भाभी को यौन सुख, दोस्त को संतान सुख
(Mad Sex With Bhabhi)
मैड सेक्स विद भाभी का मजा मुझे दिलवाया मेरे मकान मालिक ने अपनी जवान बीवी को मेरे लंड से चुदवा कर. उनको संतान नहीं हो पा रही थी तो उसने मुझसे अपनी बीवी का गर्भाधान कराया.
नमस्कार दोस्तो, मैं आपका अपना विराज, एक बार फिर से आपके सामने!
मेरी सेक्स कहानी इतने समय बाद इसलिए आती है क्योंकि मैं सिर्फ असली कहानी लिखता हूं, कोरी कल्पना नहीं.
मेरी पिछली कहानी थी: अकेली भाभी बोली कोरोना में चोदो ना
मैं आपके लौड़ों को डंडा और चूतों को रसीली बनाने के लिए सच्ची कहानी लेकर हाजिर हूं.
मैड सेक्स विद भाभी कहानी में पात्रों के नाम बदले हुए हैं.
मैं एक 28 साल का नौजवान हूं.
लड़कियां कहती हैं कि मैं हैंडसम हूं.
मेरी टांगों के बीच में मेरे पास लगभग छह इंच का लम्बा और मोटा लौड़ा है, चुत को खुशी से भर देता है.
दोस्तो अन्तर्वासना एक ऐसी जगह है जहां हम सबके यौन ख्वाब कहीं न कहीं कहानियों के माध्यम से पूरे होते हैं.
मैं जयपुर की एक अच्छी कॉलोनी में किराए पर रहता हूं.
वहां सभी लोग काफी वीआईपी और अच्छे हैं.
मकान मालिक का बेटा विवेक मेरा हमउम्र है, इस वजह से हम दोनों में काफी अच्छी बनने लगी थी.
विवेक की शादी को चार साल हो चुके थे.
उसकी बीवी आरुषि काफी सुंदर और संस्कारी थी.
मैं लगभग दो साल से उनके यहां किराए पर रह रहा था लेकिन कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि उसकी बीवी आंख उठा कर भी देख ले.
मेरे मन में भी उसके लिए इज्जत थी.
काफी भरा पूरा परिवार था लेकिन एक कमी थी कि विवेक को कोई संतान नहीं हो रही थी.
मैं और विवेक हमेशा पांच दस दिन में एक दो बार तो किसी न किसी बार में बैठकर बीयर का मजा जरूर लेते.
एक बार काफी दिनों तक उसने बीयर पीने का नहीं बोला.
तो मैंने ही अपनी तरफ से कहा- चल यार विवेक, आज अड्डे पर चलते हैं.
इस पर विवेक ने कहा- नहीं यार, मन नहीं है मेरा!
मुझे लगा कि ये उदास है और कुछ न कुछ बात जरूर है वरना ये मना नहीं करता.
तब मैं उसको दोस्ती की दुहाई देकर अपने साथ बार में ले गया और एक अलग कोने में दोनों अकेले में बैठ गए.
वह कुछ बोल नहीं रहा था.
जब सुरूर थोड़ा चढ़ने लगा तब मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि क्या बात है विवेक भाई उदास क्यों हो?
मेरा इतना कहना हुआ और उसकी आंखें भर आईं.
वह बोला- विराज भाई, तुमसे क्या छुपा हुआ है, बच्चा नहीं होने की वजह से बेचारी आरुषि को बातों ही बातों में इतने ताने सुनने पड़ते हैं कि वह रात को अकेले में रोने लग जाती है. इस बात का असर अब हमारी सेक्स लाइफ पर भी पड़ने लगा है. हम दोनों ही नीरस से हो गए हैं. अब न हमारी जिंदगी में वह मजे रहे … और ना सेक्स!
उसकी ये बात सुनकर मुझे भी अच्छा नहीं लगा.
मैंने कहा- विवेक भाई डॉक्टर क्या कह रहे हैं?
विवेक- वे बोल रहे हैं कि तुम्हारा स्पर्म काउंट बहुत कम है, आरुषि में कोई कमी नहीं है.
मैंने कहा- तो भाई इसके लिए बहुत उपाय है आजकल!
