संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 6
(Salty Cunt Juice Story)
साल्टी कंट जूस स्टोरी में एक चालू बाप अपनी चुदक्कड़ जवान बेटी को चोदना चाहता था. वह बेटी को वासना की दृष्टि से देखता था. अपने ससुर से चुद चुकी बेटी भी बाप का लंड चखना चाहती थी.
फ्रेंड्स, मैं क्षत्रपति आपको पारिवारिक सेक्स की कहानी सुना रहा था.
इस सेक्स कहानी
बेटी बाप के सामने ससुर से चुदी
में आपने अब तक पढ़ लिया था कि रूपा ने अपने ससुर के साथ चुत चुदवाने के बाद अपनी सास शारदा के साथ लेस्बियन सेक्स किया और उन्हें स्खलित कर दिया था.
अब आगे साल्टी कंट जूस स्टोरी:
अगले दिन छुट्टी थी और मोहन को दोपहर तक गांव के लिए निकलना था इसलिए रूपा ने शारदा के साथ किचन में हाथ बंटा कर सबके लिए अच्छा खाना बनाया.
सबने साथ खाना खाया और फिर सचिन के साथ प्रमोद भी मोहन को बस स्टेशन छोड़ने चला गया.
इधर रूपा किचन व्यवस्थित करने में शारदा की मदद करने लगी.
रूपा- बुरा न मानें तो एक बात पूछूँ?
शारदा- अब हम सास बहू कम और सहेलियां ज़्यादा हैं. इसलिए इतना झिझकने की जरूरत नहीं है.
रूपा- आप अपने बेटे के सामने नहीं कर सकतीं तो मुझे अपने पापा के सामने क्यों करने दिया?
शारदा- मैंने तो पूछा था तुझे, कोई आदेश तो नहीं दिया था न. मुझे लगा आजकल के जमाने में पता नहीं क्या क्या हो रहा है. इन्होंने एक रात तुम्हारे कमरे से तुम्हारे अलावा किसी और की भी आवाज सुनी थी. वे बोले तुम लोग ये सब करते हो शायद इसलिए मैंने पूछ लिया था.
रूपा- मन तो आपका भी करता है. बस आप रोक कर रखती हो खुद को?
शारदा- पता नहीं.
रूपा- मुझे पता है न. कल ही सचिन के लंड के बारे में सुन कर आपकी चूत से लार टपकने लगी थी.
शारदा- धत्त!!
इतना कहकर शारदा शर्मा सी गई.
और रूपा ने इसी बात को पकड़ कर अपनी सास को छेड़ना शुरू कर दिया- अरे शर्मा क्यों रही हो. अब बता भी दो. आपने ही तो कहा न कि अब हम सहेलियां हैं.
शारदा- सच कहूँ तो मैं तुझे देख कर उत्तेजित हो रही थी. कैसी बिंदास अपने पापा के सामने चुदवा रही थी. अब तू सहेली कह रही है और तेरे मेरे बीच कुछ छिपा नहीं है तो तुझे एक राज की बात बताती हूँ. मेरी मां बचपन में ही गुजर गई थीं. जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा तब अपने पापा के साथ अकेले ही रहती थी. मैंने देखा था उनको कई बार रात को अकेले मुठ मारते हुए.
रूपा- सच्ची? कैसा था उनका लंड?
शारदा- चुप कर! शरारती कहीं की. पूरी बात सुन पहले. तब मेरा भी मन करता था कि पापा को कह दूँ कि ‘मैं हूँ न’ लेकिन वह जमाना अलग था इसलिए बड़ी मुश्किल से रोक लेती थी खुद को. आज भी यही डर लगता है कि कहीं ऐसा न हो कि एक बार फिसली तो फिसलती ही चली गई. अब देख न, पहले वह ये मिलजुल कर साथ चुदाई के लिए साफ़ मना कर देती थी, तब तक सब ठीक था लेकिन जब से ये तुम्हारे पापा के साथ शुरू किया है तो अब मन करता है कि और भी कई मर्दों से चुदवाया जाए.
रूपा- आज का जमाना होता और आपके पापा राज़ी होते तो क्या उनसे चुदवातीं?
शारदा- हम्म! शायद.
रूपा- तो फिर बेटे से क्यों नहीं?
