चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-2

चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-1

मेरे हाथ के स्पर्श से संगीता भाभी थोड़ी हिली तो डर कर मैंने अपना हाथ वापिस खींच लिया और जड़वत सा हो गया और संगीता भाभी भी शांत हो गई।
मुझे लगाने लगा कि अब संगीता भाभी की चूत चुदाई की लालसा शायद पूरी नहीं होगी!

संगीता भाभी के शाँत होते ही मैंने फिर से अपने हाथ को धीरे से उनके पैर पर रख दिया मगर इस बार मैंने अपने हाथ को थोड़ा आगे की‌ तरफ बढ़ा कर रखा जिससे उनकी नर्म, मुलायम व चिकनी जाँघ मेरे हाथ में आ गई, मैंने अब कुछ देर वहीं रुक कर संगीता भाभी की हरकत का इन्तजार किया और फिर धीरे से अपने हाथ को आगे बढ़ाने लगा…
मैंने बस थो़ड़ा सा ही अपने हाथ को खिसकाया था कि तभी संगीता भाभी फिर से हिली और वो करवट बदलकर सीधी हो गई।

डर के मारे फिर से मैं स्थिर हो गया मगर इस बार मैंने अपना हाथ उनकी जाँघ से हटाया नहीं, जो संगीता भाभी के करवट बदलने के कारण उनकी एक जाँघ पर से फिसलकर दूसरी जाँघ पर आ गया।
संगीता भाभी अब पीठ के बल सीधी होकर सो गई‌ थी।

मैंने अब फिर से कुछ देर रुक कर संगीता भाभी की हरकत का इन्तजार किया और जब उनकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैं अपने हाथ को धीरे धीरे आगे बढ़ाने लगा, मैं संगीता भाभी की‌ जाँघ के ऊपर से अपना हाथ सरका रहा था मगर उनकी जाँघ इतनी चिकनी व मुलायम थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसलता हुआ उनकी दोनों जाँघों के बीच में घुस गया।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी रेशमी कपड़े पर मेरा हाथ चल ‌रहा हो।
मैं अब अपने हाथ को दोनों जाँघों के अन्दर की तरफ से सरकाते हुए आहिस्ता आहिस्ता ऊपर बढ़ाने लगा।

मैंने अपना हाथ बस थोड़ा सा ऊपर बढ़ाया ही था कि मेरा हाथ ठिठक कर वहीं रुक ‌गया क्योंकि संगीता भाभी की दोनों जाँघें ऊपर से एक दूसरे से आपस में मिली हुई थी और उनके बीच में हाथ घुसाने की जगह नहीं थी।

कुछ देर तो मैं रुका रहा मगर फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैं धीरे धीरे अपनी उंगलियों को उनकी दोनों जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश करने लगा… मुश्किल से मैंने अपनी दो उंगलियाँ उनकी जांघों के बीच घुसाई ही थी कि संगीता भाभी अब फिर से हिली और नींद में ही उन्होंने अपना एक पैर घुटनों से मोड़ लिया और फिर शाँत हो गई।

संगीता भाभी के घुटने को मोड़ लेने से उनकी जाँघें अब फैल गई, मैंने भी अब मौके का फ़ायदा उठाकर अपना हाथ उनकी जाँघों के बीच घुसा दिया और फिर से धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा…

बस थोड़ा सा ऊपर बढ़ते ही अचानक से मेरे शरीर का तापमान बढ़ गया और दिल की धड़कनें तेज गई… क्योंकि मेरा हाथ अब संगीता भाभी की जांघों के जोड़ पर पहुँच गया था… संगीता भाभी ने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी और मेरी उंगलियाँ सीधे ही उनकी चूत को छू गई थी जो भट्ठी की तरह सुलग सी रही थी।