विवेक- भाई अंग्रेजी और देसी दोनों दवाइयां तीन साल से ट्राई कर रहा हूं, कोई फायदा नहीं है. डॉक्टर बोल रहे हैं कि अब अंतिम उपाय स्पर्म डोनेशन का है, लेकिन यार में ऐसे ही किसी का स्पर्म कैसे अपनी पत्नी की कोख में डलवा दूं! पता नहीं किसका हो? और कैसा बच्चा पैदा हो?
मैं चुप हो गया और एक सिगरेट सुलगा कर धुआं उड़ाने लगा.
इतने में पता नहीं विवेक को क्या सूझा कि वह मुझसे बोला- विराज भाई, ये काम तुम कर दो मेरे लिए, मैं तुम्हें बहुत दिनों से जानता हूं और हम अच्छे दोस्त भी हैं. तुम अपना स्पर्म दे दो!
एक बार तो ये सुनकर मेरे को भी झटका लगा, फिर मैंने खुद को संभालते हुए उससे कहा- देख विवेक भाई, इन लफड़ों में मुझे नहीं पड़ना यार! ये डॉक्टर के चक्कर में और इन सब में मुझे मत डालो प्लीज!
वह बोला- ठीक है इस बारे में बाद में बात करेंगे.
फिर हम दोनों ने अपने अपने हम घर वापस आ गए.
अगले दिन वह मेरे रूम में आया और उसने कहा कि विराज, मैं कल वाली बात को लेकर सीरियस हूं.
मैंने बेरुखी से कहा- तो?
उसने कहा- प्लीज यार, ये खुशी मुझे दे दे!
उसकी उदास शक्ल और विनती देख कर मैंने कहा- यार, मैं तुम्हारे कहने पर ये करूंगा लेकिन मुझे प्राइवेसी चाहिए और मैं डायरेक्ट सेक्स करके ही ये करूंगा … ना कि डिब्बी में स्पर्म डाल कर! इसके लिए तुम्हें आरुषि से पूछना पड़ेगा कि क्या वह तैयार है?
विवेक- वह बाहर ही खड़ी है.
फिर उसने आवाज दी- अन्दर आ जाओ आरुषि!
आरुषि लाल साड़ी और काले ब्लाउज में एक मासूम सी लड़की की तरह मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई.
मैंने पहली बार उसकी नजरों से नजरों को मिलाया.
वह धीरे से मुस्कुराई, फिर विवेक के पास बैठ गई.
अब मैं क्या बोलूं? मेरे पास शब्द नहीं थे.
हालांकि मैं चुदाई में अच्छा हूं लेकिन यहां परिस्थिति अलग थी.
मैंने कहा- आरुषि, आपको तो कोई दिक्कत नहीं ना!
तो उसने कहा- दिक्कत का ही तो उपाय कर रहे हैं!
मैंने कहा- चलो फिर प्लान बनाते हैं.
प्लान बन गया.
इसके मुताबिक विवेक घर वालों को यह बताएगा कि किसी नए डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट है और चार पांच दिन लगातार जांच होगी, तो तुमको चार पांच दिन रोज जाना पड़ेगा.
सब कुछ ओके हो गया.
विवेक ने थ्री स्टार होटल में एक अच्छा सा रूम बुक कर लिया.
अगले दिन मुझे आरुषि को चोदना था तो आज मुझे रात को नींद नहीं आ रही थी.
आप भी समझ सकते हो कि कैसी स्थिति होगी.
अगले दिन 11 बजे विवेक और आरुषि मेरे साथ रूम में थे.
विवेक अपने साथ में शेम्पेन की बोतल लाया था.
मैंने कहा- यार विवेक, तेरे सामने तो नहीं कर पाऊंगा!
विवेक बोला- हम तीनों ड्रिंक करेंगे, फिर मैं बाहर चला जाऊंगा.
हम तीनों ने मिलकर बोतल खाली कर दी और जैसे ही सुरूर चढ़ा, मैंने विवेक को इशारा कर दिया.
वह बाहर चला गया.
अब मैं और आरुषि अकेले थे.
मैं खड़ा हुआ और उसके पास बैठ गया, नशा हम दोनों पर चढ़ चुका था.
उसकी गुलाबी शक्ल देख कर मेरा लंड फुफकार मार रहा था.
संकोच करते हुए मैंने धीरे से उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया और उसकी नजरें मेरी नजरों से मिलीं.
