अशोक- अच्छा?
मयूरी- हाँ…
अशोक- फिर?
मयूरी- फिर मैंने ये निश्चय किया कि मैं आपको आपका हक़ जरूर दूंगी अगर आप की मर्ज़ी हुई तो.
अशोक- अच्छा… फिर?

मयूरी- और फिर मुझे लगा कि अगर मैंने ऐसा किया तो माँ के साथ बड़ी नाइंसाफी हो जाएगी.
अशोक- कैसे?
मयूरी- देखो… मेरे दोनों भाइयों को मेरी चूत मिल रही थी?
अशोक- हाँ…
मयूरी- मैं आपको अपनी चूत देने वाली थी?
अशोक- हाँ…
मयूरी- और मुझे घर के दो लंड पहले से ही मिल रहे थे और एक और मिलने वाला था और वो लंड मेरी माँ के सुहाग का था?
अशोक- हाँ…
मयूरी- मतलब घर में सबको चुदाई के लिए कुछ ना कुछ नया मिलने वाला था सिवाय माँ के?
अशोक- फिर?
मयूरी- फिर मैंने सोचा की क्यूँ ना माँ के लिए भी नए लंड का बंदोबस्त किया जाये?

अशोक- फिर… क्या किया तुमने?
मयूरी- अरे… घबराओ नहीं पापा… आपकी इज्जत घर के अंदर ही है… घर के बाहर जब मैंने अपनी चूत नीलाम नहीं की तो माँ की कैसे करवा देती?
अशोक- मतलब?
मयूरी- माँ को अपने दोनों बेटों का लंड दिलवा दिया?
अशोक- क्या????
मयूरी- हाँ मेरे चोदू पापा… माँ अपने बेटों से चुदवा रही है.
अशोक- क्या बक रही हो?
मयूरी- क्यूँ? आप अपनी बेटी को चोद सकते हो तो वो अपने बेटों से नहीं चुदवा सकती?
अशोक- म… मतलब वो कैसे?
मयूरी- माँ ने तो एक बार मेरे साथ भी सेक्स किया था… लेस्बियन…
अशोक- मतलब त… तुम माँ-बेटी?
मयूरी- हाँ पापा…

और फिर मयूरी ने अपनी माँ और अपने बीच हुई चुदाई से लेकर उनके दोनों बेटों से चुदाई की पूरी दास्ताँ सुना दी. पूरी बात सुनने में अशोक शुरू में तो थोड़ा अजीब लगा फिर मजा आने लगा… फिर भी उसको विश्वास नहीं हुआ और उसने पूछा- मुझे तुम्हारी इन बातों पर यकीन नहीं हो रहा.
मयूरी- अच्छा… अगर आपको आपकी बीवी को आपके बेटों से चुदवाते हुए दिखा दूँ तो? तो कर लोगे यकीन?
अशोक- हाँ…
मयूरी- ठीक है.. चलो फिर?
अशोक- कहाँ?
मयूरी- बाहर… वो अभी भी चुदाई कर रहे हैं.
अशोक- मतलब?
मयूरी- पापा? आपको क्या लगता है हम बाप-बेटी यहाँ आराम से चुदाई करेंगे और घर में लोग काम कर रहे होंगे. वो भी चुदाई कर रहे है इसीलिए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता…
अशोक- अभी?
मयूरी- हाँ.. आप चलो मैं दिखाती हूँ.
अशोक- कपड़े पहन लूँ?
मयूरी- जरूरत नहीं है? हम उनको बताएँगे नहीं कि हम उनको देख रहे हैं.
अशोक- मतलब?
मयूरी- मतलब हम उनको चुपके से देखेंगे.
अशोक- पर मुझे ऐसे नंगे बाहर जाने में अजीब लग रहा है?
मयूरी- पापा, आपने अभी अपने बेटी जी जबरदस्त चुदाई की है और कल से घर में सब लोग नंगे ही रहने वाले हैं… अब वक्त बदलने वाला है… आप शर्माना छोड़िये… चलिए बाहर…
अशोक- ठीक है…

और दोनों बाप-बेटी घर में बेशर्मों की तरह नंगे ही दरवाजा खोलकर बाहर निकले और मयूरी की कमरे की तरफ बढ़े. फिर उस कमरे की खिड़की के पास जाते ही अंदर का सुहाना दृश्य दिखाई देने लगा. अंदर विक्रम अपनी माँ की चूत में और रजत अपनी माँ की गांड में लंड डालकर जोरदार चुदाई कर रहा था.

शीतल को अपने दोनों बेटों से एकसाथ चुदवाते हुए बड़ा मजा आ रहा था. रजत ने शीतल की एक टाँग को उठाया हुआ था और विक्रम उसकी चुदाई के साथ-साथ उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसल भी रहा था.