मुझे डर लग रहा था मगर फिर भी मैंने धीरे से बहुत ही धीरे से अपनी उँगलियों को थोड़ा सा आगे बढ़ाकर उनकी चूत पर रख दिया… भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था, शायद हाल ही में संगीता भाभी ने बाल साफ किये थे।
मेरे चूत पर हाथ रखते ही संगीता भाभी ने एक बार हल्की सी झुरझुरी ली और फिर से शाँत हो गई।

डर के मारे मेरा बदन अब हल्के हल्के काँपने लगा था मगर तभी मुझे उनकी चूत में कुछ नमी सी महसूस हुई जिससे मेरे दिल की धड़कन थम सी गई… क्योंकि उनकी‌ चूत गीली होने का मतलब था कि‌ संगीता भाभी‌ को‌ भी मजा आ रहा है।
‘कहीं संगीता भाभी जाग तो नहीं रही?’ मैंने अपने मन में सोचा और मेरे दिमाग में संगीता भाभी की ‘कभी हमारे साथ भी सो जाओ!’ वाली बात फिर से घूम गई।

मैंने अब अपनी उँगलियों को चूत की फांकों के बीच घुसा दिया और धीरे धीरे चूत की दोनों फांकों के बीच सहालते हुए नीचे प्रवेशद्वार पर ले आया जो कामरस से भीग कर बिल्कुल तर हो चुका था…
मुझे भी अब समझते देर नहीं लगी कि संगीता भाभी जाग रही‌ है और चुपचाप मजा ले रही हैं।

मेरी‌ उंगलियाँ उनकी चूत के प्रवेशद्वार पर थी‌ और यह मालूम होते ही कि संगीता भाभी जाग रही है और सोने का नाटक करके वो भी मजा ले रही है, मुझमें हिम्मत सी आ गई… मैंने भी अब अपनी एक उँगली को प्रवेशद्वार पर रख कर हल्का सा दबा दिया.

प्रवेशद्वार गीला होकर बिल्कुल चिकना था इसलिये मेरे हल्का सा दबाते ही मेरी उंगली उनकी चूत में अन्दर तक घुस गई… और संगीता भाभी‌ इईईई… श्श्श्श… अआआ… ह्हह… कह कर चिहुँक‌ पड़ी और उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ को‌ पकड़ लिया।

मैं भी अब तैयार बैठा था, मैंने तुंरत उनको कस कर अपनी बाहों में भर लिया और उनके गालों व होंठों पर चूमने लगा.
‘उह्ह… महेश्शश… यह क्या कर रहे हो तुम… छोड़ो.. छोड़ो मुझे…!’ कहते हुए संगीता भाभी ने मुझे धकेलना चाहा.
मगर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और कहा- मुझे मालूम है आप पिछले आधे घंटे से जाग रही हो और मेरी हरकतों का मजा ले रही हो…

‘बदमाश कहीं के… तुम्हें डर नहीं लगा मेरे साथ ये सब करते हुए?’
‘डर तो बहुत लग रहा था… पर आपकी चूत जब पानी छोड़ने लगी थी तो मैं समझ गया था कि आपको भी मजा आ रहा है, और अब अगर आप ना भी बोलोगी तब भी आपका जबरन चोदन कर दूँगा इसी बिस्तर पर…’
यह कहते हुए मैंने अपना हाथ उनकी गोलाइयों पर रख दिया और उन्हें जोर से मसलने लगा।

मेरे मुँह से इस तरह खुल्लम खुल्ला चूत का नाम सुनकर संगीता भाभी भी मस्ती में आ गई‌- धत… बेशर्म कहीं के… देखने में तो तुम बहुत भोले लगते हो… पर तुम‌ तो‌ बहुत बदमाश हो… मेरे साथ जोरदार चोदन तुम करो या ना करो, पर मैं अब तुम्हारा चोदन जरूर कर दूँगी… इतने कच्चे माल को ऐसे ही हाथ‌ जाने कैसे दूँगी.’ संगीता भाभी ने हंसते हुए कहा और मेरे कपड़े उतारने के लिये जोर से उन्हें खींचने लगी।