शारदा- तेरी सुई वहीं अटकी पड़ी है. अरे वह बेटा है. दिखावे की ही सही मां वाली इज़्ज़त तो करता है न. वह भी चली गई तो?
रूपा- लेकिन आपकी और भी कई मर्दों से चुदवाने की तमन्ना तो पूरी होनी ही चाहिए. ये ठीक है! आप दामाद के साथ करके देखो. ससुरजी बहू चोद सकते हैं तो सासुजी दामाद क्यों नहीं?
शारदा- हम्म! यह सोचना पड़ेगा.
रूपा सोचने लगी कि अब सोनाली पक्का उसे गालियां देगी.
उसने सचिन के लिए कहा था और मैंने सासु मां को भैया से चुदवाने की जुगाड़ कर दी.
खैर … कहीं से तो शुरुआत हो.
रूपा के मन में ये बात भी बैठ गई कि अगर सासूमां ने अपने पापा से चुदवाने वाली बात पर मना नहीं किया तो वह भी इस बारे में सोच सकती है.
दिन यूँ ही गुजरने लगे.
रूपा कभी ऑफिस में ससुरजी से चुदवा लेती थी तो कभी सास-ससुर के साथ मस्ती करने उनके कमरे में चली जाती थी बाकी अधिकांश समय तो सचिन के साथ ही काम करते हुए गुजरता था.
आखिर सचिन और रूपा की मेहनत रंग लाई, जिस दिन कंपनी का प्रोडक्ट लांच हुआ उसी दिन इतने आर्डर मिल गए कि कंपनी प्रॉफिट में चली गई.
इसी ख़ुशी में कंपनी में एक पार्टी रखने का प्लान बना और उसमें पूरा परिवार भी आमंत्रित किया गया.
पार्टी में मदिरा का सेवन तो हुआ लेकिन इस बार किसी ने कोई हरकत नहीं की.
जब पता हो कि घर पर ही सब मिलने वाला है तो कोई पार्टी में खतरा मोल क्यों लेगा.
घर आने के बाद प्रमोद के कमरे में पिछली पीढ़ी ने अपनी तिकड़ी जमा ली और दोनों भाई-बहन की जोड़ियां सचिन के कमरे में चली गईं.
कुछ ही समय में सब नंगे थे और दोनों भाई अपनी अपनी बहन को एक ही बिस्तर पर चोद रहे थे.
ये सब उनके लिए एक सामान्य काम हो चुका था.
जल्दी ही चुदाई करते करते चर्चा चुरू हुई.
रूपा- जो काम आपने सचिन को कहा था तो मैंने पूरा करवा दिया है?
सोनाली- कौन सा काम? पापा को उनकी समधन से मिलवाने का?
रूपा- मिलवाने का छोड़ो, अब तो चुदवाने का भी कार्यक्रम पूरा हो चुका है.
सोनाली- तुम्हें कैसे पता? और तुमने कैसे किया ये? थोड़ा विस्तार से बताओ ताकि हमारी भी चुदाई का मज़ा दुगना हो जाए.
इस बात से सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई.
रूप- सच कहूँ तो इसमें मेरा उतना बड़ा रोल भी नहीं था लेकिन हां उनकी चुदाई मैंने खुद देखी है इसलिए मुझे पता है इतना तो कहा ही जा सकता है.
सोनाली- तुमने कहां से देख ली पापा और मम्मी की चुदाई?
रूपा- सुनो तो! हमारे जो मां-बाप हैं, हम इनको शरीफ समझते थे लेकिन ये छुपे रुस्तम निकले. हमको ये तो पता है ही कि ससुर जी और पापा जी की पुरानी यारी है लेकिन आपको ये पता नहीं होगा कि अपने समय में बीवियों की अदला-बदली का प्लान बनाया था.
सचिन- ये बात तो इसने मुझे भी नहीं बताई थी अब तक. तुमको कैसे पता ये सब?
रूपा- हुआ ये कि उस समय मम्मी जी ने खेल बिगाड़ दिया और बाद में जब मां नहीं रहीं तो ये सब हो ही नहीं सकता था. लेकिन अभी कुछ समय पहले पापाजी ने मम्मीजी को ये कह कर मना लिया कि सचिन और मेरी सुहागरात पर हमारे साथ कोई और लड़की भी थी तो ये सब आजकल आम हो गया है.
