बर्थडे पर दीदी की कुंवारी गांड मिली- 1

(Butt Plug didi ki Gand Me)

दीदी ने बट प्लग अपनी गांड में डाल रखा था. दीदी अपनी गांड मुझसे मरवाना चाहती थी तो इसकी तैयारी उन्होंने अपनी गांड को खुली करने की कोशिश से की.

हैलो फ्रेंड्स, मैं विशाल एक बार पुन: आपके लंड चूत में खून का उबाल लाने के लिए हाजिर हूँ.

मेरी पिछली कहानी
दीदी ने अपनी सहेली की चूत दिलवाई
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे बर्थडे पर पार्टी लेने के बाद दीदी अपनी सहेली के साथ मूवी देखने सिनेमा हॉल में आ गई थीं. जिधर उनकी जगह उनकी सहेली मेरे लौड़े से चुदने को बेकरार हो गई थी और मैंने उसे उसके घर ले जाकर चोद दिया था.

अब आगे दीदी की गांड में बट प्लग:

वहां से मैं सीधे घर के लिए निकल गया, घर पहुंच कर बेल बजाई.

दीदी ने दरवाजा खोला.

मैं दीदी को देखकर तो भौंचक्का ही रह गया.
दीदी ने एक ब्लैक कलर की खूबसूरत ड्रेस पहन रखी थी जो स्लीवलैस थी.
ये नीचे उनके घुटनों से ऊपर खत्म हो रही थी.

दीदी खुले बालों में थीं और कानों में झुमके पहन रखे थे. तीक्ष्ण आंखें, होंठों पर डार्क कलर की लिपस्टिक … आह दीदी अलग ही अवतार में थीं.

मुझे देख कर दीदी ने एक प्यारी सी मुस्कान दी और मेरा वेलकम किया.
मैंने एक बार को आस-पास को नज़र दौड़ाई. घर रंग-बिरंगी लाइट से ऐसे सजा था, जैसे अन्दर कोई पार्टी चल रही हो.
पर ऐसा लग नहीं रहा था. क्योंकि घर तो खाली था. मम्मी पापा भी नजर नहीं आ रहे थे.

‘दीदी ये सब क्या है और मम्मी पापा कहां है?’
मैंने आश्चर्य से पूछा.

‘नहीं हैं, तू ये सब छोड़ … और जाकर फ्रेश हो जा.’

मैं अभी भी आश्चर्य की अवस्था में था. दीदी ने जबरदस्ती मुझे मेरे कमरे की तरफ धकेल दिया.
‘और कुछ अच्छा सा पहनना.’ उन्होंने पीछे से नसीहत दी.

सफर और चुदाई के बाद के थकान के बाद मुझे शॉवर की जरूरत थी.
मैं बैग रूम में रख कर बाथरूम में घुस गया.

एक सुखदायक स्नान के बाद मैंने खुद के बदन को खुशबू से महकाया, ब्लैक कलर की वेस्ट और शॉर्ट्स में हॉल में पहुंचा.
दीदी ने मुझे शॉर्ट्स में देख फटकार लगाई.

मैंने कहा- छोड़ो न दीदी, कुछ देर में निकलना ही तो है.
मैं उन्हें अपनी बांहों में खींचते हुए बोला.

‘तू न बिल्कुल नहीं बदलेगा!’ ये कह कर उन्होंने जबरदस्ती मुझे तैयार होने भेज दिया.

मुझे मन तो नहीं था पर दीदी का दिल रखने के लिए मैं सूट पहन कर तैयार हुआ और वापस आया.
दीदी वहां डाइनिंग टेबल पर डिशेस के साथ बैठी थीं.

‘लो अब तो ठीक है न!’ मैंने बैठते हुए कहा.
‘हम्म …’ चमकते हुए चेहरे के साथ दीदी बोलीं.

दीदी खाना सर्व करने लगीं.

