बीवी की सहेली की चुदाई- 5
(Live Sex Training Story)
लाइव सेक्स ट्रेनिंग स्टोरी में मेरी बीवी की सहेली अपने जेठ की जवान बेटी को मेरे लंड से चुदवाने के लिए गर्म करने के लिए उसके सामने कैसे चुदी?
कहानी के चौथे भाग
जवान स्कूल गर्ल से सेक्स की बातें
में आपने पढ़ा कि बीवी की सहेली की जवान भतीजी को मैं अपने लंड के नीचे लाने के लिए तैयार कर रहा था.
अब आगे लाइव सेक्स ट्रेनिंग स्टोरी:
आरती की उम्र के हिसाब से ज्यादा बड़ी गांड ऊपर को उठी हुई थी।
मैं जाकर आरती के पास बैठ गया और पीछे से उसकी नंगी जाँघ को हल्के से सहलाते हुए पूछा, “आरती, सच बताओ ना, तुम्हें कैसा लग रहा था?”
आरती मेरे बार-बार यही सवाल पूछने पर मुँह छुपाए हुए ही सिर्फ एक शब्द बोली, “अच्छा।”
मैंने उसकी स्कर्ट थोड़ी ऊपर उसके चूतड़ों तक खिसकाते हुए, उसकी चूतड़ की एक गोलाई के निचले हिस्से पर अंगुलियाँ फिराते हुए कहा, “आरती, सच बताओ, तुम्हें अपनी चूत मसलवाकर अच्छा लग रहा था ना!”
आरती बोली, “जी भैया।”
मैंने बिना कोई परवाह किए अपना एक हाथ आरती के चूतड़ों के बीच से निकालकर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत की दरार में एक अंगुली फिरा दी।
आरती ने मेरी हरकत से सिहरते हुए मेरा एक हाथ कसकर पकड़ लिया।
मैंने आरती की चूत को मुठ्ठी में बंद करना चाहा, तो उसने अपने चूतड़ हल्के से ऊपर उठा दिए।
मैंने अपनी हथेली में उसकी मक्खन जैसी चूत को पूरी तरह भरते हुए मसल दिया।
आरती की आह सीसी, “अह भैया!” सिसकारी निकल गई।
मैंने आरती के कान के पास अपने होंठ लगाकर कहा, “आरती, ऐसे ही उसने भी तुम्हारी चूत मसली होगी ना!”
आरती सिर हिलाकर बोली, “जी भैया, ऐसे ही!”
मैंने आरती की गर्दन से बाल एक तरफ किए और उसके कानों के पीछे और गर्दन पर चूमने लगा।
आरती आह सी, “आह भैया, चाची आ जाएगी! उफ्फ, बस करो ना!” करने लगी।
मैंने आरती की गर्दन चूमते हुए उसे गोद में उठा लिया।
आरती का प्यारा सा चेहरा मेरी आँखों के सामने था। उसने आँखें बंद कर रखी थीं।
आरती में बिल्कुल भी वजन नहीं था, एकदम फूल जैसी और मासूम कोमल सी आरती मेरी बाहों में थी।
मैंने उसके लाल, सुर्ख होंठों को चूमकर कहा, “आँखें खोलो ना आरती!”
आरती ने धीरे से आँखें खोलीं, तो मैंने कहा, “कैसा लग रहा है तुम्हें?”
आरती मुस्कुराते हुए बोली, “भैया, बहुत अच्छा!”
फिर मैंने आरती को प्यार से बेड पर लिटाया और उसकी शर्ट के बटन खोलकर ब्रा और शर्ट दोनों निकाल दिए।
आरती ने शर्म से अपने दोनों बूब्स हाथों से ढक लिए।
मैंने आरती के हाथ हटाते हुए कहा, “आरती, अपनी प्यारी सी चूचियाँ देखने दो ना!”
आरती धीरे से बोली, “भैया, बहुत शर्म आ रही है!”
मैंने आरती के हाथ पकड़कर धीरे से हटाते हुए कहा, “मेरी जान, एक बात बताओगी?”
