कामुक भाभी ने देवर को उकसा कर चुदवाया- 2
(Dick Sucking Bhabhi )
डिक सकिंग भाभी स्टोरी में मेरी चुलबुली भाभी मेरे साथ सेक्सी शरारतें करने लगी थी. एक दिन भाभी और मैं अकेले थे तो भाभी सिर्फ एक साड़ी अपने जिस्म पर लपेट कर मुझे खाना देने लगी.
दोस्तो, मैं अपनी भाभी का प्यारा सा देवर आप सभी को अपनी सेक्स कहानी से गुदगुदा रहा था.
कहानी के पहले भाग
मेरी सेक्सी माल भाभी की शरारतें
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं खाना खाने आया तो अपनी भाभी की कामुक देह को वासना से निहार रहा था.
उन्होंने साड़ी के नीचे पेटीकोट पहना ही नहीं था और ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
अब आगे डिक सकिंग भाभी स्टोरी:
खाना खत्म करके जब मैं उठा, तो टॉवल फिर से खुल गया और मैं एक बार फिर उनके सामने नंगा था.
मेरा लंड उनके चेहरे के ठीक सामने था और भाभी की आंखों में एक खुशी की चमक थी.
वे मुस्कुराईं और उनकी वह मुस्कान मेरे दिल को गुदगुदा गई.
मैंने टॉवल फिर से लपेटा और हॉल में चला गया.
कुछ देर बाद भाभी भी वहां आ गईं.
उनकी साड़ी अब इतनी ढीली थी कि वह उनके जिस्म पर बस नाममात्र को टिकी थी, ठीक वैसे ही जैसे मेरा टॉवल मेरे कमर पर.
मैं मोबाइल चेक कर रहा था.
तभी भाभी पीछे से आईं और मेरे टॉवल को एक झटके में खींच लिया.
मुझे फिर से नंगा देखकर वह बोलीं- अब मैं भी बदला लूँगी देवर जी!
घर में सिर्फ हम दोनों थे और भाभी की मस्ती अपने चरम पर थी.
मैं चुपचाप खड़ा रहा, उनकी हरकतों को देखता हुआ.
अचानक भाभी अपने घुटनों पर बैठ गईं और मेरे नितंबों को जोर से काट लिया.
उनके दांत मेरे जिस्म में गड़ गए और उस दर्द में भी एक अजीब-सा आनन्द था.
उनकी शरारत भरी आंखें मेरी ओर ताक रही थीं, जैसे वह कह रही हों कि यह होली की मस्ती अभी खत्म नहीं हुई.
भाभी ने मेरी त्वचा को अपनी उंगलियों से इस तरह सहलाया कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
फिर उन्होंने मुझे धीरे से अपनी ओर खींचा और मेरी नजरें उनकी गहरी आंखों से टकराईं.
मेरे सामने अब उनकी वही मासूम लेकिन रहस्यमयी मुस्कान थी, जो हर बार मेरे दिल को छू लेती थी.
उनकी आंखों में एक अनकहा प्यार चमक रहा था जैसे सितारों भरी रात का आकाश मेरे लिए झिलमिलाने लगा हो.
उस पल में मैंने पहली बार उनके दिल की गहराई में अपने लिए वह अनमोल अहसास देखा, जो शब्दों से परे था.
जब भाभी ने मेरी ओर एक कदम बढ़ाया, तो मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं.
मैंने उन्हें प्यार से रोका और धीमी आवाज में कहा- भाभी बस … अब और नहीं!
मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर एक चंचल नाराजगी उभरी.
उन्होंने हल्के से मेरी कमर पर एक शरारती थपकी दी, जिससे मेरी त्वचा पर एक गर्माहट सी दौड़ गई.
उनकी इस अदा को देखकर मेरी हिम्मत जवाब दे गई और मैं खामोश होकर उनके सामने समर्पण कर बैठा.
फिर भाभी ने घुटनों पर बैठी अवस्था में ही अपनी नजरें मेरी आंखों में गड़ाते हुए धीरे-धीरे मेरे लंड को अपनी जीभ के कोमल स्पर्श से नवाजना शुरू किया.
