मेरी बहन की जांघों में

(Meri Behan Ki Janghon me)

paigeu33 2012-03-26 Comments

मेरी सेक्सी कहानी मेरी और मेरी बड़ी बहन की है.
मैं तब बारहवीं कक्षा में पढ़ता था और मेरी बड़ी बहन मेरे से एक कक्षा आगे थी।

बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी परीक्षा दी थी और छुट्टियों में मई के महीने में हम सब लोग बाहर सोये थे। अचानक मेरा हाथ उसकी पीठ पर पड़ा तो अनायास मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। ऐसा क्यों हुआ, यह बात मेरी समझ में नहीं आई पर मैं बहुत गर्म हो गया था।

थोड़ी देर बाद में हमें अन्दर जाना पड़ा क्योंकि बाहर बहुत मच्छर काट रहे थे।

घर में अन्दर जाकर मैंने फिर से उसकी पीठ पर हाथ फ़िराया और उसके गाल चूमे और फ़िर उसके मम्मे भी दबाये। उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं की।

ऐसा बहुत दिनों तक चलता रहा कि मैं उसको कभी भी रात के बीच में सोने के बाद किस करता और फिर उसके मम्मे दबाता। कभी कभी वो आह ओह करती पर कभी कभी साथ देती लेकिन ऐसा ढोंग करती थी जैसे वह गहरी नींद में हो और उसको मालूम ही नहीं कि मैं उसको चूम रहा हूँ और उसके चुच्चे दबा रहा हूँ।

एक दिन हम शहर जा रहे थे और बस में हमें बहुत ही कम जगह मिली तो वह मुझसे काफी चिपक कर बैठी थी। सफ़र तक़रीबन डेढ़ घंटे का था, मैं बहुत खुश था कि अब मैं उसके बदन को छू कर उससे मजा ले सकता हूँ।

और हुआ भी ऐसे ही, जब बस चलने लगी तब मैंने धीरे धीरे उसे अपने हाथ से स्पर्श करना चालू किया। पहले वह मुझे अनदेखा करती रही पर जब उसे लगा कि मैं मानने वाला नहीं हूँ तो वह धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी और मुझसे उसके उरोज दबवाने के लिए हाथ आगे की सीट पर रख दिया। अब मैं उसके मम्मे धीरे धीरे एक हाथ से दबाने लगा। वह गर्म हो चुकी थी लेकिन बस में सोने का नाटक कर रही थी।

मैं इससे ज्यादा कुछ कर नहीं पाया। ऐसा कई बार हुआ, पर मेरी हिम्मत नहीं होती थी उससे सीधे सीधे बात करने की।

एक बार हम दोनों को परीक्षा के बहाने एक शहर में किराये के कमरे में रहना पड़ा। तब हम दोनों अकेले थे। पढ़ाई के बाद हम सोने का नाटक कर रहे थे। कमरे की बिजली बंद करके में और वह भी अँधेरे में एक दूसरे को प्यासी निगाहों से देख रहे थे पर दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ कहने की।

तो मैंने सोचा कि अभी परीक्षा है तो वह मुझे कुछ करने नहीं देगी। फिर मैं जाकर टॉयलेट में मूत कर मुठ मारने लगा। टॉयलेट का दरवाज़ा नहीं था, तब कमरे में अँधेरा था तो वह अचानक टॉयलेट के बाहर आकर दरवाजे पर रुक गई।

मैंने उसे देखा लेकिन मुठ मारनी बंद नहीं की।
और वह मुझे देखती रही पर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उसे पकड़ूँ और कुछ करूँ या चोदूँ।
कुछ देर बाद मैं बाहर आया और वह अन्दर टॉयलेट में चली गई।

पहले तो मैं बिस्तर पर चला गया पर कुछ सोच कर मैं टॉयलेट के बाहर आकर खड़ा हो गया।
उसने उंगली करना चालू किया, उसने भी मुझे देखा और उंगली करना बंद नहीं किया।
फिर भी मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं उसे पकड़ूँ और कुछ करूँ या चोदूँ।

एक दिन वह कुछ माम के बहाने शहर गई हुई थी तो रास्ते में आते समय एक आदमी ने उसे बहुत ही गर्म किया। कभी वह आदमी उसके मम्मे सहलाता तो कभी पेट पर हाथ फिराता, कभी चूतड़ों पर हाथ फेरता था। यह सब उसने मुझे बाद में बताया था।