आरती बोली, “जी भैया, बोलिए!”
मैंने कहा, “जब उस लड़के से अपने आम चुसवा रही थी, तब शर्म नहीं आई?”
आरती मेरी बात पर गर्दन दूसरी तरफ घुमाकर रह गई।
इधर मैंने आरती के रुई जैसे नरम बूब्स को सहलाते हुए उसकी एक निपल, जो हल्के भूरे रंग की थी और किशमिश के दाने जितनी बड़ी थी, को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
फिर मैंने आरती की दूसरी निपल को चूसा।
आरती आह सी, “भैया, प्लीज छोड़ो ना मुझे!” बोल रही थी।
मैं अपने एक हाथ से आरती की चूत को लगातार मसले जा रहा था।
आरती की पैंटी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी।
मैंने स्कर्ट के अंदर से उसकी पैंटी निकालनी चाही, तो आरती ने पैंटी को कसकर पकड़ लिया।
वो बोली, “नहीं भैया, ऐसा मत करो प्लीज! चाची आ जाएगी!”
मैंने पैंटी छोड़कर उसका चेहरा पकड़ लिया और उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नरम होंठ चूसने लगा।
आरती के बदन से मदमस्त करने वाली महक आ रही थी।
आरती भी अब किस करने में मेरा सहयोग करने लगी।
मेरे हाथ उसके बूब्स को मसल रहे थे और हम दोनों पागल प्रेमी-प्रेमिका की तरह एक-दूसरे के होंठ और जीभ चूस रहे थे।
मैंने आरती के होंठ छोड़कर अपनी जींस उतार दी।
मेरा लंड अंडरवियर में फुफकार रहा था।
मैंने आरती का हाथ पकड़कर अंडरवियर के ऊपर से लंड पर रखना चाहा तो वो नखरे दिखाने लगी।
आधी से भी कम उम्र की कमसिन लौंडिया के नखरे देखकर मेरा खून उबलने लगा।
मैंने अंडरवियर उतारकर जबरदस्ती लंड आरती के हाथ में पकड़ा दिया।
लोहे जैसे सख्त लंड पर आरती के कोमल हाथ के स्पर्श से लंड झटके मारने लगा।
तभी डोरबेल बजी।
आरती फुर्ती से मेरा लंड छोड़ते हुए बेड से उठकर अपने कपड़े सही करने लगी और लंड की तरफ अपनी पतली अंगुली करके बोली, “भैया, प्लीज आप इसको जल्दी अंदर कीजिए! लगता है चाची आ गई!”
पर मैंने बेशर्मी से उसकी पतली कमर में हाथ डालकर उसे बाहों में झकड़ते हुए कहा, “आरती, देखना अब तुम्हारी यही चाची अपने हाथ से मेरा लंड तुम्हारी चूत में डलवाएगी!”
आरती डरते हुए बोली, “नहीं भैया, प्लीज ऐसे मत बोलो! मुझे दरवाजा खोलने जाना है!”
मैंने कहा, “तुम यहीं रुको, मैं दरवाजा खोलकर आता हूँ!”
मैं टी-शर्ट और बनियान उतारकर पूरा नंगा हो गया।
एक हाथ से लंड को आगे-पीछे करते हुए, दूसरे हाथ से आरती का नरम चूतड़ मसलकर बाहर की तरफ बढ़ गया।
मैंने दरवाजे के होल से बाहर देखा, तो भाभी ही थी।
मैंने दरवाजे की ओट लेते हुए दरवाजा खोला, तो भाभी अंदर आ गईं।
भाभी ने मुझे नंगा देखकर फुर्ती से दरवाजा बंद कर दिया और मेरे लंड को देखते हुए बोली, “क्या हुआ देवर जी! लगता है उसकी बलि चढ़ गई!”
