बाप ने गुस्से में बेटी की गांड फाड़ी
(Girl Ass Fuck Story)
गर्ल ऐस्स फक कहानी में मैं डॉक्टर से चुदवाकर आई. उसने मेरी चुदाई की CCTv रिकॉर्डिंग मुझे भेजी जो मेरे पापा ने देख ली. मेरे पापा ने तुरंत मुझे नंगी किया और घोड़ी बना लिया.
यह कहानी सुनें.
फ्रेंड्स, मैं आपकी स्वीटी पुरोहित एक बार पुनः अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के दूसरे भाग
चूत में कॉपर टी लगाने वाले डॉक्टर से चुदी- 2
डॉक्टर के जानदार लंड ने मुझे पेला
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं अपने पापा से चुदवाने के कारण तीन बार गर्भवती हो चुकी थी, इसकी वजह से मुझे गर्भपात करवाना पड़ा था. पापा से मशविरा करके मैंने अपनी चुत में कॉपर-टी लगवाना तय किया और एक डॉक्टर से कॉपर-टी लगवाने के चक्कर में चुद गई. उसकी क्लिनिक में सीसीटीवी कैमरे लगे थे, चुदाई के बाद कैमरे देख कर मैं समझ गई कि मेरी चुदाई की वीडियो बन गई है. मैंने डॉक्टर को डांटते हुए सारे वीडियो अपनी ईमेल पर भेजने का कहा और अपने घर आ गई.
अब आगे गर्ल ऐस्स फक कहानी:
मैं घर पहुंची, तो पापा घर पर नहीं थे.
शायद कहीं गए हुए थे.
घर में घुसते ही मैंने सारे कपड़े उतारे और पापा के बिस्तर पर गिरकर थोड़ी देर आराम किया.
शाम हो चुकी थी और मेरा जिस्म डॉक्टर के थूक और माल से सना हुआ था.
मैं नहाने चली गई.
चूत, गांड, मुँह सब अच्छे से धोकर मैंने एक काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन ली.
काली जालीदार ब्रा मुझ पर बहुत सेक्सी लगती थी, ऐसा पापा कहते थे.
उनके आते ही उनका मुँह मीठा करवाने के लिए मैंने उनकी पसंदीदा काली जालीदार ब्रा और पैंटी पहनकर किचन में काम शुरू कर दिया.
रात के खाने की तैयारी हो चुकी थी.
लेकिन पापा अब भी नहीं आए थे.
मैंने अपना फोन देखा तो ईमेल का नोटिफिकेशन दिखा.
शायद डॉक्टर ने आज की क्लिनिक वाली फुटेज भेज दी थी.
मैं कमरे में आई, लैपटॉप ऑन किया और मेल चेक करने लगी.
डॉक्टर का ही मेल था, जिसमें वीडियो के साथ उसने अपना पर्सनल नंबर भी भेजा था.
अटैचमेंट डाउनलोड करके मैंने वीडियो प्ले कर दिया.
डॉक्टर ने वीडियो काटकर भेजा था जो ठीक वहां से शुरू हुआ जहां मैंने अपनी टॉप उतारा था.
मैं बेड पर उल्टी लेटकर आराम से वीडियो देखने लगी.
वीडियो में उस डॉक्टर को मेरी चूत चाटते देख क्लिनिक का जोश फिर से ताजा होने लगा.
मन कर रहा था कि वापस क्लिनिक जाकर डॉक्टर से चुदवा आऊं.
तभी वीडियो में मैं झड़ने लगी.
खुद को इतनी मस्ती में झड़ते देख मेरा मन और बेकाबू होने लगा.
मैंने तकिया खींचा और अपनी चूत के नीचे लगाकर धीरे-धीरे कमर चलाने लगी.
चूत पर तकिए की रगड़ से गजब का मजा आ रहा था.
मेरे झड़ने के बाद वीडियो में वह मुझसे जबरदस्ती करने लगा.
उसे जबरन मेरी चुदाई करते देख अब मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था, अब तो मुझे वह सब बहुत कामुक लग रहा था.
दिल कर रहा था कि वह डॉक्टर अभी आ जाए और मेरे हाथ-पैर बांध कर मुझे कुतिया बना कर चोद दे.
उसके बाद अचानक वीडियो कट गया और सीधा वहां से शुरू हुआ जहां मैंने उसे टेबल पर टिका कर उसका पैंट उतारा.
