एक उपहार ऐसा भी-11

(Ek Uphar Aisa Bhi- Part 11)

संदीप साहू 2020-06-02 Comments

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरी इस भाभी की चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मेरी दोस्त की प्राची भाभी मुझसे चुदने के लिए मरी जा रही थीं. उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए थे.

अब आगे भाभी की चुदाई कहानी:

इस वक्त भाभी मेरे ठीक सामने खड़ी थीं, उनकी चूत मेरी आंखों के सामने सिर्फ पेंटी की आड़ में छुपी थी, उनकी गोरी गदरायी जंघाएं केले के वृक्ष के सुडौल छिले हुए तने की भांति अटल और बलिष्ठ लग रही थीं.

वैसे भाभी सुकोमल तो इतनी थीं कि गुलाब की पंखुड़ियों से भी खरोंच आ जाए, पर बदन की सुडौलता और अंगों के कटाव की वजह से मैं उसे बलिष्ठ कहने पर विवश था.

उन्होंने काली पैंटी ही पहनी थी, शायद सैट वाली ब्रा पैंटी थी, जिसके कारण उनका रंग और भी निखर रहा था.

अब मुझसे रहा ना गया और मैंने उनको वैसी ही मुद्रा में जकड़ लिया और मुँह चूत पर लगा कर सूंघने लगा. मैं शेर से कब कुत्ता बन गया, पता ही नहीं चला. वैसे चूत का नशा होता ही ऐसा है कि अच्छा भला इंसान कुत्ता बन जाता है.

भाभी खड़ी रहीं और मैं बैठकर उनकी टांगों से लिपटा रहा. मैंने कुत्ते की भांति भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से ही चाटना शुरू कर दिया. वो मेरी मालकिन की तरह मेरे बालों को सहलाने लगीं.
फिर मैंने पैंटी एक ओर करके चूत को खोल लिया. चूत कैसी दिख रही थी, ये उस वक्त नहीं देख पाया. क्योंकि मैंने तुरंत आंखें मूंद ली थीं और अमृत की तलाश में जीभ आगे बढ़ा दी. मुझे कुछ सफलता भी मिली. अमृत बूंदों का स्वाद पाकर मैं और बेचैन हो गया.

मैंने अब अपनी दो उंगलियों को एक साथ मिलाकर चूत में डाल दिया ताकि अन्दर से अमृत की बूंदें ढूंढकर बाहर निकाल सकूं. मेरी जीभ की गर्मी पाकर प्राची भाभी की फूली हुई चूत और भी मस्त होने लगी और सांस लेती चूत का स्पष्ट अहसास पाकर मेरी हरकतें तेज होने लगीं.

शायद प्राची भाभी भी बेचैन हो रही थीं. जिसकी वजह से और खड़े रहना उनके लिए भी तकलीफ दायक था. तो उन्होंने पैर मोड़ना शुरू किया. मैं समझ गया कि ये अब बिस्तर में पसर जाना चाहती हैं.

मैंने उन्हें तकिए की ओर चेहरा करके उल्टा लेट जाने को कहा और मैंने खड़े होकर तुरंत ही अपना पजामा और ब्रीफ शरीर से अलग कर दिया.

प्राची भाभी पीछे से और भी सुंदर लग रही थीं. उनके मांसल नितंब कयामत की खूबसूरती समेटे हुए थे.

मैंने फैसला किया था कि प्राची भाभी के हर अंग को अपने लंड से चोदूंगा. इसलिए मैं उनके ऊपर आ गया और पहले पैरों को लंड से सहलाते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा.

भले ही प्राची भाभी कितनी भी अनुभवी क्यों ना रही हों. लेकिन उनके लिए ये अनुभव नया था. वो सिहर उठीं, हालांकि उन्होंने अपने शरीर पर वैक्सिंग कराई थी, पर लंड की छुवन और वैक्सिंग का अहसास बहुत अलग होता है.

फिर मैंने उनकी दोनों पिंडलियों पर बारी-बारी से लंड को चलाया, कोमल गुदगुदी वाली जगहों पर उनका और भी बुरा हाल हो जा रहा था.

भाभी के कंठ से ‘आहह … उहह..’ की निरंतर आवाज आने लगी थी.

पाठक इस कार्य को सहज भी ना समझें, लंड का पूरे शरीर पर परिचालन के लिए अपने शरीर को भी लचीला रखना पड़ता है और गजब के धैर्य के साथ कार्य को अंजाम देना होता है.

