लॉकडाउन में भाभी की चुदाई

(Xxx Desi Bhabhi Ko Choda)

रियान जाट 2025-07-13 Comments

Xxx देसी भाभी को चोदा मैंने लॉकडाउन के दिनों में. मैं भाभी और भतीजे को लेकर डॉक्टर के पास गया तो भाभी को छूने लगा. उन्होंने कोई ऐतराज नहीं किया.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रियान है और मैं भरतपुर राजस्थान का रहने वाला हूं.

मेरी उम्र 24 साल है और मेरा लौड़ा साढ़े छह इंच लम्बा है और ये इंच मोटा भी है.
मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच की है.

मैंने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई गांव से पूरी की.

मैं पिछले लगभग 8 साल से अन्तर्वासना पर सेक्स कहानी पढ़ रहा हूं.

यह कहानी जिसमें Xxx देसी भाभी को चोदा, मेरी भाभी सुमन की चुदाई की है.

गांव में रहने के कारण मैं मजदूरों से खेती का काम भी करवाता था और रोज दौड़ लगाता व दंड बैठक भी किया करता था.
उसी वजह से मेरा शरीर खूब मजबूत है.

मेरे परिवार में 8 सदस्य हैं.
मेरे मम्मी-पापा, एक बहन, मैं और मेरे भाई भाभी. भाई भाभी के 2 ब/च्चे भी हैं.

भाई सरकारी नौकरी करता है और उसकी ड्यूटी जयपुर में है.

यह बात जब की है, जब देश में पहली बार लॉकडाउन लगा था.
उस वक्त मैं अपनी पढ़ाई कर रहा था.
लॉकडाउन के कारण कॉलेज बंद हो गया था और मुझे घर आना पड़ा.

पहले तो मेरे दिल में अपनी भाभी के लिए कोई गलत विचार नहीं थे क्योंकि मैं उस समय तक अपनी चचेरी भाभी संध्या को चोदना चाहता था.
चूंकि वे लाइन पर नहीं आ रही थीं तो मेरा लंड किसी चुत के चक्कर में उफन रहा था.

मेरी चचेरी भाभी मुझसे केवल मज़ाक ही करती थीं उसके आगे वे कुछ भी करने नहीं दे रही थीं.

एक दिन मेरे भतीजे की तबीयत बिगड़ गई.
चूंकि पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था, घरों से निकलने पर रोक थी.

मैंने अपनी पहचान के एक डॉक्टर से फोन पर बात की और भतीजे को दिखाने के लिए मोटरसाइकिल से चल दिया.
मेरा गांव शहर से 35 किलोमीटर दूर है तो रास्ता लगभग एक घंटे का था.

लॉकडाउन के कारण रास्ते खाली थे.
मैं और सुमन भाभी रास्ते में एक-दूसरे से बात करते हुए जा रहे थे.

अचानक मेरी पीठ में नीचे की तरफ़ खुजली होने लगी.
उधर खुजलाते समय मेरा हाथ भाभी की गांड को टच कर गया.

मुझे उनकी गांड का स्पर्श अच्छा लगा.
लेकिन डर भी लगा कि भाभी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी!
पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.

इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई.

मैंने फिर से खुजलाने के बहाने उनकी गांड को टच किया और बार-बार करने लगा, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.

हम दोनों डॉक्टर के घर पहुंचे, वहां ब/च्चे को दिखाया और दवाइयां लीं.

डॉक्टर ने 7 दिन बाद दोबारा बुलाया.

वापस जाते समय मैंने खुजलाने के बहाने उनकी गांड को थोड़ा दबा दिया.
पर उन्होंने अभी भी कुछ नहीं बोला.

मैंने इससे आगे कुछ नहीं किया क्योंकि मुझे डर था कि कहीं भाभी घर पर न बता दें.

घर पहुंचकर मैंने मोटरसाइकिल खड़ी की और दोस्तों के पास पत्ते खेलने चला गया.

लॉकडाउन के कारण गांव के सारे दोस्त अपने-अपने घर वापस आ गए थे तो हम सब एक कमरे में चुपके से पत्ते खेलते थे.