बीच का थप्पड़ वाला सीन उसने काट दिया था; शायद उसको वह अच्छा नहीं लगा होगा.
मेरे बाल पकड़ कर उसको मेरा मुँह चोदते हुए देख कर मुझसे रहा नहीं गया.
मैं आंखें बंद कर के पलट गई और सीधी लेट कर एक हाथ पैंटी में घुसा कर चूत में उंगली करने लगी.
उधर फुल स्क्रीन पर मेरी ब्लू फिल्म चल रही थी और इधर मैं आंखें बंद करके अपनी चूत सहलाने में मस्त थी.
मुझे पता भी नहीं था कि पापा कब के आ चुके थे और वहीं खड़े मेरी सारी हरकतें देख रहे थे.
जैसे ही मुझे पापा के वहां खड़े होने का अहसास हुआ, मैं अचानक से सकपका गई.
पापा के चेहरे पर गुस्सा अलग ही झलक रहा था.
मैं डर गई और लपक कर लैपटॉप बंद करने के लिए मुड़ी.
मेरा हाथ लैपटॉप तक पहुंचता, उससे पहले ही पापा ने मुझे बालों से पकड़ लिया और पीछे खींचते हुए बोले- अब क्या शर्मा रही है मादरचोद रण्डी … अब तो मैंने तेरी सारी करतूतें देख लीं, बहुत मजा आ रहा था तुझे उसका लंड लेने में? मेरे लंड से तेरी आग बुझती नहीं है क्या?
शायद मुझे एक पराए लंड से खेलता देख कर पापा गुस्सा हो गए थे, उनके लंड के अलावा कोई और लंड मुझे छुए, उन्हें वह पसंद नहीं था.
उन्होंने मेरे बालों को इतना कस के पकड़ा था कि मुझे दर्द हो रहा था.
अपनी बात खत्म करते ही उन्होंने मेरे मुँह पर लगातार दो-तीन थप्पड़ रसीद कर दिए.
थप्पड़ इतने तेज थे कि मेरा सारा शरीर झनझना गया.
कुछ सेकंड के लिए मुझे सुनाई देना भी बंद हो गया.
लेकिन पापा तब भी कुछ-कुछ बके जा रहे थे.
पापा ने पूरी ताकत से मुझे बेड पर मुँह के बल पटक दिया और गाली बकते हुए मेरी ब्रा और पैंटी फाड़कर मेरे जिस्म से अलग कर दी.
‘बहन की लौड़ी तेरी आग तो मैं शांत करूंगा. तेरा तो ऐसा हाल करूंगा रण्डी कि जिंदगी भर कोई लंड नहीं ले पाएगी!’
लगातार गालियां बकते हुए पापा ने अपनी बेल्ट खोल कर निकाल ली और मुझे लात मार कर घोड़ी बनने के लिए कहा.
मैं पापा का ये रूप देख कर बहुत डर गई थी, उनके कहते ही बिना एक पल गंवाए मैं आज्ञानुसार घोड़ी पोजीशन में आ गई.
पापा ने पीछे से मेरे बाल पकड़े और मेरे चूतड़ों पर बेल्ट बजाने लगे.
बेल्ट की चोट इतनी तेज थी कि मेरी चीख निकल गई.
पापा ने मेरा सिर बेड पर पटकते हुए मेरा मुँह गद्दे में घुसा दिया और मेरे चूचों पर दो थप्पड़ मारे.
फिर उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी को मेरे मुँह में ठूँस कर मेरा मुँह बंद किया और अपना पैंट और कच्छा उतार कर नंगे हो गए.
मेरे मुँह की आवाज़ घुट चुकी थी और आंखों से आंसू बह रहे थे.
उन्होंने वापस मुझे घोड़ी बनाया और मेरे चूतड़ चौड़ाते हुए मेरी गांड में अपना लंड पेल दिया.
फिर मेरे बाल पकड़ कर पूरी ताकत से खींचते हुए मेरी गांड चोदने लगे.
गर्ल ऐस्स फक करते हुए उन्होंने मुझे अभी दस सेकंड ही चोदा होगा कि तभी मेरी कमर पर तड़ाक से बेल्ट पड़ी.
मैं दर्द से दोहरी हो गई मेरे मुँह में मेरे ही अंतर्वस्त्र ठूँस कर मेरी कमर पर बेल्ट बजाते हुए पापा मुझे जानवरों की तरह चोद रहे थे.