संगीता भाभी मुझे कच्चा माल कह रही थी, अभी तक मैंने लड़कों को औरतों व लड़कियों को तो माल कहते सुना था पर आज पहली बार सुना कि औरतों व लड़कियों के लिये भी लड़के माल होते हैं।
मैंने अब अपने सारे कपड़े उतार फेंके‌ और बिल्कुल नंगा हो गया। मेरे कपड़े उतारते ही संगीता भाभी ने भी अपनी साड़ी को खींच कर उतार दिया और मुझ पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी। वो मेरे गालों व होंठों को जोर से चूमने चाटने लगी… उनका साथ देने के लिये मैंने भी‌ उनको अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों को चूसने लगा।

काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के होंठों व जीभ को चूसते रहे, फिर उनके होंठों को चूसते हुए ही मेरा हाथ उनकी चूत पर जा पहुँचा‌ जो प्रेमरस से भीगकर अब बिल्कुल गीली‌ हो गई‌ थी।
मैंने पहले तो‌ उसे हल्का ‌सा सहलाया और फिर जोर से मसल ‌दिया जिससे संगीता भाभी उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके चिँहुक पड़ी और मेरे हाथ को अपनी चूत पर से हटा दिया।

संगीता भाभी की चूत को सहलाने से मेरी उंगलियाँ उनके प्रेमरस से भीग गई थी जिसको मैंने अब अपने व संगीता भाभी के होंठों पर लगा दिया.
‘उऊऊँ..ह… क्या कर रहा है?’ संगीता भाभी ने अपना चेहरा घुमाते हुए कहा।

‘कुछ नहीं, मीठा ज्यादा हो‌ गया इसलिये नमकीन ‌कर रहा हूँ, मीठे के साथ नमकीन भी तो चाहिये ना…’
मैंने हंसते हुए कहा और उनके होंठों को‌ फिर से अपने मुँह में भर लिया।
चूत का रस लग जाने से सही में उनके होंठों का स्वाद अब नमकीन‌ सा हो गया जिनको मैं अब जोर‌ से चूसने लगा।

संगीता भाभी भी एक बार तो मेरे होंठों को चूसने लगी मगर फिर तभी उनके दिल‌ में क्या आया कि‌ वो अचानक से अपने अपने आप को छुड़वाकर बिस्तर पर बैठ गई और..
‘नमकीन चाहिये? नमकीन चाहिये ना? अभी‌ देती हूँ नमकीन!’ मुझसे कहा और फिर मेरी छाती पर सवार हो गई। वो मेरी गर्दन के दोनों तरफ ‌‌पैर करके मेरी छाती‌ पर बैठ गई और फिर एक‌ हाथ से अपने पेटीकोट को ऊपर उठाकर ‘नमकीन चाहिए ना? ये लो नमकीन…’ कहा और अपनी चूत को मेरे मुँह पर लगा दिया।
संगीता भाभी की‌ इस अदा का‌ तो मैं दीवाना सा‌ हो‌ गया।

मैंने प्रेमरस से भीगी उनकी जाँघ से चूमना शुरु किया और फिर धीरे धीरे जाँघ पर से होते हुए अपने प्यासे होंठ उनकी‌ गीली ‌‌‌‌‌चूत पर रख दिये जिससे संगीता भाभी ने इईई… श्श्शशश… अआआ… ह्हहाआह… कह कर दोनों हाथों से मेरे सिर को ‌अपनी‌ चूत पर दबा लिया‌। भाभी ने अब अपने पूरे पेटीकोट को मेरे सिर पर अच्छी तरह से डालकर ओढ़ा दिया जैसे वो मुझे अपने पेटीकोट में ही छुपा ‌लेंगी।

मुझे लगता है औरत के पेटीकोट में मुँह ‌छिपाने की कहावत इसी वजह से बनी ‌होगी.

