फुफेरी बहन की सील तोड़ी-3

अमित चोदू 2014-08-10 Comments

कहानी का पिछला भाग: फुफेरी बहन की सील तोड़ी-2

मैंने कहा- क्यों केवल मोबाइल में चुदाई देखनी है?
कहने के साथ ही मैंने अपना हाथ नीचे स्कर्ट के अन्दर डाल दिया, उसने चड्डी नहीं पहनी थी, इसलिए मेरा हाथ सीधे चूत पर ही पहुँच गया।
अंजलि बहुत जोर से चिहुंक गई, उसने पूरा जोर लगा कर मुझे अपने ऊपर से हटाना चाहा, लेकिन मैंने अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके हाथों को संभालता रहा।

अंजलि की चूत पर एक भी बाल नहीं था, बहुत ही हल्के-हल्के रोयें थे, ऐसा मुझे अपने हाथ से अहसास हुआ।
खैर.. अब उसने अपने पैरों को क्रॉस करना चाहा, तो मैंने उसके दोनों पैरों के बीच अपना एक पैर डाल दिया और उसका एक पैर दबा भी लिया। अब मेरी उंगलियां उसकी चूत की कसी हुई फांकों को अलग करने में व्यस्त हो गईं।

मेरी उंगलियाँ उसकी कसी हुई चूत की फांकों को अलग नहीं कर पाईं, तो मैंने उसकी चूत की पतली सी दरार में अपनी उंगली से रगड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान मैं उसके भग्न को भी रगड़ रहा था।

मेरी आँखें अंजलि के चेहरे को देख रही थीं, वो शायद शर्म की वजह से अपनी आँखें बंद किए थी। पर मुझे उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं दिखा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।

अब मैंने अंजलि के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए, अंजलि ने अपने होंठों को कस कर बंद कर लिए। फिर भी मैं अपनी जीभ उसके होंठों पर घुमाने लगा, इधर मेरी उँगलियाँ उसकी कुंवारी चूत में हलचल मचा रही थीं शायद इस वजह से वो थोड़ी ढीली पड़ गई थी।

अब मैंने अपने दूसरे हाथ को धीरे से उसके टॉप के अन्दर खिसका दिया। अंजलि की चूचियाँ एक मध्यम आकार के अमरुद के बराबर की थीं। मेरी उँगलियों ने जैसे ही अंजलि की चूचियों को छुआ, वो फ़िर एकदम से चिहुंक गई, पर मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी।

अब मैंने अंजलि की चूची को सहलाना शुरू किया।
मैंने देखा कि अंजलि के चेहरे के भाव बड़ी जल्दी से बदल रहे थे, शायद उसके बदन को पहली बार किसी मर्द ने इस तरह छुआ था। अब मैंने अपना हाथ दूसरी चूची को सहलाने में लगाया।
उधर एक हाथ अभी भी उसकी चूत को सहला रहा था।

अचानक अंजलि का बदन ऐंठने लगा, उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगीं। तभी मेरा हाथ जो कि अंजलि की चूत में था, कुछ गीला-गीला सा लगा, मैं समझ गया कि अंजलि झड़ गई है।

अब उसका बदन बिल्कुल ढीला हो गया था, उसने जरा सा होंठ खोला शायद गहरी सांस लेने के लिए।

मैंने तुरंत अपनी जीभ उसके होंठों के अन्दर घुसेड़ दी, अब उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा। वो शायद कुछ कहना चाह रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह से निकाल ली।

वो बोली- भैया.. अब मुझे छोड़ दीजिए, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
मैंने कहा- अंजलि, अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं, ऐसे-कैसे छोड़ दूँ?
वो फिर बोली- मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रही हूँ !