जब शाम को घर लौटा, तो मुझे डर था कि कहीं भाभी ने घरवालों को कुछ न बता दिया हो.
लेकिन घर पहुंच कर देखा तो सब कुछ सामान्य था.

घर वालों ने पूछा- डॉक्टर ने क्या कहा? दोबारा बुलाया है क्या?
मैंने कहा- कोई दिक्कत की बात नहीं है! दवाइयां दे दी हैं और 7 दिन बाद बुलाया है.

इन 7 दिनों में मेरे और भाभी के बीच ज़्यादा कुछ नहीं हुआ.

बस यह था कि जब भी हमारी नज़रें मिलतीं, वे मुझे देखकर मुस्करा देती थीं और मैं भी मुस्करा देता.
अब मुझे लगने लगा कि भाभी मुझसे कुछ चाह रही हैं, पर वे बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं.
मैं भी कुछ बोल नहीं पा रहा था.

मुझे अगली बार डॉक्टर के पास जाने की तारीख का इंतज़ार था.
आखिरकार वह दिन आ गया.

हम दोनों ब/च्चे को दिखाने के लिए सुबह जल्दी मोटरसाइकिल से निकल गए क्योंकि दिन में पुलिस परेशान करती थी.

सुबह का समय था और लॉकडाउन के कारण रास्ता बिल्कुल सुनसान था.
आज भाभी मुझसे चिपक कर बैठी थीं और ब/च्चे को गोद में लिए थीं.

मैंने फिर से खुजलाने के बहाने उनकी गांड को टच किया और थोड़ा दबा दिया.

तभी मैंने पूछा- भाभी, आपको कोई दिक्कत तो नहीं हो रही? खुजलाते समय मेरा हाथ आपकी गांड को टच कर रहा है!

उन्होंने कहा- मुझे कोई दिक्कत नहीं है. खुजली हो रही है तो खुजलाओगे ही … इससे भला मुझे क्या दिक्कत होगी!

उनकी बातों से लग रहा था कि आग उनकी तरफ़ भी लगी है.
इस बार मैंने खुजलाने के बहाने उनके दूध को दबा दिया.

उनके मुँह से ‘ऊँह.’ की आवाज़ आई और वे बोलीं- यह क्या कर रहे हो देवर जी, कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा?
मैंने कहा- यहां कौन देख रहा है? कोई भी तो नहीं है. सड़क बिल्कुल खाली है!

वे चुप हो गईं और मैं बदस्तूर कुछ कुछ करता हुआ चलता रहा.

कुछ देर बाद हम लोग डॉक्टर के घर पहुंच गए.
वहां हमने ब/च्चे को दिखाया.

डॉक्टर बोला- अब कोई दिक्कत नहीं है, सब ठीक है.
मैंने दोबारा आने के बारे में पूछा, तो डॉक्टर ने कहा- जरूरत तो नहीं है, अगर तुम्हें कोई दिक्कत हो तो आ जाना.

फिर हम वहां से चल दिए.
इस बार भाभी मुझसे कुछ ज़्यादा ही चिपक कर बैठीं.

मैंने अपना एक हाथ उनके दूध पर रखा और दबाने लगा.

वे इस मज़े को लेने लगीं और बोलीं- क्या कर रहे हो देवर जी … बड़ी मस्ती चढ़ी है आपको आह ऊँह … आज क्या हो गया आपको!

मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपना काम करता रहा.
अब वे भी मज़ा ले रही थीं. मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने अपने लंड को पैंट से बाहर निकाला और अपनी शर्ट के नीचे छिपा दिया.
फिर मैंने अपना हाथ उनके दूध से हटाया और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

वे हाथ हटाने लगीं तो मैंने दोबारा रखवा दिया और मुठ मरवाने लगा.
पहले तो वे कुछ नहीं कर रही थीं लेकिन अब उन्हें भी मज़ा आने लगा और वे खुद मेरी मुठ मारने लगीं.

अब हम दोनों को मज़ा आने लगा.
वे मेरी मुठ मार रही थीं और मैं उनके दूध दबा रहा था.