मैंने भाभी का हाथ पकड़कर उसे लंड थमा दिया और उसकी कमर में हाथ डालकर कमरे की तरफ ले गया।
कमरे में आरती हक्की-बक्की खड़ी भाभी को मेरा लंड हिलाते हुए देख रही थी।
उसे ऐसे देखकर भाभी उसकी गाल सहलाते हुए बोली, “क्या हुआ बेटी? तुम ऐसे क्यों देख रही हो?”
आरती कुछ नहीं बोली।
फिर भाभी मुझसे बोली, “देवर जी, आप लंड को हिलाते हुए नंगे घूम रहे हो, और आरती बिटिया अभी भी पूरे कपड़ों में है! क्या आपने आरती बिटिया को अभी तक प्यार नहीं किया?”
मैंने भाभी को घुटनों के बल अपनी टाँगों में बिठाते हुए लंड उसके मुँह में ठूंस दिया, जिसे वो लपर-लपर चूसने लगी।
भाभी बिना किसी बात की परवाह किए बेफिक्री से लंड चूस रही थी, और आरती ध्यान से भाभी को देख रही थी।
मेरी नजरें आरती के चेहरे पर टिकी थीं।
भाभी को मेरी बॉल्स के साथ खेलते और लंड चूसते देखकर आरती का चेहरा वासना से लाल हो चुका था।
मैंने धीरे से आरती को आवाज दी।
उसने अपनी नजरें उठाकर मुझे देखा।
मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया तो वो चुपचाप मेरे पास आ गई।
मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर उसके होंठ चूसने लगा।
आरती के होंठ चूसते-चूसते मैंने उसकी शर्ट और ब्रा उतारकर फेंक दी।
उसके दोनों बूब्स अब आजाद थे।
मैंने दोनों को प्यार से मसलते और चूसते हुए उसकी स्कर्ट भी उतार दी।
आरती मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैंने धीरे से उसके कान में कहा, “आरती, अपनी पैंटी भी उतार दो ना!”
आरती ने बिना एक पल गँवाए पैंटी उतार दी।
पैंटी उतरते ही मैंने उसके हाथ से पैंटी ले ली और अपने नाक से उसकी चूत की मादक खुशबू सूँघने लगा।
नई-नई जवान हुई लौंडिया की चूत की खुशबू दुनिया के हर सेंट से अच्छी होती है।
मैंने आरती से कहा, “आरती, तुम्हारी चूत बहुत खुशबूदार है!”
मेरी बात सुनकर आरती के होंठों पर प्यारी सी मुस्कान तैर गई।
मैंने पैंटी उसकी नाक से लगाकर कहा, “लो, अपनी चूत की खुशबू सूँघो!”
आरती छोटे से नाक को पैंटी से लगाकर सूँघते हुए बोली, “सच्ची भैया, मेरी चूत बहुत खुशबूदार है!”
फिर मैंने भाभी से कहा, “भाभी, लो आरती की चूत की खुशबू सूँघकर देखो, कितनी मजेदार है!”
भाभी लंड मुँह से बाहर निकालकर आरती की संगमरमरी टाँगों पर धीरे-धीरे हाथ फिराते हुए, हाथों को आरती की टाँगों के जोड़ के बीच ले गईं।
और आरती के चेहरे की तरफ देखकर उसकी चूत की दरार में अंगुलियाँ फिराते हुए बोलीं, “देवर जी, जब आरती का खजाना हमारे सामने है, तो हम उसकी खुशबू सूँघेंगे! खजाने को ढकने वाले कवर को सूँघने का क्या फायदा!”
भाभी की अंगुलियों के टच से आरती सिहरकर मुझसे लिपट गई।
मैंने आरती को कसकर पकड़ते हुए अपना लंड उसकी चूत से भिड़ा दिया और उसकी एक बाँह उठाकर लंड के सुपाड़े को चूत की दरार में रगड़ते हुए उसकी बगल चाटने लगा।
आरती मेरी इस हरकत से काँपने लगी।
मैं लंड के सुपाड़े का दबाव उसकी चूत के एकदम हार्ड दाने से रगड़ रहा था।
दो मिनट में ही आरती आह सी सीसी, “उफ्फ भैया, आह मम्मी, ये क्या हो रहा है! लगता है मेरा सूसू निकल जाएगा!”