मैंने पापा का ये रूप पहले कभी नहीं देखा था और न ही मुझे उनसे ऐसी उम्मीद थी.
मैं अपने पापा से बहुत प्यार करती थी लेकिन आज जो इंसान मुझे बिस्तर पर रंडियों से भी बदतर तरीके से रेल रहा था, वह मेरा ही बाप था.
ये सोच कर जितनी उत्तेजना बढ़ रही थी, उतनी ही बेल्ट की मार से दर्द हो रहा था.
इस जबरदस्ती की चुदाई में मजा भी आ रहा था और सजा भी बहुत दर्दनाक मिल रही थी.
कुछ ही देर में मेरा शरीर इतनी बेदर्दी सहन नहीं कर पाया और मैं बेहोश हो गई.
जब मुझे होश आया तो पाया कि पापा अब भी नंगे ही मेरे साथ बिस्तर में थे, लेकिन नज़ारा बिल्कुल उलट हो चुका था.
वे मुझे अपने सीने से चिपकाए बैठे थे और मेरे हाथ-पैर सहला रहे थे.
उनके मुँह से शराब की महक भी आ रही थी. मुझे आंख खोलता देख वे फूट-फूट कर रोने लगे.
उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरा पूरा मुँह चूमने लगे.
मैंने भी उनकी गर्दन में अपनी बांहें डालीं और हम एक-दूसरे को जकड़ कर देर तक रोते रहे.
मैं समझ गई थी कि शराब के नशे में पापा आपा खो बैठे थे और अब नशा उतरने पर उन्हें पछतावा हो रहा था.
थोड़ी देर में हम दोनों शांत हुए तो पापा बोले- मुझे माफ कर दे बेटी, तुझे किसी दूसरे के साथ चुदवाते देख कर मैं अपना आपा खो बैठा था. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. तू कोई मेरी बीवी थोड़ी है, आखिर तेरी भी अपनी जिंदगी है. मुझे माफ कर दे बेटी!
मैंने उनके मुँह पर हाथ रख कर चुप रहने का इशारा किया और शांति से उनकी छाती से चिपकी रही.
मेरी शांति उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
वे बार-बार मुझसे माफी मांगते रहे और मेरे कुछ बोलने का इंतज़ार करते रहे.
काफी देर बाद मैं बोली- मेरे पूरे शरीर में दर्द हो रहा है!
पापा झट से उठे और एक ग्लास पानी और एक पेनकिलर ले आए.
वे मुझे दवा खाने की कहकर बाथरूम में घुस गए.
मैंने तब तक दवाई खाई, वह बाथरूम में गीज़र चालू करके पानी गर्म कर आए थे.
वे नंगे ही बाथरूम से निकले और मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले आए.
वहां मुझे कमोड पर बिठा कर गर्म पानी चालू कर मेरे शरीर की सिकाई करने लगे.
मैं चुपचाप बैठी रही और वे मेरे सामने खड़े मेरे पूरे शरीर को गर्म पानी से सेक रहे थे.
मैं सामने खड़े पापा का मुरझाया लटका लंड देख रही थी.
मेरी न हिम्मत थी और न ही मेरा मन था कि मैं कुछ छेड़खानी करूँ.
मैंने शीशे की तरफ देखा तो मेरे जिस्म पर बेल्ट के निशान साफ उभर रहे थे.
मैंने आंखें बंद कर लीं और पापा को उनका काम करते रहने दिया.
मुझे गर्म पानी से नहलाकर तौलिये में लपेटकर बेड पर ले आए और लिटा दिया.
रात हो चुकी थी, सो उन्होंने अपने हाथों से मुझे खाना खिलाया और नंगे ही मेरे साथ कंबल में घुस गए.
उन्होंने मुझे अपने जिस्म से चिपका लिया था.
हम दोनों ही नंगे थे, तो उनका लंड भी खड़ा हो चुका था.
न मैंने कुछ शुरू किया और न ही उन्होंने.
पापा अपना खड़ा लंड टांगों में दबाकर चुपचाप सो गए.
अगले दिन आंख खुली तो पापा ने ही चाय के लिए जगाया था.
मैंने चाय पी और पापा से कोई बात किए बिना अपने काम करती रही.
पापा मुझसे बहुत प्यार से बोलते रहे लेकिन मैं उनसे कुछ खास नहीं बोल रही थी.
पापा की उस रात की हरकत से मुझे बुरा लगा था और अब मैं इस आपदा को अवसर में बदलना चाहती थी.