उसने अपनी पलकें झुकाईं और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक गए.
थोड़ी देर तक हम दोनों के होंठों ने कोई हरकत नहीं की.
लेकिन एक मिनट बाद धीरे धीरे हम दोनों के होंठ एक दूसरे को खाने लगे.
नशा भी परवान पर था और अब आरुषि भी पूरे जोश में आ गई थी.
वह मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल रही थी.
मैं उसके होंठ और जीभ बारी बारी चूस रहा था.
मेरा एक हाथ उसके सर पर था और एक उसकी कमर पर था.
हमारे बीच शर्म खत्म हो गई थी.
मैंने आरुषि से कहा- आरुषि, अब हम चुदाई कर ही रहे हैं तो पूरा मजा लेकर करते हैं … मुझे रफ सेक्स पसंद है. गालियां देना, चूतड़ों पर थप्पड़ मारना आदि.
उसने कहा- यही सब तो मुझे पसंद है, चलो मजे करते हैं. लेकिन एक बात याद रखना, तुम अपने लंड का पानी मेरी चूत में ही डालना.
उसने लंड चूत शब्द इस्तेमाल किए तो हमारे बीच से रही-सही शर्म भी खत्म हो गई.
अब हम बुरी तरह से एक दूसरे के होंठ चूसने में लग गए.
मैंने उसे खड़ा करके दीवार से चिपका दिया और कमर में हाथ डालकर किस करने लगा.
मेरा एक हाथ उसकी कमर पर और दूसरा उसके बालों में था.
मेरा लंड पैंट फाड़ कर बाहर आने को बेताब था और उधर आरुषि अपनी चूत को आगे कर रही थी लेकिन मुझे जल्दी नहीं थी.
मैंने सोच लिया था कि इसकी चूत चोदूँगा तो आराम आराम से मजे लेकर!
नशे और हवश का नंगा नाच अब शुरू हो गया और मेरा राक्षस मेरे अन्दर से बाहर आ गया- साली बहन की लवड़ी आरुषि, तेरी चूत में कब से लौड़ा डालने को तरस रहा था … आह साली तेरी मां की चूत … आज तो तेरी चुत को भोसड़ा बना दूंगा कुतिया आह आ आजा मेरी जान!’
“तो डालो ना विराज … मेरे विवेक का लौड़ा तो किसी काम का नहीं है, साले का छोटा सा टुन्नू सा है … आज अपने लवड़े से मेरी चुत फाड़ दे मादरचोद!”
उसके मुँह से गाली सुनकर जो मेरा लंड जोश में आया, मैं बता नहीं सकता.
‘बस बहन की लौड़ी तू मुझे गालियां देती जा और मेरे मजे देखती जा!’
अब मैंने उसका मुँह दीवार की तरफ कर दिया और साड़ी के ऊपर से ही अपना कड़क लंड उसकी गांड पर लगा दिया.
अपना मुँह उसकी गर्दन और कान की लटकन को चूसने में लगा दिया और कपड़ों के बाहर से लंड उसकी गांड पर दबाता रहा.
मैंने अपने एक हाथ से उसकी गांड पर खींच कर चांटा मारा.
आरुषि आह करती हुई बोली- आह मादरचोद … तूने फोकट का माल समझ है क्या भोसड़ी के!
मैंने कहा- चुप कर बहन की चूत तेरी … मां की लौड़ी चुत देने आई है न तो चुपचाप मजा दे बहन की टकी!
यह कह कर मैंने वापस से उसकी गांड पर एक और तेज चांटा मारा.
आरुषि ने कहा- आह साले लगती है … कुत्ते तड़पा मत … जल्दी से मेरी चूत में अपना मूसल पेल दे यार!
मैंने उसकी पीठ के पीछे हाथ ले जाकर दोनों हाथों को उसके ब्लाउज के अन्दर डाल कर एक झटके में फाड़ डाला और ब्लाउज को अलग करते हुए फेंक दिया.
ब्लाउज के अन्दर उसकी काली ब्रा में उसके दूध फंसे हुए थे. आह साली क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थी.
अब मैंने अपने एक हाथ से उसकी गांड को साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया.
मैड सेक्स विद भाभी का मजा लेते हुए फिर मैंने उसकी साड़ी उतार दी और दूर फेंक दी.
