बहन बनी सेक्स गुलाम-1

(Behan Bani Sex Gulam- Part 1)

This story is part of a series:

फ्रेंड्स, मेरा नाम विशाल है। मैं बी.टेक. फाइनल ईयर में हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी बहन की है। मैं अपनी बहन को काफी दिनों से चोद रहा हूँ। इसके बारे में मैं आपको अगली कहानियों में बताऊंगा कि हम दोनों के बीच सेक्स और चुदाई की शुरूआत कैसे हुई। जब से बहन के साथ सेक्स करना शुरू किया था उसके बाद से ही बात अब काफी बढ़ चुकी थी. अब तो लगभग रोज ही चुदाई होती है। मेरी बहन भी मुझे काफी पसंद करती है. बिना चुदे उससे रहा नहीं जाता।

मैं आपको बता दूँ कि मेरी बहन एक बहुत ही गर्म माल है। उसके मम्मे उभरे हुए 32 के साइज के हैं. पतली कमर एकदम कातिल, 28 के साइज की, चूतड़ उभरे हुए 36 के साइज के हैं। रंग गोरा, एकदम हीरोइन लगाती है किसी पोर्न फ़िल्म की। मेरी दीदी मेरे से दो साल बड़ी है. वह एम.बी.ए. कर रही है।

अब मैं कहानी पर आता हूँ. बात तब की है जब हम काफी दिनों तक एक ही प्रकार की चुदाई करके बोर हो गए थे। मेरी बहन को कुछ नया करना था। वो मेरे साथ बी.डी.एस.एम. सेक्स (एक तरह का जंगली वाईल्ड सेक्स) करना चाहती थी। वो मुझसे बोली- मैं तुमसे तुम्हारी निजी रखैल बनकर चुदना चाहती हूँ।
मैं बोला- वह तो ठीक है लेकिन मम्मी-पापा के रहते ये नहीं होने वाला।

वो उदास हो गयी. मैंने उसका चेहरा पकड़ कर ऊपर किया और उसके होंठों को चूम लिया। वो भी मेरा साथ देने लगी. फिर हमने रात को एक बार चुदाई की और सो गए।

सुबह नाश्ते की टेबल पर मैं मम्मी-पापा से मिला. उन्होंने मुझे बताया कि वे नानी के यहाँ जा रहे हैं क्योंकि नानी की तबियत खराब है। वो दो-तीन दिन बाद ही वापस आएंगे।
मैंने मेरी बहन की आँखों में देखा, वो खुशी से चमक उठी थी।
मैंने पापा से पूछा- कब निकलना है?
उनका प्लान आज दिन में ही निकलने का था।

दीदी उठी और किचन में गयी कुछ लाने। मैं उसके पीछे-पीछे किचेन में गया। मैंने उसे पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन पर चूमा और बोबे दबाते हुए बोला- आज कौन बचायेगा जान?
इस पर वो बोली- बचना किसको है जान! तुम तो बस जल्दी से आओ, मुझे चोद दो.
कहकर उसने मेरे होंठों को चूम लिया।

मैं फिर मम्मी-पापा को छोड़ने स्टेशन गया। ट्रेन लेट थी और आते-आते शाम हो गयी. मैंने बहन को मैसेज किया- तैयार रहना!
मैं घर पंहुचा तो उसने दरवाजा खोला. वह बिल्कुल नंगी थी. कुछ भी नहीं पहना था। उसके गले में एक पट्टा था। मैंने उसे देखते ही गले लगा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। मैं उसे किस करते हुए बेडरूम में ले गया, उसकी आँखों पर पट्टी बांध दी।

उसके दोनों हाथों को रस्सी से बांध कर पुल-बार (खींचने के लिए) से लटका दिया। मुझे व्यायाम करना काफी पसंद है तो मैंने पुल अप्स करने के लिए कमरे में ही पुल-अप बार लगवा रखा था। उसे इसी हालत में छोड़ कर मैं बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया.

आगे की कहानी सुनाते हुए मैं मेरी बहन के शब्दों में और अपने शब्दों में कहानी लिखूँगा ताकि आपको हम दोनों का अनुभव अच्छी तरह से समझ आ सके.

