कामुक भाभी ने देवर को उकसा कर चुदवाया- 4

(Wild Bhabhi Fuck Kahani)

वाइल्ड भाभी फक कहानी में मैं अपनी नवविवाहिता भाभी के सेक्सी बदन को ताड़ता था. वे भी मेरे भाई से सेक्स में खुश नहीं थी तो हम दोनों की सेटिंग हो गयी और भाभी मेरे लंड के नीचे आ गयी.

साथियो, मैं एक बेनाम देवर अपनी नवब्याहता भाभी की चुत में लंड पेल कर उन्हें खुशियां देने वाली सेक्स कहानी सुना रहा था.

कहानी के तीसरे भाग
मेरा लंड चूत में लेने को तैयार भाभी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने भाभी के सहयोग से अपना लंड उनकी चुत में ठांस दिया था, जिससे वे अकबका उठी थीं.

अब आगे वाइल्ड भाभी फक कहानी:

ये मेरी ज़िंदगी का पहला मौका था, जब मेरा लंड किसी चूत की नमी और तपिश को महसूस कर रहा था.
और वह भी कोई साधारण चूत नहीं … वह चुत मेरी भाभी की रसीली, गीली और आग-सी जलती चूत थी जो हर धक्के के साथ मुझे अपने जादू में बाँध रही थी.

उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड बिना किसी रुकावट के उसमें समाता चला गया मानो वह मेरे लिए ही बनी हो.
जैसे-जैसे लंड अन्दर सरकता गया, वैसे-वैसे भाभी का गर्म रस बाहर रिसने लगा.
उनकी चूत की नमी ने मेरे होश उड़ा दिए.

चूंकि उनकी चूत कसी हुई थी, लंड को पूरी तरह समाने में थोड़ा वक्त लगा.
हर इंच के साथ उनकी दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं, जैसे वह मुझे कभी छोड़ना ही न चाहती हों.

जब आखिरकार पूरा लंड अन्दर समा गया, तो हमने एक-दूसरे की आंखों में देखा.
उनकी आंखों में एक तड़प थी, एक आग थी जो बता रही थी कि हम दोनों यही पल चाहते थे.

यही आलम, यही जुनून, जो आज हमें नसीब हुआ था.

भाभी की चूत का स्पंदन मेरे लंड पर इस कदर महसूस हो रहा था जैसे वह मेरे साथ कोई गहरा राग छेड़ रही हों.

मैंने उनकी आंखों में देखकर पूछा- ये क्या जादू है?
भाभी ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा- मैंने तो तुझसे कहा था, तेरा भैया मुझे कभी इस तरह तृप्त नहीं कर पाया. लेकिन तू, मेरा प्यारा देवर, मेरी रूह तक को छू रहा है. आज पहली बार मैंने किसी मर्द के लंड को अपने मुँह और चूत में इस तरह महसूस किया है. तेरा लंड … हाय! तेरे भैया से कहीं ज़्यादा मोटा और लंबा है. इसने मेरी चूत को पूरी तरह खोल दिया है, जैसे कोई तिजोरी का ताला तोड़ रहा हो. लेकिन सुन, अगर तू जल्दी झड़ गया, तो मैं तुझे यहीं चबा जाऊंगी. आज मुझे तेरे इस लंड से पूरी तरह डूब जाना है, तृप्त होना है.

उनके मुँह से ‘लंड’ सुनकर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए.
मेरे दिल में एक उफान सा उठा और मैंने कहा- भाभी, आज की क्या बात? जब भी तुम बुलाओ, ये तुम्हारा सेवक तुम्हारी टांगों के बीच हाज़िर रहेगा, तुम्हारी हर ख्वाहिश को पूरा करने को बेताब!

मेरी बात सुनते ही भाभी ने मेरे होंठों को इस तरह काट लिया, जैसे वह मेरी सारी हिम्मत चूस लेना चाहती हों.

फिर वे बोलीं- ऐसे चोद मुझे कि मैं अपने पति को भूल जाऊं और हर बार सिर्फ अपने देवर के लंड की सवारी करूँ!

इतना कहते ही भाभी ने मेरी कमर को अपने नाज़ुक हाथों से जकड़ लिया और खुद को मेरे हवाले कर दिया.

मुझे उनका इशारा मिल गया और मैंने उनकी चूत को अपने धक्कों से रौंदना शुरू कर दिया.

इस पहले अनुभव को मैं कैसे बयान करूँ?
मेरे पास शब्द ही नहीं हैं इस आग, इस जुनून, इस मस्ती को बताने के लिए.

जैसे-जैसे उनकी चूत मेरे लंड के लिए और खुलती गई, मैं और तेज़ी से धक्के मारने लगा.