अचानक ब/च्चे ने कहा कि उसे सूसू लगी है.

मैंने मोटरसाइकिल रोक दी.

पहले उन्होंने ब/च्चे को सूसू कराया और फिर खुद अपना पेटीकोट उठाकर मेरे सामने मूतने लगीं.

उनकी गोरी गांड देखकर मुझे करंट सा लगा और मैं उनकी गोरी, खूबसूरत गांड देखने लगा.

मूतने के बाद भाभी खड़ी हुईं और मेरी तरफ देखने लगीं.
फिर वे बोलीं- क्या हुआ देवर जी! कभी किसी की गांड नहीं देखी क्या!

मैंने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा- देखी है ना … अपनी भाभी की गांड देखी है और अभी-अभी ही देखी है.
यह कह कर मैं मुस्कराने लगा.
वे इठला कर बोलीं- अच्छा जी!

अब मुझे भी सूसू लगी थी.
तो मैंने अपना लंड निकाला और उनकी तरफ मुँह करके मूतने लगा.

भाभी मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थीं.
मैंने पूछा- कैसा लगा?
वे शर्मा गईं और बोलीं- हट बदमाश!

मैंने अपने लंड को बाहर ही रहने दिया और अपनी शर्ट नीचे कर ली.
वे मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगीं.

अब मैं आगे बढ़ा और उनके होंठों पर एक किस कर लिया.

मेरे इस अचानक किस से वे सहम गईं और बोलीं- कोई देख लेगा तो क्या होगा!
मैं बोला- यहां कौन देख रहा है मेरी रानी!

वे मुक्का मारती हुई बोलीं- अच्छा! भाभी से सीधे रानी!
यह कह कर भाभी हंसने लगीं.

मैं बोला- रानी तो आप हो! पहले मेरे स्वप्नों की थीं, अब हकीकत में बन गईं!

यूं ही कुछ देर चुहलबाजी करके हम दोनों वहां से चल दिए.

अब मैं साड़ी के ऊपर से उनकी चूत सहलाने लगा.
वे भी अपनी चुत रगड़वाने का मज़ा ले रही थीं और मेरे लंड को पकड़ कर हिला रही थीं.

मैंने उनके पेटीकोट को थोड़ा ऊपर किया और पैंटी को साइड में करके उनकी चूत में उंगली करने लगा.
इससे उनका कामरस निकल गया और वे थोड़ी ढीली पड़ गईं.

मैंने अपनी उंगली उनकी चूत से निकाली और उस पर लगा उनकी चूत का रस उन्हें दिखाकर चाटने लगा.
वे बोलीं- आप बहुत गंदे हो! ये भी कोई चाटने की चीज़ है!

मैंने पूछा- भाई ने कभी आपकी चूत नहीं चाटी?
तो वे बोलीं- नहीं, वे तो बस चुदाई करते हैं.

मैंने कहा- चिंता मत करो, मैं चाट लूँगा!
तो वे मुझे मुक्का मारने लगीं.

मैंने कहा- आपका तो हो गया और मेरा क्या?
अब वे मेरी मुठ मारने लगीं और कुछ ही पलों में मेरा पानी भी निकल गया.

मेरा सारा माल उनके हाथ पर निकल गया.
वे बोलीं- क्या यार … हाथ को गंदा कर दिया!

मैं बोला- चाटकर साफ कर लो न मेरी रानी!
वे बोलीं- मुझे घिन आती है!

उन्होंने मेरी जेब से रूमाल निकाल लिया और अपने हाथ को पौंछ दिया.

अब हमारा गांव आने वाला था, तो हमने अपने कपड़े ठीक किए.
भाभी भी थोड़ा अलग होकर बैठ गईं.

हम लोग घर पहुंच गए.

मैंने मोटरसाइकिल खड़ी की और पत्ते खेलने निकल गया.
जब मैं वापस आया तो शाम के 4 बज चुके थे.

लॉकडाउन में कुछ काम नहीं होने के कारण मैं सुबह और शाम दोनों टाइम कसरत करने सड़क पर जाता था.

उधर दो घंटे तक कसरत करता था.
मेरी बहन और मां भी सड़क पर घूमने जाती थीं.