मैं अपने लंड को प्राची भाभी के बदन पर सैर कराते हुए उनके नितंबों तक आ पहुंचा.

तब मुझे भाभी की पैंटी टोल नाके की तरह परेशान करने लगी, पर इस नाके को उखाड़ फेंकना मेरे वश में था. मैंने पैंटी को एक पल में उतार दिया और बेदाग मस्त उभरे हुए कूल्हों को देखकर पहले से सख्त लंड और फुंफकार उठा.

मैं भाभी की कमर के दोनों ओर पैर डाल कर बैठ गया. मैंने उनकी सुंदर मांसल गांड को जी भरके मसला. साथ ही कई चपतें भी लगाईं और लंड से सहलाने का क्रम जारी रखा. जंघाओं पर गांड पर पीठ पर कंधे पर सभी जगह लंड की सैर कराते हुए मैं प्राची भाभी को और बेचैन कर चुका था.

फिर मैंने भाभी के ऊपर चढ़कर पीछे से हाथ डालकर स्तनों को पकड़ा और मथने लगा. इस पोजीशन में मेरा लंड चूत और गांड के बीच दस्तक दे रहा था और भाभी की मादक सिसकारियां बढ़ने लगी थीं. उन्होंने वैसे ही लेटे रह कर अपना चेहरा घुमाया.

मैंने देखा भाभी की आंखें वासना से लाल हो चुकी थीं. उन्होंने कांपते होंठ मेरी ओर बढ़ाए … और मैंने उन्हें अपने होंठों से थाम लिया.

कुछ देर ऐसे ही होंठ चूसे, फिर मैंने प्राची भाभी को सीधा लेटा लिया. इस बार मैं उनकी नाभि के चारों ओर लंड घुमाने लगा. मैंने देखा कि चिकनी भाभी के रोम छिद्र तक उभर कर बता रहे थे कि यह अनोखा अहसास उन्होंने पहले कभी नहीं भोगा था.

फिर लाजवाब अन्दर धंसे पेट से होते हुए मेरा लंड पहाड़ों और घाटियों के बीच जा पहुंचा और सुंदर वादियों में खो जाने के लिए मचल उठा. पहले मैंने चूचुक और पूरे घेराव में लंड को घुमाया. फिर घाटी की ओर लंड फिसलाने लगा. तो प्राची भाभी ने खुद अपने उरोजों को दोनों हाथों से दबाकर लंड को घाटी में फंसा लिया.

औरत के बोबों में लंड डालकर चोदना आसान नहीं होता, क्योंकि लंड फिसलने का नाम ही नहीं लेता. इसलिए मुझे लंड पर बहुत क्रीम लगानी जरूरी लगी. मैं एक ओर झुका और अपना बैग खींच लिया. उसमें मैंने सफर के लिए क्रीम रखी थी, वही लंड पर लगा ली.

मेरा लंड तो दवा और वासना की वजह से पहले ही बहुत कठोर दिख रहा था. और अब क्रीम लग जाने से उसकी चमक देखते ही बनती थी. लंड पर उभरी नसें और भी लाजवाब लग रही थीं.

मैं प्राची भाभी के उभारों के बीच लंड फंसा कर उनके मम्मों को चोदने लगा. इस तरह मेरा लंड उनके होंठों तक भी पहुंच रहा था.
प्राची भाभी ने अपना मुँह खोल लिया और वो हर बार लंड को मुँह में लेने के लिए बेचैन हो जाती थी.

जब मैंने स्तनों की चुदाई कर ली तो मैंने खुद ही प्राची भाभी के मुँह में लंड दे दिया. पहले से भूखी प्राची भाभी लंड ऐसे चूसने लगीं, जैसे कोई कुतिया हड्डी चूस रही हो.

उन्होंने लंड पूरा चूस लेने का प्रयास किया. पर मेरे लंड की मोटाई की वजह से भाभी आधा ही लंड चूस पा रही थीं.

अब तक मुझे भी चूत चाटने की बेचैनी हो चुकी थी. मैंने भी घूम कर चुत को मुँह में भर लिया. मतलब हम 69 की पोजीशन में आ गए थे.

प्राची भाभी की चूत तो पहले ही रस भर चुकी थी और मैंने पहले ही घूंट में बहुत सारा रस पी लिया. प्राची भाभी ने पैर और फैला दिए, जिससे उनकी गुलाबी चूत के अन्दर तक दर्शन होने लगे.
चूत के दाने को मैंने जीभ से टारगेट करके भाभी को पागल कर दिया.

