ममेरी भाभी को चोद कर अपना बनाया

(Devar Bhabhi Chudai Kahani)

देवर भाभी चुदाई कहानी में मेरे ममेरे भाई की नई दुल्हन मुझे शादी वाले दिन ही पसंद आ गयी थी. जिसे मैंने उसकी शादी के कुछ महीने बाद ही चोद दिया था.

दोस्तो, मैं प्रेम फरीदाबाद, हरियाणा से!
आप सभी ने मेरी पिछली कहानी
कमसिन साली की पहली चुदाई
को बहुत प्यार दिया और मेल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

सभी साथियों से अनुरोध है कि कृपया किसी भी महिला का नंबर न मांगें.

मैं एक बार फिर आपके लिए देवर-भाभी के बीच हुए सेक्स की एक नई गर्म कहानी लेकर हाज़िर हूँ.
तो देवर भाभी चुदाई कहानी पढ़कर मज़ा लीजिए!

यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी ममेरी भाभी की है.

भाभी मेरे मामा के लड़के संजय की बीवी मोनिका हैं.
संजय और मेरे बीच बचपन से ही बहुत प्यार था, जो अब भी है.
हम दोनों हमउम्र हैं.

मामा जी ने संजय के लिए मोनिका को देखा और पसंद कर लिया.
उनकी सगाई वाले दिन जब मैंने मोनिका को देखा तो मैं देखता ही रह गया!

वह बिल्कुल टेलीविज़न स्टार संगीता घोष की तरह थी.

सगाई के कुछ दिन बाद संजय और मोनिका की फोन पर बात होने लगी.

जब मैं मामा के यहां जाता तो कभी-कभी मेरी भी मोनिका से बात हो जाती.
फिर मैंने मोनिका से उसका नंबर मांगा.

तो उसने दे दिया.
इसके बाद हमारी रोज़ घंटों बात होने लगी.

इस तरह हम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई और जल्दी ही उनकी शादी हो गई.

शादी के बाद जब भी मैं उनके घर जाता, मोनिका मुझसे खूब बात करती.
उससे बात करते-करते मेरा लंड खड़ा हो जाता और मुझे मुठ मार कर खुद को शांत करना पड़ता.

जब कोई नहीं होता तो मोनिका मुझसे चिपक कर बात करती थी.
यहां तक कि हम एक साथ बेड पर लेट जाते और सो जाते थे.

लेकिन मेरी हिम्मत नहीं होती कि कुछ करूँ.

मोनिका मुझे खूब छेड़ती और हमारे बीच हंसी-मज़ाक चलता रहता.
यहां तक कि वह संजय के सामने भी बोल देती- अजी, प्रेम जी तो प्रेम करते ही नहीं हैं!

एक दिन घर में कोई नहीं था.
हमारा हंसी-मज़ाक चल रहा था और वह अपना काम कर रही थी.

दोपहर को वह काम से फ्री होकर नहाकर नीली साड़ी पहन कर आई.
हम दोनों ने साथ खाना खाया, फिर बेड पर लेटकर टीवी देखने लगे.

मैंने कहा- चलो भाभी, आपकी शादी की डीवीडी देखते हैं!

जैसे ही मैंने डीवीडी प्लेयर ऑन किया, उसमें ब्लू फिल्म चल गई.

ब्लू फिल्म देखकर मोनिका के गाल शर्म से लाल हो गए.
मैंने तुरंत टीवी बंद कर दिया और हम वापस लेटकर बात करने लगे.

मैंने मोनिका का हाथ पकड़ लिया.
मोनिका कुछ नहीं बोली.

फिर मैंने कहा- क्या भाभी, मस्त मज़े ले रही हो ज़िंदगी के?
वह इतरा कर बोली- तो तुम भी शादी कर लो न … या कोई जीएफ बनाकर मज़े करो … किसने रोका है?

मैंने कहा- आपके होते मुझे किसी और की क्या ज़रूरत है? आप हो ना मेरी जीएफ!
वह बोली- अच्छा देवर जी, अब मैं तुम्हारी जीएफ हो गई!

मैंने कहा- भाभी एक बात बताओ न … जैसे ब्लू फिल्म में सेक्स करते हैं, आप दोनों भी वैसे ही करते हो क्या?
वह बोली- बकवास बंद करो, ये कुछ ज्यादा हो रहा है!

मैंने कहा- मेरी जान, अभी कहां ज्यादा हो रहा है!
वह फिर से बोली- वाओ … थोड़ी ही देर में मैं तुम्हारी जीएफ से जान बन गई … और कुछ रह गया हो, तो वह भी बना लो!

मैंने थोड़ा उदास होकर कहा- अगर आपको बुरा लगा, तो सॉरी!

उसके बाद जो हुआ, उसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी!

उसने अचानक मुझे किस करते हुए कहा- मेरे पागल सनम, मुझे तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं लगता!