खैर मैंने भी‌ संगीता भाभी की चूत को‌ एक बार ऊपर से चूमा और फिर अपनी जीभ को ‌निकाल‌ कर धीरे धीरे चूत की ‌फांकों को‌ चाटने लगा. भाभी ‌के मुँह से अब सिसकारियाँ फूटनी‌ शुरु‌ हो गई और वो खुद ही अपनी‌ चूत को मेरे मुँह पर घिसने लगी।

अपनी‌ चूत को‌ मेरे मुँह पर घिसते घिसते ही‌ संगीता भाभी का एक हाथ मेरे पेट पर से‌‌‌ रेंगता हुआ मेरे लंड पर जा पहुँचा… मेरे लंड को छूते ही संगीता भाभी एक बार तो थोड़ा सहम सी गई मगर फिर अगले ही पल उन्होंने मेरे लंड को जोर से मुट्ठी में भर लिया और मेरे सीने पर बैठे बैठे ही वो घूम गई।
उन्होंने मेरे पैरों की तरफ‌ अब अपना‌ मुँह कर लिया था‌‌ जिससे उनकी‌ गीली चूत मेरे होंठों से अलग हो‌ गई और अब मेरी छाती‌ को गीला‌ करने लगी।

संगीता भाभी ने अब भी मेरे लंड को छोड़ा नहीं था बल्कि उन्होंने अब अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया था। मेरे लंड ‌को पकड़ कर उन्होंने पहले तो लंड के सुपारे की चमड़ी को हाथ से नीचे कर दिया और फिर धीरे से अपने गर्म होंठों से मेरे फूले हुए सुपारे को जोर से चूम‌ लिया.

आनन्द से मेरे मुँह से भी अब एक आह निकल गई और अपनेआप ही मेरे कूल्हे ऊपर हवा में उठ‌ गये।

संगीता भाभी इतने पर ही नहीं रुकी, वो अब एक‌ हाथ से मेरे लंड को पकड़े पकड़े ही मेरे सुपारे को अपनी गर्म‌ जीभ से चाटने लगी। मेरे लंड का सुपारा काम रस छोड़ कर पहले ही भीगा हुआ था ऊपर से संगीता भाभी की जीभ उसे चाट चाट कर और भी चिकना करने लगी।
उनकी लचीली‌ जीभ मेरे गोल‌गोल‌ सुपारे पर ऐसे चल रही थी जैसे कि वो किसी बर्फ के गोले को घुमा घुमाकर चारो तरफ से चाट रही हो.

मेरे मुँह से भी अब सिसकारियाँ निकलनी शुरु हो गई थी और मैंने अपने हाथ उनकी कमर के दोनों तरफ से ले जाकर उनके सिर को पकड़ लिया.

मेरे सुपारे को चाटते चाटते ही संगीता भाभी ने उसे अब अपने नाजुक होंठों के बीच हल्का सा दबा लिया और अपने होंठों को गोल करके धीरे धीरे ऊपर नीचे किया. भाभी के मुँह की गर्मी पाकर मुझसे अब‌ सहन‌ नहीं हुआ. मेरे हाथ पहले ही संगीता भाभी के सिर पर थे जिनसे मैंने उनके सिर को दबा लिया और साथ ही अपने कूल्हों को ऊपर उठा कर अपने पूरे सुपारे को उनके मुँह में घुसा दिया.
संगीता ने भी उसे अपने मुँह में भर लिया धीरे धीरे उसे चूसने लगी।

सच बता रहा हूँ, मेरे आनन्द की अब कोई सीमा नहीं रही थी, मेरे हाथ जो संगीता भाभी के सिर को दबाये हुए थे, वो अपने आप ही अब उनके सिर पर घूम घूम कर उनके बालों को सहलाने लगे।
मेरे लंड को चूसते चूसते ही संगीता भाभी अब अपने घुटनों के सहारे खिसक कर थोड़ा सा पीछे हो गई और फिर अपनी कमर को उठाकर अपनी चूत को फिर से मेरे मुँह पर लगा दिया.