प्रीति:
मेरी आँखें बंद थीं. मैं बिल्कुल नंगी बीच कमरे में खड़ी थी. दोनों हाथ एक रस्सी के द्वारा ऊपर पुल-अप बार से बंधे थे। मैं अपने रोम-रोम में एक अजीब-सा कम्पन महसूस कर सकती थी। मुझे यह बात और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी कि अब मेरा भाई मेरे साथ अब आगे क्या करेगा।
आधे घंटे से मैं ऐसे ही विचारों से उत्तेजित हो रही थी। मैं अपने भाई के पहले स्पर्श को याद कर रही थी। इससे मैं गर्म होने लगी थी। काफी समय से इसी स्थिति में रहने के कारण मेरे हाथों में दर्द भी था। लेकिन इस दर्द में मुझे मजा आ रहा था। यह दर्द मुझे और भी उत्तेजित कर रहा था।

विशाल:
करीब 45 मिनट बाद मैं बाथरूम से निकला। मेरी बहन मादरजात नंगी कमरे में दोनों हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी। वह काफी उत्तेजित थी। उत्तेजना उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। मैं टॉवल लपेटे हुए था। मैंने मेज पर रखी स्टिक उठाई। एक पतली सी छड़ी थी। जिसका अगला भाग थोड़ा चपटा था। ये सब सामान उसी ने अर्रेंज किया था। उस स्टिक से मैंने उसकी पीठ को छुआ तो वो छटपटा सी गयी। मैं स्टिक को उसकी पीठ पर घुमाते हुए नीचे लाया और उसके उभरे हुए चूतड़ों पर मारा। वो चिहुँक-सी गयी. वो सर ऊपर करके ‘आहह हहह!’ की सिसकारी लेने लगी। उसके चेहरे पर मुस्कान थी।

यहाँ मैं यह बताना चाहूंगा कि मेरा उद्देश्य उसे मारना या चोट पहुंचाना नहीं था. हम बस सेक्स के एक नए प्रयोग का मजा ले रहे थे।

मैं स्टिक को उसके शरीर पर घुमाते हुए आगे लेकर आया और उसके पेट पर हल्के से मारा। वो चिहुँक गयी। नंगे बदन पर वो रबर की छड़ी सटीक चिपकती था। ये चोट बड़ी कामुक थी। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैं स्टिक को उसके बदन पर घुमाते हुए ऊपर लाया और उसके उरोजों पर धीरे से मारा तो वो चिहुँक उठी जैसा पहली बार किया था।
उसकी सांसें तेज हो गयी। उत्तेजना से वो सिसकारियां भर रही थी। उसका शरीर वासना से तप रहा था। हर एक वार के साथ वो सिसकारियां ले रही थी ‘आहह हहहह … आहहह … ओह्ह … ओह्ह!’

मैं स्टिक को वैसे ही घुमाते हुए उसकी चूत के पास लाया और उसकी चूत पर फेरने लगा. वो मचल उठी, उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। मेरे ऐसा करने मात्र से ही वो स्खलित हो गयी। उसका रस स्टिक पे लगा हुआ था. मैं स्टिक को उसके मुंह के पास ले गया जिसको वो झट से चाट गयी। वो थोड़ी सी शांत हुई.

उसके हाँफने से उसके बोबों को मैं ऊपर नीचे होते हुए देख सकता था। मेरी बहन का गोरा बदन वासना से तप कर लाल पड़ चुका था। मैं उसके चेहरे पर संतोष का भाव देख सकता था।
उसे इस हालत में देख कर मेरा लण्ड भी तन चुका था। मैं उसके पीछे गया. उसके बालों को पकड़ कर खींचा और उसका सिर ऊपर की तरफ उठ गया। मैंने उसके कंधों पर दांत गड़ा कर चुम्बन किया. उसने अपने होंठ भींच लिए, कामुक अंदाज में दबा लिए. शायद उसे मजा आ रहा था। मैं उसके बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था। उसका बदन एक दम तवे के माफिक गर्म था।

मैंने उसे गर्दन पर किस करते हुए उसके हाथ की रस्सी खोली और मैं उसे इसी हालात मैं छोड़ कर किचन में गया। फ्रिज़ से मैं आइस ट्रे उठा लाया।