सोनाली- हम्म … पापा ने मुझे देख लिया था.
पंकज- क्या बात कर रही हो? तुमने मुझे बताया नहीं इस बारे में.
सोनाली- बस देखा ही तो था और तो कुछ हुआ नहीं जो बताती. फिर इस बारे में पापा ने भी उस बात का कोई मसला नहीं बनाया तो मैंने सोचा कि नजरंदाज कर दिया होगा.
रूपा- जो भी हो, पापा ने मम्मी जी को कम से कम तुम्हारा नाम तो नहीं बताया. जैसे तैसे मम्मी जी मान तो गईं लेकिन उस समय जब अदला-बदली होने वाली थी तब तो मेरी मां भी थीं. अभी वह तो हैं नहीं इसलिए पापा जी ने उनकी जगह मुझे शामिल करने के लिए भी मम्मी जी को मना लिया. उन्होंने मुझे पूछा तो मैंने सोचा सोनाली दीदी ससुर से चुदवा सकती हैं तो मैं क्यों नहीं. इसलिए मैंने हां कर दी. और इस तरह जब मैंने पापा और मम्मी जी की चुदाई देखी क्योंकि वहीं मैं भी पापा जी से चुदवा रही थी.
प्रमोद और सोनाली दोनों के लिए ये बिल्कुल नई और बहुत उत्तेजक बात थी इसलिए दोनों खुद पर काबू नहीं रख पाए और झड़ गए.
रूपा ने कहा- चलो अब तुम तीनों जारी रखो मैं मम्मीजी पापाजी के कमरे में जा रही हूँ.
इतना कहकर वह नंगी ही कमरे से बाहर निकल गई.
सोनाली- रूपा की तो ऐश हो गई यार. तू भी चला जा साथ में!
सचिन- नहीं, रूपा ने पूछा था लेकिन मम्मी ने मना कर दिया. वह कोशिश कर रही है. कभी मान गईं तो मेरी किस्मत भी खुल सकती है, लेकिन अभी तो तुम्हारी गांड ही मार लेता हूँ.
प्रमोद और सचिन, सोनाली की चूत और गांड एक साथ मारने की तैयारी करने लगे.
और उधर जब रूपा अपने ससुर के कमरे में पहुंची तो शारदा अपने पति के लंड पर बैठी घुड़सवारी करते हुए अपने समधी का लंड चूस रही थी.
रूपा वैसे भी आज अपने पापा के साथ सम्भोग करने का मन बना कर ही आई थी.
उस पर मौका भी सामने ही था.
रूपा की बातों से उत्तेजित होकर पंकज रूपा से पहले ही झड़ गया था इसलिए रूपा अपनी उत्तेजना के शिखर पर थी.
उसने आव देखा न ताव और सीधे अपने पापा के नंगे बदन से जा चिपकी और अपने होंठ मोहन के होंठों से मिला दिये.
अगले ही क्षण उसकी जीभ अपने पिता की जीभ से अठखेलियां कर रही थी.
मोहन कुछ समझ ही नहीं पाया.
उसने सोनाली से भी कमसिन जिस्म को पहली बार अनुभव किया था और वह भी उसकी अपनी बेटी ये सोच कर उसका दिमाग पहले ही काम करना बंद कर चुका था.
उधर शारदा ने जब ये देखा तो वह भी मोहन का लंड चूसना बंद कर बस बाप-बेटी के इस नग्न मिलन का नज़ारा देखती हुई किसी कल्पना में खो सी गई.
रूपा ने चुम्बन तोड़े बिना अपने पापा को लेटा दिया और खुद उन पर लेट गई फिर अपने एक हाथ से अपने पापा के सांप को अपनी सुरंग का रास्ता दिखा दिया.
इतना होने के बाद रूपा ने चुम्बन तोड़ा और उठ कर बैठ गई और अपने पिता के लौड़े पर उछलने लगी, ठीक वैसे … जैसे बगल में ही कुछ देर पहले उसकी सास अपने पति के लौड़े की घुड़सवारी कर रही थी.
अब उसका ध्यान अपनी सास पर गया जो स्तब्ध उसे ही देख रही थी.
प्रमोद का लंड अब भी उसकी चूत में था लेकिन शारदा की कमर अब हिल नहीं रही थी.