भाभी घर पर अकेली रह जाती थीं.
उस दिन मैं जल्दी घर आ गया.

उधर देखा तो भाभी फोन पर किसी से बात कर रही थीं.
मैं उनके पास बैठ गया और फोन काटने को बोलने लगा.

थोड़ी देर बाद उन्होंने फोन काट दिया.
फिर मैं उन्हें किस करने लगा.

वे बोलीं- इधर कोई देख लेगा … चलो, कमरे में चलते हैं!

अब हम कमरे में आ गए और किस करने लगे.

मैं एक हाथ से उनकी चूत सहला रहा था और एक हाथ से उनके मम्मे दबाने लगा.

बीस मिनट किस करने के बाद हम अलग हुए.
वे बोलीं- अब आपकी मां और बहन आने वाली होंगी. आज इतना ही ठीक है!

मैंने कुछ नहीं कहा और वहां से बाथरूम में नहाने चला गया.
नहाकर बाहर निकल गया.

रात को वापस आया, खाना खाकर सो गया.
अब मुझे हर दिन शाम का इंतज़ार रहने लगा.

हम दोनों घर वालों से नज़र बचाकर एक-दूसरे को चूम लिया करते थे.
मैं उनकी गांड पर चुटकी काट लेता था.

एक दिन शाम को मैं कसरत करने जल्दी चला गया तो वापस भी थोड़ा जल्दी आ गया.

आकर मैंने उन्हें गोद में उठाया और कमरे में ले गया.

मैं उन्हें चूमने लगा, लेकिन आज भी उन्होंने इससे आगे कुछ नहीं करने दिया.
क्योंकि वे घर पर ज्यादातर सलवार सूट पहनती थीं, तो कहने लगीं- कोई आ गया तो सलवार पहनने में समय लगेगा. आज रहने दो, कल मैं साड़ी पहन लूँगी, तो आसानी होगा.
मैंने कहा- जैसा आप ठीक समझें.

मैं अपने दूसरे काम में लग गया.
अब मुझे अगले दिन का इंतज़ार था.

सुबह जब मैं दौड़ लगाकर आया, तो देखा कि भाभी ने साड़ी पहन रखी थी.

मैं खुश हो गया और उन्हें देखता ही रह गया.
वे आज क़यामत ढा रही थीं.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझसे कहा- क्या हुआ देवर जी?
मैंने कुछ नहीं कहा, बस मुस्करा दिया.
जवाब में उन्होंने आंख मारी और मुस्करा कर चली गईं.

अब मुझे शाम का बेसब्री से इंतज़ार था.
उस दिन भी मैं कसरत करने जल्दी चला गया.

दो घंटे बाद मेरे फोन पर किसी की मिसकॉल आई.
मैंने देखा तो भाभी की थी.

मैं समझ गया कि घर पर कोई नहीं है और मैं तुरंत वापस आ गया.

घर पहुंच कर देखा तो भाभी मेरा इंतज़ार कर रही थीं.
मैंने उन्हें गोद में उठाया और कमरे में ले गया.

हम एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे.
दस-बारह मिनट तक चूमने के बाद हम अलग हुए.

मैंने उनका ब्लाउज़ खोला तो देखा कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी. उनके दूध आज़ाद हो गए.
मैं एक दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा और उनके गुलाबी निप्पल को हल्के से दांतों से काटने लगा.

वे वासना से भरी हुई सिसकारियां लेने लगीं- आह ईह ऊँह …

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उन्हें बेड पर लिटाकर उनका पेटीकोट ऊपर किया.
मैंने देखा तो उन्होंने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी और उनकी चूत बिल्कुल साफ थी.

मैं खुद को रोक नहीं पाया और उनकी चूत चाटने लगा.
उनके शरीर में करंट सा दौड़ गया.

वे कराह कर बोलीं- आह क्या कर रहे हो देवर जी … ये गंदी जगह है!
मैंने उनकी एक न सुनी और चूत चाटना जारी रखा.

अब उन्हें मज़ा आने लगा.
वे सिहर उठीं और बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगीं.

