बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती और प्यार- 4

(Cute Bhabhi Sex Story)

जून 2022-03-20 Comments

क्यूट भाभी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि बस स्टॉप पर मिली भाभी से दोस्ती के बाद उसे मैंने पहली बार अपने ही घर में कैसे चोदा. वो खुद मेरे घर आई थी.

मित्रो, आप इस मेरी सेक्स कहानी में बस स्टॉप से मिली स्वीटी के साथ चुदाई के मजे का रस ले रहे थे.
क्यूट भाभी सेक्स स्टोरी ले पिछले भाग
सेक्सी भाभी के साथ चुम्बन
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं स्वीटी के साथ बिस्तर पर था और उसे चोदने के लिए गर्म कर रहा था.

अब आगे क्यूट भाभी सेक्स स्टोरी:

हम दोनों उस प्यार के धीमे खेल को पूरी तरह से जी लेने की ज़िद में एक दूसरे को प्यार किए जा रहे थे.

मैंने उसकी टी-शर्ट को गर्दन तक ऊपर कर दिया और ब्रा का हुक खोल कर उन दोनों कपोतों को जैसे अपना बना लिया था.

मैं स्वीटी के एक चुचे को जीभ से चाटता हुआ, दूसरे तक पहुंच जाता. फिर वापस पहले पर आ जाता.

जब जब मेरी जीभ उसके निप्पल पर घूमती, उसकी मादक सिसकारी निकल जाती. वो अपनी दोनों जांघों को इतना टाइट कर लेती, जैसे उसकी चूत में से कोई बाढ़ आने वाली हो, जिसे वो रोकना चाह रही हो.

मैंने एक हाथ की हथेली से उसके निप्पल को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से कभी उसकी नाभि से खेलता, तो कभी चुचे को दबा देता, तो कभी जींस के ऊपर से ही उसकी चूत को प्यार से सहला देता.

जब भी मेरा हाथ उसकी चूत पर जाता, वो टांगों को फैला कर अपने चूतड़ उठा कर मुझे अपना गुलाम बना लो वाला अहसास लिए मुझे निमंत्रण दे देती.

मैं कभी हाथ से उसकी चूत सहलाता तो कभी उसके चूचों को निचोड़ देता, तो नाभि को या उसकी गर्दन को सहला देता, या कभी चेहरे को हाथ में लेकर वापस चूम लेता.

सच कहूँ दोस्तो, उस पल हम चुदाई नहीं, प्यार कर रहे थे.

वो अहसास, वो प्यार अभी लिखते हुए मानो मेरे होंठों को सुखा रही है.

मैं उसे पूरी तरह से अपना बनता हुआ देख, ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था.
वो मेरे प्यार में इतना खो गयी थी कि उसको भी कोई सुध नहीं रही.

बच्चों की तरह वो मेरी बांहों में मुझमें समाने को तैयार थी.

मैंने उसकी जींस का बटन खोला, तो उसकी लाल पैंटी में उसकी चुत की दालान देख कर मेरा काला नाग जैसे मदहोश होकर फुंफकारने लगा.

आज तक उसकी ये चूत की दालान मैंने कपड़ों के ऊपर से ही देखी थी. आज पहली बार वो मेरे नीचे थी और मैं उसकी पैंट उतारने की कोशिश करने में लगा था.

लड़कियों की जींस उतारना, वो भी जल्दबाजी में … अपने आप में एक जंग जैसी होती है.

पर मैंने अपने दोनों हाथ उसको कमर से पीछे गांड की तरफ ले जाते हुए उसकी जींस को पीछे से पकड़ कर नीचे खिसकाना शुरू कर दिया. उसने भी मेरा साथ देते हुए अपने चूतड़ ऊपर कर लिए.

अगले कुछ पल बाद वो मेरे सामने लाल रंग की पैंटी में थी.
उसकी टी-शर्ट भी लगभग उतर ही चुकी थी.
वो लाल ब्रा पैंटी में अपनी नशीली आंखों में हवस लिए लेटी थी.

मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और वापस उस पर टूट पड़ा.
पर आज मैं कुछ भी तेजी या हड़बड़ी में नहीं बल्कि धीरे धीरे कर रहा था.

मैंने मेरे हाथ से उसके पैर से लेकर सर तक हर अंग को सहलाना शुरू कर दिया.

