मेरी प्यासी चूत में देवर का मोटा लंड

(Meri Pyasi Chut Me Devar Ka Mota Lund)

नेहा यादव 2018-12-29 Comments

हैलो पाठको, मेरा नाम नेहा है. मैं आज आप सबके सामने अपनी एक कहानी बता रही हूँ.. जो मेरी आप बीती कहानी है. मुझे लगता है कि मेरी ये कहानी आप लोगों को बहुत पसंद आएगी.
मेरी पिछली कहानी
मेरी प्यासी चूत में जीजू का लंड
की तारीफ़ बहुत सारे पाठकों ने की. धन्यवाद.

मेरी शादी के 2 साल हो गए हैं. मेरी शादी जब हुई थी, तब मेरे पति मुझे खूब चोदते थे. हम लोग रात में रोज चुदाई करते थे और कभी कभी तो मेरे पति मुझे दिन में भी चोद देते थे.

समय बीता, तो मेरे पति अब मुझे थोड़ा कम चोदने लगे. वो अपने काम में बिजी रहने लगे. मेरी चूत में अब चुदवाने का खूब मन होने लगा था.. जबकि पति की निष्क्रियता मुझे सालने लगी थी. हालांकि मैं अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी. तब भी चूत की आग बढ़ने से मुझे मेरी चुदास कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगी थी.

मेरे पति का देवर मुझसे हमेशा गन्दी हरकत करता था लेकिन मैं ये बात अपने पति को नहीं बताती थी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से मेरे पति और मेरे देवर के बीच में झगड़ा हो जाए. मेरे देवर थोड़ा हरामी आदमी था. वो हमेशा मेरी चुचियों को देखता रहता था, जब मैं उनके कमरे में जाकर झाड़ू लगाती थी. वो शुरू से ही मुझे अपना बनाना चाहता था क्योंकि मेरे पति जब भी काम पर जाते थे, तो वो तुरंत मेरे रूम में आ जाता था और मैं चाह कर भी उसको अपने रूम से जाने के लिए नहीं कह सकती थी.

उसकी घर में भी थोड़ा ज्यादा चलती थी और वो दिखने में भी थोड़ा मजबूत था.

इधर मैं अपनी कहानी बताने से पहले आपको अपने बारे में बता दूँ. मैं एक गृहणी हूँ और मैं घर का काम करती हूँ. मुझे बाहर के काम से कोई मतलब नहीं रहता है. मतलब बाजार से सामान आदि लाना ये सब मेरे जिम्मे नहीं था. मेरा देवर ही बाहर का सारा काम करता है.

मेरी चूची और गांड दोनों लोग बाहर की तरफ निकलते हुए हैं. दरअसल मेरी तनी हुई चूचियां और उठी हुई गांड ही मुझे सेक्सी बनाते हैं. यही वजह थी कि मेरा देवर जब भी रसोई में आता है, तो वो मुझे छूने की कोशिश करता है. वो कभी कभी तो मेरी गांड को भी छूता है और मैं उसको कुछ बोल भी नहीं पाती हूँ.

मुझे भी अब आदत हो गयी थी और ऐसे ही मैं भी अपने देवर से थोड़ा घुल मिल गयी हूँ. मेरा देवर जब भी मेरी गांड को छूता है, तो मैं उसको कुछ नहीं बोलती थी जिससे उनकी हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी. अब तो कभी कभी वो मेरे बेडरूम में आकर मुझसे बहुत देर तक बात भी करने लगा है. उसकी इन हरकतों से मेरी भी हल्की हल्की सेक्स जैसी मनोवृत्ति बनती जा रही थी.

मेरे पति अपने काम में इतने अधिक व्यस्त रहने लगे थे कि उनको अब मुझसे कोई मतलब नहीं रह गया था. वो बस अपने काम में ही मस्त रहते हैं. मैं भी अपने पति की कम चुदाई से अब तंग आ गयी थी. क्या करूँ अब वो मुझे बहुत ही कम चोदते थे. समझो महीने में एकाध बार ही उनका लंड मुझे अपनी चूत के लिए नसीब हो पाता था. इस वजह से मुझे अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत को शांत करनी पड़ती थी.

इस सबसे मैं बड़ी धर्मसंकट में थी. आखिर करूँ तो क्या करूँ … अगर अपने पति को बताती कि मुझे और चुदवाने का मन कर रहा है, तो वो न जाने मेरे बारे में क्या सोचते. इसलिए मैं चूत में उंगली करके ही रह जाती थी. मैं कैसे भी अपने पति को कभी कभी रात में चुदाई के लिए मना लेती थी और उनसे चुदवा लेती थी.