वे आज कमाल लग रही थीं.
ब्लैक ड्रेस स्लीवलैस और बैकलैस जो थी और उनके मम्मों पर तंग थी, स्ट्राइप्ड (डोरे वाली) ड्रेस में उनकी गोरी बाहें, सुराहीदार गर्दन और क्लीवेज पूरी तरह नग्न थे.

बाल दीदी ने कुछ इस अंदाज में बांध रखे थे कि मुझे ज्यादा से ज्यादा उनके गोरे जिस्म का दर्शन हो.
आंखों पर मस्कारा और काजल साथ ही उन्होंने और कुछ किया था.
दीदी की पलकें चमक रही थीं.
गुलाबी गाल जिन पर जब भी वो हंसतीं तो डिंपल्स आते.
खूनी लाल होंठ मानो रस टपक ही जाएगा. कानों में बड़े बड़े इयरिंग्स सच में लाजवाब लग रहे थे.

ब्लैक रंग उनके गोरे जिस्म पर खिल रहा था.
दीदी आज किसी प्रिंसेस की तरह सजी थीं.

मैं सोच कर फूला नहीं समा रहा था कि ये सब मेरे लिए है. पर मुझे तो वो बिना मेकअप के ही अप्सरा लगती हैं.

सच कहूं तो मुझे लड़कियां चुदी पड़ी हालात में ज्यादा सेक्सी लगती हैं.
पहली राउंड चुदाई के बाद जब उनका मेकअप चेहरे से बह रहा होता, पसीने से तरबतर मुझसे चुदाई की भीख मांग रही होती हैं. तब उनकी जवानी मुझे बेहद दिलकश लगती है.

हालांकि मुझमें वासना का सैलाब लाने के लिए उनके बदन की खुशबू ही काफी थी.
मैं उनके परफ्यूम का दीवाना हूँ.

इस वक़्त दीदी जब खाना सर्व करती हुई मेरे आस पास घूम रही थीं तो वो खुशबू बार बार मेरे नाक से तक आ रही थी और मुझे उत्तेजित कर रही थी.

मैंने उन्हें खींच कर गोद में बिठा लिया और मैं उन्हें किस करने के लिए बढ़ा.
पर उन्होंने रोक दिया- पहले खाना!
मुझसे दूर होती हुई दीदी बोलीं.

‘मेरा आज का खाना तो तुम्हीं हो दीदी!’ मैंने दोबारा उन्हें खुद से चिपकाते हुए बोला.
दीदी मुस्कुराईं.

मैंने होंठ उनके रसीले होंठों पर रख दिए.
दीदी ने भी मुझे आंखें बंद करके चुम्बन दिया.

वो इतना पैसिनेटली(जोश) में किस करती हैं कि मेरा लंड खड़ा हो जाता है.
हम कुछ देर बाद अलग हुए.

उनके होंठों की नर्मी ने मेरी गर्मी बढ़ा दी थी.
मैं उन्हें जहां-तहां चूमने लगा, उनकी गर्दन के नग्न भागों को मानो खाने लगा.

उन्होंने मुझे रोका और खुद को मेरी गिरफ्त से छुड़ा लिया.

‘क्या दीदी … करने दो न!’

दीदी मुस्कुरा कर बोलीं- सब्र कर मेरे भाई!
पर मुझे बहुत गुस्सा आया.
सुबह से तड़पा रही हैं.

दीदी ने मेरी नाराजगी समझते हुए मुझे पुचकारा और एक प्यारा सा किस गालों पर दिया.

फिर कान में धीरे से कहा- थोड़ा सब्र कर मेरे भाई, अभी तो पूरी रात बाकी है.

दीदी के गीले होंठों के स्पर्श ने मेरा गुस्सा क्षण में गायब कर दिया.
उनकी बात सौ फीसदी सही थी.

घर में कोई नहीं था, तो पूरी रात तो चुदाई ही करनी थी.
दीदी ने इतनी मेहनत से सब अरेंज किया था, उनका दिल भी रखना चाहिए.

