शादी में आईं भाभी की चुत गांड की चुदाई
(Desi Gaand Chut Kahani)
देसी गांड चूत कहानी में मेरे भाई की शादी में मेरे मामा के बेटे की पत्नी गाँव से आई थी. वे मेरा खास ख्याल रखने लगी ही, मेरे पास ही मंडराती थी. मैं उनकी इच्छा को समझ गया.
दोस्तो, नमस्कार. कैसे हैं आप सभी? आशा है सभी सकुशल होंगे.
मेरा नाम प्रेम है. मैं जयपुर, राजस्थान से हूँ.
मैं अपने घर में सबसे छोटा हूँ, मेरे दो बड़े भाई हैं.
मैं भी आप लोगों की तरह ही सेक्स स्टोरीज का नियमित पाठक हूँ.
यह घटना 2020 की है और पूर्ण रूप से सत्य है. उस समय मेरी उम्र 20 साल थी.
यह देसी गांड चूत कहानी मेरे और खुशी भाभी के बीच बने शारीरिक संबंध की है.
उसी दौरान मेरे बड़े भाई का रिश्ता पक्का हो गया और पूरे घर-परिवार में शादी की तैयारियां बहुत जोर-शोर से चल रही थीं.
मेहमान भी आने लगे थे.
शादी, इंगेजमेंट के आठ दिन बाद थी, तो इंगेजमेंट के बाद अधिकतर मेहमान जा चुके थे.
कुछ ही खास लोग रुके हुए थे, जिनमें मेरे मामाजी के बेटे प्रसाद और उनकी बहू खुशी भी शामिल थे.
वे शादी की बाकी तैयारियों के लिए रुके थे.
प्रसाद भैया और खुशी भाभी दोनों ही बहुत अच्छे थे.
खुशी भाभी मेरा बहुत ध्यान रखती थीं.
जब भी मैं उनके यहां जाता, वे मुझे बड़े लाड़-प्यार से रखती थीं.
खुशी भाभी गांव में रहती थीं.
उनकी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी.
उनका एक बेटा 14 साल का और एक बेटी 12 साल की थी.
फिर भी वे बहुत सुंदर दिखती थीं.
उनका बदन एकदम गठीला था, रंग हल्का सांवला था, पर वे इतनी सुंदर थीं कि उन्हें देखकर किसी के भी लंड में पानी आ जाए.
दोस्तो, मैं नहीं जानता था कि उनके फिगर का साइज क्या है और मैंने कभी जानना भी नहीं चाहा.
पर वे एकदम मस्त माल हैं.
जैसा कि मैंने बताया, वे शादी में हमारे घर आई थीं.
घर में चारों तरफ शादी की खुशियां थीं.
इसी दौरान वे मुझे देखती रहती थीं.
मैं यह सब नोटिस करता रहता था.
एक दिन एक कमरे में कुछ लेडीज थीं.
थोड़ी देर में वहां से सभी लेडीज चली गईं.
अब वहां केवल खुशी भाभी और उनकी एक सहेली रह गई थीं जिनको मैंने पहले ही सब कुछ बता दिया था.
उन्होंने मेरा साथ दिया
वे बाहर चली गईं.
मैंने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया और खुशी भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
वे डर गईं और मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगीं- कोई देख लेगा, मुझे छोड़ दो. अगर प्रसाद भैया को पता चल गया, तो वे मुझे मार डालेंगे.
मैंने खुशी भाभी को समझाया- भाभी, अपने होते हुए मैं आपको कुछ नहीं होने दूँगा.
मैं अभी भी उन्हें पकड़े हुए था और उनके दूध दबाए जा रहा था.
मेरा लंड उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी गांड में रगड़ खा रहा था.
थोड़ी देर में मैंने किसी के आने की आहट सुनी, तो मजबूरन उन्हें छोड़ना पड़ा.
मैं थोड़ी देर के लिए घर के बाहर चला गया.
इसी बीच शादी संपन्न हो चुकी थी और सभी मेहमान जाने लगे थे.
एक-दो दिन में लगभग सभी लोग जा चुके थे.
प्रसाद भैया और खुशी भाभी अभी भी रुके हुए थे.
तभी प्रसाद भैया ने बताया कि खुशी भाभी की मम्मी, यानि उनकी सासू मां की तबीयत बहुत बिगड़ गई है.
उन्हें किसी बड़े अस्पताल में ले जाना पड़ेगा.
यह कह कर प्रसाद भैया खुशी भाभी को हमारे घर पर ही छोड़कर चले गए.
अगले दिन मैंने और खुशी भाभी ने खूब सारी बातें कीं. उन्होंने बताया कि मेरी मम्मी की तबीयत अब ठीक है.
मैंने कहा- चलो भगवान का शुक्र है. अब भैया कब आ रहे हैं?