करते हुए झड़कर मुझसे लिपट गई।
आरती लंबी-लंबी साँसें लेकर बदहवास हो चुकी थी।
तब तक भाभी नीचे से खड़े होकर एकदम नंगी होकर आरती के बालों में हाथ फिराते हुए आरती से बोलीं, “बेटी, तुम्हें देवर जी के लंड की तुम्हारी चूत पर पहली दस्तक और चूत से पहली बार कामरस छोड़ने की बधाई हो!”
आरती मेरे होंठों को बड़े प्यार से चूमते हुए भाभी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली, “थैंक्यू चाची!”
फिर भाभी मुझसे बोली, “देवर जी, आप आरती को बधाई नहीं दोगे क्या?”
मैंने आरती की मखमली चूतड़ों को दोनों हाथों से भींचते हुए कहा, “क्यों नहीं भाभी! मैं तो आरती को बधाई के साथ बहुत बड़ा गिफ्ट दूँगा!”
मैंने आगे कहा, “पर वो तब मिलेगा, जब आरती मेरा पूरा लंड अपनी प्यारी सी चूत में लेकर अपना उद्घाटन करवा लेगी!”
भाभी आरती की हिम्मत बढ़ाने के तरीके से बोलीं, “देवर जी, हमारी आरती बेटी को कम मत समझो! ये आपके लंड को चूत में लेकर ना निचोड़ डाले, तो हमें बोलिएगा!”
मैंने आरती को गोद में उठाकर बेड पर लिटा दिया और उसकी टाँगें फैलाकर चूत से निकल रहे पानी को चाटने लगा।
अनचुदी कुंवारी चूत, जिसपर भूरे रंग के छोटे-छोटे बाल थे, उसकी महक जैसे मेरे रोम-रोम में बस रही थी।
और चूत से निकल रहे कामरस के स्वाद का तो कहना ही क्या!
आरती बेड पर अपनी दोनों टाँगें फैलाए मेरे सामने लेटी थी।
गजब की सुंदर थी आरती की चूत।
चूत के होंठ गुलाबी-बज रंगत लिए हुए थे, जो पाव रोटी की तरह फूलकर एक-दूसरे से चिपके हुए थे।
मैंने दो अंगुलियों के सहारे आरती की चूत के होंठों को हल्का सा खोला, तो मुझे आरती की चूत का दाना, जो एकदम सख्त और उभरा हुआ था, नजर आया।
उसके थोड़ा नीचे चूत का छेद था, जो एकदम लाल था।
उसमें से अभी भी सफेद पानी बह रहा था।
मैंने आरती की चूत की तारीफ करते हुए कहा, “कसम से आरती, तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है! आज तक मैंने इतनी प्यारी चूत नहीं देखी!”
मैंने आरती के जवाब का इंतजार किए बिना अपनी जीभ को नुकीली करके चूत के छेद से लगाकर रगड़ना शुरू कर दिया।
आरती फिर से बेचैन होकर तड़पने लगी।
भाभी उसके सिर के पास बैठकर उसके बालों में हाथ फिराते हुए उसके छोटे-छोटे बूब्स चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोली, “आरती बेटी, क्या तुमने कभी चूत में लंड अंदर-बाहर होते देखा है?”
आरती बोली, “नहीं चाची, मैंने कभी नहीं देखा!”
भाभी फुर्ती से एक सिरहाना उठाकर अपनी गांड के नीचे लगाकर लेटते हुए बोली, “देवर जी, आ जाओ! मेरी चूत में अपना लंड डालो!”
वो आगे बोली, “आरती बेटी, चूत में लंड जाता हुआ देखकर आसानी से लंड ले सकेगी!”