दीदी ने मेरे सारे फेवरेट डिशेस बना रखे थे.
दोस्तो, ऐसा नहीं दीदी बचपन से खाना बनाने की शौकीन हैं या फिर कुछ और … इतनी खातिरदारी तो उनकी चूत जीतने के बाद मिल रही है.

खैर … मैं रिस्पेक्ट करता हूँ उनके प्यार की … दीदी मुझे बहुत मानती हैं.

हमने साथ में बैठ कर खाया.
दीदी ने कुछ नहीं लिया, उन्होंने बस सलाद और जूस लिया.

मेरे पूछने पर बताया कि वो डाइट पर हैं.
मुझे तो भूख लगी थी.

चूत के चक्कर में सुबह से कुछ नहीं खाया था.
मैंने दबा कर खाना खाया.

दीदी खाना अच्छा बनाती हैं, ये मानना पड़ेगा.

खाने के बाद दीदी ने शैम्पेन सर्व की.
हम दोनों ने हाफ हाफ ग्लास ली.

हमने चियर्स किया.

‘हैप्पी बर्थडे मेरे भाई.’
‘न दीदी … आप कुछ भूल रही हो.’ मैंने इंगित करते हुए बोला.

दीदी समझ गईं और हंसती हुई बोलीं- ओके, मेरे बहनचोद भाई!

दीदी बहनचोद पर थोड़ा धीरे हो गईं दीदी के मुख से गालियां वैसी लगती थीं … जैसे एक अंग्रेज हिंदी बोलता हुआ लगता है.

‘थैंक्यू मेरी रंडी बहना.’ मैंने थोड़ा जोर देते हुए कहा.
दीदी के गाल शर्म से लाल हो गए.
उन्होंने हंसी के पीछे अपनी असहजता छुपाई.

ये हमारी डील थी.
प्राइवेट कोड कि जब हम अकेले होंगे, वो मुझे बहनचोद और मैं उन्हें रंडी बोलूंगा.

असल मैं कहूँ तो दीदी को ये पसन्द नहीं था.
यह उन्हें उत्तेजक नहीं लगता था … जबकि उन्हें सेक्स में उत्तेजना पसन्द थी.

‘वैसे मम्मी-पापा गए कहां है?’
‘वहीं … हमेशा की तरह दोनों अपने काम में व्यस्त हैं.’
‘हां ओवीयसली, पर मेरे जन्मदिन से एक दिन पहले भी … ये तो कोई इत्तेफाक भी नहीं होता है.’

दीदी उसी कातिल मुस्कान से मुस्कुराईं दोपहर वाली.

‘बताओ आपने क्या किया?’
दीदी ने नहीं बताया, उन्होंने इधर उधर की बात में मेरे सवाल को टाल दिया.

हम वहां वैसे ही बैठे बात करते रहे.
फिर दीदी ने म्यूजिक लगा दिया और मुझे डांस करने को बुलाया.

दोस्तो, मुझे इन सब में कोई रुचि नहीं है, मुझे बस चूत और चुदाई से मतलब रहता.

पर मैं दीदी का दिल भी तोड़ नहीं सकता था.
इतने प्यार से उन्होंने ये इंतजाम किए थे.

कुछ देर हमने स्लो म्यूजिक पर डांस किया.

फिर मेरी हरकतें शुरू हो गईं.
मेरा हाथ दीदी की कमर से हट कर उनके चूतड़ों पर आ गया था जिन्हें मैं हौले हौले से दबाने लगा.

इधर मैंने उनके होंठों पर होंठ रख दिए और रसीले होंठों का रसपान करने लगा.
दीदी ने भी समर्थन में बांहें मेरे गले में पिरो दीं.

मैंने उन्हें खुद से चिपका लिया, बेतहाशा उनके होंठों को चूसने लगा.