इस पर खुशी भाभी ने बताया कि अभी कुछ दिन तक वे हमारे घर पर ही रुकेंगी, जब तक प्रसाद भैया वापस नहीं आ जाते.
यह सुनकर मुझे बड़ी खुशी हुई.
उसके बाद मैं मौके तलाशने लगा.
फाइनली, मुझे जिस मौके की तलाश थी, वह मिल ही गया.
उस दिन कमरे में नानी मां, खुशी भाभी की बेटी, खुशी भाभी और मैं लाइन से सो रहे थे.
नानी मां नींद की गोली खाकर सोती थीं.
खुशी भाभी और उनकी बेटी भी सो चुकी थीं.
रात के लगभग 12 बज चुके थे.
मैंने उठकर देखा, सभी लोग सो गए थे.
मैं लाइट बंद करके ही सोता हूँ इसलिए मैंने रूम की लाइट बंद कर दी और अपना कम्बल खुशी भाभी के ऊपर भी डाल लिया.
मैंने खुशी भाभी को जगाने की कोशिश की, पर वह नहीं जागीं.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लंड खड़ा हो गया था.
खुशी भाभी पेटीकोट, साड़ी और ब्लाउज़ पहने हुई थीं जबकि मैं लोअर और टी-शर्ट में था.
मैंने अपना लोअर नीचे खिसकाया और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा.
बहुत देर बाद हिम्मत करके मैंने कम्बल के अन्दर ही बड़ी मुश्किल से उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर खिसकाया.
मुझे डर था कि कहीं वे चिल्लाने न लग जाएं.
मैंने देखा, उन्होंने पेटीकोट के अन्दर चड्डी नहीं पहना था.
वे करवट के बल सो रही थीं.
मैंने हिम्मत जुटाई और बड़ी मुश्किल से उनकी दोनों टांगों के बीच में अपने आपको सैट किया.
खुशी भाभी के बाएं पैर को ऊपर करके मैंने अपने आपको उनकी दोनों टांगों के बीच फँसा लिया.
उनका बायां पैर मेरे ऊपर और दायां पैर मेरे नीचे था.
अब मैंने अपने दाएं हाथ को उनके मुँह पर रखा ताकि वह चीखने-चिल्लाने न लगें.
बाएं हाथ में थोड़ा थूक लेकर मैंने अपने लंड पर लगाया और थोड़ा हिलाने के बाद उसे खुशी भाभी की चूत के मुँह पर रखा.
तभी वे हिलने-डुलने लगीं.
उनकी आवाज निकली- मत करो न!
मैंने कहा- अरे भाभी आपको मजा आएगा!
वे चुप हो गईं.
मैंने जोश में आकर एक ही झटके में अपना लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
उनकी चूत बहुत टाइट थी, ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि उन्होंने इसी चूत से दो बच्चों को जन्म दिया है.
खुशी भाभी मुझे धक्का देने लगीं.
पर मैंने उन्हें जोर से पकड़ रखा था.
मैं भी छोड़ने वाला नहीं था.
उन्होंने बहुत कोशिश की छूटने की, पर उनकी कोशिश नाकामयाब रही.
मजबूरन उन्होंने अपने आपको ढीला छोड़ दिया.
मेरा लंड अभी भी उनकी चूत में था और मैं जोर-जोर से झटके दे रहा था.
वे कराहती जा रही थीं और मुझसे कह रही थीं- अपने प्रसाद भैया को मत बता देना, नहीं तो वह मुझे मार डालेंगे.
मैंने उन्हें समझाया- मैं किसी को नहीं बताऊंगा.
वे थोड़ी देर में मान गईं.
मैं अभी भी उन्हें चोदे जा रहा था.
लगभग सात-आठ मिनट हो गए थे, अब मेरा निकलने वाला था.
जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरा होने वाला है, मैंने लंड को उनकी चूत से बाहर निकाला.
मैंने अपने लोअर की जेब से रूमाल निकाला और उसे अपने लंड पर रखकर साफ किया.
फिर दोबारा अपने लंड को हिलाकर खड़ा करने लगा.
लगभग पाँच मिनट में वह दोबारा खड़ा हो गया.
मैंने देखा कि खुशी भाभी अभी भी वैसे ही लेटी हुई थीं.
मैंने फिर से अपने लंड को उनकी चूत पर रखा और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा.
खुशी भाभी बोलीं- आप में बहुत ताकत है. मुझे दर्द हो रहा है, थोड़ा धीरे करो.
मैंने स्पीड थोड़ी कम की और चोदता रहा.
वे दबी हुई आवाज में ‘आह … उह … आह … ओह … मर गई.’ कर रही थीं.
तभी खुशी भाभी ने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और चूमने लगीं.
