रैगिंग ने रंडी बना दिया-91

(Baap Beti Sex Kahani: Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 91)

पिंकी सेन 2017-11-29 Comments

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अब तक इस बाप बेटी की सेक्स कहानी में आपने पढ़ा सुमन और उसके पापा आज रात अकेले थे क्योंकि उनकी मम्मी अपनी माँ के घर चली गई थीं. साथ ही पापा जी एक पुराने दोस्त ने बियर की बोतलें भी थमा दी.
आज रात क्या हंगामा होने वाला है, इसका आगे मजा लेते हैं.

तो दोस्तो सेक्स स्टोरी को शुरू करने से पहले आपको बता दूँ कि वैसे तो कॉलेज के बाद एक और भी घटना हुई थी. मगर वो अभी आपको बताऊंगी तो आप सुमन और उसके पापा की कहानी का पूछोगे तो शुरूआत वहीं से करते हैं, जहाँ कल कहानी रुक गई थी.

घर आने के बाद सुमन ने बियर के बारे में अपने पापा से पूछा- ये क्या है पापा आप पहले शराब पीते थे क्या?
पापा- अरे ये शराब नहीं है बेटा.. ये तो बियर है, इससे नशा नहीं होता है.
सुमन- नहीं पापा, मैंने सुना है ये अच्छी चीज नहीं होती है.
पापा- मेरा यकीन कर सुमन ये बुरी चीज नहीं है, पहले बस ऐसे ही शौकिया पीता था, अब तो काफ़ी साल हो गए है.
सुमन- नहीं पीनी थी तो आपने ये ली ही क्यों?
पापा- उसने ज़िद की, तो ले ली. अब काफ़ी सालों बाद मौका मिला है तो थोड़ी ले लूँगा ना.
सुमन- अच्छा ये बात है तो मैं भी इसे पीऊंगी. आपने कहा ना ये शराब नहीं है.

गुलशन जी ने सुमन को समझाया कि वो नहीं पी सकती, उसको नहीं जमेगी मगर वो नहीं मानी तो गुलशन जी ने रात का कहकर उसको टाल दिया क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि सुमन बियर पिए.

हेमा के जाने से दोनों बाप-बेटी बहुत रिलेक्स फील कर रहे थे. सुमन ने नाइटी पहनी हुई थी और खाना तैयार कर रही थी और पापा जी तो वही अपनी लुंगी में मस्त थे. अब हेमा नहीं है तो आज वो खुलकर मज़ा लेने के मूड में थे.

सुमन रोटी बना रही थी और उसकी गांड पीछे को निकली हुई थी, जिसे देख कर पापा जी का मन मचल गया, वो उसके पीछे गए और लंड को लुंगी से बाहर निकाल कर उन्होंने धीरे से सुमन की नाइटी ऊपर की.. तो देख कर खुश हो गए कि उसने भी अन्दर कुछ नहीं पहना था. फिर उन्होंने लंड को दोनों जाँघों के बीच फंसाया और सुमन से चिपक कर खड़े हो गए.

सुमन को जब गर्म अहसास हुआ वो समझ गई कि पापा जी ने लंड को कैसे फँसाया हुआ है मगर वो अनजान बनी रही.
सुमन- क्या पापा क्यों परेशान कर रहे हो.. मुझे रोटी बनाने दो ना.
पापा- अरे तो किसने रोका है.. तू अपना काम कर, मैं तो बस तुझे देख रहा हूँ.
सुमन- लेकिन आप मुझसे चिपके हुए हो.. मुझे दिक्कत हो रही है ना.
पापा- अरे इसमें दिक्कत कैसी.. तू अपना काम कर, मैं अपना कर रहा हूँ.
सुमन- आप बहुत शरारती हो पापा.. अभी जाओ यहाँ से.. आपका काम मैं खाने के बाद कर दूँगी ना.. ऐसे तो मुझसे रोटी ही नहीं बनेगी.
पापा- तूने कल भी नहीं किया था.. बस नींद का बहाना मार दिया.
सुमन- अच्छा मेरे अच्छे पापा आज पक्का कर दूँगी.. अब आप यहाँ से जाओ.

पापा जी का लंड चुत से रगड़ खा रहा था, जिससे सुमन को भी मज़ा आ रहा था. उसकी चुत एकदम गीली हो गई थी.

पापा- अरे रहने दे ना और वैसे भी तुझे भी तो मेरा ऐसे चिपकना अच्छा लग रहा है.. फिर हटा क्यों रही है.
सुमन- नहीं मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा.. आप बस जाओ यहाँ से.
पापा- अच्छा, बिना मज़ा आए ही तेरा रस टपक रहा है क्या?