म्यूजिक, वाइन और दीदी के परफ्यूम की मादक खुशबू मुझे पागल कर रही थी.
मैं उनकी गर्दन और कंधे के नग्न भागों को बेतहाशा चूमने लगा था.
नीचे मैं उनके मस्त गद्देदार चूतड़ मसल रहा था.

कुछ ही मिनटों में मैं पूरी तरह गर्म था.
मैं बोलता हूं न कि मेरी दीदी चीज ही ऐसी हैं कि जो मर्द के अन्दर वासना का सैलाब ला दे.

मेरे हाथ दीदी के मम्मों पर आ गए थे.
दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी.
वो पूरी तैयारी में थीं.

किस करते हुए मैं उनके खरबूजों को मसलने लगा.
दीदी की चूचियां मस्त ही गोल सुडौल और गद्देदार थीं. वो शुरू से ही वो बड़ी बड़ी चूचियों की मालकिन रही हैं.
मैंने पहले भी अपनी कहानियों में बताया था.

उनके मम्मे दबाते हुए मैं उन्हें बेतहाशा चूमे जा रहा था.
पर हमें खड़े खड़े करने में थोड़ी असहजता हो रही थी.

दीदी मेरे हाथ पकड़ में अपने कमरे की तरफ ले जाने लगीं.
मैं उनके पीछे पीछे चल पड़ा.

दीदी आगे आगे गांड मटकती हुई धीरे धीरे चल रही थीं.
शायद ये उनकी कोई चाल थी.

मेरा ध्यान अपने चूतड़ों पर आकर्षित करने का मन था शायद.

दीदी की ड्रेस उनके चूतड़ों पर तंग थी, जिससे उनकी गोलाइयां साफ प्रदर्शित हो रही थीं.
मेरे द्वारा मसले जाने से शायद ड्रेस उनकी गांड की दरार में चली गई थी.

इस वक्त मुझे उनके मटकते चूतड़ों का अच्छा प्रदर्शन मिल रहा था.
यह अधिक कामुक लग रहा था.

उनकी मस्तानी चाल और मटकते चूतड़ देख कर मुझे पता नहीं क्या मस्ती छाई कि मैंने दीदी को वहीं कॉरिडोर में रोक कर दीवार से चिपका दिया.

मैं उन्हें चूमने चाटने काटने लगा.
मैंने दीदी के मम्मे ड्रेस से बाहर निकाल लिए और मसलने लगा.
मैं दोनों हाथों से उन्हें मसल कर चूसने लगा.

वो बस आंखें मूंदे सिसकारियां भरने लगीं.
मैं उनकी चूचियां मसलने काटने लगा था.

एक बात तो है, दीदी सेक्स के दौरान मुझे किसी चीज के लिए नहीं रोकतीं.
मैं सेक्स के दौरान उनके साथ अक्सर ही जोश में रफ़ (कठोर) हो जाता.

वो घायल चूचियां हो या फिर सूजी हुई चूत, पर दीदी ने मुझे कभी नहीं रोका.
हां चुदाई के बाद में दीदी जरूर कहती थीं कि देख चूचियों का क्या हाल कर दिया … अब मैं ओपन नैक सूट पहन कर कॉलेज कैसे जाऊंगी?

और मैं हर बार कह देता- क्या करूँ दीदी … तुम मेरे अन्दर का जानवर जगा देती हो.
दीदी मेरी इस बात से काफी खुश होतीं. वो हंस कर कह देतीं ‘बदमाश.’

मैं मन भर उनके मम्मे चूसने के बाद नीचे की तरफ बढ़ा.
आह गोल गद्देदार ख़ूशबूदार मम्मे!

पर मैंने जब हाथ उनकी चूत में डालने चाहे तो उन्होंने रोक दिया.
मैं भी उनके डिसीजन की कदर करता हूँ. क्योंकि ऐसा काम ही होता कि वो मुझे किसी चीज के लिए रोकें.