वे मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं.

कुछ ही देर बाद भाभी चिल्लाईं- आह खा जाओ इसे … ओह चाटो … और जोर से चाटो … आह … आह!

थोड़ी देर में ही उनका शरीर अकड़ने लगा और वे झड़ गईं.
मैं उनका सारा कामरस चाट गया, उनकी चुत से निकले पानी का स्वाद थोड़ा कसैला-नमकीन था, जो मुझे बहुत अच्छा लगा.

अब मैं ऊपर आया और उनसे कहा- मेरा लंड मुँह में लेकर चूसो!
उन्होंने मना कर दिया.

मैंने बहुत ज़िद की, लेकिन वे नहीं मानीं.
भाभी बोलीं- मुझे घिन आती है!

मैंने देर न करते हुए अपना लंड उनकी चूत पर सैट किया और रगड़ने लगा.

भाभी बोलीं- क्यों तड़पा रहे हो? अन्दर डालो ना!
मैंने बिना देर किए अपना पूरा लंड उनकी चूत में एक बार में ही डाल दिया.

भाभी की चीख निकल गई- आह आराम से करो न … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
अब मैं जोर-जोर से धक्के लगाने लगा. भाभी हर धक्के पर चिल्लाने लगीं- ऊँह आह ईई ईई ईई …

वे नीचे से भी अपनी गांड उठाती हुई धक्के देने लगीं.

अचानक से वे तेज स्वर में चीखीं- चोद दो अपनी भाभी को … आह आह चोदो मुझे … आज मुझे अपनी बना लो … आह!
वे मज़े लेने लगीं.

पंद्रह मिनट बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से चोदने लगा.

अब उन्हें और भी मज़ा आ रहा था.
इस दौरान भाभी दो बार झड़ चुकी थीं और थक गई थीं.

वे बोलीं- जल्दी निकाल दो यार! अब मेरी चूत में जलन हो रही है! क्या खाकर आए हो … जो अब तक तुम्हारा पानी नहीं निकला?

चूंकि मैं शारीरिक मेहनत करता हूँ तो मेरी पावर ज्यादा थी.
मुझे थकान ही नहीं हो रही थी. ऐसा लग रहा था मानो मैं भाभी की चुत में लंड पेल कर दंड पेल रहा हूँ.

मेरा वीर्य अभी निकलने का नाम नहीं ले रहा था.

करीब तीस मिनट की चुदाई के बाद मेरा रस निकला और मैं उनके ऊपर ढेर हो गया.

कुछ मिनट बाद जब मुझे होश आया तो देखा कि भाभी अब भी मदहोश पड़ी थीं.

मैं उनके होंठ चूसने लगा.

उन्हें होश आया और वे बोलीं- अब बस करो … घर वाले आने वाले होंगे!

मेरा मन तो नहीं कर रहा था लेकिन मजबूरी में मुझे जाना पड़ा.

मैंने स्नान किया और घर से बाहर चला गया.

इसके बाद हम रोज़ शाम को चुदाई करने लगे और मज़े लेने लगे.

फिर लॉकडाउन खुल गया और मेरे एग्ज़ाम आ गए, तो मुझे वापस जाना पड़ा.

वहां मैं भाभी को रोज़ मिस करता था क्योंकि पिछले पांच महीनों से मैं उन्हें लगभग रोज़ चोद रहा था.

एक महीने बाद मेरे एग्ज़ाम ख़त्म हुए और मैं वापस अपने गांव आ गया.
भाभी मुझे देखकर बहुत खुश हुईं.

अब मैं मौक़ा देखकर भाभी को चोदने लगा.

फिर जब दूसरा लॉकडाउन लगा, तो उस दौरान मेरी बहन की शादी हो गई.

अब घर पर मेरी भाभी, मैं, मम्मी-पापा और उनके दो ब/च्चे थे.

शाम को मम्मी मंदिर जाती थीं और दो घंटे बाद आती थीं.
भाभी के ब/च्चे भी उनके साथ चले जाते थे.

मैं और भाभी घर में अकेले रह जाते थे और खूब चुदाई करते.

