दीदी के दूध की चाय से चुदाई तक का सफर- 1

(Hot Sister Brother Kahani)

हॉट सिस्टर ब्रदर कहानी में मैं अपनी बहन के घर गया. उनका छोटा बच्चा था तो दीदी की चूचियों में दूध भरा हुआ था. मेरा मन कर रहा था कि मैं दीदी की बड़ी चूचियां चूस लूं.

दोस्तो, मेरा नाम विजय है, मेरी उम्र 20 साल है। मैं दिखने में हैंडसम हूँ, जिम भी जाता हूँ और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है।

मैं आज आप लोगों को एक बेहतरीन स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ, जो एक भाई-बहन की है।
इसे पढ़कर आपके लंड और चूत से पानी निकलने लगेगा!

मैं सबसे पहले अपने परिवार का परिचय आपसे करवा देता हूँ।

मेरे परिवार में मेरे अलावा मम्मी, पापा और दीदी हैं।

मम्मी का नाम रेखा है, उनकी उम्र 45 साल है।
मम्मी दिखने में खूबसूरत हैं और उनके बूब्स और गांड बहुत बड़ी हैं।

अब परिवार में दूसरे सदस्य मेरे पापा हैं, जिनका नाम विकास है और उनकी उम्र 52 साल है।
पापा दिखने में हट्टे-कट्टे हैं और उनका कपड़े का कारोबार है।

अब बात करते हैं इस हॉट सिस्टर ब्रदर कहानी की नायिका, यानी मेरी दीदी की, जिनका नाम उषा है।
उनकी उम्र 26 साल है।
वह दिखने में बहुत खूबसूरत हैं और थोड़ी मोटी भी हैं।
उनके बूब्स और गांड बहुत बड़ी-बड़ी हैं।
दीदी की शादी दो साल पहले हो चुकी है और उनका एक साल का बेटा भी है।

दीदी की शादी हो जाने के बाद घर में सिर्फ हम तीन लोग ही रहते हैं।

मैं बी.ए. द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा हूँ और अभी हाल ही में मेरे एग्ज़ाम एक हफ्ते पहले खत्म हुए हैं।

मैं घर में ही रहता हूँ, टीवी देखता हूँ, मोबाइल चलाता रहता हूँ। लेकिन मैं काफी दिनों से घर में रहकर बोर हो चुका हूँ।
इसलिए मैं कहीं घूमने जाना चाहता हूँ ताकि मैं फ्री महसूस कर सकूँ।

मैंने कुछ देर तक मोबाइल चलाया।
जब मैं फिर से बोर होने लगा, तो मैं अपने कमरे से निकलकर मम्मी के पास चला गया और उन्हें बोर होने की बात बताई।

मैंने कहा, “मम्मी, कहीं घूमने का मन कर रहा है!”

मम्मी, “बेटा, तू एक काम कर। तुझे घूमने ही जाना है तो अपने दीदी के यहाँ चला जा। इससे तू अपनी दीदी से मिल भी लेगा और तेरा घूमना भी हो जाएगा!”

मैं, “हाँ मम्मी, आप ठीक कह रही हो! कब से मैं दीदी से नहीं मिला हूँ। दीदी भी मुझसे मिलकर बहुत खुश हो जाएगी!”

चूँकि दीदी की शादी दो साल पहले हुई थी और शादी के बाद दीदी सिर्फ दो या तीन बार ही आई थीं।
फिर उसके बाद से वह अपने ससुराल में ही ज्यादा रहती थीं और अपने मायके नहीं आ पाती थीं।

मैंने मम्मी की बात मानकर अगले दिन की नाइट बस बुकिंग कर ली और सामान पैकिंग करने लगा।
सामान पैकिंग करने के बाद मम्मी और मैंने दीदी के लिए मिठाई बनाई और फिर डिनर करके अपने-अपने कमरे में सोने चले गए।

अगली सुबह मैं बहुत बेसब्री से रात होने का इंतज़ार कर रहा था कि कब रात हो और मैं बस पकड़कर दीदी के गाँव पहुँचूँ।
लेकिन आप लोग तो जानते ही होंगे कि कहीं जाना हो तो उस दिन वक्त जल्दी बीत जाता है।

हुआ भी वैसा ही, कब रात हो गई, पता ही नहीं चला। मैंने मम्मी को बाय बोलकर बस स्टेशन चला गया।

करीब आधे घंटे बाद मेरी बस आई और मैंने जो स्लीपर लिया था, उसमें चढ़कर सो गया।

हमारे घर से दीदी का घर 300 किमी. है। इस हिसाब से अब मैं सुबह 8 बजे से पहले नहीं पहुँच सकता था।
तो मैं चुपचाप सो गया।

लेकिन जब बस खराब रास्ते से गुजर रही थी, तो मेरी आँखें खुल गईं और फिर सारी रात मुझे नींद नहीं आई।