दीदी ने अपने मम्मे अपनी ड्रेस के अन्दर किए और कमरे की तरफ चल पड़ीं.
मैं उनका हाथ पकड़े उनके पीछे पीछे चल पड़ा.

पुराने पाठक तो जानते ही होंगे; नए पाठकों को अपने घर की सैर करा देता हूँ.
हमारा घर एक डबल स्टोरी लग्जीरियस हाउस है. एक बड़ा सा हॉल, जहां डाइनिंग टेबल, सोफे आदि लगे हुए हैं. हॉल से सीढ़ियां ऊपर पापा मम्मी के कमरे में जाती हैं, जहां टैरेस है.

नीचे दो कमरे हैं.
एक पतले कॉरिडोर से जाते हुए आमने सामने कमरे हैं.
एक दीदी का एक मेरा … और एक छोटा सा गेस्ट रूम भी है जो कभी कभी ही उपयोग होता है.

खैर कहानी पर आते हैं.

उन्होंने दरवाजा खोला.
हम दोनों दाखिल हो गए.

कमरा सजा हुआ मीठी सी खुशबू से गमक रहा था.
यह मेरे लिए नया नहीं था.
मैं दीदी को उनके ही कमरे में कई दफा चोद चुका हूं.

दीदी ने मुझे किस किया और मेरे कपड़े एक एक करके निकालने लगीं.

पहले जैकेट … मैंने उनकी मदद की.
दीदी अब मेरी शर्ट के बटन खोल रही थीं और कटीली मुस्कान के साथ मेरी आंखों में देख रही थीं.

आज सुबह से तो मानो मुझे राजा महाराजा वाली फीलिंग आ रही थी.
दीदी मुझे ऐसे ट्रीट कर रही थीं मानो मैं उनके सपनों का राजकुमार हूँ, वो मेरी दासी हैं.

पहले तो मैं खुद ही कपड़े निकाल कर उन पर टूट पड़ता था.
पर उनके द्वारा ऐसे ट्रीट किया जाना काफी उत्तेजक था.

मेरा मन तो कर रहा था अभी पटक कर लंड उनकी चूत में पेल दूँ. पर मैं देखना चाहता था कि वो क्या कर रही हैं.
उन्होंने शर्ट भी अलग कर दी.
मैं उनके सामने ऊपर से नग्न खड़ा था.

दीदी ने अपने होंठ चबाते हुए मेरी बॉडी पर हाथ फिराया और मेरे सीने को चूमना शुरू कर दिया.

दीदी के कोमल होंठों के स्पर्श से अजीब गुदगुदी हो रही थी.

उन्होंने मेरे निपल्स पर जीभ को फिराया और मेरे पेट को चूमती हुई नीचे घुटने के बल बैठ गईं.
तब उन्होंने मेरी बेल्ट खोली और पैंट घुटनों तक सरका दी; अंडरवियर के ऊपर से मेरे टाइट लौड़े को किस किया, फिर हौले हौले से पैंटी को सरकाया.

उनकी आंखों में मस्ती थी.
उन्होंने मेरे खड़े हुए लंड को चूमा जो अब पूरी तरह से तैयार था.

फिर उसे मुँह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगीं.
दीदी का लौड़ा चूसने में जवाब नहीं, उन्हें लौड़ा चूसना काफी पसंद है.

दीदी मेरे लंड को पूरा मुँह में लेकर चूस रही थीं.
मैं तो इतना गर्म था कि मुख चुदाई करके उनके मुँह में ही माल गिरा दूँ, पर मैं उनका प्लान देखना चाहता था.

दीदी मस्ती में लंड चूस रही थीं.
मैंने पैंट, अंडरवियर, जूते सब अलग कर दिए और नग्न उनके सामने खड़ा हो गया.

तब मैंने लंड पकड़ कर बॉल्स दीदी के मुँह में दिए. दीदी उन्हें भी मस्ती में चूसने लगीं.