सुमन जल्दी से पलटी और अपने पापा को धक्का देकर अलग किया. तभी उसकी नज़र उनके लंड पर चली गई जो एकदम तना हुआ खड़ा था. आज पहली बार सुमन ने लाइट की रोशनी में पापा का लंड देखा था. वो बस पापा का मूसल लंड देखती ही रह गई. जब गुलशन जी को यह अहसास हुआ तो उन्होंने जल्दी से लुंगी ठीक की.
सुमन- पापा आप बहुत बदमाश हो.. कुछ भी बोल देते हो, अब जाओ यहाँ से.

गुलशन जी ने रुकना चाहा मगर सुमन ने ज़िद की तो वो बाहर चले गए और फ्रीज़ से बियर की बोतल निकाल कर बैठ गए.

उधर सुमन तो बस लंड के बारे में ही सोच रही थी. आज उसने उस भीमकाय लंड को ऐसे तना हुआ देखा था. सुमन सोचने लगी कि वाउ पापा का लंड तो बहुत प्यारा है.. आज तक बस अँधेरे में उसको चूसा है, मगर आज तो ऐसे ही देख कर मज़ा लूँगी मैं.. और आज ही पापा को फ्लॉरा के लिए मना भी लूँगी.

गुलशन जी लंड सहलाते हुए बुदबुदा रहे थे- बस सुमन, ये लुका-छिपी बहुत हो गई. आज तो तुझे चुदने के लिए बोल ही देता हूँ. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.

अन्दर सुमन कुछ और सोच रही थी और बाहर गुलशन जी कुछ और. अब थोड़ी देर में पता लग ही जाएगा कि किसकी सोच पूरी होती है. तब तक हम लोग थोड़ा सा.. ना ना ज़्यादा नहीं, बस थोड़ा सा घूम कर आते हैं.

रात को गोपाल चला गया तो मोना अब नीतू को गोपाल से चुदने के लिए मना रही थी. मगर वो डर रही थी. तब मोना ने उसको गोपाल की जान ख़तरे में हैं, वो बात बताई और साथ में ढेर सारे पैसे देने का वादा किया तो वो मान गई.

अब बस मोना को साधु बाबा के आने का इन्तजार था.

बस हो गया ब्रेक ख़त्म तो देखो अब बाप-बेटी के बीच में क्या होता है.

सुमन का खाना रेडी हो गया था. जब वो बाहर आई, तो उसके पापा जी मज़े से बियर पी रहे थे.
सुमन- ओह.. पापा.. ये क्या है आप अभी क्यों पीने लगे.. पहले खाना तो खा लेते. उसके बाद आराम से पी लेते और मैंने भी तो कहा था मैं भी पीऊंगी.
पापा- सुमन, ये चाय नहीं जो खाने के बाद पी जाए. ये बियर है बेटा इसको खाने के पहले ही पीते हैं.
सुमन- तो ठीक है लाओ मुझे भी दो.. मैं भी तो देखूं ये क्या है.
पापा- ये तेरे काम की नहीं है बेटा.. तुझे इससे नशा हो जाएगा.
सुमन- आपने तो कहा था ये शराब नहीं है.. फिर नशा कैसे होगा?

गुलशन जी ने सुमन को बहुत समझाया कि पहली बार पीने से नशा होता है मगर वो नहीं मानी और गिलास में बियर डालकर पीने लगी. पहली बार तो उसको ये बहुत अजीब लगी मगर धीरे-धीरे इसका टेस्ट सुमन को भा गया. उसने आधी बोतल गटक ली.
पापा- बस कर.. नहीं तो यहीं लुढ़क जाएगी. चल अब खाना लगा बहुत भूख लगी है. उसके बाद आज तुझे मेरे साथ ही सोना है.. तेरी माँ तो है नहीं ना..!
सुमन- हिच हिच.. नहीं मैं आपके साथ नहीं सोऊंगी.. आप मुझे.. हिच हिच.. परेशान करोगे.
सुमन की आँखें नशे से लाल हो गई थीं.. उसकी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही थी.

पापा- मैंने कहा था ना मत पी, अब चढ़ गई ना.. देख सोना तो तुझे मेरे साथ ही पड़ेगा.. आज मुझे मज़ा देने का तेरा अपना पक्का वादा याद है ना?
सुमन- हाँ याद है.. हिच एमेम मगर वो करने के बाद मैं अपने कमरे में सो जाऊँगी.. हिच.. नहीं तो आप पूरी रात सताओगे.
पापा- तुझे बहुत चढ़ गई है. तू यहाँ बैठ मैं खाना लगाता हूँ और तेरा इलाज भी करता हूँ. नहीं तो तू ऐसे ही हिचकियां लेती रहेगी और मेरा भी मूड खराब करेगी.