प्रीति:
मेरा रोम-रोम उत्तेजित था. मैं पूरी तरह से अपने भाई की स्लेव (सेक्स गुलाम) बन गयी थी। मुझे उसका हर एक स्पर्श उन्मादित कर रहा था। यह बिल्कुल अलग अहसास था। मेरा पूरा बदन इतना ज्यादा सेंसेटिव हो गया था कि हवा का स्पर्श भी मुझे उत्तेजित कर रहा था। मैंने आजतक कितनी ही बार सेक्स किया था लेकिन यह अहसास कभी नहीं हुआ। मैं बस एक भी पल रुके बिना ज़ोरदार चुदाई की कामना कर रही थी। लेकिन मेरे भाई ने कहा था कि अगर पूरा मजा लेना है तो तुम कुछ करोगी नहीं. जो करेगा वह ही करेगा. इसलिए मैं कुछ भी नहीं कर रही थी।

विशाल:
मैं कमरे में वापस आया. मेरी बहन वहीं फर्श पर घुटने के बल बैठी थी। मेरे वापस आने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने उसे उठाया और उसके हाथों को ऊपर पुल-अप बार पर चौड़ा करके बांध दिया. नीचे उसके दोनों पैरों को भी पुल बार के स्टैंड के सहारे चौड़ा करके बांध दिया ताकि वो हिले डुले ना। मैंने आईस क्यूब मुँह में लिया, उसके पेट पर चूमने लगा. वो सिहर सी गयी जैसे उसके बदन में कोई करंट सा दौड़ गया हो. उसे इसका जरा सा अहसास भी नहीं था कि मैं कुछ ऐसा करने वाला हूँ। उसके फूल की पंखुड़ी की तरह लाल होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। शायद इससे उसे काफी आनंद आ रहा था।

आइस क्यूब को उसके बदन पर घुमाते हुए मैं ऊपर की ओर बढ़ रहा था. उसका अंग-अंग टूट रहा था। वो काफी उत्तेजित हो रही थी। उसके चेहरे की मुस्कान गहरी हो रही थी. उसे इस चीज से काफी आराम मिल रहा था। मैं उसकी बदन की खुशबू को महसूस कर पा रहा था। यूँ तो हमने कई बार सेक्स किया है लेकिन यह अहसाह ही कुछ और था।

मैं आईस क्यूब को उसके बोबों पर घुमा रहा था. उसके गोरे-गोरे बोबों पर लाल निशान पड़ चुके थे. आइस का स्पर्श पाते ही उसके चूचक कड़े हो गए थे।
वो आहहहह … ऊ … ओह … की हल्की सीत्कार ले रही थी. चूंकि उसे किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए मनाही थी इसलिए वो मजबूर थी. नहीं तो अभी तक वो मुझे चोदने को कह देती या तो खुद ज़बरदस्ती मुझे पटक कर मेरे लौड़े पर चढ़ कर चुद लेती। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं उसको सैकड़ों बार चोद चुका हूँ और मैं उसके हर एक भाव से वाक़िफ़ हूँ। उसका यह भाव मुझे और भी उत्तेजित कर रहा था।

उसके बदन की खुशबू पाकर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था जोकि एक बार पहले ही झड़ चुका था। मैं उसकी गर्दन के पास था. मैं उसकी गर्म सांसों को महसूस कर सकता था। उसके बाद मैं उसके होंठों पर पहुंचा और वो आइस क्यूब को जीभ निकल कर चाटने लगी। उसकी आँखों पर पट्टी थी. मुझे इतना पास पाकर उसने मुझे चूमना चाहा लेकिन मैंने उसके माथे पर चुम्बन करते हुए जल्दी से पीछे हट गया।

मैंने दूसरी आइस क्यूब ली और घूम के पीछे उसके पैरों के पास आ गया। मैंने उसे आइस से उसे स्मूच देना चालू किया. वो बिन पानी की मछली की तरह छटपटाने लगी। मैं उसकी जांघों से होते हुए उसके चूतड़ों पर पंहुचा. उसके चूतड़ एकदम लाल हो चुके थे.
मैंने चूतड़ पर आइस क्यूब घुमाना चालू किया. कभी गांड में घुसाता तो कभी चूतड़ों पर घुमाता. उसकी गांड की गर्मी से पूरा आइस क्यूब पिघल गया।

मैंने उसके चूतड़ों को दांतों से काटना चालू कर दिया। मेरे हर एक वार से वो चिहुँक जाती। उसके मलमल से गद्देदार चूतड़ … हाय! मैं उन्हें काटता-चूमता हुआ चाट रहा था। मेरी बहन के चूतड़ मेरे सबसे फेवरेट हैं। मैंने दूसरी आइस क्यूब ली और उसकी कमर से होते हुए ऊपर पीठ की तरफ बढ़ने लगा. वो छटपटा रही थी। मैं उसकी कोमल पीठ को फील कर सकता था। मैं ऊपर गर्दन की तरफ बढ़ा.