एक बार मेरे पति को ऑफिस के काम से बाहर जाना था और वो दो दिन के लिए बाहर चले गए. मैंने उनके जाने के लिए सब कुछ तैयार कर दिया और उनके सामान की पैकिंग में भी उनकी सहायता कर दी.
मेरे देवर ने मेरे पति को बस तक छोड़ा और पति बस से चले गए. उनके जाने से मुझे थोड़ा अकेलापन महसूस होने लगा था. मेरे पति ऑफिस के काम से दो दिन के लिए बाहर गए थे, इसलिए मुझे दो दिन अब अकेले ही रहना था.

मेरे देवर कभी कभी दोपहर में मुझसे आकर बात करते थे. उनको मेरे सास ससुर के सामने बात करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती थी. मेरे सास ससुर को सिर्फ खाने से मतलब था. वे भी देवर के काम में कोई टांग नहीं अड़ाते थे.

पति के जाने के बाद मैं अपने रूम में अकेली सो रही थी, तभी मेरा देवर आया और बोला कि भाभी आप अकेले बोर हो रही हो.. तो चलो मैं आपको बाहर कहीं घुमाने ले चलता हूँ.
पहले तो मैंने अपने देवर को मना कर दिया, लेकिन बाद में मैं अपने देवर के मनाने पर मान गयी. मैं भी अकेले रूम में पड़ी पड़ी क्या करती. इसलिए मैं अपने देवर के साथ बाहर घूमने चली गयी.

हम दोनों को घूमते घूमते रात हो गयी थी. हम दोनों बाहर खाना खाने के लिए होटल में रुके और अपने सास और ससुर के लिए भी देवर ने खाना पैक करवा लिया.
मेरा देवर जब भी बाइक से मुझे घुमा रहा था, तो जब वो ब्रेक मारता तो मेरी चूचियां मेरे देवर की पीठ से लग रही थीं. मेरा देवर भी मेरे मम्मों का मजा ले रहा था.. बाद में मुझे भी मजा आने लगा.

मुझे उस अकेलेपन से तो अच्छा देवर के साथ बाइक पर घूमना लग रहा था. हम दोनों लोग देर रात तक बाहर घूमे और रात को घर आ गए. मैंने अपने सास और ससुर को रात का खाना खिलाया, जो हम बाहर से पैक करवा लाए थे.

उसके बाद मैं अपने बेडरूम में चली गयी. मेरा देवर अपने रूम में था और मैं अपने बेडरूम में थी. मैं अपने कमरे में अपने कपड़े बदल रही थी. मैंने अपनी साड़ी निकाल दी थी और मैं ब्लाउज और पेटीकोट में थी. जल्दी में मैं अपने कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गयी थी. मैं जिस वक्त अपने रूम में ब्लाउज और पेटीकोट में थी, उसी समय मेरा देवर मेरे कमरे में आ गया और उसने मेरे करीब आकर मुझे पकड़ लिया.

उसके जोर से जकड़ लेने से मेरे ब्लाउज में से मेरी आधी चूचियां बाहर आ गयी थीं. मेरा देवर मेरी गर्दन को चाटने लगा. मैं अपने देवर को मना कर रही थी, लेकिन मैं चूंकि अपने पति से बहुत दिन से नहीं चुदी थी, इसलिए मैं भी गर्म हो गयी थी. मेरा देवर मेरी गर्दन को चाटने के बाद मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूची को दबाने लगा. मैं भी हल्की हल्की आहें भरने लगी.

पीछे से मेरे देवर का लंड मेरी गांड में लग रहा था और मेरा देवर मेरे पेटीकोट के ऊपर से अपना लंड मेरी गांड में रगड़ रहा था. मैं सारे दिन से चूचियों की रगड़न से पहले ही चुदासी सी हुई पड़ी थी. इसलिए अभी देवर के इस कदम से मैं एकदम चुदवाने के मूड में आ गयी थी. मेरी चूत में से पानी निकलने लगा था.

तभी मेरे देवर ने मेरा ब्लाउज निकाल दिया. मैंने सफ़ेद रंग की मॉडर्न ब्रा पहनी हुई थी, जिसमें से मेरी चूची एकदम साफ़ तनी हुई दिख रही थीं. मेरे देवर से रहा नहीं गया. उसने मेरी ब्रा को फाड़ दिया और मेरी बड़ी बड़ी चूचियों पर टूट पड़ा. वो मेरी एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मैं भी बहुत मादक आवाजें निकालने लगी. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था.