गुलशन जी ने खाना लगाया और सुमन को नींबू काट कर चूसने को दिया, जिससे उसका नशा थोड़ा कम हो और एक गिलास में नींबू पानी भी बना के उसको पिला दिया, जिससे उसकी हिचकी बंद हो गई.

दोनों ने जमकर खाना खाया. फिर गुलशन जी सुमन को अपने कमरे में ले गए. बियर का नशा अभी भी सुमन पर था मगर बहुत कम हो गया था. अब वो अपने पापा से ठीक से बात कर रही थी- पापा लाइट बंद कर दो ना ऐसे हम दोनों को नींद कैसे आएगी?
पापा- अरे अभी से सोने की बात कर रही है.. मुझे आराम तो दे दे पहले.. या पहले मैं तुझे मज़ा दूँ?
सुमन- ये सब बाद में.. पहले लाइट बंद कर दो आप.. ओके..!
पापा- अरे अंधेरे में तो रोज ही करती हो.. आज ऐसे ही करो ना सुमन.
सुमन- नहीं पापा मुझे शर्म आती है.

गुलशन जी ने साफ़ साफ़ कह दिया- ये क्या बात हुई सुमन, तुम मेरा लौड़ा कई बार चूस चुकी हो और मुझसे अपनी चुत चटवा चुकी हो.. अब कैसी शर्म?
सुमन- छी: पापा ये आज आप कैसी बातें कर रहे हो.. मैं नहीं सोती यहाँ.. मैं जा रही हूँ.

सुमन उठ कर जाने लगी तो गुलशन जी ने उसे पकड़ लिया और बिस्तर पे गिरा कर खुद उसके ऊपर आ गए और अब दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के होंठों पे पड़ रही थी. बस किसी के पहल करने की देर थी.

सुमन- नहीं पापा.. ये ग़लत है आप ऐसा नहीं कर सकते.. मैं आपकी बेटी हूँ.
पापा- सुमन कुछ ग़लत नहीं है. इन दिनों हम दोनों ने जो किया, वो यही तो था. बस हम दोनों अनजान बने हुए थे और आज खुलकर मज़ा करेंगे.
सुमन- आप एक मिनट हटो तो.. मुझे आपको कुछ समझाना है.. प्लीज़ एक बार हटो तो सही!

गुलशन जी हट गए तो सुमन उनके पास बैठ गई और शुरू से सारी बात उन्हें बताईं कि कैसे उसने उस रात उनकी और माँ की बात सुनी थी. फिर अपनी सहेली के साथ मिलकर उसने ये प्लान बनाया और आज ये जो हो रहा है ये सब बस वो गुलशन जी को तड़पाने के लिए उसने किया था ताकि वो किसी और के साथ अपनी भूख शांत कर लें और उनका गुस्सा ठंडा हो जाए.

पापा- मेरी बेटी, तुम कितनी अच्छी हो. तुमने मेरे बारे में इतना सोचा आई लव यू डार्लिंग मगर तुम शायद ये भूल गई कि अगर तुम मुझे ऐसे तड़पाओगी तो तुम भी तो साथ में तड़पोगी ना.. अब तुम्हें भी तो लंड की जरूरत पड़ेगी तो कोई और क्यों? तुम ही मेरे साथ कर लो ना.. ताकि घर की बात घर में ही रहे.
सुमन- नहीं पापा मुझे डर लगता है.. इससे बहुत दर्द होता है.. नहीं नहीं.. मैं नहीं करूँगी.
पापा- अरे तूने कभी किया ही नहीं तो तुझे क्या पता दर्द होगा.
सुमन- पापा मैं कोई बच्ची नहीं हूँ. इतना तो पता ही है, इसके लिए करना जरूरी नहीं है.
पापा- अच्छा तू किसी और पे भरोसा मत कर.. मैं तेरा बाप हूँ मुझपे तो तुझे भरोसा है ना, मैं बहुत आराम से करूंगा… एकदम धीरे-धीरे..!
सुमन- पापा, मैं आपका लंड चूस कर पानी निकाल देती हूँ ना.. प्लीज़ मुझे बहुत डर लग रहा है. मेरा सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था, आप समझो ना प्लीज़.

लो दोस्तो सुमन ने तो मना कर दिया अब ये चुदेगी या नहीं इसका जबाव अगले पार्ट में मिलेगा ओके.

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बाप बेटी की सेक्स कहानी जारी है.

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