जैसे-तैसे करके मैं दीदी के गाँव पहुँचा।

दीदी का गाँव बहुत ही पिछड़ा हुआ और एकदम देहात था।

यहाँ से दीदी का ससुराल कोई 2 किमी. के करीब था।
परन्तु यहाँ कोई ऑटो-रिक्शा नहीं चलते थे।
इसका मतलब था कि मुझे दीदी के ससुराल तक पैदल ही यात्रा करनी पड़ेगी।

मैं पैदल ही दीदी के घर तक जाने के लिए निकल पड़ा।
चूँकि मैंने दीदी को कोई फोन या किसी अन्य माध्यम से नहीं बताया था कि मैं उनके पास मिलने आ रहा हूँ और न ही मम्मी ने उन्हें बताया था क्योंकि हम लोग दीदी को सरप्राइज़ देना चाहते थे।

धीरे-धीरे करके मैं आखिरकार दीदी के घर पहुँच गया और मैंने दीदी के घर के दरवाज़े पर नॉक किया।

दीदी ने अंदर से आवाज़ दी, “कौन है? अभी आई…”
फिर दीदी ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखकर खुश हो गईं।

मैंने दीदी के पाँव छुए और फिर घर के अंदर आया।

दीदी, “क्या भाई, तुमने आने से पहले मुझे क्यों नहीं बताया? कम से कम तुम्हारे आने से पहले मैं नाश्ता तो ज़रूर बनाकर रखती!”
मैं, “अरे दीदी! मैं आपको सरप्राइज़ देना चाहता था, इसलिए मैंने घर में मम्मी को भी मना किया था!”

दीदी, “सच में भाई, तू एकदम पागल है! अपने दीदी से मिलने में कैसा सरप्राइज़!”
और दीदी हँसने लगीं।

मैं दीदी को ही एकटक देखने लगा कि हँसते हुए दीदी कितनी प्यारी लग रही हैं।
मैं अपनी दीदी से एक साल बाद मिल रहा था और इस एक साल में दीदी कितनी बदल गई थीं।

दीदी ने लाल रंग की साड़ी और हरे रंग का ब्लाउज़ पहना हुआ था।
दीदी ने अच्छा-सा मेकअप किया हुआ था।
माँग में सिन्दूर, होठों पर लिपस्टिक, गले में मंगलसूत्र, हाथों में सोने के कंगन और पैरों में पायल।

मेरी दीदी अब पहले से थोड़ी मोटी लग रही थीं।
पहले से अब उनके बूब्स और गांड काफी बड़े-बड़े लग रहे थे।
कुल मिलाकर मेरी दीदी मुझे पहली बार किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं।

दीदी को देखकर मेरे लंड में पहली बार हलचल होने लगी।
अब दीदी भी मेरी नज़र को भाँप गईं कि उनका भाई उन्हें देखकर ही ललचा रहा है।

दीदी, “भाई, ऐसे क्या देख रहे हो अपनी दीदी को? आज से पहले नहीं देखा था क्या मुझे?”
मैं, “नहीं दीदी, ऐसी बात नहीं है। आप आज बहुत सुन्दर लग रही हो, इसलिए!”

दीदी, “अच्छा भाई, धन्यवाद! लेकिन अब मुझे ही देखते रहोगे या फ्रेश भी होने जाना है?”
मैं, “हाँ दीदी, फ्रेश होकर आता हूँ। वैसे भी रातभर बस में ठीक से सो नहीं पाया हूँ। तो एक काम करो, मेरे लिए मस्त दूध वाली चाय अदरक डालकर बना दो, जिससे मेरा मूड फ्रेश हो जाए!”

इतना कहकर मैं फ्रेश होने चला गया और दीदी किचन में चली गईं।

जब दीदी किचन में गईं तो सोचने लगीं कि हम लोग तो घर में बाहर से दूध खरीदते नहीं हैं। फिर भाई को दूध वाली चाय कैसे बनाकर दूँगी?
भाई को काली चाय बचपन से पसंद नहीं है। अब क्या करूँ?