अशोक को अपने आँखों पर यकीन नहीं हुआ. वो एकटक उनको देखता ही रह गया. पर थोड़ी ही देर में उसको अपने बेटों को मादरचोद बनते हुए देखकर बड़ा आनन्द आने लगा और उसका लंड खड़ा हो गया.
यह दृश्य देखकर मयूरी की कामाग्नि भी जाग उठी, उसने वहीं पर खड़े अपने पिता के लंड की ओर देखा जो किसी वृक्ष के तने की भांति तना हुआ था. वो झट से बैठी और अशोक के लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

अशोक के मन में ख्याल आया कि वो अभी उनके कमरे में जाए और उनको रंगे हाथ पकड़ ले … फिर वहीं पर सब के साथ जोरदार चुदाई करे.
वो मयूरी से बोला- मयूरी, अंदर चलें बेटा?
मयूरी- क्यूँ पापा?
अशोक- इनको रंगे हाथ पकड़ते हैं और फिर जोरदार चुदाई करेंगे… खुले में… सबके साथ…
मयूरी- आज नहीं पापा… कल… यही तो मेरे जन्मदिन का तोहफा होगा… भूल गए?
अशोक- अच्छा, चलो फिर कमरे में… तुम्हें तो चोद लूँ जी भर के… ये सब देखकर मेरा लंड उफान मार रहा है.
मयूरी- अवश्य पापा… चलिए.

और फिर अशोक ने मयूरी को अपनी बाँहों में उठाया और उसको उठाकर अपने कमरे में लाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया. और फिर अपना लंड झटाक से मयूरी की चूत में पेल दिया.
मयूरी- आह… पापा…
अशोक- मेरी रंडी बेटी… ले अपने बाप का लंड… और ले… हुह… और ले… आह…
मयूरी- जोर से चोदो पापा अपनी बेटी को… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… और जोर से…

और फिर दोनों लगभग 15 मिनट तक जोरदार चुदाई करने के बाद एक-दूसरे चिपके हुए बिस्तर पर गिर गए और जोर जोर से हांफने लगे.

चुदाई के बाद मयूरी बोली- पापा?
अशोक- हाँ बेटा?
मयूरी- मैं आपसे चुदवाती हूँ, अपने भाइयों से भी चुदवाती हूँ और अपनी माँ के साथ लेस्बियन सेक्स भी किया है पर मैं रंडी नहीं हूँ पापा… मैं तो इस घर की लाड़ली हूँ… अगर मुझे सिर्फ अपनी चूत मरवाने का ख्याल होता तो मैं घर के बाहर किसी को भी पता सकती थी. दुनिया का कोई भी इंसान मेरे हुस्न को दीदार करने के बाद मुझे चुदाई के लिए मन नहीं कर सकता था. पर मुझे लगा कि अगर मुझे अपना हुस्न लुटाना ही है तो अपने घर के बाहर क्यूँ, अपने घर ले लोगों में ही बाँट देती हूँ… मैंने तो बस सारे घर वालों के बारे में सोचा पापा…

अशोक- अ… अरे… मैं… तो वो बस जोश-जोश में बोल गया मेरी जान… मेरा वैसा कोई मतलब नहीं था. मुझे माफ़ कर दो… तुम रंडी नहीं हो… तुम तो मेरी लाड़ली हो… और तुम्हारा इस घर के लोगों के बारे में इतना सोचना मेरे हिसाब से काफी सराहनीय है. तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद… नहीं तो तुम्हारा ये मखमली जिस्म मुझे भोगने और चोदने को कैसे मिलता.
मयूरी- अच्छा ये सब छोड़ो… एक और जरूरी बात!
अशोक- हाँ बोलो?

मयूरी- घर में सबको सबकी चुदाई के बारे में नहीं पता…
अशोक- मतलब?
मयूरी- मतलब कि देखो… माँ यह जानती है कि आप मुझे चोद रहे हो… इसलिए वो सुकून से अपने घर में आपकी मौजूदगी में अपने बेटों से चुदवा रही है.
अशोक- है… ठीक है.
मयूरी- पर, माँ को पूरी बात नहीं पता?
अशोक- कौन सी बात नहीं पता शीतल को?
मयूरी मुस्कुराते हुए- माँ को ये नहीं पता की मैंने अपने भाइयों से पहले से चुदवाया हुआ है.
अशोक- अच्छा.

मयूरी- हाँ, और मेरे भोले भाइयों को तो कुछ भी नहीं पता.
अशोक- मतलब?
मयूरी- मतलब कि उनको ना ये पता है कि मैंने अपनी माँ से लेस्बियन सम्बन्ध स्थापित किया है और ना ही ये कि मेरे ही कहने पर आज उनकी माँ उनसे चुदवा रही है… और तो और, उनको ये भी नहीं पता कि आप भी मुझे चोदते हैं.
अशोक- कमाल है बेटा… तुमने तो पूरे घर को अपनी मुट्ठी में ले रखा है.

मयूरी- पर आपको सबके बारे में सब कुछ पता है पापा.
अशोक- मैं तुम्हें इसके लिए और हर चीज़ के लिए धन्यवाद देता हूँ… क्योंकि तुम्हारी वजह से ही घर के हर सदस्य को आज चोदने और चुदाने के लिए किस्मत से बहुत ज्यादा मिल पाया है. जैसे कि तुम मेरी बांहों में अभी नंगी लेटी हो और मैं अब तुम्हारी चूत चाटूँगा.
मयूरी- जैसी आपकी मर्ज़ी पापा…

और फिर थोड़ी देर तक रंगरलियां मनाने के बाद बाप-बेटी ने अपने कपड़े पहन लिए. फिर कुछ ही देर में शीतल भी अंदर आई और सबको खाने के लिए बुलाने लगी. सब खाना खाकर सो गये.

अब कल इस घर में जश्न होने वाला था- पूरे परिवार के बीच सामूहिक चुदाई का जश्न…!!

परिवार में चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
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