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मैं भी उनका इशारा अब समझ गया, मैंने उनके कूल्हों को अपनी बाँहो में भर लिया और उनकी जांघों को फैलाकर उनकी गीली चूत को फिर से चाटने लगा।

संगीता भाभी अब अपनी जांघों को पूरा फैलाकर मुझ पर लेट गई‌… उनका मुँह अब मेरे लंड की‌ तरफ था और मेरा मुँह उनकी चूत की‌ तरफ… उधर संगीता मुझ पर लेटे लेटे मेरे लंड को चूस रही थी और इधर मैं नीचे पड़ा पड़ा उनकी चूत को चाट रहा था, वो अँग्रेजी में कहते हैं ना 69 को पोजीशन में…

मेरे लिये इस खेल का यह एक नया ही अनुभव था, आज से पहले मेरी पायल भाभी ने मेरे लंड को‌ काफी बार अपने मुँह लिया था, मैंने भी उनकी चूत को चाटा था, मगर इस तरह एक साथ एक दूसरे के ऊपर लेटकर मुखमैथुन का मेरे लिये यह एक नया ही अनुभव था‌ जो बेहद ही सुखद व उत्तेजना से भरा हुआ था।

संगीता भाभी की मेरे लंड पर हरकत अब तेज होने लगी थी‌, वो मेरे लंड के सुपारे को पूरा मुँह में भर कर अब जोर से चूस‌ रही थी जिससे मेरी हालत खराब होती जा रही थी और मेरे लंड का तो पानी छोड़ छोड़ कर अब बुरा हाल था। मेरे लंड से तो पानी निकल ही रहा था साथ ही संगीता भाभी के मुँह में भी अब लार सी निकल‌ रही थी जो उनके मुँह से रिस कर मेरे लंड के सहारे बहते हुए मेरी जांघों पर फैलती जा रही थी और मेरे लंड के पास अब पूरा गीलापन हो गया था।

मैं भी अब अपनी पूरी जीभ निकाल कर उनकी चूत की फाँकों को ऊपर से नीचे तक चाट‌ रहा था और उनकी चूत भी प्रेमरस उगल उगल कर मेरे मेरे चेहरे को तरबतर कर रही थी। मेरा नाक, मुँह व गाल संगीता भाभी की चूत के रस से बिल्कुल भीग गये थे मगर फिर भी मैं उनकी चूत को चाटे जा रहा था.

संगीता भाभी की कमर अब धीरे धीरे हिलना शुरु हो गई, वो खुद ही अब अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी चूत को मेरे मुँह पर घिसने लगी थी, साथ ही साथ वो मेरे लंड को भी अब जोरो से चूसने चाटने लगी थी, उनके होंठ और जीभ अब दोनों ही मेरे लंड पर चलने लगे थे।

उत्तेजना से मेरा बुरा हाल हो गया था इसलिये मेरी कमर भी अब अपने आप ही हरकत करने लगी‌… मुझे अब लगने लगा था कि जल्दी ही मेरे सब्र का बाँध टूटने वाला है, मेरे सब्र का सैलाब कहीं संगीता भाभी के मुँह में ही ना फूट पड़े इसलिये मैं इईई…श्श्शशश… बस्सस.. आ… ह्हहा… कहते हुए एक हाथ से संगीता भाभी को पकड़ने की‌ कोशिश करने लगा… मगर संगीता भाभी‌ रुकने का नाम ही नहीं ले रही‌ थी.

मेरे रोकने की कोशिश के बाद तो उन्होंने रुकने की बजाय अपनी हरकत को और भी अधिक तेज कर दिया… अपने होंठों व जीभ के साथ साथ वो अब अपने हाथ से भी मेरे लंड को ऊपर नीचे हिलाने लगी.
अब तो ये सब मेरी बर्दाश्त के भी बाहर हो गया था इसलिये संगीता भाभी को रोकने की बजाय मैं खुद ही अब अपनी कमर को‌‌ ऊपर नीचे हिला कर अपने लंड को उनके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा… साथ ही मैं अपने हाथ को‌ वापस खींच कर उनकी चूत पर ले आया और उनकी चूत को मैं भी अब जोर से चूमने चाटने लगा.

