मैं परेशान रहती हूँ

(Mai Pareshan Rahti Hun)

मेरा नाम अर्पित है, उम्र 23 साल, दिल्ली में रहता हूँ। यूँ तो मैंने सेक्स दो बार ही किया है पर मुझे इसमें महारत हासिल है।
अब मैं आपको अपने पहले सेक्स अनुभव की तरफ ले जाता हूँ।

मेरे घर के बगल वाले घर में एक भाभी रहती थी वो बहुत खुश मिजाज थी पर मैं कुछ दिनों से उन्हें देख रहा था कि वो थोड़ा उदास रहने लगी थी। जब मुझे उनकी यह उदासी देखी नहीं गई तो मैंने उनसे पूछा- भाभी क्या बात है?

तो उन्होंने मुझे टाल दिया और कुछ और बात करने लगी। फिर मैंने यह विषय छोड़ दिया और मेरे कॉलेज की बात करने लगा।

अगले दिन वो और भी उदास लग रही थी तो मैंने उनसे फिर पूछा- भाभी, आप मुझे तो सब बात बताती हो, तो ऐसी कौन सी बात है कि आप मुझे बताना नहीं चाहती?

तब वो रोते हुए घर में चली गई, मैं भी उनके साथ उनके घर में चला गया और साथ में ही बैठ कर उन्हें चुप कराने लगा। मैं उन्हें पूरी तरह अपनी बाँहों में पकड़े हुए था और चुप करा रहा था। पर तब तक मेरे शरीर में कोई हलचल नहीं हुई थी।

तभी भाभी भी मुझ से गले से लग गई और जोर जोर से रोने लगी। उस समय मेरे घर और उनके घर पर कोई भी नहीं था। मेरे घर के सभी लोग तो बाहर गए हुए थे और परीक्षा के लिए मुझे यहीं रुकना पड़ा था।

उनके घर पर वो और उनके पति ही रहा करते थे। उनके पति सुबह सुबह ही ऑफिस चले जाया करते थे और वो सारा दिन मेरे घर में ही रहती थीं और खाना भी अपने घर से बना कर मेरे साथ ही खाती थी। हमने एक दूसरे से अपनी सारी बातें की थी बस हमने कभी सेक्स की बात नहीं की थी और जब वो मुझसे गले लगी तो मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। उनके स्तन सीधा मेरे सीने से चिपक कर मानो ये कह रहे हो कि आज इसे मसल कर रख दे !

उनके गले लगते ही मैं भी थोड़ा सा खो गया वो देखने में किसी मॉडल से कम नहीं थी।

फिर कुछ समय बाद मैंने उन्हें संभाला, सोफे पर बिठाया और उनकी रसोई में जाकर उनके लिए पानी लाया और फिर पूछा- अब ठीक हो?

तो उन्होंने कहा- हाँ !

फिर हमने थोड़ी देर तक टीवी शो देखे और वो मुझे कुछ सामान्य लगी तो मैंने उनसे उस बात के बारे में कुछ भी नहीं कहा और हम दोनों खूब मस्त हो कर टीवी देखते देखते ही सो गए।

शाम के पाँच बजे मैं जागा और अपने घर आ गया।

घर आते ही मैं बाथरूम में गया तो मैंने देखा कि मेरी पैंट की जिप पहले से ही खुली पड़ी है। मुझे मन में जरा सा संदेह हुआ पर मैंने सोचा की अगर भाभी ने देख भी लिया तो क्या हुआ, आखिर मैं भी तो उनके स्तन दबा कर आया हूँ।

फिर मैं पढ़ने लगा। तभी भाभी आई और मुझे चाय देकर वहीं बैठ गई।

मैंने कहा- भाभी दोपहर में तुमने कुछ देखा क्या?

मैंने सोचा कि वो नहीं समझेंगी पर उन्होंने तुरंत कहा- हाँ, मैंने सब देख लिया है, काफी बड़ा है।
मुझे धक्का सा लगा और अपना सिर झुका कर चुपचाप चाय पीने लगा।

कुछ देर चुप रहने के बाद भाभी ने मुझसे कहा- तुम परेशान मत हो, मैं किसी से नहीं कहने वाली !
तब मेरी जान में जान आई पर मैं अब भी उनसे बात नहीं कर रहा था।

थोड़ी देर में ही मुझे लगा कि अगर आज इसे चोदना है तो कुछ तो करना ही पड़ेगा। तभी मैंने कहा- मैंने तो जिप बंद की थी, वो खुल कैसे गई?