उनकी उंगलियां मेरे घुटनों से लेकर मेरी जांघों तक इस तरह फिसलीं, जैसे कोई रेशमी धागा मेरे तन को लपेट रहा हो.
हर स्पर्श में एक तीव्र, लेकिन मीठा अहसास था, जो मेरे मन को किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था.
जब उनकी गर्म सांसें मेरे लंड पर पड़ीं, तो मेरे दिल ने जैसे एक नया संगीत छेड़ दिया.
उन्होंने मेरी ओर देखा, उनकी आंखों में एक चमक थी जैसे वे मुझसे कुछ पूछना चाहती हों.
‘कैसा लग रहा है?’
उनकी आवाज में शहद-सी मिठास थी.
मेरे तो होश ही उड़ गए थे.
उनके इस जादुई स्पर्श के सामने मैंने अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया.
जो हुआ उसके बाद, वह पल मेरे जीवन में हमेशा के लिए अमिट हो गया.
भाभी ने मेरे लंड को अपने कोमल होंठों से इस तरह छुआ, जैसे कोई फूल की पंखुड़ियों को प्यार से सहला रहा हो.
उनकी हर हरकत में एक गहरा जादू था, जो मेरे मन को किसी स्वप्नलोक में ले जा रहा था.
अगले पल ही उनके होंठ मेरे लौड़े पर इस तरह रेंग रहे थे, जैसे कोई नदी किनारों को चूमती हुई बह रही हो.
हर चुम्बन में एक गहरा अहसास था, जो मेरे दिल को और करीब ला रहा था.
मेरे पैरों में अब इतनी ताकत नहीं बची थी कि मैं स्थिर खड़ा रह सकूँ.
मैंने कई बार अपने मन को टटोला था.
लेकिन किसी के स्पर्श का ये अनुभव मेरे लिए बिल्कुल नया था.
जब भाभी ने मेरे लंड को अपने गले तक भरा, तो मेरे मन में एक तूफान सा उठने लगा.
मैं धीरे-धीरे दीवार का सहारा लेने लगा.
लेकिन भाभी ने फिर से मेरी कमर पर एक चंचल थपकी दी, जैसे कह रही हों कि ‘भागते किधर हो देवर जी, अभी तो शुरुआत है.’
यह मेरे जीवन का पहला ऐसा अनुभव था, जहां मैंने किसी के स्पर्श में इतना गहरा सुकून और उत्तेजना एक साथ महसूस की.
भाभी ने मेरे लंड को अपने होंठों और उंगलियों से इस तरह नवाजा, जैसे कोई चित्रकार अपनी कूँची से कैनवास पर रंग भर रहा हो.
उनकी हर हरकत में एक लय थी, एक संगीत था, जो मेरे मन को झंकृत कर रहा था.
उन्होंने मेरे लंड के हर हिस्से को इतने प्यार से चूसा कि मैं खुद को भूलने लगा.
उनके होंठों का हर स्पर्श मेरे लिए एक नई कहानी बुन रहा था.
कभी वह धीरे से मेरे लंड को चूमतीं तो कभी उनकी उंगलियां मेरे लौड़े पर नाचने लगतीं.
हर बार जब उनकी सांसें मेरे लंड की टट्टों पर आतीं, तो मेरे दिल की धड़कनें और तेज हो जाती थीं.
इस पल में मैंने जाना कि सच्चा आनन्द क्या होता है.
भाभी के हर स्पर्श में एक जादू था जो मुझे मेरे ही शरीर से परिचित करा रहा था.
अगले कुछ पलों में मैं उनके सामने पूरी तरह निढाल हो चुका था.
लेकिन उनके चेहरे पर वही मासूम मुस्कान थी जो मुझे बार-बार उनकी ओर खींच रही थी.
यह अनुभव मेरे लिए न केवल शारीरिक था बल्कि मेरे मन और आत्मा को भी छू गया था.