मेरा हाथ उसकी गर्दन से होंठ पर, होंठों से उसकी छाती पर, छाती से उसकी नाभि पर, ऐसे चल रहा था मानो कोई सांप अपना घर ढूंढ रहा हो.

जब मेरे हाथ उसके चूचों को दबा रहे होते, तब मेरी जीभ उसकी जीभ से बातें कर रही होती … और जब मेरे मुँह में उसके चुचे के दाने होते, तो मेरे हाथ उसकी जांघों और चुत से खेल रहे होते.

जब जब मैं अपने हाथ से उसकी नाभि को सहलाता, उसकी चूत तक हाथ ले जाता, वो सिहर उठती और अपने आपको मेरी छाती में छुपा लेती.

इन सबमें मेरा लंड इतना पागल हुआ जा रहा था कि उसकी भूख मिटाने के लिए मैंने स्वीटी का हाथ मेरे लोअर में डाल दिया.
मैंने उसे अपना मोटा लंड थमा दिया.

उसने एक पल को तो लंड पकड़ा, पर दूसरे ही पल वो थम सी गयी, उसकी आंखें ऐसे खुल गईं, जैसे उसको कुछ झटका सा लगा हो.

उसने मेरा लंड बाहर निकाला और देखा तो उसके मुँह से जो निकला, वो था- ओ मां … इतना बड़ा … नहीं नहीं, मैं नहीं करूंगी. विजय का इससे आधा भी नहीं है, तब इतना दर्द होता है. नहीं विक्की.

इससे पहले वो कुछ और कहती, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चुप करा दिया.
हम वापस प्यार के उस रसीले खेल में मस्त हो गए.

अब वो केवल ब्रा पैंटी में थी और मैं पूरा नंगा था.
मैं उसके शरीर के हर अंग को चूमने में लगा था.
उसने अभी तक मेरे लंड से अपना हाथ नहीं हटाया था.

मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख उसको सहलाने का इशारा कर दिया.
वो अब मेरे लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करती हुई लंड सहला रही थी.
मेरा लंड उसका हाथ लगाने से और कठोर होता जा रहा था.

अब मैं उसकी चूचियों के निप्पलों को बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूस रहा था.
कभी जीभ से उन कड़क निप्पलों को हिलाता, तो कभी जीभ और तालू के बीच उन्हें जोर से दबा देता.

मेरे हर बार इस तरह दबाने से उसकी हल्की चीख निकल जाती और वो अपने होंठ अपने ही दांतों में दबा कर सिसक कर रह जाती.

मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथ में भर लिया और उसके पेट पर किस करना शुरू कर दिया.

अब शायद चीजें उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थीं. वो मस्ती में न जाने क्या बड़बड़ा रही थी.

उसकी कामुक सिसकारियों और आहों से पूरा कमरा गूंजने लगा था. मैंने जीभ उसकी नाभि में डाल कर उसी दिशा में नीचे बढ़ना शुरू कर दिया.

जैसे जैसे मैं नीचे जाता, मैं उसके सिसकारी तेज होती जा रही थीं. वो मेरे नीचे जाते जाते अपने सर ऊपर करके और आंखें बंद करके कुछ बड़बड़ा रही थी.

मैंने अपनी जीभ से ही उसकी पैंटी की इलास्टिक को हटाने की कोशिश की, जिससे मेरी जीभ ने उसकी चूत की ढलान को पूरी तरफ से चल कर माप लिया था.

मैंने पहले उसकी चूत को सूंघा, गर्म भाप छोड़ती हुई जैसे कोई भट्टी जल रही थी.

मैंने पैंटी के ऊपर से ही अपनी नाक की नोक से उसकी चूत को सहला दिया और उसी पल उसने भी अपनी चुत उठा कर मेरे सर को अपने हाथों में भर कर दबाने की कोशिश की.

मैं समझ गया था कि अब ये बर्दाश्त नहीं कर पा रही है.
मैंने उसकी इच्छाओं को समझते हुए उसकी पैंटी को पकड़ा और चूमा. चूमने के बाद धीमे धीमे उसको उतारने लगा.

उसकी पैंटी जितने बदन से अलग होती, उसे मैं चूम कर मानो उसका अभिनन्दन कर रहा था.

कुछ पल बाद उसकी पैंटी को मैंने उसके शरीर से अलग कर दिया.