मैंने दीदी को मन भर लंड चुसाया.
हालांकि इसमें वो पहले से माहिर हैं.

इसके बाद दीदी उठीं. मेरे चेहरे को पकड़ मुझे झुकाया और किस करने लगीं.
उनके होंठों पर मेरे लंड स्वाद तो था पर उनके होंठों और जीभ की गर्माहट ज्यादा उत्तेजना भरी थी.

कुछ देर किस करके वो अलग हुईं और बेड पर घोड़ी बन गईं.
उन्होंने अपनी ड्रेस कमर तक उठा दी और अपने मस्त चूतड़ों का दीदार कराया.

मैं झट से उन पर टूट पड़ा.
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ फिराया.
मखमली, गोरे चिकने चूतड़ मुझे सुकून का अहसास दे रहे थे.

मैंने उन्हें हाथों में भरने का प्रयास किया जो कि जाहिर है … नहीं आने वाले थे.

तब मैंने उन पर जीभ को फिराया, चुम्बन किया और अपना चेहरा उन पर मलने लगा.
क्या मस्त गोल चूतड़ हैं … ये पहले से और भी सुडौल होकर बड़े हो चुके हैं.

मैं उन्हें चूमता चाटता काटता रहा.
और दीदी कमर हिला कर मजे लेती रहीं.

दीदी की गांड से आती विशेष खुशबू मेरी उत्तेजना का कारण बन रही थी.
मैंने गांड बेशक नहीं चाटी थी, पर खुशबू से वाकिफ था.
पर ये तो कोई फूल की खुशबू थी.

मैंने उनके चूतड़ों को फैलाया.
मुझे हल्के भूरे रंग के सुराख का दीदार हुए जो एकदम चिकना साफ था.
इस पर एक भी बाल न निशान तक नहीं था.

दीदी को बाल रखना नहीं पसंद … ये तो काफी पहले से जानता था मैं!
पर चूत और गांड की बात अलग होती है. इतनी चिकनी और साफ गांड मैंने शायद ही कभी देखी हो.

मैंने उनकी गांड में कुछ ब्लैक कलर की चीज फंसी देखी.
यह किसी ढक्कन जैसा प्रतीत हो रहा था.
उसके ऊपर एक गोल कर रिंग बना था, जिसका उपयोग इसे निकालने के लिए होता होगा.
यही सोच कर मैंने उंगलियों में फंसा कर खींचा.

एक पक्क की आवाज के साथ निकल गया.
दीदी ‘आह’ करके आगे हो गईं.

यह लगभग 2.5 इंच मोटा और 4 इंच लम्बा बट प्लग (एक प्रकार का सेक्स उपकरण) था.
मैंने दीदी के सुर्ख लाल हुए पड़ी गांड के छेद की तरफ देखा जो अपने ओरिजनल आकार में लौट रहा था.

गांड से एक तरल पदार्थ लगातार बह रहा था. वही चिपचिपा तरल पदार्थ बट प्लग पर भी लगा हुआ था.

ढक्कन खुलते ही दीदी बोल पड़ीं- हैप्पी बर्थडे मेरे बहनचोद भाई … ले कर ले अपनी ख्वाहिश पूरी!

“ओहहोह दीदी … आपने तो कमाल ही कर दिया!” मैं खुशी से उछल पड़ा.
मेरी खुशी का ठिकाना न था.

दोस्तो, मेरी दीदी मुझसे मेरे बर्थडे पर अपनी कुंवारी गांड की चुदाई करवाने के लिए मान गई थीं.
अपनी बहन की गांड मारना मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था.

आपको दीदी के बट प्लग की कहानी के अगले भाग में मैं अपनी बहन की सीलपैक गांड चुदाई की कहानी सुनाऊंगा.
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दीदी के बट प्लग की कहानी का अगला भाग: बर्थडे पर दीदी की कुंवारी गांड मिली- 2

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