उससे रहा नहीं गया, वो मुँह पीछे करके मुझे किस करने की कोशिश करने लगी। मैंने पीछे से उसके बाल कस कर पकड़ कर उसके उसकी गर्दन सीधी की और आइस को उसके कंधों पर रगड़ने लगा। वो तिलमिलाने लगी. वो छूटने का प्रयास करने लगी लेकिन कोशिश नाकाम थी. बंधन काफी मजबूत था। मैं आइस को उसके कंधों से कान और गर्दन तक घूमता। वो आनंद से उन्मादित हो उठती।

ऐसा करने के बाद मैं उसकी बांहों के नीचे आ गया। चूंकि उसके दोनों हाथ ऊपर पुल-बार में बंधे हुए थे उसके आर्मपिट्स (बगलें) मेरी तरफ खुले हुए थे. बिल्कुल साफ … एक भी बाल नहीं, एकदम गोरी। मेरी बहन किसी मॉडल से कम नहीं है. हर हफ्ते पार्लर जाती है और वैक्सिंग भी टाइम से कराती है। मुझे हर रोज फ्रेश मॉल मिलता है।

मैंने आइस क्यूब को उसकी कांख पर रगड़ना चालू किया। वो उतेजना के मारे छपटाने लगी. ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था उसके साथ। वो छूटने की कोशिश करने लगी। वो तेज-तेज सिसकारियाँ ले रही थी.
चूंकि उसका मुंह मैंने उसी की पैंटी को मुंह में ठूंस कर बंद किया हुआ था तो वो बोल नहीं पा रही थी। यह कल के सेक्स वाली पैंटी थी. वो अक्सर उसे बेड के नीचे डाल देती थी।

मुझे उसकी कांख की मादक भीनी सी खुशबू पागल बना रही थी। मुझे नशा सा चढ़ने लगा था। मैंने क्यूब छोड कर उसके आर्मपिट्स को चाटना चालू कर दिया। वो छटपटाने लगी, तेज तेज सीत्कार करने लगी. उसका बदन अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी।
मैंने एक हाथ उसकी चूत पर लगा दिया। उसके रस को अपने हाथों पर ले लिया।

झड़ने के बाद वो रस्सी से लटक कर हाँफने लगी लेकिन मैंने उसे आराम करने का मौका नहीं दिया। मैं उसके आर्मपिट्स चाटने में लगा था। कुछ देर बाद मैंने उसके मुंह से पैंटी निकाली और अपने हाथ जो उसके चूत-रस में डूबे हुए थे, होंठों के पास ले गया, वो चाटने लगी. मैं भी उसके साथ चाटने लगा।

फिर मैंने दो उंगली उसके मुंह के अंदर डाल दीं। वो मेरी उंगलियां चाट रही थी. मैं उसके होंठों पर लगे उसके चूत के रस को चाट रहा था।

पट्टी बंधी आंखों में उसके चेहरे का सबसे कामुक भाग उसके होंठ थे जो चाटने के बाद कमरे की रोशनी में चमक रहे थे। मैं उसके दाईं तरफ के गाल पर किस करते हुए उसके कान से होते हुए नीचे गर्दन पर पंहुचा। मौसम ठंडा था और कमरे में ए.सी. भी चल रहा था, फिर भी उसकी गर्दन पर पसीने की कुछ बूंदें थीं। ये बूंदें उसके गोरे बदन पर मोती की तरह चमक रही थी। मैंने इन मोतियों को चूमा और उसकी बाँहों के नीचे आ गया.