अब वो बिना कपड़ों के मेरे सामने थी.
मैंने बिना देर लगाए उसकी चुत के दाने पर अपनी जीभ रख दी. मैं जितनी जीभ बाहर निकाल सकता था, उतनी निकाल कर उसकी चुत के दाने पर रख कर चाटने लगा.

मेरी जीभ की धीमी चाल और तेज दबाव वाली रगड़ से वो आपा खो रही थी.
वो मेरे सर को आंह आह करती हुई अपनी चुत पर दबाए जा रही थी.

जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चुत में अन्दर पेली, वो थोड़ा ऊपर को होती हुई ऐसे बैठ गई जैसे मैंने कोई करंट लगा दिया हो.

अभी भी उसके हाथ मेरे सर पर जमे थे. वो लगातार अपने हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी.
उसकी सांसें तेजी से तूफान में बदल रही थीं. वो तेज़ी से अपनी चूत को मेरी जीभ पर घिसने लगी.

उसका शरीर अकड़ने लगा था. मैं जान गया था कि वो स्खलित होने वाली है.
मुझे अपना सर हटाना था पर उसकी पकड़ इतनी बलशाली थी कि मैंने भी मूड बना लिया कि आज इसको पूरी तरह से सुख दे ही देता हूँ.

बस अब मैं उसके झड़ने तक उसकी चूत में अपनी जीभ चलाता रहा.

वो कुछ सेकण्ड्स में ही ढीली पड़ने लगी. उसकी आह्ह … आह्ह्ह इतनी तेज थी कि मुझे उसके मुँह पर हाथ रखना पड़ा.

उसने मुझे खींच कर अपनी बांहों में कस कर भर लिया.
मैं उसको देखना चाहता था, उसके चेहरे पर पूर्ण होने के भावों को पढ़ना चाहता था.
पर उसने मुझे अपने से अलग ही नहीं होने दिया.

शर्म और लाज में वो मुझे अपना चेहरा नहीं दिखा रही थी.

मैंने वापस उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया, वो वापस मादक आहों के साथ सिसकारियां बढ़ाने लगी.

अब मैंने उसको अपने ऊपर आने का इशारा दिया तो वो फ़ौरन मेरे ऊपर आ गयी.
इस वक्त उसके दोनों पैर मेरी कमर के आजू बाजू थे.
उसकी चूत मेरे लंड के एकदम ऊपर लग गई थी. मेरा लंड ठीक उसकी चूत की फांकों के बीच सैट हो गया था.

उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे लड़ाई की कमान अब उसने संभाल ली हो.

शायद अब तक मैंने जितना उसको तंग किया था, वो उसका बदला लेने का इरादा किए मेरे ऊपर बैठी थी.

उसने मुझे जी भरके देखा और मेरी आंखों में आंखें डाल कर बिना शब्दों के उस कमाल के स्खलन के लिए जैसे धन्यवाद दिया.

उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गए थे, जैसे उसने ये सब कई महीनों बाद जिया हो.

वो मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी. वो शायद समझ चुकी थी कि मुझे धीमी गति ज्यादा उत्तेजित करती है.

वह धीरे धीरे अपनी कमर को चलाने लगी थी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे लंड के पानी से चूत की फांकों की मालिश कर रही हो.

मेरा लंड उसकी चूत की गर्मी से लोहा बन चुका था.
उसकी चूत से निकलता गर्म पानी लंड को ऐसे तैयार कर रहा था, जैसे घोड़े को देर तक दौड़ाना हो.
वो अपनी चुत के पहले से मेरे लौड़े को पानी पिला कर तैयार कर रही थी.

अब वो जब भी धीमे से अपनी कमर चलाती तो मैं भी मेरे लंड को थोड़ा हिला देता.
चूत और लंड इस रगड़ के खेल को ऐसे खेल रहे थे मानो कोई बहुत बड़े खिलाड़ी हों.

इस बीच वो कभी मेरी गर्दन को चूमती, तो कभी कंधे को, कभी होंठों को.

वो कभी मेरे निप्पलों को पर अपनी जीभ फेर देती.
फिर जब उसने मेरी गर्दन को चूमा, मेरा भी सब्र का बांध जैसे टूट जाने को हो गया.

मैंने उसको खींच कर नीचे किया और उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रगड़ने लगा.

मेरे अचानक इस हमले से उसकी चूत और चेहरा दोनों ऊपर को हो गए.