मैंने आरती की चूत को चाटना छोड़कर भाभी की टाँगों के बीच पोजीशन ले ली।
भाभी ने मेरे लंड को बॉल्स के पास से पकड़ा और खींचते हुए अपने छेद से लगा लिया।
फिर वो गर्दन घुमाकर आरती से बोली, “देखो बेटी, मेरी टाँगों के बीच! लंड को अंदर कैसे लिया जाता है, सीख लो!”
आरती उठकर बेड से खड़ी होकर मेरे पीछे आ गई।
मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से झकड़ लिया और उसकी दोनों चुचियाँ पकड़कर एक झटका मारा।
उधर भाभी ने भी मेरे झटके के साथ ही नीचे से कमर उछका दी।
लंड सरसराता हुआ पूरा का पूरा भाभी की चूत में चला गया।
भाभी मेरे वार को संभाल नहीं पाई।
उसके मुँह से हल्की चीख निकली।
पर उसने खुद को संभालते हुए अपनी कमर को उठाकर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
इधर मैं भाभी की चूत में बिना रुके लंड पेले जा रहा था।
भाभी मेरी कमर कसकर पकड़ते हुए बोली, “आह उफ्फ, देख बेटी, तेरी मम्मी की चूत में लंड कैसे अंदर-बाहर हो रहा है!”
वो और जोश में बोली, “और तेज देवर जी! आह उफ्फ, आह! फाड़ दो मेरी चूत!”
भाभी का जोश देखकर मैं समझ चुका था कि ये जानबूझकर आरती को उकसाने के लिए ज्यादा जोश दिखा रही है।
तभी भाभी जोर से बोली, “आरती!”
आरती खड़े-खड़े बोली, “जी चाची!”
भाभी फिर से बोली, “मुझे चाची मत बोल! मैं तेरी मम्मी हूँ!”
वो आगे बोली, “और जैसे चिंकी मेरी बेटी है, तुम भी मेरी बेटी हो! आह देवर जी, और तेज चोदो अपनी इस रंडी को! आज से मेरी दो बेटियाँ नहीं, तीन बेटियाँ हैं! आज आप मेरी आरती बेटी की चूत की सील भी खोल दो! जब चिंकी जवान हो जाएगी, तो उसकी चूत में भी मैं आपका लंड ही डलवाऊँगी!”
भाभी की गर्म बातें सुनकर मेरा जोश सातवें आसमान पर पहुँच गया।
मैं आरती की चूत मारना चाह रहा था इसलिए मुझे इस टाइम भाभी की चूत में कोई इंटरेस्ट नहीं था।
पर उसकी बातें सुनकर मैंने उसे पलटकर घोड़ी बना लिया।
भाभी भी अपनी गांड फैलाते हुए आरती से बोली, “देख मेरी प्यारी बच्ची, कैसे किसी मर्द के सामने कुतिया बनकर उसके सामने अपनी चूत और गांड परोसी जाती है!”
मैंने लंड को भाभी के छेद पर लगाकर उसके कूल्हे पकड़े और लंड पर दबाव दे दिया।
भाभी ने कमर को और झुका दिया और गर्दन को ऊपर उठाते हुए बोली, “उफ्फ देवर जी, एक झटके में डालो अपना लंड! आह!”
मैंने लंड को बाहर निकालकर एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
भाभी बोली, “उफ्फ आह देवर जी! शुरू हो जाओ, अब बिना रुके फाड़ दो आज हमारी चूत हमारी बड़ी बेटी के सामने!”
आरती हमारे पास खड़ी अपनी एक निपल को सहलाते हुए ध्यान से हमारी चुदाई देख रही थी।
आरती को देखकर मेरे होंठों पर मुस्कान आ गई।
मैंने भाभी की एक टाँग उठाकर कंधे पर रखी और जोर-जोर से उसकी चूत मारने लगा।
पूरे कमरे में भाभी की सिसकारियाँ और फच-फच की आवाजें गूंजने लगी।
भाभी बोली, “आह देवर जी, उफ्फ! क्या मस्त लौड़ा है आपका! बहुत मजा आ रहा है! ऊऊह मम्म आह! आरती देख, आह! थोड़ी देर बाद यही लंड तेरी चूत में होगा!”