किसी गैर आदमी से उसे छूने का यह पहला अनुभव था तो उस रात को वह बहुत ही गर्म हो गई थी।
हम सब बाहर सो रहे थे, मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं करीब गयारह बजे अन्दर जाकर टी।वी देखने लगा।
वह मेरा लेने के लिए तैयार है, इसका मुझे कुछ पता नहीं था और मैं सेक्सी गाने का चैनल लगा कर देख रहा था।
कुछ देर बाद वह अन्दर आ गई। बाकी सब लोग बाहर सो रहे थे।
जब वह अन्दर आई तो उसने नीचे जमीन पर चादर डाली और वहीं सोने का नाटक करने लगी और टीवी भी देखने लगी।

अब वह बहुत ही गर्म हो चुकी थी। उस आदमी ने शायद बहुत ही गर्म किया था। मैं उस आदमी का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि उसके कारण मुझे अपनी बड़ी बहन को चोदने का आनन्द आज तक मिल रहा है।

फिर तक़रीबन आधे घंटे बाद वह उठी और मेरे पास आकर लेट गई और मुझे टीवी बंद करने को बोला जिससे की कमरे में अँधेरा हो जाए।

मैंने वैसे ही किया। कुछ देर बाद मैं भी गर्म हो गया और सोचने लगा कि क्या किया जाये।
अँधेरे में हम एक दूसरे को प्यासी नजरों से घूर रहे थे पर किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी।
तब उसने पहला कदम उठाया और मुझे कान में पूछा कि कहीं कुछ होगा तो नहीं?
मैं समझ गया कि इसका मतलब क्या है तो मैंने उसे कहा- कुछ नहीं होगा अगर हम सावधानी से काम लें।

फिर वह मुझसे लिपट गई। यह मेरा पहला अनुभव था कि कोई लड़की मुझसे लिपटी।

उस वक्त मैंने तम्बाकू खा रखी थी इसलिए मैंने उसको बोला- तुम रुको, मैं बाहर जाकर देख कर आता हूँ कि सब सोये हुए हैं या नहीं। फिर मैं बाहर जाकर सबको देखा तो सब सो रहे थे और मैं तम्बाकू थूक कर आया।

अब हम दोनों अन्दर अकेले अँधेरे में थे।
तो वह बोली- जल्दी करो!

तो मैं उसके पास जाकर उसको लिपट गया। कुछ देर बाद ऐसे ही पड़े रहेने से मेरा छः इंच का लण्ड काफी सख्त हो गया और मैं धीरे धीरे उसके मम्मे सहलाने लगा। कभी उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरता तो कभी चूतड़ों पर्।

वह बहुत गर्म हो चुकी थी तो उसने बिना कुछ बोले अपनी नाईटी उतार दी। तब वह सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। फिर मैंने उन्हें भी उतार दिया, अब वह बिल्कुल नंगी मेरे सामने पड़ी थी। फिर मैंने अपने कपड़े भी उतारे और नंगा हो गया।

कभी मैं उसके चुच्चे दबाता तो कभी कूल्हों पर हाथ फिराता। वह काफी आवाजें निकाल रही थी- ऊ… ऊउह… आ… आअह्ह… कुछ कर! जल्दी… कर!
फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत में डाला तो वह कुछ धीरे से चीख पड़ी।
तो मैंने उसे कहा- आवाज़ मत करो!
तो वह बोली- ठीक है।

तो मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा लेकिन उसकी आवाजें बंद नहीं हो रही थी।
मैं फिर से उससे बोला- आवाज़ नहीं निकालना।
लेकिन वह बोली- आवाजें अपने आप आ रही हैं, मैं कोशिश कर रही हूँ कि आवाज न आए!

पर मेरे धक्के देने से अपने आप ही उसके मुँह से आवाज़ें आ रही थी। तब मैंने सोचा कि जब इसकी गाण्ड में डालूँगा तो यह कितना चिल्लायेगी।

पर मैं अपने क्लाईमैक्स पर था तो उसकी एक नहीं सुनी और मैंने अपना पानी उसकी जाँघों में छोड़ दिया। अच्छा हुआ कि मैंने छुटने से पहले अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल लिया था।

इस दरमियान वह भी झड़ चुकी थी या नहीं, मुझे नहीं पता।

मेरी सेक्सी कहानी कैसी लगी?
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top