प्राची भाभी की चूत पूरी तरह खुली थी. अपनी मस्त उभरी हुई चूत को वे पूरा चिकना करके आई थीं. चूत की फांकें ऐसी बढ़ और फैल गई थीं … मानो किसी के होंठ आगे की ओर निकल आये हों.

मैंने भाभी की चुत की फांकों को फैलाकर एक एक को मुँह में भरकर जी भर कर चूसा. प्राची भाभी के हाथ मेरे बालों पर आ गए और उन्होंने मेरे बाल खींचना शुरू कर दिए. मुझे अहसास हुआ कि मैं जितना ज्यादा चूत चूस कर सुख पहुंचाता हूँ, भाभी भी लंड को उसी तेजी से चूस कर मेरा जवाब देती हैं.

फिर मैंने जीभ को नुकीला करके चूत के अन्दर जहां तक जीभ जा सकी, चोदना शुरू कर दिया. प्राची भाभी इससे और भी ज्यादा मचल गईं. फिर मैंने अपनी नाक से चूत के दाने को सहलाया और चूत को जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटते हुए उठकर लंड को चूत पर टिकाने लगा.

प्राची भाभी मदहोशी की हालत में भी होश में थीं. उन्होंने कहा- रुको.

फिर पास पड़े अपने कपड़े उठाकर उसकी जेब से तीन कंडोम का एक पैकेट निकाला.

मेरी इच्छा तो नहीं थी, पर वो सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहती थीं. उनके कहने पर मैंने दो कंडोम एक के ऊपर एक लंड पर चढ़ा लिया. कंडोम चढ़ जाने पर मुझे अन्दर लंड पर और बाहर दोनों तरफ डॉट का अहसास हुआ, शायद वो बहुत मंहगा कंडोम रहा होगा. वैसे मुझे कंडोम के बारे में ज्यादा पता नहीं है.

फिर मैंने भाभी की दोनों टांगें अपने कंधों पर रख लीं और लंड का सुपारा चूत पर टिका कर झटका दे दिया. चूत पहले से कामरस से सराबोर थी, ऐसे में लंड का फिसलना लाजिमी था. पर प्राची भाभी की खुली हुई चूत में भी लंड दीवारों को रगड़ता हुआ अन्दर गया.

जब लंड पूरी गहराई में जाकर बच्चेदानी से टकराया. प्राची भाभी के मुँह से चीख तो नहीं निकली पर चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आईं.
भाभी ने उस दर्द को पी लिया और होंठों को अन्दर करके दांत में दबा लिया.

मैंने लंड पूरी तरह बाहर खींचा और दुबारा पूरी ताकत से अन्दर ठोक दिया. इस बार उनके मुँह से हल्की चीख निकल आई.

अब मैंने इसी तरह चुदाई शुरू कर दी, मैंने प्राची भाभी के पैरों को हाथों से संभाला था, तो उन्होंने खुद अपने स्तन संभाल रखे थे. अब घपाघप चुदाई शुरू हो चुकी थी. भाभी के चेहरे पर मैंने आंसू रूपी मोती ढलकते देखे, निश्चित था कि ये खुशी के आंसू थे.

प्राची को असीम आनन्द आने लगा. आनन्द तो मुझे भी आ रहा था, पर मेरी हालत वैसी ही थी, जैसे हेलमेट पहने व्यक्ति को बाहर का शोरगुल कम सुनाई देता है और स्पीड में हवा की सरसराहट पता नहीं चलती. तो अनायास ही वाहन चालक गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है.

मुझे भी डबल कंडोम से वैसा ही अहसास हो रहा था और मैं किसी अहसास को पाने के लालच में स्पीड और तेज कर रहा था.

उधर प्राची भाभी मेरे ऐसे तेज हमले से सिहर उठी थीं. भाभी ‘आहहह उहह..’ की आवाज करते हुए कांपने लगीं. मैं उन्हें लंबे समय तक यूं ही चोदता रहा.

फरवरी के महीने में भी मैं पसीने से तरबतर हो गया था. दूसरी तरफ प्राची भाभी तो जैसे पसीने से पूरी तरह नहा चुकी थीं. शायद भाभी अब तक एक दो बार अपना रस बहा चुकी थीं, पर मेरा तो अभी दूर-दूर तक होने की कोई संभावना नहीं थी.

