भाई की रखैल

(Bhai Ki Rakhail)

अर्चना जैन 2011-10-30 Comments

अन्तर्वासना के पाठकों को आपकी अपनी अर्चना का नमस्कार ! मुझे खुशी हुई कि आप लोगों को मेरी पिछली कहानी ‘मेरी शुरुआत’ इतनी पसंद आई कि मुझे पहले ही दिन 500 से ज्यादा संदेश मिले।

मेरे लिए यह मुमकिन नहीं कि मैं सबको उत्तर दे सकूँ इसलिए मैं माफ़ी चाहती हूँ लेकिन फिर भी मैंने कुछ को उत्तर दिया है। मैं उम्मीद करती हूँ कि आगे भी आप मुझे प्रोत्साहन देते रहेंगे।

जैसा कि आप पहले ही पढ़ चुके है पिछली कहानी ‘मेरी शुरुआत’ में कि कैसे मेरे सेक्स जीवन की शुरुआत हुई और वो भी मेरे पापा की जानकारी के अंदर।

उस सबके के बाद मेरे चाचा ने कई बार मुझे चोदना चाहा मगर मैं साफ़ मुकर गई और मैंने अपनी चचेरी बहन वाणी को भी तैयार कर लिया कि वो भी घर में या घर वालों की मर्जी से ना चुदे।

इसके बाद मैं अपने घर में एक आजाद पंछी हो गई, अब पापा भी मुझे कुछ कह नहीं सकते थे।

एक दिन की बात है, मैं अपने कमरे में चैट करते हुए सिगरेट के कश का आनन्द ले रही थी, तभी मम्मी ने मेरे कमरे में प्रवेश किया और मुझे सिगरेट पीते हुए देख लिया और डांटने लगी लेकिन तभी पापा मेरे कमरे में आये और मेरी बजाए मम्मी को ही डांट दिया।

इस पर मम्मी चुप होकर वहाँ से चली गई। इसके बाद तो मुझे घर में रोकने वाला कोई नहीं था, मैंने अब पूरे घर में कहीं भी और कैसे भी घूमती।

जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि मेरे घर में मेरे, मम्मी-पापा के अलावा मेरा एक भाई यश भी है। इस आजादी के कारण मैं पूरे घर में नाइटी में घूमती, मेरे इस रूप को देखकर मेरे भाई की नीयत बिगड़ने लगी, वो मेरे रूप सौन्दर्य को घूर-घूर कर देखता, मुझे छूने के बहाने ढूंढता।

मैं उसकी हरकतें भाप गई, चूँकि मैंने भी कई दिनों से किसी के साथ सेक्स नहीं किया था तो मैं भी उसको बढ़ावा देने लगी। जैसे उसके सामने झुकना, उसके सामने कपड़े बदलना।

मैं जब भी कपड़े बदलती तो उसकी पैंट में एक उभार सा आ जाता। मैंने यह बात वाणी को बताई तो वो बोली कि वो भी मेरे भाई यश से चुदना चाहती है क्योंकि मेरा भाई एक बलिष्ट शरीर का मालिक है और लड़कियाँ उन हृष्ट-पुष्ट लड़कों से चुदना ज्यादा पसंद करती है जो उन्हें पूरा आनन्द दे सकें।

मैंने वाणी को मना लिया कि पहले मैं अपने भाई से चुदूंगी, उसके बाद वाणी !
वाणी ने सहमति जता दी।

उसके बाद मैं यश को और भी कई मौके देने लगी मगर यश शायद इसी परेशानी में था कि मैं उसकी बहन हूँ और वो मुझे कैसे चोद सकता है। मैं समझ गई कि मुझे ही पहल करनी होगी इसके लिए मैंने पापा को बोला कि मुझे कुछ काम है इसलिए आप मम्मी को रविवार के दिन घर से बाहर ले जाना।
पापा ने बिना कारण जाने हाँ कर दी, इसके बाद मैं रविवार का इन्तजार करने लगी।

इतवार को सुबह ही पापा मम्मी को लेकर एक रिश्तेदार के यहाँ चले गए, उस वक्त यश सो रहा था। मैंने सोचा कि यही सही वक्त है, मैंने अपनी एक सेक्सी सा ब्रा-पेंटी का सेट निकाल कर पहना और सिर्फ ब्रा-पेंटी में यश के कमरे की तरफ चल दी।
मैंने यश को आवाज लगते हुए कहा- यश, दूध पी लो।

जैसे ही यश ने आँखें खोली, मेरे इस रूप को देख कर दंग रह गया और अपनी आँखें फेर ली।
मैंने पूछा- यश। आँखें क्यों फेर ली, वैसे तो रोजाना मेरे शरीर को छुप-छुप कर देखते रहते हो।

इस पर यश कुछ नहीं बोला। मुझे लगा कि मैंने गलती कर दी, यश तो बहुत ज्यादा शरमा रहा है इसलिए मैं वहां से चली गई और अपने कमरे में आकर सिगरेट के कश लेने लगी।

थोड़ी देर में यश मेरे कमरे में आया और बोला- अगर मम्मी-पापा को पता चला कि हम दोनों कुछ गलत काम कर रहे हैं तो हमारी खैर नहीं।
मैंने उसे कुछ नहीं बताया और कहा- अगर हम दोनों में से कोई नहीं बताएगा तो उन्हें पता कैसे चलेगा।

मेरी यह बात सुनते ही यश ने अपनी टी-शर्ट उतारी, जिसके कारण उसकी चौड़ी छाती सामने आ गई, मैंने भी उसका इसके जवाब में अपनी ब्रा उतार दी और सिगरेट एक तरफ फेंकते हुए उसकी तरफ बढ़ी और उसकी बाहों में समां गई और अपने आपको यश को समर्पित कर दिया।
इसके बाद मैंने यश से कहा- अब मुझे अपनी बहन मत समझना !