हर धक्के के साथ उनकी चूत की दीवारें मेरे लंड को और गहराई में खींच रही थीं.

मैंने देखा कि भाभी अब पूरी तरह खुल चुकी थीं.
उनके होंठों पर वह भोली लज्जा गायब थी; अब वहां सिर्फ एक शरारती, जंगली मुस्कान थी, जो मेरे दिल को चीर रही थी.

उनकी आंखों में एक आग थी, जो मुझे और तेज़ चोदने का हुक्म दे रही थी.

मैं पहले ही झड़ चुका था, तो कोई डर नहीं था.
उनकी चूत अब पूरी तरह मेरे लंड के लिए खुल चुकी थी.

भाभी भी नीचे से अपनी गोल-मटोल गांड उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थीं.
लेकिन तभी कुछ पलों में भाभी फिर से अकड़ने लगीं.

उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और झड़ने लगीं.
उनके नाखून मेरी गांड में धंस गए और वे मेरे कंधे को काटने लगीं.

उनका गर्म रस मेरे लंड पर बहने लगा और उस गर्मी ने मुझे मेरे मर्द होने का अहसास कराया.
मेरे सीने में गर्व की लहर दौड़ गई.

झड़ने के बाद भी भाभी हांफते हुए बोलीं- रुकना नहीं, मेरे राजा. मुझे और चाहिए. आज तो मुझे पता चलेगा कि मेरे देवर की कमर में कितना दम है.

मैंने हंसते हुए कहा- अब तो मान लो, भाभी कि मैं बुद्धू नहीं हूँ!
भाभी ने मेरी आंखों में देखकर कहा- कौन कहता है तू बुद्धू है? मेरे राजा देवर ने तो सांड का लंड पाया है!

फिर वे बोलीं- तुझे मेरी गांड बहुत पसंद है ना?
उनकी बात सुनकर मैं एकदम हैरान रह गया.
ये वही भाभी थीं, जो कभी लाज की मूरत थीं और आज ‘लंड … सांड … गांड’ जैसे शब्द उनके मुँह से ऐसे निकल रहे थे, जैसे वे कोई रसीला गीत गा रही हों.

मैंने पूछा- आपको कैसे पता?
वे हंसते हुए बोलीं- मुझे सब पता है, मेरे प्यारे. मेरी साड़ी कितनी ढीली हो, फिर भी तेरी नज़र मेरे दूधों या कमर पर नहीं, मेरी गांड पर ही क्यों ठहरती है? बोल, देखेगा मेरी गांड का जादू?

मैंने बच्चे की तरह सिर हिलाया.

भाभी ने मुझे अपने से अलग किया, मेरे गाल को काटा और फिर एक पल को अपनी चूत पर नज़र डालकर मुस्कुराईं.
फिर वे बेड पर कुतिया की तरह झुक गईं, अपनी गांड को मेरे सामने नचाने लगीं.

पीछे से उनकी गांड का नज़ारा देखकर मैं तो पागल हो गया.
वह गोल, रसीली गांड मेरे सामने थी, जैसे कोई मखमली सपना.

मैंने उसे सहलाना शुरू किया, चूमने लगा, चाटने लगा और जगह-जगह हल्के से काटने लगा.

मैं इतना खो गया कि बिना सोचे-समझे उनकी गांड के छेद को चाटने लगा.

भाभी सिहर उठीं और उछल-उछलकर अपनी गांड मेरे मुँह पर मारने लगीं जैसे वे मुझे और गहराई में डुबो देना चाहती हों.

‘अब चाटना छोड़, मेरे राजा और अपना लंड डाल दे! मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा!’
भाभी ने एक मादक सिसकारी के साथ कहा.

उनकी आवाज़ में वह तड़प थी जो मेरे रगों में आग लगा रही थी.
मैंने उनकी चूत को एक गहरा, भूखा चुम्बन दिया और शरारत से पूछा- गांड में ही लंड डालूँ ना?

मेरी बात सुनते ही भाभी की आंखों में एक पल को डर की चमक उभरी.
उनकी चूत ने तो मेरे लंड को लेने में ही इतनी सिहरन महसूस की थी; गांड का तो सवाल ही नहीं उठता था.

‘इतनी जल्दी मेरी गांड थोड़े ही मिलेगी, मेरे शैतान!’ उन्होंने हंसते हुए कहा.

मैं थोड़ा नाराज़ हुआ, मगर उनकी वह मुस्कान मेरे गुस्से को पिघला गई.
‘ठीक है!’ कहते हुए मैंने उनकी चूत में अपने लंड को पूरी ताकत से ठूँस दिया.

भाभी की चीख हवा में गूँज उठी, जैसे मैंने उनकी रूह को छू लिया हो.