उसके बाद मैं उसे स्मूच करते हुए उसके सीने के भाग पर किस करते हुए बोबों की तरफ बढ़ा। उसके बोबे एकदम कड़क थे। उठे हुए सुडौल, जैसे किसी पॉर्न स्टार के होते हैं। मैं उसके दूधों को पीने लगा। वो आह्ह-आह्ह करती हुई कह रही थी ‘चोद दो भाई मुझे प्लीज … चोद दो मुझे.’

मैं एक झटके में ऊपर गया और उसकी आँखों की पट्टी हटा दी। वो एकदम से चिहुँक गयी. जैसे उसकी जान में जान आ गयी हो। उसकी आँखें वासना के नशे में एकदम लाल हो चुकी थीं. चेहरे पर एक हब्शी भाव था जोकि अक्सर सेक्स करते समय दिखता था।
उसको देख के ऐसा लग रहा था कि वो चाहती है कि कोई आकर बस उसे चोद दे।

मैंने उसके होंठों को चूमना चालू किया। वो आँखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी। एक हाथ से मैं नीचे उसके बोबों को रगड़ रहा था। आँखें बंद करके अपनी चूचियों को मसलवाने का वो पूरा मजा ले रही थी।
मैंने अपने होंठ अलग किये, उसने आँखें खोलीं और मेरी आँखों में देख कर बोली ‘फ़क मी विशाल … प्लीज फ़क मी!’

वो मुझसे चुदाई की मिन्नतें कर रही थी। मैंने उसके बोबे दबाते हुए बोला- इतनी जल्दी क्या है जान … और फिर मैं उसके बोबे चूसने में लग गया. वो आँखें बंद करके सिसकारियां लेने लगी.
आहहहहह … आहहहह … आहहह … आहह! मेरे चोदू भाई मैं तेरी दीवानी हूँ रे। आज चोद के भुर्ता बना दे मेरी चूत का।

मैं अपने काम में लगा हुआ था। मैं जोर-जोर से मम्में चूस रहा था जैसे कुँवारे मम्मों में से आज दूध निकाल दूंगा। मेरी बहन सिसकारियां लिए जा रही थी, मुझे गालियां बक रही थी, मुझसे अब चुदाई की विनती कर रही थी।
उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए मैं अपने काम में लगा हुआ था। मैं उसके पेट पर किस करता हुआ नीचे आया। उसके दोनों पैर मैंने चौड़े करके बांधे हुए थे. उसकी उभरी हुई चूत पाव रोटी की तरह फूली हुई बिल्कुल चिकनी, साफ … जैसे चूत न हो संगमरमर हो. बिल्कुल मखमल. उसकी चूत से बहता हुआ रस उसकी जांघों पर आ रहा था।

मैं उस रस को चूसता हुआ चूत तक पहुंचा। हालाँकि ये चूत मैंने कई बार चाटी है लेकिन आज की बात ही कुछ और थी। मन कर रहा था इसमें समा जाऊं। मै पूरी की पूरी चूत एक ही बार में मुँह में लेने की कोशिश करने लगा।
मेरी बहन तिलमिला गयी, मेरे होंठों और जीभ का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर बोली- बहनचोद विशाल! साले अब चोद दे न … क्यों तड़पा रहा है?

लेकिन मैं जानता था कि यही तो मजा है इस सेक्स का. इसीलिए मैं अपने काम में लगा हुआ था। उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपना पूरा मुँह उसकी चूत में घुसा रहा था। मैं जीभ को अंदर तक घुसा कर उसकी चूत की दीवारों को चाट रहा था।

वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी- विशाल मेरी जान … तू मेरा भाई नहीं, मेरी जान है। मैं तेरी रखैल हूँ. अपनी रखैल की चूत पूरी खा जा। मैं तेरे मुंह में झड़ना चाहती हूँ. मैं जिन्दगी भर रखैल बन के रहूंगी तेरी। आहह … आहह चोद, चाट, खा जा पूरी खा जा … पूरा रस पी ले। आज के बाद यह तेरी अपनी चूत है। जब मन करे चोद लेना। खा जा मेरी जान। खा जा अपनी रण्डी बहन की चूत को … मेरा बहनचोद भाई, खा अपनी बहन की चूत!