रूपा पापा की चुदाई जारी रखते हुए शारदा का सर पकड़ा और उसके होंठों पर एक जोर का चुम्बन जड़ कर कहा- थैंक्यू मम्मी जी!
शारदा को अब होश आया कि शायद उसी की प्रेरणा लेकर रूपा ने ऐसा करने की हिम्मत जुटाई है.
मोहन पहले ही शारदा की चूत में झड़ चुका था इसीलिए शारदा उसका लंड चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन प्रमोद का ये पहला ही राउंड था तो वह बाप-बेटी के सम्भोग के दृश्य से अतिउत्साहित हो कर शारदा को गले लगा कर जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ ही देर में शारदा और प्रमोद एक साथ झड़ गए.
उधर रूपा अपने बाप को चोदती हुई बहुत नशीले अंदाज में अपनी सास से बोली.
रूपा- सासु मां … बहुत मज़ा आ रहा है. अगर बहुत पहले आपने खुद को न रोका होता तो ये मज़ा आपको भी मिल सकता था … आप समझ रही हो न?
मोहन और प्रमोद ने इसका मतलब निकाला कि शायद ये प्रमोद-शारदा और मोहन-संध्या की चौकड़ी के बारे में कह रही है, जो शारदा के कारण नहीं हो पाई थी.
लेकिन शारदा को समझ आ गया था कि वह उससे उसके पिता के साथ चुदवाने की बात कर रही थी.
शारदा इस बात से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपने पिता का लंड उसकी आंखों के सामने घूमने लगा.
वह ताबड़तोड़ प्रमोद का लंड चूसने लगी और उसे खड़ा करके उसके ऊपर चढ़ कर बहुत जोर जोर से चोदने लगी.
अगले दिन प्रमोद सोनाली को अलग ही नजर से देख रहा था.
रात को बाप-बेटी का प्रत्यक्ष सम्भोग देख कर उसका मन भी अपनी बेटी को चोदने के लिए मचल उठा था.
वैसे भी वह सोनाली को नंगी देख चुका था इसलिए अब उसका मन और भी बहकने लगा था.
सोनाली भी अपने पापा की आंखों की गुस्ताखियां समझ गई थी और वह भी उनकी आग में घी डालने से पीछे नहीं हट रही थी.
दोपहर के खाने के बाद प्रमोद किचन में पानी लेने आया, तब सोनाली वहां सफाई और सामान व्यवस्थित करने का काम कर रही थी.
प्रमोद उसके पीछे खड़ा उसे अपनी नजरों से नंगी करने की कोशिश कर रहा था
तभी सोनाली पीछे मुड़ी और उसकी निगाहों से पापा की निगाहें ऐसे मिलने लगीं जैसे दो कामुक प्रेमियों की मिलती हैं.
सोनाली- क्या चाहिए आपको?
प्रमोद- प्यासा हूँ.
सोनाली ने पानी का एक ग्लास भरा और उसे ठीक उसी अंदाज में प्रमोद को दे दिया, जैसे उस रात दिया था … जब प्रमोद ने सोनाली को पहली बार नंगी देखा था.
सोनाली- अभी तो ये पी लो … लेकिन पिछली बार की प्यास बुझानी हो तो सुना है आज रात चाँद अमृत बरसाने वाला है.
इतना कहकर मुस्कुराती हुई सोनाली किचन से बाहर चली गई.
प्रमोद उसका इशारा समझ गया था.
उसे बस आज रात का इंतज़ाम करना था तो वह पहले रूपा आज रात आने से ये कह कर मना कर देता है कि शारदा का मन आज मोहन के साथ तिकड़ी जमाने का है.
उधर सोनाली ने भी रूपा से कह दिया कि कल सचिन और प्रमोद ने एक साथ उसकी चूत और गांड मार-मार कर सुजा दी है इसलिए आज वह आराम करेगी और रूपा तुझको भी वैसा ही अनुभव करके देखना चाहिए.
रात को सोनाली ने अतिथि कक्ष में सोने का नाटक किया लेकिन पंकज के जाते ही वह अपनी चुत चुदवाने की तैयारी में लग गई.
उधर पंकज और सचिन आज रूपा को सुजाने के प्रयास में जुट गए थे और प्रमोद शारदा को एक बार चोद कर अलग हो गया.