मैं जानता हूँ कि ये पल मेरे जीवन में हमेशा के लिए एक अनमोल खजाना बनकर रहेंगे.
भाभी ने मेरे लंड को अपनी गर्म उंगलियों से इस तरह सहलाया कि मेरी सांसें थम सी गईं.
उनकी हर छुअन में एक नशीली मिठास थी जो मेरे तन-मन को किसी जादू में बाँध रही थी.
फिर उन्होंने मुझे धीरे से अपनी ओर खींचा और मेरी नजरें उनकी गहरी, चमकती आंखों में खो गईं.
उनके होंठों पर वही चंचल, रहस्यमयी मुस्कान थी जो मेरे दिल को हर बार बेकरार कर देती थी.
उनकी आंखों में एक अनमोल प्यार झलक रहा था जैसे सागर की गहराइयों में कोई मोती मेरे लिए चमक रहा हो.
उस पल मैंने उनके दिल में मेरे लिए वह अनकहा जज़्बा देखा जो मेरे लिए बिल्कुल नया था.
जब भाभी ने खड़ी होकर अपनी चुत को मेरे लंड की ओर बढ़ाया तो मेरे दिल की धड़कनें जैसे कोई तूफानी संगीत बन गईं.
मैंने प्यार और हिचक के साथ उन्हें रोका और धीमी, काँपती आवाज में कहा- भाभी, अब बस … इससे आगे नहीं!
मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर एक शरारती नाराजगी उभरी.
उन्होंने मेरी कमर पर एक चंचल, लेकिन गर्म थपकी दी, जिससे मेरे शरीर में बिजली-सी दौड़ गई.
उनकी इस अदा ने मेरी सारी हिम्मत छीन ली और मैं चुपचाप उनके सामने समर्पण कर बैठा.
फिर भाभी ने अपनी नजरें मेरी आंखों में डुबोते हुए मेरे लंड को अपनी कोमल चुत के स्पर्श से नवाजना शुरू किया.
उनकी उंगलियां मेरे घुटनों से लेकर मेरी जांघों तक इस तरह फिसलीं, जैसे कोई रेशमी रुमाल मेरे तन को लिपट रहा हो.
हर स्पर्श में एक तीव्र लेकिन रसीला अहसास था जो मेरे मन को किसी और ही आलम में ले जा रहा था.
जब भाभी ने मेरे पैरों में वह हल्का-सा कंपन महसूस किया तो उनकी आंखों में एक शरारती चमक उभर आई.
उनकी सांसें मेरे तन को और गर्म कर रही थीं जैसे कोई लावा मेरे शरीर पर रेंग रहा हो.
वे वापस से घुटनों पर आ गईं और धीमे लेकिन गहरे जुनून के साथ मेरे सबसे संवेदनशील हिस्से को यानि मेरे लंड के टट्टों अपने रसीले होंठों से चूम रही थीं.
हर चुंबन में एक तीव्र नशा था जो मेरे तन-मन को किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था.
उस पल मैं पूरी तरह उनके हवाले था.
मेरा मन, मेरा तन, सब कुछ उनकी गर्मी में पिघल रहा था.
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी मुलायम ज़ुल्फ़ों में डाल दिए उनके सिर को प्यार से सहलाते हुए.
फिर एक अनकही आग ने मुझे जकड़ लिया.
मेरे लंड से वापस से ज्वालामुखी फट पड़ा और मैं उनके होंठों की गर्मी में पूरी तरह डूब गया.
मेरी सांसें तेज़ हो गईं और मैं उस चरम सुख की लहर में बहने लगा, जो मेरे पूरे वजूद को झकझोर रही थी.
भाभी ने मेरे लंड को अपनी मजबूत पकड़ में जकड़ रखा था, जैसे वह मेरे हर जज़्बात को अपने में समेट लेना चाहती हों.
उनकी उंगलियां मेरी कमर में गहरे धँस रही थीं, जैसे वह कह रही हों- मुझे सब कुछ दे दे, मेरे राजा.
वह पल इतना तीव्र था कि मुझे समय का कोई अहसास नहीं रहा.