मैं अपने कड़क लंड को उसकी चूत के ऊपर रख ऐसे रगड़ने लगा कि मेरे लंड की पूरी लम्बाई उसकी चूत पर रगड़ करती हुई उसकी नाभि तक जाने लगी.

उसने मेरी कमर को अपने हाथों में पकड़ लिया और मुझे अपनी टांगें फैला कर चूत में लंड डालने का निमंत्रण दे दिया.

पर मेरे दिमाग में अभी भी कुछ और देर खेलने का मन था, उसके मुँह को ऊपर लेकर वापस पहले की पोजीशन में सब सैट कर लिया.

वो मुझे चूमने लगी थी.
मैंने उसके कंधों पर दबाव बनाया और धीरे धीरे नीचे जाने का दवाब देने लगा.

उसने मेरी गर्दन से चूमना शुरू करके मेरी छाती के निप्पलों पर किस किया और नीचे सरकने लगी. मेरे पेट पर सहलाते हुए लंड तक का रास्ता तय किया.

उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर कुछ देर सोचा, फिर होंठों से लंड के सुपारे को चूम लिया.
शायद उसका मन मेरा लंड चूसने का नहीं था या उसने पहले कभी लंड चूसा नहीं था.

उसने कुछ सोचा और आंखें बंद कर अपने होंठों को मेरे लंड पर रख दिया.
अभी भी उसने मेरा लंड मुँह में नहीं लिया था, बस लंड चूम रही थी.

उसने लंड की जड़ से सिरे तक बस चूमा ही था पर जैसे ही वो सिरे पर आई, मैंने मेरी कमर को उठा कर उसके होंठों के बीच मेरे हाथ को फंसा दिया.

अभी भी मेरा लंड उसके होंठों के सिरहाने पर ही था. उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे मोटे लम्बे लंड के टोपे को एक बार चाटा.

ये शायद उसका पहला अनुभव था, वो थोड़ा अजीब महसूस कर रही थी.

मैंने उसकी बांहों को पकड़ ऊपर आने को कहा, शायद उसको मेरा उसकी हर बात समझना अच्छा लगा और उसने अपना मुँह खोल मेरे लंड को अन्दर ले लिया.

मेरे मुँह से अनायास ही ‘आह्ह …’ निकल गयी, मैं जैसे स्वर्ग के सातवें आसमान को छूने लगा था.

उसने मेरे लंड पर दबाव बनाये रखा और मेरा पूरा लंड कुछ ही पलों में उसके गले तक घुस गया था.

उसके मुँह की लार मेरे गर्म लंड को गीला कर चुकी थी.
वो मेरा लंड बाहर निकाल वापस अन्दर लेती पर वो ये सब इतना धीमे कर रही थी कि मैं आनन्द के सागर में पूरा डूब गया था.

अब वो अपना बदला ले रही हो, ऐसे मुझे तंग कर रही थी.

मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उसकी टांगें खींच उससे अपने ऊपर ले लिया.

हम अब 69 की पोजीशन में थे.

जितना अन्दर लेकर वो मेरा लंड चूसती, उतने ही अन्दर मेरी जीभ उसकी चूत में चली जाती.
मैं उसके दाने को अपनी जीभ से कुरेदता तो वो भी चूत दबा लेती.

कुछ ही देर में उसकी चूत वापस पानी छोड़ने लगी थी.
मैंने उसे सीधा किया और उससे लंड पर बैठने का इशारा किया.

अभी तक जब से हमने सब शुरू किया था, एक भी बार कुछ भी नहीं बोला था, ना ही इशारों से समझाया था.

बस हम दोनों ने आंखों से एक दूसरे को देखा और ऐसे समझ लिया. मानो आंखें आंखों से बातें करके सब समझ रही हों.

उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चुत के मुँह पर सैट कर दिया, फिर दबाव बनाते हुए लंड अन्दर लेने लगी.
उसकी गीली चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड उसकी चूत की दीवार की रगड़ महसूस कर फुंफकारने लगा था.

दोस्तो, यह सेक्स कहानी लिखते हुए मेरा लंड एकदम से उत्तेजित हो गया है.
मैं अभी लंड झाड़ कर वापस इस क्यूट भाभी सेक्स स्टोरी को आगे लिखूँगा. तब तक आप भी मेल कर दीजिए.

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क्यूट भाभी सेक्स स्टोरी का अगला भाग: बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती और प्यार- 5

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