मैंने उनकी कमर को अपने मजबूत हाथों से जकड़ लिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा.

भाभी बिस्तर पर लेटी थीं और मैं खड़ा होकर उनकी चूत को रौंद रहा था, हर धक्के में उनकी सांसें मेरे साथ ताल मिला रही थीं.

भाभी ने अपनी आंखों में जुनून भरे हुए कहा- कमर से हाथ हटा और मेरे दूध दबा, मेरे सांवरिया! मैं खुद अपनी कमर हिलाकर तुझे जन्नत दिखा दूँगी.

उनकी बात सुनते ही मैंने उनकी आज्ञा मानी.
उनके गोल, रसीले दूधों को दबाते हुए मैं उनके जिस्म को चूमने-काटने लगा.

तभी भाभी ने मुझे रोका- अरे, मेरे जिस्म पर कोई निशान मत छोड़! वरना तेरे भैया को क्या जवाब दूँगी?

भैया का नाम सुनते ही मेरे दिल में एक आग-सी भड़क उठी.
मैंने गुस्से में उनकी निप्पल को जोर से निचोड़ दिया.

भाभी तड़प उठीं और बोलीं- क्या बात है? भैया की अमानत का सुख तो चाहिए, पर उनका नाम भी नहीं सुनना?

मैंने उनकी आंखों में देखकर कहा- अब तुम उन्हें भूल ही जाओ, भाभी. आज से तुम सिर्फ अपने इस लाड़ले देवर के लंड की सैर करोगी.
मेरी बात सुनकर उनकी आंखों में एक शरारती चमक उभरी, जैसे वह मेरे इस जुनून को और भड़काना चाहती हों.

डॉगी पोजीशन में मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों को चीरता हुआ अन्दर तक जा रहा था.
हर धक्के के साथ उनकी चूत मुझे और गहराई में खींच रही थी.

भाभी इस आग को ज़्यादा देर बर्दाश्त न कर सकीं और एक बार फिर झड़ने लगीं.
उनका गर्म रस मेरे लंड को भिगो रहा था और उनकी सिसकारियां मेरे कानों में मिश्री घोल रही थीं.

जब वे झड़ चुकीं, तो मैंने अपना लंड बाहर खींचा और उनकी जांघों पर बहे उनके रस को चाटने लगा जैसे वह कोई अमृत हो.
मैं पहले ही उनके मुँह में झड़ चुका था, तो अभी मेरा होने को नहीं था.

मेरी सांसें तेज़ थीं और ये देख भाभी ने मुझे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया.
मैंने हंसते हुए पूछा- मैं लेट गया तो तुम्हें चोदूँगा कैसे?

भाभी ने एक कातिलाना मुस्कान के साथ कहा- अरे बुद्धू! अब मैं तुझे चोदूँगी.
इतना कहते ही वे मेरे ऊपर चढ़ गईं.

जब भाभी मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड को अपनी चूत में धीरे-धीरे ले रही थीं, वह नज़ारा मेरे लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं था.

उनकी चूत मेरे लंड को मखमल-सी नर्मी से लपेट रही थी और उनके चेहरे पर एक तृप्ति की चमक थी, जैसे वह हर पल को जी रही हों.

उनके बड़े, गोरे दूध मेरे सामने हिल रहे थे, उनकी सपाट नाभि और गहरी नाभि मेरे दिल को चुरा रही थी और मेरे लंड का उनकी चूत में मक्खन-सा फिसलना … हाय! वह नज़ारा आज भी मेरे होश उड़ा देता है.

उस दृश्य को लिखते वक्त भी मेरा लंड लोहे-सा तन गया है, जैसे वह फिर से भाभी की चूत की गर्मी माँग रहा हो.

भाभी ने मेरी छाती पर अपने नाज़ुक हाथ रखे और चोदन नृत्य शुरू किया.

मैं नीचे से उनकी कमर को पकड़कर धक्के मार रहा था, हर धक्के में उनकी चूत को और गहराई तक चूम रहा था.
इस पोजीशन में उनके जिस्म के साथ खेलने का पूरा मौका था.

नीचे उनकी चूत की कुटाई चल रही थी और ऊपर मैं उनके होंठों को चूम रहा था, उनके दूधों को सहला रहा था और उनकी चूचियों के निप्पल्स को हल्के से निचोड़ रहा था.

मेरे दोनों हाथ उनके जिस्म को सहलाने के लिए आज़ाद थे और मैं हर इंच को प्यार से छू रहा था.

इतनी देर की कुटाई के बाद मेरा लंड भी बांध तोड़ने को बेताब हो उठा.
मैंने हांफते हुए कहा- भाभी, लगता है मेरा निकलने वाला है.