यह सुनकर मैं एकदम चहक उठा.
फिर मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और वह किसी गुड़िया की तरह मेरे पास आकर मुझसे चिपक गई.

मैंने उसके गालों को सहलाना शुरू किया और पागलों की तरह मोनिका को यहां-वहां चूमने लगा.

मोनिका बेड पर किसी नागिन की तरह लहरा रही थी.
जल्दी ही मोनिका का ब्लाउज़ और पेटीकोट ज़मीन पर पड़े थे.

अब मेरे सपनों की रानी मेरे सामने नीली ब्रा और पैंटी में थी!

मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा.

मोनिका बोली- तुम बहुत चालाक हो! मुझे पूरी नंगी कर दिया, खुद का कुछ नहीं उतारा!

मैंने कहा- अभी कहां नंगी किया है मेरी जान!
वह बोली- अब बचा ही क्या है? अब तुम भी अपने कपड़े उतारो!

मैंने कहा- मैंने तुम्हारे उतारे हैं, तो मेरे भी तुम उतार दो ना!

यह सुनते ही उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए. अब हम फिर से एक-दूसरे के होंठों को पीने लगे और एक-दूसरे के जिस्म को सहलाने लगे.

मैंने उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी.
उसकी चूचियां बिल्कुल किसी पर्वत की तरह तनी हुई थीं और चूत बिल्कुल चिकनी थी.

मैंने मोनिका की चूत पर हाथ फेरते हुए पूछा- झांटें कब साफ कीं?
वह इठला कर बोली- अभी!

मैंने कहा- लगता है मेरी जान पहले से चुदने के पूरे मूड में थी!
मोनिका बोली- छी: कितना गंदा बोलते हो यार!

मैंने पूछा- तो तुम चुदाई को क्या बोलती हो?
वह बोली- कुछ नहीं!

फिर मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.

वह बुरी तरह सिसकारने लगी.
मैं उसके जिस्म को चूमता-चूसता जा रहा था.
कभी चूची, कभी पेट, नाभि, जांघें.

जैसे ही मैंने उसकी चूत को चूमा, वह उछल गई और बोली- ननन…नहीं … वह गंदी है!
मैंने उसकी टांगों को कसकर पकड़ा और जीभ से चुत चाटने लगा.

वह ‘आआहह … आआहह … जान…नू!’ करने लगी और मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी.

थोड़ी देर चूसने के बाद मैं अलग हो गया.
मैंने इशारे से लंड चूसने को कहा.

वह मना करने लगी.

मैंने कहा- प्यार नहीं करती हो?
वह बोली- प्लीज़ यार, ये मत करवाओ! मुझे घिन आती है, उल्टी हो जाएगी!
मैंने कहा- नहीं होगी!

उसने बेमन से एक बार लंड को किस किया और हट गई.

मैंने चूसने को कहा, तो वह मुँह में लेकर चूसने लगी.
फिर मैंने मोनिका को हटाया और हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आकर चूत और लंड चूसने लगे.

मैं उसकी चूत में उंगली डाल-डाल कर चूसने लगा.
इस हमले से मोनिका झड़ गई और मैं उसका सारा चूतरस पी गया.

साथ ही मेरे लंड महाराज ने भी उसके मुँह में उल्टी कर दी.
जिससे वह एकदम खड़ी हुई और बाथरूम में भागकर उल्टी करने लगी.

जब वह मुँह धोकर वापस आई तो मैं माफी मांगने लगा.

वह मुँह बनाती हुई बोली- कर ली अपने मन की!
मैं हंसने लगा.

वह मेरे सीने में मुक्के मारती हुई बोली- तुम बहुत गंदे हो!
मैंने पूछा- सच्ची?

वह मेरे सीने से लग कर बोली- नहीं, बहुत अच्छे हो! इतना प्यार तो मुझे कभी किसी ने नहीं किया … थैंक्यू सो मच!
मैंने उसके गालों पर चपत लगाते हुए कहा- पागल, प्यार भी करती हो और थैंक्यू भी बोलती हो!

वह बोली- अच्छा बाबा, अब नहीं बोलूँगी!

हम दोनों फिर से एक-दूसरे के अंगों को सहलाने लगे.
मेरा लंड फिर से अपनी औकात में आ गया.

मैंने मोनिका को सीधा लिटाकर उसकी गांड के नीचे दो तकिए लगाए, जिससे उसकी चूत ऊपर को उभर गई.

मैंने लंड को उसकी चूत पर सैट करके एक धक्का लगाया, तो लंड फिसल गया.

वह बोली- कुछ लगा लो!
मैंने कहा- चूसकर गीला कर दो!

उसने हाथ में थूक लेकर लंड पर मल दिया और उसे अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर सैट कर दिया.