मैंने आरती की तरफ देखा, तो वो एक हाथ से अपनी चूत सहलाते हुए, दूसरे हाथ से अपनी एक चूची को जबरदस्ती मुँह में डालने की कोशिश कर रही थी।
कमरे में ऐसा कामुक माहौल था कि कोई भी लड़की देखकर अपनी चूत फैलाकर लंड लेने को तड़प उठे।
तभी भाभी बोली, “आह मम्मी, उफ्फ! रुको देवर जी, मेरा होने वाला है! रुको, मैं आरती को आपके लंड की सवारी करके दिखाना चाहती हूँ!”
मैंने झटके से लंड बाहर खींच लिया और आरती की गर्दन पकड़कर उसके होंठों से लगा दिया।
आरती चूत के पानी से भीगे लंड को चाटने लगी।
आरती का लंड चाटने का तरीका देखकर मुझे हँसी आ गई।
आरती मेरे पत्थर जैसे लंड को अपने नरम हाथों में लेकर बड़े प्यार से चाट रही थी, जैसे कोई छोटी बच्ची कुल्फी चाटती है।
मुझे हँसता देखकर भाभी ने आरती के हाथ से मेरा लंड पकड़ते हुए कहा, “चल बेटी, मैं तुझे लंड को चूसना सिखाती हूँ!”
लाइव सेक्स ट्रेनिंग देने के लिए भाभी ने लंड को बॉल्स के पास से कसकर पकड़ते हुए कहा, “पहले लंड को जितना हो सके कसकर पकड़ो! क्योंकि लंड के साथ जितनी कड़ाई से पेश आओगी, ये उतना खुश होगा!”
फिर भाभी ने जीभ को तीखी करके लंड की चमड़ी को पूरा पीछे खींचते हुए, जहाँ से लंड का टोपा शुरू होता है, वहाँ जीभ फिराते हुए कहा, “आरती, ये लंड की सबसे कोमल जगह होती है! यहाँ जितनी जीभ फिराओगी, लंड उतनी जल्दी खड़ा होगा!”
भाभी ने अपना पूरा मुँह खोलकर लंड को गले तक अंदर ले लिया और लंड पर होंठ कसते हुए मुँह में अंदर-बाहर करने लगी।
फिर उसने लंड बाहर निकालकर आरती को समझाते हुए कहा, “देखो बेटी, लंड को मुँह में जितना हो सके उतना अंदर लेना चाहिए! क्योंकि अगर लंड गले तक लेकर चूसोगी, तो लंड को ऐसा लगेगा जैसे वो चूत में हो!”
वो आगे बोली, “और लंड चूसने के समय लंड पर होंठों की पूरी कसावट होनी चाहिए! लंड पर अगर होंठ ज्यादा कसे होंगे, तो लंड को ऐसा लगेगा जैसे वो किसी कुंवारी चूत में हो!”
फिर वो मेरे लंड पर बहुत ज्यादा उभरी नसों को आरती को दिखाते हुए बोली, “देखो बेटी, इन नसों को और पत्थर जैसे इस लंड की सख्ती को! इन नसों और इस लंड की सख्ती को लंड चूसने के समय होंठों पर ऐसे महसूस करो जैसे वो तुम्हारी चूत के अंदर रगड़ मार रहा हो! इससे तुम्हें और भी ज्यादा मजा आएगा!”
वो बोली, “बेटी, अगर तुम्हें लंड सही से चूसना आ गया, तो समझो तुम किसी भी मर्द के लंड का पानी निकाल सकती हो!”
मैं भाभी की शिक्षा, जो वो आरती को दे रही थी, उसका कायल हो चुका था।
उधर आरती वासना से धधकती अपनी चूत लेकर ध्यान से भाभी से शिक्षा ले रही थी।
मैंने आरती को अपने पास खींचते हुए उसकी एक चूची को चूसने लगा।
मैंने निपल मुँह में लेकर जैसे ही चूची को मुँह में खींचा, आरती बोली, “आह धीरे भैया, दुखता है!” और अपनी दूसरी चूची को हल्के से मसलने लगी।
उधर भाभी उसकी चूत सहलाते हुए बोली, “देख बेटी, चुदाई के समय कितना भी दर्द हो, उसे मजा समझकर बर्दाश्त करना चाहिए! क्योंकि दर्द के बाद ही असली मजा मिलता है!”