अब मैंने प्राची भाभी के एक पैर को छोड़ दिया और एक पैर को कंधे में लेकर थोड़ा एक तरफा पोजीशन सैट कर लिया. इस तरह चोदने से भी लंड बहुत मस्त तरीके से अन्दर तक जाता है.
मैंने इस तरह भी प्राची भाभी को बहुत देर तक चोदा.

अब प्राची फिर से अकड़ने बड़बड़ाने लगीं … पर वो लेटी रहीं.

ऐसा वो कई बार कर चुकी थीं. ये कहना मुश्किल है कि ये उनका स्खलन होता था या मजे का अहसास का स्वर था. पर मैं बेरहमी से उन्हें चोदता ही रहा.

फिर एक वक्त ऐसा आया कि भाभी ने अपने पेट और पेट से थोड़ा नीचे हाथ रख लिया. शायद उन्हें तेज दर्द होने लगा था.

उसके चेहरे पर दर्द साफ देखा जा सकता था और अब वो लहराते शब्दों से कहने लगीं- आन्ह … बस हो गया … अब जल्दी छोड़ो मुझे … मैं और साथ नहीं दे सकती.
तब मैंने कहा- तुम तो दवा खा कर आई थी ना?
उन्होंने कहा- नहीं यार … महिलाओं के लिए ऐसी कौन सी दवा आती है … मुझे वही नहीं पता. मैंने तो इसलिए झूठ बोला था ताकि तुम चुदाई के वक्त मुझ पर कोई रहम ना करो.

मैंने चुदाई और तेज करते हुए कहा- फिर अब क्यों रहम की भीख मांग रही हो?
उन्होंने कहा- यार पहले तो तुम्हारा लंड बड़ा और मोटा है, दूसरा तुम्हारी स्टेमिना बहुत ज्यादा है. मैं हार गई, मेरा पेट दुख रहा है, चूत में जलन हो रही है. प्लीज मुझे छोड़ दो.

मैंने भाभी की बात अनसुनी कर दी और कुछ देर और जबरदस्त चुदाई की.

फिर लगा कि अब मैं आ सकता हूँ, तो मैंने अधमरी हो चुकी प्राची भाभी को उठाकर सामने कुतिया बनाया. लंड से कंडोम उतारा और लंड को प्राची के मुँह के सामने हिलाने लगा. प्राची भाभी मेरी गोलियां चाटने लगीं, लंड पर जीभ फिराने लगीं.
तब जाकर कहीं कुछ मिनट बाद मेरा लावा फूटा और प्राची भाभी के चेहरे को पूरा भिगो गया.

प्राची भाभी ने लंड चूस कर अंतिम बूंद भी निचोड़ी और चेहरे पर बिखरे वीर्य को उंगलियों में लगाकर चाटने लगीं.

इस भयंकर चुदाई के तीन मुख्य कारण रहे, पहला तो दोहरे कंडोम की वजह से जल्दी स्खलन नहीं हुआ और मैंने दवा भी खा रखी थी. फिर तीसरा कारण था कि मैंने दिन में भी चुदाई की थी, इस कारण भी जल्दी स्खलन नहीं हो रहा था.

हमारी लम्बी चली चुदाई में प्राची पस्त होकर ऐसे लुढ़क गईं कि उनकी नींद ही लग गई.
मैंने उन्हें चादर ओढ़ा दिया.

मेरा लिंग तो अब भी तना हुआ था, पर मुझे प्राची भाभी की हालत पर दया आ गई.

मैं जानता था कि लंड का ये तनाव, दवा की वजह से है, जो कुछ देर में शांत हो जाएगा. मैं बाथरूम से होकर आया और प्राची भाभी के पास बैठकर उन्हें निहारने लगा. वो किसी फूल की भांति खूबसूरत, निश्चल शांत और हल्की लग रही थीं. संतुष्टि के स्पष्ट भाव उनके मुखमंडल पर नजर आ रहे थे.

प्राची भाभी की चुदाई की कहानी पढ़कर आपको कैसा लगा. ये सेक्स कहानी अभी जारी रहेगी. विभिन्न चुतों की चुदाई की कहानी के साथ बने रहकर आप चुदाई का आनन्द लेते रहिए.

आपको यह भाभी की चुदाई कहानी कैसी लग रही है, आप अपनी बात और सुझाव निम्न पते पर दे सकते हैं.
[email protected]
भाभी की चुदाई कहानी जारी है.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top