अब मैंने धक्का लगाया, तो सुपारा घुस गया.
मोनिका दर्द से कलपती हुई पैर पटकने लगी.

मैंने पूछा- क्या हुआ? संजय ने कभी किया नहीं है क्या?
वह बोली- उनको पीने और बाहर मुँह मारने से फुर्सत हो, तब तो!

मैंने उसे बातों में लगाकर एक और धक्का मारा तो मोनिका जोर से चिल्ला उठी.

मैंने उसके मुँह को बंद करके एक और धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर कर दिया.
मोनिका बेहोश-सी हो गई.

मैंने उसके मुँह पर पानी के छींटे मारे तो वह होश में आई और रोने लगी.

मैं उसके चूचों को दबाने और चूमते-सहलाते हुए उसे बहलाने लगा.

जब वह थोड़ी नॉर्मल हुई, तो मैंने हल्के झटके देने शुरू किए.

मैंने लंड बाहर निकाला, तो देखा कि लंड मोनिका के खू.न से सना था.

फिर मैंने मोनिका की चूत पर थोड़ा थूक लगाया और लंड को फिर से घुसा दिया.

अब मोनिका सिसकारने लगी- आ आहहह … आआह… हाहाई … ओओह!
मैं उसके होंठों को पीते हुए धक्के लगाने लगा.

अब मोनिका की चूत में मेरा लंड आराम से जाने लगा.
मैंने लंड निकाल लिया.

मोनिका बोली- करो ना!
मैंने कहा- चूसो!

इस बार उसने बिना कुछ बोले बेडशीट से लंड साफ किया और चूसने लगी.
थोड़ा चूसकर बोली- अब करो!

मैंने कहा- क्या करूँ?
वह बोली- कुछ मत करो … हटो, कपड़े पहनो!

मेरी सारी हीरोगिरी निकल गई!
मैंने फटाफट उसके ऊपर आकर लंड लगाया और घुसा दिया.

वह हंसने लगी और बोली- हां! ऐसे ही करो … आआ हहह … जान, अब तक कहां थे!

मैं तूफानी रफ्तार से चोदने लगा.
मोनिका दो बार झड़ चुकी थी और वह ‘बस! बस!’ करने लगी.

वह बोली- प्लीज़, अब निकाल लो यार! मेरे पैर दुख रहे हैं!

मैंने कहा- निकाल लूँगा, तो कहीं ना कहीं डलवाना पड़ेगा!

वह आंखें फैलाती हुई बोली- मतलब?
मैंने उसकी गांड को सहलाते हुए कहा- यहां के बारे में क्या ख्याल है?

वह एकदम से मेरे हाथ को झटकती हुई बोली- बिल्कुल नहीं!

इस बीच मैं धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा.
वह भी गर्म होने लगी.

जोश में आकर मेरी पीठ पर हाथ चलाने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी.

वह इतने जोश और ज़ोर से चूस रही थी कि मेरे होंठ दर्द करने लगे.
मैंने अपनी गति बढ़ा दी.

कुछ देर में हम दोनों ही झड़ गए.

देवर भाभी चुदाई का तूफान थम गया था.
मोनिका मुझसे बुरी तरह लिपटी हुई पड़ी थी.

थोड़ी देर बाद उसने मुझसे हटने को कहा.

मैं हटा और देखा तो चादर खू.न और हमारे दोनों के पानी से सनी हुई थी.

वह लड़खड़ाती हुई उठी और बाथरूम जाने लगी, तो बोली- ऐसा करते हैं क्या … मुझसे चला भी नहीं जा रहा है!

मैं उसे गोद में उठाकर ले गया और कमोड पर बैठा दिया.

वह बोली- अब जाओ!
मैंने कहा- कर लो, मैं यहीं हूँ!

वह बोली- नहीं, मुझे शर्म आती है!
मैंने कहा- चुदवाने में शर्म नहीं आई, अब मूतने में शर्म आ रही है!

वह बोली- यार, तुम गंदा मत बोला करो! मुझे अच्छा नहीं लगता!
उसने मुझे बाहर निकाल दिया.

वह मूतकर बाहर आई.
उसकी मटकती गांड देखकर मेरा लंड फिर टनटनाने लगा.

मैंने उसे गोद में उठाकर फिर से बेड पर लाकर लिटा दिया और उससे छेड़छाड़ करने लगा.

वह बोली- काश तुम मेरे पति होते, तो कितना अच्छा होता!

यह कहते हुए उसकी आंखें भर आईं.
मैंने उसे समझाया और उस दिन हमने एक बार और चुदाई की.

अब जब भी मौका मिलता है, हम दोनों चुदाई करते हैं.

मैंने उसे उसके घर में, मेरे घर में, होटल में, गाड़ी में … सब जगह चोदा है.

आपको मेरी देवर भाभी चुदाई कहानी कैसी लगी?
प्लीज मेल करके ज़रूर बताइएगा.
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