फिर भाभी मुझसे बोली, “चलो देवर जी, लेट जाओ! मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा! एक बार अपने लंड से मेरी चूत ठंडी कर दो! फिर मैं अपनी बेटी की चूत में आपका लंड डलवाऊँगी!”
मैंने लेटते हुए आरती को अपने मुँह पर खींच लिया।
आरती अपनी प्यारी सी फूल जैसी चूत मेरे मुँह पर रखकर बैठ गई।
उधर भाभी ने अपनी पोजीशन लेकर लंड को अपनी चूत से लगाया और बोली, “देखो बेटी, अगर अपनी मर्जी से लंड का स्वाद लेना हो, तो ऐसे मर्द को लिटाकर उसका लंड अपनी चूत पर सेट कर लो!”
वो आगे बोली, “फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर लेकर, जैसे मर्जी बच्चेदानी तक पूरा अंदर लो! फिर चाहे धीरे या तेज, या फिर अपनी चूत की किसी भी दीवार की तरफ लंड की रगड़ महसूस करो!”
भाभी आरती को ये समझाते हुए मेरे कंधे पकड़कर जोर-जोर से, “आह सीसीसी आह, बहुत मजा आ रहा है!” करते हुए लंड पर कूदने लगी।
मैं आरती की चूत पर अपनी जीभ फिराते हुए दोनों हाथों से भाभी के बड़े चूतड़ पकड़कर नीचे से भाभी के हर झटके का जवाब झटके से दे रहा था।
भाभी बोली, “बस देवर जी, आह! मेरा निकलने वाला है! उफ्फ, आप मत झड़ना! आज आपको मेरी बड़ी बेटी की चूत खोलकर उसे अपने गर्म और गाढ़े पानी से भरना है! आह देवर जी, सकोगे ना आप मेरी बेटी की चूत खोलने? आह, कितनी छोटी है इसकी चूत! उफ्फ, आपके लंड का टोपा मेरी बेटी की पूरी चूत से बड़ा है!”
फिर भाभी आरती से बोली, “बेटी, ले सकेगी ना देवर जी का लंड अपनी चूत में? उफ्फ, आह मम्मी! बोल बेटी!”
आरती चुदाई का नंगा नाच देखकर बोली, “हाँ मम्मी! मैं भैया का लंड लेना चाहती हूँ! आह, आप उठो जल्दी भैया के ऊपर से! मुझे भी लंड चाहिए!”
भाभी बोली, “वाह मेरी प्यारी बेटी! उफ्फ आह, आईईईई आह!” और झड़ने लगी।
भाभी झड़ती हुई मेरे ऊपर गिर गई।
कोई दो-तीन मिनट बाद जैसे ही वो शांत हुई, तो उसने मेरे ऊपर से उठकर अपनी चूत को साफ किया।
मैं भी पास में रखी आरती की स्कर्ट से लंड को साफ करने लगा.
तो भाभी बोली, “देवर जी, रुको! ये आरती की मम्मी की चूत की चिकनाई है! आप इसको साफ मत करो! मेरी कोमल सी बेटी की छोटी सी चूत में आपका मूसल लंड आराम से चला जाएगा!”
फिर भाभी नंगी ही उठकर अपनी भारी गांड मटकाते हुए बाहर जाने लगी।
आगे की कहानी की प्रतीक्षा कीजिये.
यह लाइव सेक्स ट्रेनिंग स्टोरी आपको कैसी लगी?
कमेंट्स और मेल में बताएं.
[email protected]
लाइव सेक्स ट्रेनिंग स्टोरी का अगला भाग:
What did you think of this story
Comments