मेरे देवर ने मेरी चूची को बहुत देर तक चूसा और मेरे निप्पलों को भी वो अपने दांतों से हल्का हल्का काट रहा था. चूचियों के साथ उसने मेरी चूत को भी दबाया. फिर मेरे देवर ने मेरे पेटीकोट को निकाल दिया और मेरी काली रंग की पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा. कुछ ही देर में उसने मेरी पेंटी को खींच कर निकाल दिया और मुझे पूरी नंगी कर दिया.

इसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत में अपना जीभ डाल मेरी चूत को चाटने लगा. मेरी चूत से पानी निकल रहा था और मेरा देवर मेरी चूत की पानी चूसने लगा. उसकी चूत चुसाई से मेरी चूत ने एकदम से पानी छोड़ दिया और मेरी चूत का सारा पानी मेरे देवर ने पी लिया.

झड़ जाने के बाद मैं थोड़ा सा शांत हो गयी थी, तभी मेरे देवर ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी मुँह में अपना लंड डाल कर मुझे अपना लंड चूसने के लिए बोलने लगा. मैंने अपने देवर का लंड थोड़ी देर तक चूसा. फिर मैंने लंड बाहर निकाल दिया तो वो लंड की मुठ मारने लगा. मेरा देवर अपना लंड जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने में लगा था. मैं बिस्तर पर लेटी थी और उसने एक बार मुठ मार कर सारा माल बिस्तर पर गिरा दिया.

हम देवर भाभी एक दूसरे को नंगे ही किस कर रहे थे. कुछ ही देर की चुम्मा चाटी के बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गए.

अब मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मैंने भी अपनी गांड उठा कर लंड पूरा अन्दर तक ले लिया. देवर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. धकापेल चुदाई होने लगी थी. हम दोनों की सांसें थोड़ी सी तेज हो गयी थीं. हम दोनों मदमस्त होकर चुदाई करने लगे थे. मेरी चूत में बहुत दिन के बाद लंड गया था, इसलिए मेरी चूत मेरे देवर का लंड पूरा अन्दर तक ले रही थी. जब मेरी चूत देवर के लंड को पूरा अन्दर ले रही थी और उससे चुदवा रही थी तब मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था. मेरी चूत को बहुत दिन के बाद लंड मिला था, इसलिए वो बहुत भूखी थी.

हम दोनों सेक्स करते करते एक दूसरे में खोने से लगे थे. हमें ये भी नहीं पता था कि मेरे बेडरूम की खिड़की और दरवाजा दोनों खुले रह गए थे. मेरी जैसे ही खिड़की और दरवाजे पर नजर गई तो मैंने जल्दी से अपने देवर को अपने से दूर किया और देवर से रूम की खिड़की और दरवाजा बंद करने के लिए बोला.

मेरे देवर ने जल्दी से उठ कर बेडरूम की खिड़की और दरवाजा बंद किया. इसके बाद हम दोनों दुबारा सेक्स करने लगे. जैसा कि मैंने ऊपर ही लिखा था कि मेरा देवर शरीर से थोड़ा मजबूत है, इसलिए वो मुझे बहुत अच्छे से चोद रहा था. उसके लंड में जबरदस्त ताकत थी. जबकि मेरे पति को तो बस अपना माल गिराना रहता है और जैसे ही उनका माल गिरता है, वो सो जाते हैं. उनके लंड के जल्दी झड़ जाने से मेरी चूत प्यासी रह जाती थी.

मेरे देवर ने बहुत देर तक मेरी चूत को चोदा और हम दोनों लोग सेक्स करते करते झड़ गए. मुझे बहुत राहत मिली कि मेरी चूत आज बहुत दिन के बाद लंड की चुदाई से झड़ गयी.

मुझे अपने देवर के मोटे लंड से चुदवा कर बहुत अच्छा लग रहा था. मुझे और चुदवाने का मन कर रहा था. मैं और मेरे देवर दुबारा एक दूसरे को किस करने लगे. इस बार हम एक दूसरे को दूसरे स्टाइल में किस कर रहे थे. मेरा देवर मेरे मुँह में अपनी थूक दे रहा था और मैं उसको पी रही थी. मैं अपने देवर के मुँह में थूक रही थी और वो मेरी थूक को पी रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे को बहुत तक चूमने चाटने के बाद दुबारा सेक्स करने के लिए बेचैन हो गए.