वे हांफ रही थीं और मुझे चूमे जा रही थीं.
फिर उन्होंने कहा- मैं छूटने वाली हूँ.
और तभी उनका हो गया.
कुछ ही पलों में तेज़ रफ्तार के साथ मेरा भी पानी उनकी चूत में ही छूट गया.
थोड़ी देर हम दोनों वैसे ही लेटे रहे.
वे मुझे चूमती रहीं, मेरे बालों में हाथ फेरती रहीं और मेरे बदन के साथ खेलती रहीं.
खेलते-खेलते उनका हाथ मेरे लंड तक पहुंच गया.
उन्होंने मेरे लंड को हिलाया और उसे सहला कर खड़ा कर दिया.
अब मेरा मन उनकी गांड मारने का था पर खुशी भाभी बोलीं- मैंने उधर कभी नहीं लिया है. अभी नहीं, गांड में बाद में करना, अभी फिर से चूत में ही कर लो.
मैंने कहा- ठीक है भाभी लेकिन इस बार हम लोग बाहर चल कर करते हैं.
वे भी मान गईं.
हम दोनों एक दूसरे खाली कमरे में आ गए.
उधर मैंने भाभी की चूत को अपनी उंगली से देखा तो पूरी चूत वीर्य से लबालब भरी हुई थी.
अब मैंने मन में सोचा, क्यों ना गांड मारी जाए, अभी तक गांड कुंवारी भी है.
फिर मैंने खुशी भाभी को उसी पोजीशन में लिया, जिसमें मैंने चूत में किया था.
मैंने उनसे अपने दोनों पैर अन्दर करने को कहा, तो उन्होंने कर लिया.
अब भाभी की गांड का उभार अच्छे से दिखने लगा.
खुशी भाभी ने अपना थूक लेकर लंड पर लगाया और उसे हिलाने लगीं.
लंड खड़ा हो गया था. मैंने उनसे कहा- अगर दर्द हो तो सहन कर लेना!
वे मान गईं.
उन्हें लगा मैं चूत में ही करूंगा, पर मैंने तो गांड मारने का मन बना लिया था.
मैंने अपने दाहिने हाथ को खुशी भाभी की कमर में डाला और जोर से पकड़ लिया. फिर बाएं हाथ से अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाकर गांड में एक जोर का झटका दे दिया.
मेरे लंड का केवल सुपाड़ा ही घुस पाया था.
वे जोर जोर से मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगीं- मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज निकाल लो.
उनकी आंखों में आंसू आ गए. मेरे लंड में भी जलन होने लगी.
मैंने ढेर सारा थूक लिया और गांड के घेरे के चारों ओर लगा दिया.
धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा तो उन्हें थोड़ा आराम मिला.
पहले मैंने एक हाथ उनके मुँह पर रखा और फिर से एक जोर का झटका लगा दिया.
अब मेरा पूरा लंड उनकी गांड में समा गया था.
खुशी भाभी की गांड फट गई थी इसीलिए मेरे लंड पर खू.न लग गया था.
अब मैं धीरे-धीरे चोदने लगा और खुशी भाभी भी मेरा सहयोग करने लगीं.
फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और धकापेल चुदाई की.
लगभग सात-आठ मिनट गांड मारने के बाद मेरा पानी खुशी भाभी की गांड में ही छूट गया.
मैं थोड़ी देर वैसे ही लेटा रहा.
देसी गांड चूत चुदाई के कुछ देर बाद मैंने कपड़े ठीक किए, खुशी भाभी को किस किया और वापस आकर सो गया.
फिर जब सुबह हो गई, तो भाभी को बहुत तेज बुखार चढ़ गया था.
जब मैंने प्रसाद भैया को बताया कि खुशी भाभी को बुखार है तो उन्होंने कहा- उनका इलाज करवाओ.
मैं खुशी भाभी को डॉक्टर के पास ले गया.
उसके बाद वे बोलीं- कहीं शांत जगह पर ले चलो.
मैं उन्हें पार्क में ले गया.
वहां उन्होंने मुझे गले लगा लिया और मेरे पास ही रहने की जिद करने लगीं.
मैंने बहुत मुश्किल से समझाया- आपके दो बच्चे हैं, उन्हें मत छोड़ो. अगर कुदरत ने हमारा मिलन लिखा होगा, तो हमारा मिलन दोबारा जरूर होगा.
कुछ दिन बाद वे अपने घर चली गईं.
आज तक दोबारा मुलाकात नहीं हो पाई.
जो कुछ भी हुआ, उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं.
इसके लिए मैं स्वयं को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा.
इस सेक्स कहानी में मैंने बहुत सारी बातें छोड़ दी हैं जो कि आपको बोर कर सकती थीं.
आपको मेरी यह देसी गांड चूत कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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