उसके इस बर्ताव से मैं भी काफी उत्तेजित हो गया और जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। वो गांड उठा कर चूत मेरे मुँह में देने की कोशिश करने लगी। मेरे मुंह में ही झड़ गई। मैंने उसकी चूत से निकले हुए रस का कतरा-कतरा पी लिया जैसे प्रोटीन शेक हो वह। जो मजा उसका रस पीने का था, मानो जैसे मुझे कुछ बहुमूल्य चीज मिल गयी हो. बहुत ही अनमोल। मैंने चाट-चाट कर उसकी बुर भी साफ की.

फिर मैं ऊपर उठा, मैंने उसके हाथ खोल दिये. हाथ खुलते ही वो मेरे ऊपर चढ़ गई. मैं बेड पर आ गिरा और वो मेरे होंठों को चूसने-काटने लगी. वो ऐसे होंठ चूस रही थी जैसे उनको खा जायेगी। वो गले तक जीभ उतार कर होंठ चूस रही थी। वो मेरे ऊपर थी. उसके घुटने मुड़े हुए थे. मेरी छाती पर बैठ कर ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों बाद मिला हो।

अचानक से वो अलग हुई और मेरे फेस को अपने फेस से सटा लिया और आँखें बंद कर लीं. मेरे को भी एक अजीब सा अहसास हुआ। मैं भी वैसे ही पड़ा रहा. उसकी सांसों को अपने चेहरे पर टकराते हुए महसूस करने लगा. उसके चहरे को महसूस करना एक अलग अहसास था।

फिर मैं उठा और बोला- चलो घोड़ी बन जाओ. असली काम तो अभी बाकी है।
वो मुस्कुरायी और बोली- हाँ मेरे घोड़े …

मेरे होंठों को चूम कर प्रीति मुझसे अलग हुई और घोड़ी बन गयी। मैंने उसकी गर्दन पकड़ कर एक ही झटके में अंदर लौड़ा डाल दिया. वो जोर से चिल्लाई. उसे दर्द हुआ। लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
लौड़े को अंदर उसकी चूत में घुसाने के बाद मैंने उसकी चूत को पेलना शुरू कर दिया. आह्ह … बहुत मजा आया इतनी देर की तड़प के बाद. जितनी प्यासी मेरी बहन थी उतनी ही प्यास मेरे अंदर भी लगी हुई थी उसकी चूत को चोदने की. बहुत मजा आ रहा था जब उसकी चूत में लंड गया. मैं उसे पेलता रहा।

मैं उसके बाल पकड़ कर उसे पीछे से पेल रहा था। वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी- आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह आहहह हहह हम्म … आआ …

फिर मैंने उसे उठाया और बेड पर एक-एक पैर रखवा कर खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी नंगी पीठ से सट कर उसके मम्मों को दबाते हुए धक्के लगाने लगा। बीच में उसकी गर्दन को चूम लेता तो कभी कान को हल्के से काट लेता। कभी उसके गालों को चूमता।

वो बस आंखें मूंदे, दांतों को भींचे चुदाई का मजा ले रही थी। फिर वो मुँह पीछे करके मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी उसका साथ देने लगा। कुछ देर इस आसन में चोदने के बाद मैंने उसे पास रखी स्टडी टेबल पर लिटा दिया और पीछे से चोदने लगा। वो सिर को टेबल में दबाये हुए तेज तेज सिसकारियां ले रही थी. पूरे घर में आहहह … ओह … आहहह … आहहह … फच-फच की आवाजें गूँज रही थीं।

मुझे जब लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उससे पूछा- क्या करना है?
क्योंकि पहली बार हम बिना कॉन्डोम के चुदाई कर रहे थे।

वो बिना कुछ बोले अचानक से मुड़ी, मुझे धकेल कर कुर्सी पर बिठा दिया, मेरा लंड मुंह में ले लिया और एक दो बार चूसने के बाद ही मैं उसके मुंह में और फिर उसके चेहरे पर झड़ गया.