अगले दो दिन में मेरी रुसवाई ने पापा को एकदम तोड़कर रख दिया.
शाम की चाय के वक्त वे मेरे पैरों में बैठकर मेरी गोद में सिर रखकर रो पड़े- प्लीज मेरी जान, अब माफ भी कर दे मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई. मुझे खुद अहसास है. प्लीज मुझे माफ कर दे तू जो सजा देगी, वह मंजूर है. जो तू कहेगी, वह करूँगा … बस एक बार माफी दे दे!
मैं- रहने दो, कहना आसान है!
पापा- तेरी कसम, तेरी मां की कसम जो तू बोले!
मैं- सोच लो, फिर पीछे मत हट जाना!
पापा- सोच लिया, चाहे जान मांग ले!
मैं- कुछ ऐसा भी हो सकता है, जिससे आपको बहुत बुरा लगे!
पापा- मुझे अपनी गलती का अहसास है, उसे ठीक करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ!
ये सुनकर मैं मुस्कुराने लगी.
पापा बोले- अब कुछ बोल भी!
मैंने बिना कुछ बोले अपनी टांगें खोल दीं.
पापा ने भी आगे सरककर लोअर के ऊपर से ही मेरी जांघें चूमते हुए मेरी चूत पर मुँह रख दिया.
मेरी चूत के ऊपर गहरी सांस भरके बोले- बता न … तुझे क्या चाहिए?
मैं अपनी कमर नीचे सरकाती हुई सोफे पर लेट-सी गई और चूतड़ों से लोअर भी सरका दिया.
पापा ने झट से खींचकर लोअर मेरी टांगों से अलग किया और सवालिया निगाहों से मेरा मुँह ताकते हुए मेरी अंदरूनी जांघों को चाटने लगे.
मैंने भी पापा का लोअर कच्छे के साथ अपने पैर के अँगूठे से सरका दिया और उन्हें नीचे से नंगा कर दिया.
मैंने कहा- वह वीडियो वाला लड़का याद है?
पापा ने हां में सिर हिलाया और मेरी पैंटी भी चूतड़ों से नीचे सरका दी.
मैंने भी टांगें उठाते हुए पैंटी निकालने की जगह दी और बोली- वह वही डॉक्टर है, जिसने कॉपर-टी लगाई थी!
पापा कुछ नहीं बोले, बस मेरी दोनों टांगों को फैलाकर मेरी चूत की तरफ बढ़ गए.
तीन दिन बाद मेरी रजामंदी से मेरी टांगों के बीच घुसने की उत्तेजना में पापा का लंड अकड़ चुका था.
‘मैं चाहती हूँ, आप उससे मिलो’
पापा चूत चाटते हुए ही बोले- क्यों?
मैंने पापा के बालों में अपनी उंगलियां फिरोईं और उनका सिर अपनी चूत पर दबाते हुए बम गिराया- मैं चाहती हूँ, आप अपने हाथों से उसका लंड पकड़ कर मेरी चूत में डालो!
ये सुनते ही पापा रुक गए और सिर उठाकर मेरा मुँह देखने लगे.
मैं- क्या हुआ? मैंने कहा था ना, आपसे नहीं होगा!
पापा- नहीं … ऐसा नहीं है, लेकिन…’
मैं- लेकिन क्या?
पापा- मतलब जिस बंदे पर मुझे गुस्सा आया, तुम उसी बंदे के सामने मुझे झुकाना चाहती हो?
मैं- आपको उस बंदे पर गुस्सा आया या अपनी पर्सनल रांड के मुँह में किसी अजनबी का लंड देखकर जलन हुई?
पापा- उसके लिए मैं सॉरी बोल चुका हूँ.
मैं- सॉरी बोलने से हकीकत बदल नहीं जाती!
इतना बोलकर मैं लोअर और पैंटी उठाकर गांड मटकाती हुई कमरे में आ गई.
अगले ही सेकंड पापा भी कमरे में घुसे और पीछे से मुझे बांहों में भर लिया.
उनका कड़क लंड मेरी कमर में चुभ रहा था और वे मेरी गर्दन चूम रहे थे.
मैं ऐसे ही मूर्ति बनी खड़ी रही.
उन्होंने मुझे घुमाया और पीछे से मेरे दोनों चूतड़ पकड़ कर मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
मैंने भी खुद को संभालने के लिए पापा की कमर पर अपनी टांगें लपेटीं और गर्दन में बाहें डालते हुए बोली- आपको सिर्फ एक रांड चाहिए या अपनी प्यारी बेटी चाहिए?