अब Xxx देसी भाभी मेरा लंड भी चूसने लगी थीं.

इस दौरान मैंने उनसे गांड मारने को कहा, तो वे मना कर रही थीं.

वे कह रही थीं- उधर बहुत दर्द होता है. एक बार तेरे भैया ने कोशिश की थी लेकिन वे सफल नहीं हुए थे. मुझे भी बहुत तेज दर्द हुआ था.

लेकिन अब मेरे ऊपर उनकी गांड मारने का भूत सवार था.
एक बार जब मैं उन्हें घोड़ी बनाकर चोद रहा था, तब मेरे दिमाग़ में खुराफ़ात आई.

मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और चुदाई करने लगा.

अचानक से मैंने लंड चुत से निकाल कर उनकी गांड में घुसा दिया.
मेरा आधा लंड उनकी गांड में घुसता चला गया.

भाभी चिल्लाने लगीं और छूटने की कोशिश करने लगीं लेकिन मैंने उन्हें अपनी बाहों में मज़बूती से पकड़ लिया.

वे रोने लगीं और बोलीं- रियान … प्लीज़ निकाल लो! बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- जब चूत में पहली बार लिया था, तो पहले दर्द हुआ होगा. लेकिन बाद में मज़ा आया था ना? इसी तरह थोड़ा दर्द होगा!

यह कह कर मैं भाभी के दूध दबाने लगा.

जब कुछ देर बाद उनका दर्द कम हुआ, तो वे शांत हो गईं.
मैंने समझ लिया कि अब दर्द खत्म हो गया है तो मैंने अपना पूरा लंड उनकी गांड में डाल दिया.

वे फिर से रोने लगीं और दर्द से तड़फती हुई बोलीं- मुझे गांड में नहीं करवाना … अपना लंड निकाल लो प्लीज़!
लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और उनकी गांड मारने लगा.

थोड़ी देर बाद उन्हें मज़ा आने लगा.
वे सिसकारती हुई बोलीं- आह … रियान … बड़ी लज्जत मिल रही है … आह फाड़ दो मेरी गांड … आह फाड़ दो अपनी भाभी की गांड को … आह आह आज फाड़ दो साली गांड को!

लगभग पच्चीस मिनट बाद मेरा बीज उनकी गांड में निकल गया और मैं उनके ऊपर निढाल पड़ गया.

जब मुझे होश आया, तो मैंने अपना लंड उनकी गांड से निकाला.
मैंने देखा कि मेरे लंड पर खू/न लगा था और भाभी की गांड का छेद भी खू/न से लथपथ था.

मैं उन्हें चूमने लगा और उनके निप्पल चूसने लगा.
भाभी फिर से गर्म होने लगीं और बोलीं- और चोदो ना रियान … प्लीज फिर से डाल दो!

इस बार मैंने उनकी चूत मारी.

जब भाभी खड़ी हुईं, तो उनकी गांड दुखने लगी.
उनसे ठीक से चला नहीं जा रहा था.

मैं उन्हें सहारा देकर बाथरूम तक ले गया.
वहां उन्होंने अपनी गांड साफ की.

हम दोनों एक साथ नंगे नहाने लगे, चूमने लगे और मैंने उन्हें बाथरूम में फिर से कुतिया बना कर चोदा.

नहाने के बाद मैं मेडिकल स्टोर गया और सूजन कम करने व दर्द की दवा लाकर भाभी को दी.

अब मैं भाभी की चूत और गांड दोनों का मज़ा लेने लगा.

मैं अभी तक उनकी जवानी का मजा लेता आ रहा हूँ.
रोजाना मैं कम से कम एक बार तो उनकी गांड या चूत में लंड पेलता ही हूँ और मुँह तो सबसे पहले चोदता हूँ, जिससे लंड चिकना हो जाए.
साथ ही मैं उनकी चूत और गांड रसीली करने के लिए उसे चाट भी लेता हूँ, तभी लंड पेलता हूँ.

तो दोस्तो, आपको मेरी Xxx देसी भाभी को चोदाई कहानी कैसी लगी … प्लीज मुझे मेल करके जरूर बताएं.
[email protected]

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