मैं अब अपनी जीभ से कभी उनकी चूत के दाने को कुरेदने लगा तो कभी उनके प्रेमद्वार में अपनी जीभ को पूरा घुसा कर अन्दर की दीवारों को घिसने लगा, साथ ही अपनी एक उंगली से मैं उनकी गांड के‌ छेद को भी सहलाने लगा… जिससे संगीता भाभी जोरों से अपनी कमर को हिलाने लगी‌ शायद वो भी अब अपनी मँजिल के करीब ही थी।

संगीता भाभी ने मेरे पूरे सुपारे को मुँह में भर रखा था और जोर से उसे चूसते हुए अपनी जीभ से अन्दर ही अन्दर सहला रही थी साथ ही उनका हाथ भी अब मेरे लंड को घर्षण दे रहा था.
मुझसे अब अपने आप पर काबू नहीं हुआ और मैं जोर से अपनी कमर को हिलाते हुए संगीता भाभी के मुँह में ही अपना वीर्य उगलने लगा.
संगीता ने मेरे वीर्य को बाहर नहीं निकाला बल्कि उसे मुँह के अन्दर ही अन्दर गटकने लगी, जैसे जैसे किश्तों में मेरे लंड से वीर्य निकल रहा था वैसे वैसे ही वो उसे चट करने लगी… मगर वो बस दो तीन किश्तों को ही सम्भाल सकी‌..

इसके बाद उनका मुँह मेरे वीर्य से पूरा भर गया और उनके मुँह ‌से रिस कर मेरे लंड के सहारे बहते हुए नीचे आने लगा… मगर फिर जल्दी ही संगीता भाभी ने उसे फिर से सम्भाल लिया, साथ ही जो वीर्य मेरे लंड के सहारे बाहर रिस आया था उसे भी वो जीभ से चाट कर गटक गई।

संगीता भाभी भी अब अपनी चूत को जोर से रगड़ रगड़ कर मेरे मुँह पर घिसने लगी और‌ फिर एकदम से उनकी ‌दोनों जाँघें मेरे सिर पर कस गई, उन्होंने अपनी चूत से मेरे मुँह को जोर से दबा लिया और उनकी चूत ने भी रह‌ रह कर अपना रस उगलना शुरु कर दिया जिससे मेरा पूरा चेहरा भीगता चला गया.

कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही पड़े पड़े लम्बी लम्बी साँसें लेते रहे, फिर संगीता भाभी मुझ पर से उठकर मेरी बगल में लेट गई, साथ ही उन्होंने मेरी तरफ करवट करके अपनी एक जाँघ को मेरी जाँघ पर चढ़ा दिया और प्यार से मेरे गाल को चूमने लगी… संगीता भाभी के होंठ अब भी मेरे वीर्य से भीगे हुए थे और उनके मुँह से मेरे वीर्य की अजीब सी महक आ रही थी।

मैंने भी उनके होंठों को चूमना चाहा मगर‌ उनके मुँह पर मेरा वीर्य लगा हुआ था जिसकी वजह से उनका मुँह, नाक व थोड़े से गाल तक भी चिकने से हो रहे थे।
मुझे ये अजीब सा लगा इसलिये मैंने बस एक बार उनके होंठों को हल्का सा चूमा, फिर अपना मुँह हटा लिया, मगर तभी संगीता भाभी ने जबरदस्ती अपने गालों व होंठों ‌को मेरे होंठों से रगड़कर मेरे वीर्य को मेरे होंठों पर लगा दिया और फिर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर जोर से चूसने लगी।

मुझे यह अच्छा तो‌ नहीं लगा मगर संगीता भाभी का साथ देने के लिये मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा जिससे मेरे वीर्य का स्वाद मेरे मुँह में भी आ गया, जिसका स्वाद मुझे कुछ कुछ चूत के रस के जैसा नमकीन ही लग रहा था।

चूत में लंड घुसाने की कहानी जारी रहेगी.
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चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-3

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