मैं बस उनकी गर्मी, उनकी पकड़ और उनके होंठों के जादू में खोया हुआ था.
भाभी ने मेरे लंड रस को अपने मुँह में ऐसे समा लिया, जैसे कोई प्यासी धरती बारिश की हर बूँद को पी लेती है.
जब वह लहर थमी, तो मैं निढाल होकर ज़मीन पर सरक गया.
मेरी आंखें आधी खुली थीं और मैं उन्हें देख रहा था.
भाभी के चेहरे पर वही चंचल लेकिन नशीली मुस्कान थी जो मेरे दिल को फिर से बेकरार कर रही थी.
उनकी आंखों में मेरे सुख को देखकर एक गहरा आनन्द चमक रहा था जैसे वे मेरे हर जज़्बात की गवाह बनकर पिघल रही हों.
उन्होंने मुझे प्यार से सहारा देकर उठाया और जब उनकी नजरें मेरी नजरों से टकराईं तो मैंने देखा कि उनकी आंखों में एक जादुई चमक थी.
उन्होंने धीरे से अपने होंठ खोले और मेरे मुरझाए लौड़े को अपने मुँह में मरे हुए मेंढक की तरह भर लिया.
आह … मैंने महसूस किया कि मैंने पहले कभी इतना गहरा, इतना तीव्र अनुभव नहीं किया था.
वह पल मेरे लिए किसी स्वर्ग के सुख से कम नहीं था.
भाभी ने मेरे लौड़े को अपने होंठों में दबा लिया था और मुसकुराती हुई वे लंड को होंठों से मसल रही थीं.
मेरे लंड में जान आने लगी थी तो उनकी वह मुस्कान मेरे लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज़ बन गई.
मैंने बिना कुछ सोचे लंड को खींचा और उनके होंठों को अपने होंठों से छू लिया.
उनके होंठों का स्वाद मेरे लिए किसी मादक शराब से कम नहीं था.
उनके होंठों में और मुँह में मेरे ही लंड रस की गर्मी का स्वाद था जो उनके स्पर्श से और तीव्र हो गई थी.
मैं उनके होंठों को चूमता रहा और उस पल में मेरी आंखों से आंसू छलक आए.
ये आंसू मेरे चरम आनन्द के थे, मेरे पुरुषत्व की आग के थे और भाभी ने मेरे इस भाव को तुरंत समझ लिया.
मेरे दोनों हाथ उनके गालों पर थे और मैं उनके होंठों को इस तरह चूस रहा था जैसे वे मेरे लिए जीवन का अमृत हों.
भाभी भी मेरे बालों को प्यार से सहला रही थीं जैसे वह मेरे हर जज़्बात को अपने दिल में बुन रही हों.
मैं उनके होंठों को देर तक चूमता रहा, हर पल को जीता रहा.
तभी, भाभी ने शरारत से मेरे सीने को हल्के से चिकोट लिया.
मैं एकदम से होश में आया और उनकी ओर देखने लगा.
उनके चेहरे पर एक नया जोश चमक रहा था जैसे वह मेरे हर भाव को अपने में समा लेना चाहती हों.
मैंने महसूस किया कि मैं पूरी तरह नग्न था जबकि भाभी अपने दो कपड़ों में उतनी ही मादक और रहस्यमयी लग रही थीं.
मेरे मन में एक हल्की-सी शर्म जागी और मैं पीछे सरकने लगा.
लेकिन भाभी मेरे साथ-साथ खिसक आईं, उनकी आंखों में एक ज्वाला-सी जल रही थी.
शर्म से मेरा सिर झुक गया.
लेकिन भाभी ने प्यार से मेरा चेहरा उठाया … उन्होंने मेरे निचले होंठ को हल्के से काट लिया और उनकी वह हरकत मेरे शरीर में फिर से आग जगा गई.
उनकी वह हरकत मानो कह रही थी कि ‘मेरे सामने शर्माने की कोई ज़रूरत नहीं, मेरे कामुक देवर.’
उनकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर बिखर रही थीं और मैं फिर से उनके न/शे में डूबने लगा.
पहली बार उनकी आवाज़ मेरे कानों में गूँजी.
इतनी मादक, इतनी रसीली कि मेरा दिल पिघल गया ‘तेरी भाभी अपने देवर से बेपनाह प्यार चाहती है. क्या तू मुझे वह प्यार देगा?’
उनकी इस विनम्रता और उनके मादक निमंत्रण ने मेरे पूरे वजूद को हिला दिया.
मैंने शर्माते हुए, लेकिन दिल की गहराइयों से कहा- भाभी, मैं तो कब से आपके इस हुस्न की आग में जल रहा हूँ. बस, ये डर था कि आपके सामने अपने जज़्बात कैसे उड़ेलूँ.
मेरी बात सुनकर भाभी के गाल लाल गुलाब की तरह चमक उठे जैसे सूरज की पहली किरण किसी फूल को चूम ले.
उनकी वह शर्म मुझे और करीब खींच रही थी.
मैंने फिर से उनके होंठों को चूमा, इस बार और गहराई से और गर्मी से.
मेरे हाथ उनके बाजुओं को थामे हुए थे और हम दोनों धीरे-धीरे उठने लगे.
मैं उनके होंठों को इस तरह चूस रहा था, जैसे उनके होंठों में मेरे लिए दुनिया का सबसे मादक रस भरा हो.
भाभी ने अपनी जीभ मेरे होंठों पर फेरी और उस पल में हम एक-दूसरे की गर्मी में पूरी तरह पिघल गए.
मेरे हाथ उनकी कमर से होते हुए उनके कूल्हों तक चले गए.
वह हिस्सा जो मेरे लिए उनके हुस्न का सबसे नशीला गहना था.
भाभी ने भी मेरी कमर को वहीं सहलाना शुरू किया जहां उनकी थपकी ने मुझे पहले आग में झोंक दिया था.
हमारी जीभ एक-दूसरे को चूम रही थी और भाभी की सांसों का गर्म रस मेरे होंठों पर बिखर रहा था.
मैं उस रस को चख रहा था जैसे कोई भटका मुसाफिर मरुभूमि में किसी झरने का पानी पी रहा हो.
उनकी सांसें, उनकी गर्मी और उनका जुनून मेरे तन-मन को फिर से जगा रहा था.
कुछ देर बाद, जब हमारी नजरें फिर से मिलीं तो भाभी ने शर्माते हुए अपने चेहरे को मेरे सीने में छुपा लिया.
उनकी वह शर्म, उनकी वह गर्मी और उनका वह जुनून मुझे किसी जन्नत की सैर करा रहा था.
मैंने उनकी आंखों में झांकते हुए, एक शरारती मुस्कान के साथ पूछा- अब काहे की शर्म मेरी जान?
भाभी ने जवाब में कुछ नहीं कहा, बस उनकी आंखों में एक मादक चमक उभर आई.
उन्होंने मेरे सीने को अपनी नर्म उंगलियों से सहलाया और मेरे एक निप्पल को हल्के से कुरेद दिया.
उनकी वह छुअन मेरे शरीर में बिजली-सी दौड़ा गई और मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
उनकी हर हरकत में एक जादू था, जो मुझे और बेकरार कर रहा था.
मैंने उनकी ओर देखा और धीमे लेकिन गहरे स्वर में कहा- भाभी, दरवाजा बंद कर दो. आज कोई नहीं आएगा हमारे बीच!
उनकी आंखों में एक चंचल शर्म झलकी.
लेकिन वे उठीं और दरवाजे की सिटकनी चढ़ा आईं.
दोस्तो, एक लंबे प्रेम के वातावरण के बाद अब चुदाई की बेला आ गई थी.
आपको मेरी इस डिक सकिंग भाभी स्टोरी में कितना मजा आ रहा है?
प्लीज अपनी प्रतिक्रिया यहां पर अवश्य दें.
[email protected]
डिक सकिंग भाभी स्टोरी का अगला भाग:
What did you think of this story??
Comments