भाभी झेंप गई और मुस्कुरा कर अपने घर चली गई।

मैं समझ गया था कि भाभी को मेरा लण्ड भा गया है और वो इसे अपना बनाना चाहती है। मैं भी अपनी सारी शर्म छोड़ कर उनके पास गया और कहा- भाभी आप सब जानती हो तो मुझे अपनी सुहागरात के बारे में बताओ ना प्लीज़ !

तो उन्होंने कहा- तू तो बड़ा बदमाश निकला !
मैं मुस्कराया !
फिर वो बोली- चल रात में बताऊँगी, आज तेरे भैया ऑफिस से घर नहीं आयेंगे, उनका फ़ोन आया था।
मैं बोला- ठीक है !

और मैं अपने घर आकर चुदाई के सपने देखने लगा। मैं भाभी को चोदने के तरीके खोजने लगा पर कुछ समझ नहीं आया।

भाभी रात के 8 बजे ही मेरे घर में आ गई उसने नाईट सूट पहन रखा था, वो कहर ढा रही थी।

मैंने उनसे यही बात कही तो वो हंस पड़ी। शायद सोच रही थी कि अर्पित यह सब मैंने तेरे लिए ही तो किया है।

फिर हम दोनों एक साथ खाना खाकर एक डबल बेड पर लेट गए। ठंड का मौसम था तो भाभी ने कहा- मुझे ठण्ड लग रही है।

मैं मन ही मन सोच रहा था कि आज तो मैं तेरी सारी ठण्ड दूर कर दूंगा और मैंने उन्हें रजाई उढ़ा दी।

तो भाभी ने कहा- अर्पित तुम भी रजाई में आ जाओ, नहीं तो तुम्हें भी ठण्ड लग जाएगी।
मैं भी उस रजाई में घुस गया, मैंने उनसे कहा- अब आप अपनी सुहागरात की बात बताओ !
तो उन्होंने कहा- तुमने कभी सेक्स किया है?
मैंने कहा- नहीं !

तो उन्होंने कहा- तो फिर तुम कैसे समझ पाओगे मेरी बात को?

फिर उन्होंने कहानी शुरु की और मेरे करीब आती चली गई। मैंने भी उन्हें कुछ नहीं कहा। उनके वक्ष मेरे सीने से छूने लगे थे और वहाँ नीचे मेरा लण्ड खड़ा हो गया था और उसकी चूत पर दबाव बनाने लगा था। यह बात उन्हें भी पता थी पर वो मुझसे चिपकती ही जा रही थी।

मैं देर ना करते हुए जल्दी से उनके गर्दन पर चूमने लगा, उनकी आवाज में एक सिहरन सी आ गई, वो थोड़ी सी चुप हुई और फिर अपनी आँखें बंद की और मेरे सर को पकड़ कर मेरे होंठों पर चुम्बन किया तो मेरा होंसला और भी बढ़ गया और फिर मैंने उनके कपड़े उतारने शुरु किये।

उन्होंने ब्रा और पैंटी दोनों ही गुलाबी रंग की पहन रखी थी। मैंने रजाई के अन्दर जाकर उनके चूचों और चूत पर एक एक चुम्बन किया तो मैंने देखा की उसकी पैंटी गीली हो रही थी।

मैं समझ गया कि भाभी अब पूरी तरह से गर्म हो गई है। मैंने फिर भी अपने कपड़े नहीं खोले और उसके चूचे दबाने लगा। अब मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को उसके बदन से दूर कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

फिर उसने कहा- अर्पित ! प्लीज़ जल्दी करो !