उसने अपनी बीवी के साथ मोहन को मजे करने का कह दिया.
वह खुद गर्मी का बहाना करके छत पर ठंडी हवा खाने के लिए चला आया.
प्रमोद के घर की छत आस पास के सभी घरों से काफी ऊंची थी और उसके परकोटे की दीवार भी छाती तक थी तो किसी के वहां कुछ देख पाने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं थी.
प्रमोद जब छत पर पहुंचा वह वह सोनाली को देख कर अवाक रह गया.
सोनाली चाँदनी रात में अपने बालों को खोले छत पर नंगी घूम रही थी.
उसे अगर पहले से पता न होता तो शायद कोई खूबसूरत भूतनी समझ कर डर गया होता लेकिन पहले से पता होने पर भी अपनी बेटी को यूँ नंगी घूमती देख उसके दिल की धड़कन जरूर बढ़ गई थी.
प्रमोद ने छत का दरवाज़ा बंद करके कुण्डी लगा दी ताकि गलती से भी किसी के आने का ख़तरा न रहे.
कुण्डी लगा कर जब वह वापस मुड़ा तो सोनाली उसी की तरफ आ रही थी.
चाँदनी रात में खुले बाल और नंगे शरीर के साथ वह साक्षात देवी रति का अवतार लग रही थी.
प्रमोद भी आगे बढ़ा लेकिन जैसे ही वह सोनाली के नजदीक पहुंचा तो सोनाली ने इशारे से उसे बैठने का इशारा किया.
तो प्रमोद वहीं घुटनों के बल बैठ गया.
सोनाली ने फिर इशारे से मुँह खोलने को कहा.
प्रमोद को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने ऊपर सोनाली की ओर देखते हुए अपना मुँह खोल दिया.
सोनाली करीब आई और अपने पिता के खुले हुए मुँह के दोनों और अपनी टांगें फैला कर बड़े कामोत्तेजक अंदाज में उनके चेहरे के ऊपर इस तरह खड़ी हो गई कि उसकी चूत उसके पापा के मुँह से बस दो इन्च ऊपर थी.
फिर उसने अपनी चूत के होंठ आपस में रगड़े, उन्हें खोला फिर आपस में दबा कर इस तरह बंद किया कि उसकी चूत का एक बूँद रस प्रमोद के मुँह में जा गिरा.
सोनाली- अमृत …
सोनाली की साल्टी कंट जूस का स्वाद और उसकी गंध प्रमोद को मदमस्त करने लगी थी.
वह पागलों की तरह अपनी बेटी की नमकीन चूत चाटने लगा.
अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर मसलता हुआ अपनी ओर खींचने लगा, जिससे उसकी जीभ उसकी बेटी की चूत में और भी गहराई तक चली जाए और वह चुत में अन्दर तक जीभ डालकर चुत को चूस सके.
कुछ ही देर में सोनाली ने अपने बाप को उठा कर खड़ा किया और बिना समय गंवाए उसे भी नंगा कर दिया.
पहले तो सोनाली ने अपने पिता के मुँह पर लगा अपनी ही चूत का सारा नमकीन रस चाट लिया और फिर उसके मुँह के अन्दर उसकी जीभ तक अपनी जीभ से चूमने लगी.
कुछ देर तक पिता-पुत्री के इस अगाध चुम्बन के बाद सोनाली तो उस लॉलीपॉप को भी चूसा, जो आम तौर पर कोई पिता अपनी बेटी को कभी नहीं देता.
उसके बाद वहीं खड़े खड़े दोनों ने एक दूसरे के नंगे जिस्मों को बांहों में भरकर खूब चोदा.
आखिरकार जब वे झड़ गए तो अपने अपने कपड़े पहन कर वापस चले गए.
आखिर प्रमोद भी बेटीचोद बन ही गया.
दोस्तो, आपने देखा कि इस साल्टी कंट जूस स्टोरी में आपको रिश्तों में किस तरह से सेक्स संबंध बने हैं.
उम्मीद करता हूँ कि आप इस सेक्स कहानी का पूर्ण आनन्द ले रहे होंगे.
आप अपने विचार मुझे ईमेल से जरूर भेजें. कहानी के अंत में कमेंट्स भी कर सकते हैं.
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साल्टी कंट जूस स्टोरी का अगला भाग: संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 7
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