मेरे देवर ने मुझे अपने ऊपर करके अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे अपने लंड पर उछलने के लिए बोला. मैं अपने देवर का मोटा लंड अपनी चूत में लेकर उछल रही थी और वो बिस्तर पर चित्त लेट कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मजे ले रहा था.

हम दोनों ने ऐसे ही बहुत देर तक सेक्स किया. उसके बाद मेरा देवर मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदने लगा. मैं अपने देवर की पीठ को पकड़ कर गांड उठा कर उससे चुदवा रही थी. मेरा देवर मेरी चूत को चोदते चोदते कभी कभी लंड बाहर खींच कर मेरी चूत पर एक लम्बा किस कर रहा था और मेरी चूत के दाने को मसल रहा था, जिससे मैं और भी ज्यादा कामुक हो रही थी.

मेरे देवर ने काफी देर इस तरह से चोदने और चूत चूसने के बाद अन्ततः अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे धकापेल चोदना चालू कर दिया. हम दोनों की चुदाई से और हम दोनों के लंड चूत के पानी से बिस्तर पूरा गीला हो गया था. क्योंकि चुदाई की मस्ती के चलते ये होश ही था कि लंड का रस और चूत की मलाई किधर टपक रही थी.

हम दोनों का पानी बिस्तर पर गिरा था और इसके पहले सोफे पर भी गिरा था. क्योंकि दूसरी बार की चुदाई से पहले कुछ देर तक हम दोनों ने ओरल सेक्स का मजा सोफे पर बैठ कर लिया था.

अब चूंकि कमरे के दरवाजे और खिड़की बंद हो गए थे, इसलिए हम दोनों लोग सेक्स करते करते एक दूसरे को बहुत जोर से गले लगा रहे थे और बिंदास खूब आवाजें भी निकाल रहे थे. मेरा देवर मेरे होंठों को चूस चूस कर मेरी सारी लिपस्टिक चाट गया था.

जब आखिर में मेरा देवर मेरी चूत को अपने लंड से चोद रहा था, तो मैं उसको जकड़े हुए थी क्योंकि वो बार बार लंड बाहर निकाल कर चूत चूसने लगता था.

इस बार मेरे खूब जकड़े रहने के बावजूद भी वो नहीं माना और उसने फिर से अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया. इस बार वो मेरी चूत में अपनी दो उंगली डाल कर मेरी चूत उंगली से चोदने लगा. मैं आहें भरने लगी थी. मेरे देवर ने मेरी चूत में उंगली करने के बाद अपना लंड चूत में डाल दिया और चूत चुदाई होने लगी.

जब मेरा देवर मुझे चोद रहा था, तो मैं मस्ती से चुदास से भरी हुई सिस्कारियां ले रही थी. मैं कभी कभी अपनी गांड उठा उतार कर अपने देवर का लंड पूरा अपनी चूत में ले रही थी. सच में मेरे देवर ने आज मेरी चूत को चोद कर मेरी प्यास को शांत कर दिया था. कुछ देर तक जबरदस्त चुदाई के बाद देवर ने मुझसे औंधा हो जाने को कहा.

अब हम दोनों डॉगी स्टाइल में चुदाई का मजा ले रहे थे. मेरी चूचियों मेरे देवर के हाथों में थीं और वो मेरी चूचियों का भुरता बनाने में लगा था. मुझे इस वक्त उसके लंड से बड़ी शान्ति मिल रही थी.

फिर करीब दस मिनट बाद हम दोनों सेक्स करते करते दुबारा झड़ गए और थकान के चलते वो मेरी गांड पर ही ढेर हो गया. उसके बाद हम दोनों लोग कब सो गए, हम दोनों को पता ही नहीं चला.

इसके बाद से मैं अपने देवर से खुल गई थी और अब तो मेरे पति मुझे चोदें या नहीं चोदें, मेरा देवर मुझे अपने मोटे लंड से बड़ी तसल्ली से चोदता है और मेरी चूत की आग को शांत करता है.

आप सबको मेरी देवर भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी. आप सब मुझे बताएं, जिससे मैं और भी अपनी कहानी बता सकूं. अगर कोई मुझे चुदाई के दौरान मजा बढ़ाने वाली सलाह भी देना चाहता है, तो वो भी लिख दीजिये. प्लीज़ मेरी कहानी को अपने फीडबैक जरूर दीजिये.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top