अब वह सिर्फ पेटीकोट और ब्रा में थी.
वह भूखी शेरनी की तरह मुझे देख रही थी.
मैंने उसका एक बोबा पकड़ कर दीवार से चिपका दिया और दूसरे हाथ से ब्रा को एक साइड से नीचे करके उसके दूध को मुँह में ले लिया.
‘आह विराज बेबी, चूसो इन्हें आह बेबी … फक मी मादरचोद … आह!’
मैंने उसकी ठोड़ी पकड़ कर अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दोनों हाथों से उसकी गांड दबाने लगा.
तभी उसने अपना पेटीकोट का नाड़ा ढीला करके खुद ही उतार दिया.
उसकी दूधिया जांघें देख कर लंड मचल उठा.
साली क्या गचाक माल थी.
मन कह रहा था कि आज तो इसकी मां की चूत … साली को रगड़ कर फाड़ ही दूंगा.
सही कह रहा हूँ दोस्तो, मेरे पास उसकी खूबसूरत जवानी की मीमांसा करने के लिए शब्द ही नहीं हैं.
एकदम गोरी गोरी जांघों के बीच एक जरा सी पैंटी, उसकी फूली हुई चूत को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
पैंटी का कुछ हिस्सा चूत की फाँकों के अन्दर घुस गया था, जिससे चूत की लकीर साफ दिखाई दे रही थी.
मैंने सब कुछ छोड़ कर सीधा उसकी चूत पर हमला किया. उसकी पैंटी के ऊपर से ही चुत को मुँह से काटने लगा.
वह भी निर्भीक होकर अपनी पूरी चूत मेरे मुँह में देने लगी. मैंने मुँह खोल कर उसकी चुत को भर लिया.
आह … सच में नाक को मस्त भीनी भीनी महक मिल रही थी और मुँह में उसकी चुत से रिसे हुए नमकीन पानी का स्वाद मिल रहा था.
‘आ … हाए … आअह्ह्ह ओह साले बहन के लौड़े खा जा मेरी चूत को भड़वे … आहह खा ले न … चूस मादरचोद … चुत को!’
उसकी दशा देख कर मैं पगला उठा था.
मैंने अगले ही पल उससे अलग होकर अपने सारे कपड़े उतार दिए.
अब मैं उसके सामने सिर्फ एक अंडरवियर में आ गया था.
वह मेरे लौड़े को देख रही थी.
मैंने आरुषि को दीवार के सहारे से ही नीचे बैठाया और चड्डी समेत ही लंड मुँह में दिया.
लंड मुँह में देते हुए मैंने उसके बाल खींच कर पकड़ लिए और एक हाथ से उसके गाल दबा कर मुँह खोल दिया.
फिर जैसे ही मुँह खुला, मैंने चड्डी नीचे की और अपना गर्मागर्म लौड़ा उसके मुँह में खप्प से डाल दिया.
‘ले बहन की लौड़ी चूस कुतिया!
उसका सांस लेना दूभर हो गया, लौड़े को घअप्प घअप्प करके मैंने उसके मुँह में जल्दी जल्दी दो तीन बार अन्दर बाहर कर दिया.
इससे उसकी सांसें फूल गईं और वह गों गों करने लगी.
वह अभी संभल पाती कि तभी मैंने में एक झटका और दे दिया, यह झटका मेरे लंड को उसके कंठ की जड़ तक ले गया.
उसकी सांसें कुछ पल के लिए रुक गईं और जब लंड बाहर आया, तब लार में सना हुआ लंड चमक रहा था.
आरुषि ने सांस लेते हुए कहा- आह … मारेगा क्या भोसड़ी के … ले अब चूस कर दिखाती हूँ तेरे लौड़े की मां चोद दूँगी बहुत बड़ा चोदू बन रहा है … तेरी मां की चुत साले!
इतना कह कर उसने 69 का इशारा किया और हम दोनों अब सिक्स नाइन वाली अवस्था में आ गए थे.
उसकी चूत मेरे मुँह पर जम गई थी और मेरा लंड उसके होंठों पर.
अब शुरू हुआ चुसाई का जबरदस्त खेल.
मैं सपड़ सपड़ करके उसकी चूत चूस रहा था और वह घअप्प घअप्प करके मेरा लंड.