तो वो बोला- अब जब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ तो तू मेरी बहन नहीं, रखैल है, आज मैं तुझे ऐसे चोदूँगा जैसे एक कुत्ता कुतिया को चोदता है।

मैं कुछ बोलती इससे पहले ही उसने मेरे होंठ अपने होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए और अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल डालकर मेरा मुँह रौंदने लगा। बीच-बीच कई बार उसने और कई बार मैंने अपना थूक एक-दूसरे के मुंह में डाला। हम काफी देर तक एक-दूसरे को चूमते रहे, फ़िर यश ने अपना हाथ मेरे चूचों की तरफ बढ़ाया और मेरा दायाँ स्तन पकड़ कर दबाने लगा और अपना दूसरा हाथ मेरी पेंटी के अंदर डालकर उंगली से मुझको चोदने लगा।

मैंने भी उसका उत्साह बढ़ाने के लिए उसकी अंडरवियर में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया। मेरा स्पर्श लगते ही उसका लंड पूरी तरह से तन गया। मैंने अपने आपको को यश से छुडाया और उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। यश काफी देर तक मेरा मुँह चोदता रहा और कुछ देर के बाद एक लंबी सी धार मेरे मुंह के अंदर ही छोड़ दी मगर उसका लंड अभी भी कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा था।

उसने मुझे उठाया और दीवार से सटा दिया और मेरे चूतड़ों से मुझे उठाया और चूमता हुआ बिस्तर पर पटक दिया और बिना कंडोम के अपना 8 इंच लंबा लंड मेरी चूत में पेल दिया और करीब 20-25 मिनट तक मुझे चोदता रहा, इसी बीच मैं झड़ गई और उसका और मेरा पानी मेरी जांघों पर बहने लगा। झड़ने के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया और मेरी जांघों पर बहते पानी को चाटने लगा।

इसके बाद उस दिन यश ने दो बार और मुझे चोदा।

इसके बाद हम दोनों से साथ में मिल कर स्नान किया, स्नान के दौरान मैंने यश को बताया- वाणी तुमसे चुदना चाहती है !

तो यश तुरंत मान गया। स्नान के बाद मैंने यश के सामने वाणी को फोन मिलाया और बोली- यश तुम्हें चोदने के लिए तैयार है।

वो बोली- आज नहीं, मगर अगले सन्डे को हम चुदाई का प्रोग्राम बनाते हैं।
यश भी इस बात को मान गया।

यश शायद वाणी का दीवाना था इसलिए सन्डे का बेसब्री से इन्तजार करने लगा। इसी बीच उस हफ्ते यश ने मुझे कई बार चोदा, अब तो मैं सच में यश की रखैल बन चुकी थी क्योंकि जब मर्जी मेरे मुंह में अपना लंड डाल देता और मुझे चूसने को बोलता !

मेरे बूब्स तो उसे अब दूध की डेरी लगते थे। हम दोनों के कमरे साथ नहीं थे फिर भी हम एक-दूसरे से मजे लेने का मौका नहीं छोड़ते थे।

आखिर सन्डे आ गया, हम दोनों ने पापा-मम्मी को बहाना बनाया और वाणी के घर चल दिए। वाणी भी पहले से ही तैयार थी, उसने

पहले ही इंतजाम कर रखा था और घर पर कोई नहीं था। जब हम वाणी के घर पहुँचने वाले थे तो मैंने वाणी को फोन कर दिया, घर पहुँचते ही मैंने घंटी बजाई और जब मैंने और यश ने वाणी को देखा तो देखते ही रह गए क्योंकि बदन ढकने के नाम पर वाणी ने अपने बूब्स पर दो गुलाब चिपका रखे थे और पेंटी भी नहीं पहनी थी।

जैसे ही हम अंदर घुसे वाणी ने वो दोनों गुलाब हटा कर हम दोनों को एक-एक गुलाब पकड़ा दिया और वो पूरी नंगी हो गई।

यश ने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और सीधा वाणी के पर टूट पड़ा।

मैं भी वाणी के चुच्चे देखकर काफी उत्साहित हो चुकी थी, यश ने तुरंत अपने कपड़े उतारे, इतने में उत्साह के कारण मैं वाणी के कोमल नाजुक होंठ चूसने लगी, हम दोनों को इस मुद्रा में देख यश पागल हो गया एक ही झटके में अपना 8 इंच का लंड वाणी की चूत में पेल दिया।

इतना लंबा और मोटा होने के कारण वाणी चिल्ला उठी, और मुझे खुद से जोर से चिपका लिया। यश काफी देर तक वाणी को चोदता रहा, जब उसने देखा कि वाणी अब और नहीं सह सकती वो हट गया और मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा।

मैं समझ गई कि यश मेरी गांड मारना चाहता है, यह पहली बार था जब मैं गांड मरवाने वाली थी इसलिए मुझे डर लग रहा था।
मैंने यश से क्रीम इस्तेमाल करने को कहा, इस पर यश ने मुठ मारते-मारते अपना लेस मेरी गांड में उंडेल दिया और हाथों से ही लेस रगड़ने लगा, जिसके कारण मेरी गांड का छेद चिकना हो गया, और फिर यश धीरे-धीरे करके मेरी गांड में अपना लंड घुसाने लगा। काफी देर तक वो मेरी गांड मारता रहा इसके बाद उसने वाणी की भी गांड मारी।

फिर हम तीनों एक साथ नहाए और एक दौर और चुदाई करने के बाद मैं और यश वापिस घर आ गए।

उस दिन के बाद से यश रोजाना या हर दूसरे दिन मुझे चोदता है।
यह कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताइए।
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