और उसने मेरी पैंट उतरनी चालू की तो मेरा लण्ड खड़ा होने के कारण पैंट नहीं उतर पाई तो भाभी ने मेरे पैंट के अन्दर हाथ डाला और मेरे लण्ड को नीचे दबाया और फिर पैंट को उतारा।

मैंने अण्डरवीयर भी नहीं पहनी थी क्योंकि आज तो मुझे भाभी की चूत मारनी थी। जब भाभी ने पैंट उतारी और तो मेरा उफान मारता लण्ड उसके सामने था, उसने कहा- अर्पित, तुझे तो मैं बच्चा समझती थी पर तुम तो पूरे मर्द हो। अब जल्दी इसे मेरी चूत में डाल दो और अपने लण्ड का सारा पानी मेरी चूत में ही निकाल दो।

मैंने कहा- इतनी जल्दी भी क्या है?
तो भाभी ने कहा- नहीं अर्पित, जल्दी डालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी मुझसे अब नहीं सहा जा रहा है।

तभी मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में चूत से पानी आने लगा और मेरे लण्ड के सुपारे को गीला कर दिया।

अब मेरा भी मूड मस्ती का था, मैंने भाभी से लण्ड मुँह में लेने को कहा तो भाभी बोली- पहले चूत की प्यास तो बुझा दे, फिर जो मर्जी करवा लेना।
मैंने कहा- नहीं !

तो भाभी ने बिना वक्त गंवाए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी मानो आज ही सारा माल पी जाना चाहती हो।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और मजा लेने लगा।

तभी भाभी ने मेरे सुपारे पर जीब फेरना शुरु किया, मैं पागल हुआ जा रहा था। तभी भाभी ने कहा- अर्पित, मेरी चूत से भी पानी निकाल दो !

फिर हमने 69 की अवस्था की और मैं उसकी चूत को चाटने लगा तो वो पागल सी हो गई और थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद ही हम दोनों झड़ गए। भाभी ने मेरा सारा माल पी लिया।

हम दोनों एक दूसरे की बगल में लेट गए। थोड़ी ही देर में भाभी ने मेरा लण्ड फिर पकड़ लिया और उसे मुँह में लेने लगी।
भाभी ने कहा- अर्पित, मेरी चूत की प्यास बुझा दो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी।

मैंने भाभी को अपने नीचे लिटा लिया और जोर जोर से उसके चूचे दबाने लगा और वो मेरा होंसला बढ़ाने लगी। मैं उसके दुधिया चूचों को दबाता, कभी मुँह में लेकर चूसता, वो मदहोश होती जा रही थी और अपनी आंखें बंद करके लेटी थी।

तभी मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का मारा। चूत गीली होने के कारण लण्ड तो पूरा अन्दर चला गया पर वो जोर से चिल्लाई और उसकी आँखों म़ें आँसू थे।

मेरा लण्ड भी काफी देर से खड़ा था तो अब मुझे भी थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था पर थोड़ा आराम होते ही उसने हिलना शुरु कर दिया, फिर मैंने भी धक्के मारना शुरु कर दिया तो उनके मुँह से आ… मम्म… ऊऊ की आवाजें आने लगी।

रात के अँधेरे में हम दोनों डूबते जा रहे थे, सारे कमरे में पच पच… आह… आह… अर्पित और जोर से चोद मुझे ! मैं कब से तेरे लण्ड को तरस रही थी, मेरी प्यास बुझा दे आज… मुझे अपना बना ले ! फाड़ दे मेरी चूत को ! ये साली मुझे रात भर सोने नहीं देती है।

मैं ये बातें सुन कर और जोश में आ गया और अपनी स्पीड बढ़ाता चला गया। सारे कमरे में भाभी की चुदाई की आवाजें गूंज रही थी और हम दोनों अपनी जवानी के मजे ले रहे थे। तभी मैंने कहा- भाभी, मैं अब झड़ने वाला हूँ।

तो भाभी ने कहा- मेरी चूत में ही अपना सारा रस डाल दे।
मैंने कहा- कुछ हो गया तो…?

तो उसने कहा- मैं माँ नहीं बन सकती इसलिए ही तेरे भैया मुझे चोदते नहीं है और मैं परेशान रहती हूँ।

और तभी मैंने अपने लण्ड से पिचकारी मारनी शुरु की तो भाभी ने भी मुझे जोर से पकड़ लिया और मुझे चूमने लगी।

थोड़ी देर में वो भी झड़ गई और फ़िर हमने सारी रात चुदाई की…

आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल करें ताकि मैं आपको कुछ और कहानियाँ भेज सकूँ।
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