उसने मुझे दिखा कर उंगली से निकाल-निकाल कर हर एक कतरा पीया मेरे रस का। फिर उठी और मेरी गोद में आ कर बैठ गयी. मेरे होंठों पर किस किया।
मैंने उससे पूछा- मैं अंदर नहीं झड़ सकता न?
वो हँस कर बोली- तुम मेरे जिस्म में किसी भी जगह झड़ सकते हो क्योंकि तुम मेरी जान हो।
इतना बोल कर उसने मेरे माथे पर किस किया और मेरा सिर सीने में दबा कर मुझे अपनी चूचियों में समा लिया।

सेक्स के बाद लड़की से ऐसे गले लगने का अहसास ही कुछ और होता है। मैं कुछ देर उसकी बांहों में ऐसे ही पड़ा रहा. मन कर रहा था कि उसके नंगे बदन पर रात भर ऐसे ही पड़ा रहूँ. लेकिन अब नींद आना शुरू हो गई थी. बदन में सुस्ती छाने लगी थी. फिर कुछ देर बाद वो उठी और बाथरूम में चली गयी।

रात काफी हो गयी थी तो मैं सोने चला गया. वो बाथरूम से वापस आयी। मेरे सीने पर सिर रख कर चिपक के सो गई। मैंने भी उसे बांहों में लिया और नींद कब आ गयी पता ही नहीं चला। सुबह उठा तो वो मेरे पास नहीं थी. शायद वो जल्दी उठ गई होगी. मैं फ्रेश होकर हॉल मैं बैठा था। वो नाश्ता लेकर आयी. वह उस समय बिल्कुल नंगी थी। उसके हाथ में एक ट्रे में कॉफी थी। वो मेरे पास आकर मुझसे नाश्ता करने के लिए कहने लगी.

मैंने प्रीति की चूत की तरफ देखा. चूत कल की तरह बिल्कुल चिकनी और बाल रहित था. पता ही नहीं चल रहा था कि कल रात को ही इस चूत को मैंने बुरी तरह से पेला है. मेरी बहन के सेक्सी बदन की मैं जितनी तारीफ करूं उतनी कम लगती है.

उसको मैं इससे पहले कितनी ही बार चोद चुका हूँ मगर जब भी उसको ऐसे नंगी देखता हूँ तो लगता है कि मैं पहली बार उसको नंगी देख रहा हूं. उसका सेक्सी गोरा बदन किसी पॉर्न स्टार से कम नहीं है. उसे देखते ही मेरे लंड में हलचल होने लगती है. मैं बहुत किस्मत वाला हूँ कि मुझे उसके साथ सेक्स करने का मजा मिलता है.

मैं उसके नंगे बदन को देख रहा था. रात की चुदाई के बाद नींद पूरी हो चुकी थी और मेरे बदन में एक नई ऊर्जा भर चुकी थी. उसी का नतीजा था कि प्रीति बहन के नंगे बदने से मेरी नजरें हट ही नहीं रही थीं.

प्रीति के चूचे तने हुए थे. मैंने अंडरवियर पहना हुआ था और उसके उभरे हुए चूचों के बीच में तने हुए उसके निप्पल देख कर मेरा लंड मेरे अंडवियर में फिर से खड़ा होना शुरू हो गया.
वह अंडरवियर में तन रहे मेरे लंड को देख कर स्माइल करने लगी. मेरी टांगें फैली हुई थीं और बीच में अंडरवियर था केवल. उसके अंदर मेरा लंड टाइट होकर अपनी शेप में आने लगा था.
मैं कुछ और करता इससे पहले ही प्रीति मेरे पास बेड पर आकर बैठ गई. उसने ट्रे को बेड पर रखा और मेरी बगल में आकर बैठ गई. उसके चूचे हिल रहे थे. इधर-उधर डोल रहे थे. बेड पर बैठने के बाद उसकी सेक्सी चूत और भी मस्त लग रही थी.

प्रीति मेरी तरफ देख रही थी. मैं उसकी तरफ देख रहा था. उसकी नजर एक बार मेरे अंडरवियर पर जा रही थी और फिर ऊपर आ जाती थी. मेरी नजर उसके चूचों से फिसल कर उसकी चूत पर चली जाती थी और फिर ऊपर आ जाती थी.
मैंने पूछा- तुम तो सिर्फ कॉफ़ी लायी हो?

यह कहानी अभी अगले भाग में जारी रहेगी। आशा करता हूँ कि कहानी अंतर्वासना के प्यारे पाठकों को पसंद आयी होगी. अगर आप इस कहानी के बारे में कुछ भी बात करना चाहते हैं तो मेल करके जरूर बताएं.
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