पांच मिनट की चुसाई के बाद मैंने सोफे पर उसके एक पैर को रखा और दूसरे को अपने हाथ में पकड़ लिया.
अब मेरे लंड और उसकी चूत की दूरी बिल्कुल शून्य के लगभग थी.
उसकी आंखें बंद थीं.
मैंने चुत पर अपना लंड रगड़ा.
तो वह बोली- मादरचोद चोद इसको भड़वे … क्यों तड़पा रहा है भैन के लंड आह हहह भैणचोद ऊऊऊ फाड़ दे … क्या मादरचोद साले आग लगा रहा है!
तभी मैंने हमला बोल दिया और उसकी मां चुद गई.
उसकी तेज चीख के साथ गला रुँध गया, आंखों की पुतलियां बाहर निकल आईं.
इधर मैं दाब देता गया और मेरा लंड उसकी चुत को चीरता हुआ अन्दर जा चुका था.
मैंने जल्दी से बाहर निकाला और फिर से घपप्प करते हुए अन्दर पेल दिया.
उसकी आवाज निकली- ओऊऊ माँ के लौड़े आह मर गई मम्मी रे आह ईईई निकालल्लल बाहरर कुत्ते!
मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से घपप्प घअप्प करते हुए अन्दर बाहर करने लगा.
अब भयंकर वाली चुदाई चालू हो गयी.
मेरे मुँह से गालियां निकलने लगीं- आह तेरी माँ की चूत रंडी साली … आज तेरी चुत के चिथड़े चिथड़े कर दूंगा.
मैंने उसकी दोनों टांगों को ऊपर एक साथ करके उसे सोफे पर लिटाया और खप्पा खप चुदाई चालू कर दी.
अब वह भी मजा ले रही थी- आह चोद बहन के लौड़े, फाड़ दे मेरी चूत आह्ह्हह!
उसकी चूत में लंड के साथ साथ मैंने अपना एक अंगूठा भी घुसा दिया.
मेरे अंगूठे पर चूत का पानी लग चुका था, तो मैंने अंगूठा बाहर निकाला और उसके मुँह में दे दिया.
वह उसे चूसने लगी, फिर बोली- मेरी चूत इतनी टेस्टी है … मुझे तो आज पता चला है.
मैंने भी चूत से लौड़ा निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया- ले मादरचोद रांड, लंड पर लगे चूत के पानी का स्वाद ले ले हरामन.
वह सपड़ सपड़ ऊऊऊऊ घुप्प करके लंड चूसने लगी.
अब मैंने उससे कहा- चल घोड़ी बन जा बहन की लौड़ी.
जैसे ही वह घोड़ी बनी, मैंने उसके बालों को एक हाथ सें पकड़ा और लंड को चूत पर लगा कर घच्च के साथ अन्दर डाल दिया.
वह ऊँह आह करती हुई चुदाई का मजा लेने लगी.
मैं भी उसे चोदते हुए बीच बीच में अपनी उंगली से उसकी गांड का छेद दबा देता, जिससे वह और उछल उछल कर लंड ले रही थी.
कुछ देर की पेलम पेल और भयंकर चुदाई के बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और घपा घप्प झटके देकर अपना माल उसकी चूत में उड़ेलने को रेडी हो गया.
मैं- ओह यस आरुषि, फक यू रंडी … आहाआह ले माल ले ले अपनी चुत में आह!
मैं अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर डाले ही उसके ऊपर गिर गया और हम दोनों अपनी सांसों को काबू में करने लगे.
आरुषि बोली- यार विराज, मां कसम चुदाई तो इसे बोलते हैं, मैं कैसे भी करके विवेक को मना लूंगी और हम डेली चुदाई करेंगे.
चार पांच दिन लगातार भयंकर चुदाई से वह प्रेगनेंट भी हो गई.
अब विवेक आरुषि और मैं, हम तीनों जब भी मौका मिलता है मस्त चुदाई करते हैं.
उधर आरुषि भी मां बनने वाली है, तो फिलहाल चुदाई स्टॉप हो गई है.
दोस्तो, ये मेरी सच्ची मैड सेक्स विद भाभी कहानी थी.
आप को कैसी लगी, प्लीज अपना प्यार मुझे जरूर भेजिए.
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