पापा- तू ऐसा क्यों कर रही है?
मैं- आपने जो किया, वह क्यों किया था?
पापा- अरे, तो तुझे उससे चुदवाना है, तो तू जाकर चुदवा ले … मैं अब बुरा नहीं मानूँगा. मुझे बीच में क्यों शामिल कर रही है?
मैंने एक हाथ छोड़ते हुए पापा का लंड चूत पर सैट किया और पापा के होंठों पर होंठ रखते हुए हल्का-सा दबाव देकर लंड का सुपाड़ा अपनी चूत में ले लिया.
मेरी इस हरकत से पापा के जिस्म में सिहरन दौड़ गई और उन्होंने मेरे चूतड़ों को संभालते हुए एक जोरदार धक्का मारने की कोशिश की.
लेकिन मैंने अपनी कमर हवा में उठाकर उनका ये प्रयास नाकाम कर दिया.
वे एक भूखे पिल्ले की तरह मेरी आंखों में देख रहे थे और बोले- बोल ना, तू ऐसा क्यों कर रही है?
मैं- आप मेरे पापा हैं, कन्यादान का फर्ज आपका ही है. मैं चाहती हूँ, आप अपने हाथों से अपनी कन्या की चूत में उस डॉक्टर का लंड दान करें.
इतना कहकर मैंने वापस सुपाड़ा अपनी चूत में ले लिया.
अब तक पापा समझ चुके थे कि मैं पूरा लंड अन्दर नहीं पेलने दूँगी.
पापा- तू उस डॉक्टर को बताना चाहती है कि हम बाप-बेटी एक-दूसरे के जिस्म की जरूरत पूरी करते हैं?
मैं- उसे बताने की क्या जरूरत है कि हम बाप-बेटी हैं!
पापा कुछ देर सोचते हुए बोले- मतलब, तू बाप के साथ थ्रीसम करना चाहती है?
मैंने मुस्कुराते हुए कमर हल्की-सी चलाई, जिससे लंड के सुपाड़े पर रगड़ पड़ी और पूछा- तो फिर क्या जवाब है आपका?
पापा- साफ बोल ना, तुझे थ्रीसम करना है … तुझे एक साथ दो लंड चाहिए?
मैं कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराती हुई अपने टॉप को उतारने लगी.
टॉप हटा कर मैंने अपने चूचे आज़ाद कर दिए.
पापा की आंखों के सामने दोनों चूचों को हिलाते हुए मैंने कहा- बचपन से जो भी चाहिए होता, आपसे ही मांगती थी. एक बेटी की ज़िद उसका बाप ही पूरी कर सकता है. आज आपकी बेटी को जो चाहिए, वह दिलाओगे ना पापा? प्लीज़ पापा!
पापा कुछ नहीं बोले, उन्होंने बस मुस्कुराते हुए सहमति में अपनी गर्दन हिला दी.
मैंने खुश होकर अपनी गांड का सारा वज़न ढीला छोड़ दिया और अपनी चुत की जड़ तक पापा का लंड समा लिया.
आनन्द की वजह से पापा की आंखें बंद हो गईं और मेरी गर्दन में दाँत गड़ाते हुए वे बेतहाशा मुझे चोदने लगे.
आज ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें मैं पहली बार मिली हूँ या आगे कभी चोदने के लिए नहीं मिलूँगी.
पापा मुझे चोदने में ऐसे मगन थे कि उन्होंने बिना समय गंवाए मेरी चूत में अपना गर्म-गर्म माल छोड़ दिया.
डॉक्टर की कृपा से कॉपर-टी भी लग चुकी थी, तो गर्भ ठहरने का भी कोई खतरा नहीं था.
अब बस उस डॉक्टर को उसका इनाम देना बाकी था.
उस रात हमने तीन बार चुदाई की और डॉक्टर के साथ थ्रीसम का प्लान बनाते हुए नंगे ही लिपट कर सो गए.
पापा के हाथों ‘अपनी कन्या की चूत गैरमर्द के लंड को दान’ की सेक्स कहानी को मैं आपको अगली बार सुनाऊंगी.
ये गर्ल ऐस्स फक कहानी कैसी लगी, मुझे लिखकर बताना ज़रूर.
आपकी प्यारी और अपने बाप की रखैल स्वीटी पुरोहित
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