तो मैंने अपने दोनों पैर उसके पैरों के बीच में कर लिए और अपने घुटनों के बल बैठ गया और दोनों हाथों से उसके टॉप को ऊपर करने के साथ ही मेरा मुँह उसकी चूची पर पहुँच गया।

जैसा कि मैंने बताया, अंजलि की चूचियाँ छोटी हैं, तो पूरी चूची मेरे मुँह में समा गई और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने लगा।
अंजलि को अब शायद मजा आ रहा था क्योंकि उसकी आँखें फिर से बंद हो गईं थीं।
मौका देख कर मैंने एक हाथ से अपनी चड्डी खिसका कर निकाल दी और फिर उसी पोजीशन में अपने लंड को अंजलि की चूत से छुआ दिया।

अब मैंने अपना मुँह अंजलि की दूसरी चूची में लगा दिया और पहले वाली को हाथ से सहलाने लगा। मेरा लंड बीच-बीच में अंजलि की चूत को छू लेता था।

तभी अंजलि ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे देख कर बोली- भैया, प्लीज़ अब मुझे छोड़ दीजिए, आपने बहुत कुछ कर लिया है !
मैंने कहा- देखो अंजलि मुझे तुम्हारे साथ वो सब करना है, जो तुमने अभी मेरे मोबाइल की चुदाई वाली पिक्चर में देखा है !

तो वो बोली- नहीं वो सब मैं नहीं कर सकती !
मैंने कहा- क्यों?
तो वो चुप रही, फिर मैंने कहा- देखो अंजलि, करना तो मुझे है ही, अब तुम अगर मर्जी से करवा लोगी तो तुमको भी अच्छा लगेगा.. नहीं, तो मैं तो कर ही लूँगा !
वो चुपचाप मेरी आँखों में देखने लगी।

फिर बोली- तो आप मेरे साथ भी वही सब करना चाहते हैं जो आपने प्रिया के साथ किया है..?
मैं समझ गया कि प्रिया ने इसको हमारी चुदाई के बारे में सब बता दिया होगा।

मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारी भी सील तोड़ना चाहता हूँ… प्रिया की तरह!
यह कह कर मैंने उसके चेहरे पर बहुत सारे चुम्बनों की बौछार कर दी।

अचानक अंजलि ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए और बोली- भैया मुझे छोड़ दीजिए, मुझे बहुत दर्द होगा.. मैं वो सब नहीं कर पाऊँगी, जो आपने प्रिया के साथ किया था !
मैंने कहा- क्यों?

तो वो फिर चुप हो गई, अब जब मैंने देखा कि उसका विरोध करीब ख़त्म हो गया है तो मैंने अपने दोनों हाथो से उसके टॉप को उसके दोनों हाथ ऊपर करके हटा दिया।
अब उसके बदन में सिर्फ स्कर्ट आर मेरे बदन में सर्फ बनियान थी।

अब मैं जल्दी से उठा और अपनी बनियान भी निकाल दी। अब मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और अंजलि को अपने ऊपर खींच लिया। मैं अपने दोनों हाथों से अंजलि की स्कर्ट उतारना शुरू किया, उसने रोकने की कोशिश की परन्तु कामयाब नहीं हो सकी।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने अंजलि को अपने बदन से चिपका लिया। उसके खुले हुए बालों से मेरा चेहरा ढक गया। मुझे बहत अच्छा लग रहा था। तभी मैंने अपने हाथों से अंजलि की गाण्ड को सहलाना शुरू किया, उसके चूतड़ बिल्कुल गोल थे। काफी मस्त माल था !

मेरी उंगली उसकी गाण्ड के छेद का मुआयना करने लगी, तो अंजली ने तुरंत अपनी गाण्ड हिला कर मुझे ऐसा करने से मना किया।
खैर… अब मेरी उंगली उसकी गाण्ड से होते हुए उसकी चूत पर पहुँच गई थी।

इधर मेरा लंड उसकी चूत को छूकर और उत्तेजित हो रहा था। मुझे अहसास हो रहा था कि उसकी चूत गीली थी।