वाइल्ड भाभी फक करती हुई सिसकते हुए बोलीं- अभी नहीं … अभी नहीं … माँ … आ … आह … ह … ह …!
तभी वे फिर से झड़ गईं.

उनकी चूत ने मेरे लंड को इस कदर जकड़ लिया, जैसे वह उसे कभी छोड़ना ही न चाहती हो.
उस जकड़न ने मेरे लंड को और सख्त कर दिया.

जब भाभी को लगा कि मेरा होने वाला है, उन्होंने वापस अपनी गति और तेज़ कर दी.
एकदम से वे मेरे लंड को अपनी चूत की गहराई में लेकर ऐसे बैठ गईं, जैसे वह मुझसे सब कुछ ले लेना चाहती हों.

मेरा वीर्य उनकी चूत में फव्वारे-सा छूटने लगा और मेरी आंखों के सामने एक पल को अंधेरा छा गया.

मैं हांफ रहा था और भाभी मेरी ओर देखकर एक कातिलाना मुस्कान बिखेर रही थीं जैसे वह मेरे इस समर्पण पर विजय पा चुकी हों.
उनकी वह मुस्कान, नशीली आंखें और उनकी गर्म चूत की जकड़न … ये सब मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गया.

भाभी मेरे चेहरे के भावों को पढ़ रही थीं और उनकी आंखों में एक चमक थी, जैसे वे मेरे हर हाव-भाव में अपनी जीत देख रही हों.
वह सुख, जो वे अपने पति को देना चाहती थीं, आज अपने लाड़ले देवर को दे रही थीं.

हर सिसकारी, हर स्पर्श, हर तड़प के साथ. मेरा गाढ़ा, गर्म रस उनकी चूत ने पूरी तरह समेट लिया था जैसे वह मेरे हर अंश को अपने अन्दर संजो लेना चाहती हों.

फिर वे धीरे से मेरे ऊपर लेट गईं, उनकी नर्म सांसें मेरी छाती पर रेंग रही थीं और उनके दूध मेरे सीने से चिपक गए मानो वह मेरी रूह को गले लगा रहे हों.

जब मेरा होश धीरे-धीरे लौटा, तब भाभी ने मेरी आंखों में झांकते हुए पूछा- कैसा लगा मेरे राजा, ये नया अनुभव?
उनकी आवाज़ में एक मादक मिठास थी, जो मेरे दिल को फिर से पिघला रही थी.

मैंने हंसते हुए कहा- आज समझ आया भाभी कि औरत की टांगों के बीच स्वर्ग का सुख क्या होता है. वह आग, वह जादू, वह तड़प, जो बस तुम दे सकती हो!

मेरी बात सुनकर भाभी की हंसी छूटी और वे मेरी नाक को प्यार से चिमटी लेने लगीं, जैसे मैं कोई शरारती बच्चा हूँ.
उधर मेरे हाथ उनकी रसीली जांघों और गोल-मटोल गांड पर फिसलने लगे.

हर स्पर्श में उनकी नर्मी को सहलाते हुए, जैसे मैं उनकी त्वचा का हर कोना चूमना चाहता हूँ.

हम उसी पोजीशन में एक-दूसरे में खोए रहे.
मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और हमने एक गहरा, नशीला चुम्बन साझा किया, जो इतना लंबा चला कि समय ठहर सा गया.

मेरे हाथ उनके जिस्म पर घूम रहे थे. कभी उनके दूधों को सहलाते, कभी उनकी कमर को थामते, कभी उनकी जांघों को चूमते.
हर स्पर्श में एक नया जुनून जाग रहा था.

कुछ देर बाद मैंने शरारत से पूछा- भाभी, एक बार फिर से जन्नत की सैर करें?
मेरी बात सुनकर भाभी ने हल्के से मेरे गाल पर एक चपत लगाई और हंसती हुई बोलीं- बदमाश कहीं का! तूने तो आज मेरे जिस्म की सारी ताकत निचोड़ ली है. मेरी रूह तक थरथरा रही है तेरे इस जुनून से!

उनकी वह शरारती हंसी, वह प्यार-भरी फटकार … सब कुछ मेरे दिल को और गर्म कर रहा था.
हम दोनों उसी पोजीशन में एक-दूसरे से लिपटे रहे, उनकी गर्मी मेरे जिस्म में समाती रही.

पता ही नहीं चला कि कब उनकी सांसों की लय और मेरे दिल की धड़कनों ने हमें एक गहरी, सुकून-भरी नींद में खींच लिया.
वह नींद ऐसी थी, जैसे हम दोनों किसी सपनों के जहान में एक-दूसरे के होकर डूब गए हों.

वाइल्ड भाभी फक कहानी पर आपके विचार अपेक्षित हैं.
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