मैं अचानक बैठ गया और अंजलि को अपने हाथों के सहारे धीरे से लिटा दिया। मैंने झुक कर अपना मुँह उसकी चूत की ओर किया, मैंने पहली बार उसकी कुंवारी चूत को देखा।
दोस्तों अंजलि की चूत में बहुत ही हल्के से रोंयें थे और उसकी चूत की दोनों फांकें एकदम जुड़ी हुई थीं। अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत की फांकों को अलग किया तो अन्दर का रंग बिल्कुल गुलाबी था।

दोस्तों मैंने अपने होंठों को तुरंत अंजलि की चूत में लगा दिया। अचानक अंजलि ने मेरे बाल पकड़ लिए और जोर से ऊपर की ओर खींचना चाहा और बोली- नहीं भैया… यह मत करो, अभी वहाँ खून हो सकता है !

तब मुझे याद आया कि अंजलि का तो पीरियड था और आज तीसरा दिन था।

दोस्तों सब कुछ जानते हुए भी अब मेरा रुक पाना मुश्किल था। मेरे दिमाग में सिर्फ अंजलि को चोदने की ही बात थी। मैंने अपने आस-पास नजर दौड़ाई। बेड के बगल में ही प्रिया की ड्रेसिंग मेज रखी थी, उसके ऊपर मुझे नारियल तेल की शीशी दिख गई।

मैंने हाथ बढ़ा कर उसको उठा लिया और अंजली की दोनों टांगों को और फैला दिया। अब मैंने अपने एक हाथ में खूब सारा तेल लिया और अंजली की चूत में लगा दिया। कुछ तेल अंजलि की चूत की दरार के अन्दर भी चला गया।

अब मैंने अपने लंड को तेल से बिल्कुल भिगो लिया। शीशी को वहीं पर रख कर मैं फिर अपनी पीठ के बल लेट गया और अंजली को अपने ऊपर बैठाया। मैंने एक हाथ से अपने लंड को अंजली की कुंवारी चूत के मुँह में अन्दर करना चाहा, पर मेरा लंड फिसल गया। मैंने यह कई बार प्रयास किया, किन्तु लंड हर बार फिसल रहा था।

इधर उत्तेजना से मेरा हाल बुरा हो रहा था, लग रहा था कि मैं ऐसे ही झड़ जाऊँगा और उधर अंजली का भी बुरा हाल था, उसकी भी साँसें बहुत तेज चल रही थीं।
मैंने तुरंत फिर से अंजली को लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में इस तरह बैठा कि मेरा लंड उसकी चूत के बिल्कुल करीब था।

अब मैंने अपने दोनों हाथों से अंजलि की चूत की फांकों को अलग-अलग किया और कमर हिला कर अपने लंड को अंजलि की चूत के मुँह में सैट किया, फिर मैंने अपने एक हाथ से अपने लंड को सहारा दिया जिससे कि वो अब बाहर ना निकल पाए।

मैंने अंजलि की तरफ देखा तो उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं, होंठ भींचे हुए थे। मैंने अपनी कमर से थोड़ा दबाव बनाया, पर लंड अंजलि की कुंवारी चूत में इस बार भी नहीं जा पाया।

फिर मैंने अपने पैरों से अंजलि के दोनों पैरों को और फैलाया और दुबारा अपनी कमर से दबाव बनाया। अब की बार मेरे लंड का थोड़ा सा सुपाड़ा ही अंजली की चूत में गया होगा, लेकिन उसकी चीख निकल गई, चूँकि घर में इस समय कोई और था नहीं। मैंने उसी पोजीशन में और दबाव बनाया।
अबकी बार मेरे लंड का आधा सुपाड़ा अंजली की कुंवारी चूत में घुस गया था और इधर अंजलि लगातार चिल्ला रही थी।

मैंने उसकी कमर को बहुत ही मजबूती से पकड़ रखा था, मैंने अपनी कमर से एक हल्का धक्का मारा, तो मेरा करीब आधा लंड अंजलि की चूत को फाड़ता उसके अन्दर घुस गया।

कहानी जारी रहेगी।
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