कुछ देर सोचने के बाद दीदी ने अपनी साड़ी का पल्लू साइड करके अपने ब्लाउज़ और ब्रा को ऊँचा करके पहले अपनी लेफ्ट वाली चूची निकालकर उसे चाय बनाने वाले पतीले के सामने दबाने लगीं।
दीदी के बूब्स से दूध की पिचकारी निकलने लगी, जो चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ पतीले में गिरने लगी।
दीदी ने अपनी राइट वाली चूची निकालकर उसे दबाया और दोनों बूब्स से दो कप चाय बन जाए, उतना दूध निकाला।
फिर अपनी चूची को ब्लाउज़ में डालकर पल्लू ठीक कर लिया।

इधर, जब मैं फ्रेश होने गया.
दीदी के घर में अटैच बाथरूम है।
यहाँ नहाने और फ्रेश होने का काम एक साथ किया जा सकता है।

जब मैं फ्रेश होने के बाद नहाने का सोच रहा था, तभी मेरी नज़र दीदी की ब्रा और पेंटी पर पड़ी, जो शायद दीदी अभी तक नहीं धो पाई थीं और मेरे आने से उनका ध्यान उस पर नहीं गया था।

पता नहीं क्यों, दीदी की ब्रा और पेंटी को देखने के बाद से मेरा मन विचलित होने लगा।
मैं चाहकर भी अपने आप को उनकी ब्रा और पेंटी को हाथ लगाने से नहीं रोक सका।

मैंने देखा कि दीदी की ब्रा काफी बड़ी थी और पेंटी छोटी-सी।
जबकि दीदी की गांड तो बहुत बड़ी है।

पर जो भी हो!

मैंने जब ब्रा और पेंटी को अच्छे से देखा, तो दीदी की ब्रा पर सफेद-सफेद दाग थे और पेंटी में जहाँ चूत होती है, वहाँ हल्की गीली-सी थी।
मैं ज्यादा देर न करते हुए दीदी की ब्रा और पेंटी को सूँघने लगा।

दीदी की ब्रा से मस्त दूध की खुशबू आ रही थी।
शायद दीदी का दूध दबकर ब्रा में निकल गया होगा।
और पेंटी को सूँघा, तो मस्त भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी, जिसे सूँघने पर मुझे नशा-सा हो रहा था।
अपने आप मेरा लंड खड़ा होने लगा।

तभी दीदी की आवाज़ आई, “भाई, जल्दी करो, नहीं तो चाय ठंडी हो जाएगी!”

मैंने दीदी की ब्रा और पेंटी को जैसे का तैसा रख दिया और जल्दी से नहाकर निकल गया।
लेकिन मेरा मन अभी भी बहुत बेचैन था।

बाहर आते ही दीदी बोली, “क्या भाई, इतनी देर लगा दी! चलो, जल्दी से चाय और नाश्ता कर लो!”

मैं, “हाँ दीदी!” कहकर चाय पीने लगा।
दीदी भी चाय पी रही थीं।
चाय का टेस्ट मुझे थोड़ा अलग लग रहा था, परन्तु बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा था।

मैंने दीदी से पूछा, “दीदी, मैं रोज़ चाय पीता हूँ, लेकिन आज की चाय कुछ अलग और बहुत स्वादिष्ट लग रही है!”

दीदी मुस्कुराते हुए बोलीं, “तुम भी ना भाई! लगता है अपनी दीदी के हाथ की चाय बहुत दिन बाद पी रहा है, इसलिए वैसी लग रही है!”

मैं, “हाँ दीदी, हो सकता है। पर ऐसी चाय अब रोज़ पीने का मन ज़रूर करेगा!”
दीदी, “तो भाई, मैं हूँ ना! तुझे रोज़ ऐसी चाय पिलाऊँगी!”

फिर मैंने और दीदी ने साथ में चाय और नाश्ता करते हुए इधर-उधर की बहुत बातें कीं।
मैंने मम्मी की बनाई हुई मिठाई दीदी को दी और दीदी से जीजू के बारे में पूछा।

दीदी, “तुम्हारे जीजू ऑफिस के काम के लिए कल से गए हुए हैं और अब एक महीने बाद ही आ पाएँगे।”

फिर मैंने दीदी से उनके बच्चे के बारे में पूछा।
दीदी मुझे अपने बेडरूम में ले गईं, जहाँ उनका बच्चा झूले में सो रहा था।

उसके बाद दीदी ने मुझे वहाँ बेड पर आराम करने को कहा और घर के काम करने चली गईं।
मैं भी रात को ठीक से न सो पाने के कारण कब सो गया, पता ही नहीं चला।

फिर दोपहर को दीदी कमरे में आईं और मुझे लंच करने को कहा।
हम दोनों ने साथ में लंच किया।

इस दौरान मेरी नज़र दीदी के बड़े-बड़े बूब्स पर ही ज्यादा थी।
दीदी ने मुझे उनके बूब्स को घूरता हुआ देख लिया था परन्तु इस बार कुछ नहीं कहा।

हमने जल्दी खाना खा लिया।

फिर मैं और दीदी साथ में टीवी देखने लगे और इधर-उधर की बात करने लगे।
तभी बच्चे की रोने की आवाज़ आई।

दीदी वहाँ से उठकर बच्चे के पास जाने लगीं।
मेरी नज़र दीदी की गांड पर गई।

जब दीदी चल रही थीं, तो उनकी गांड क्या ऊपर-नीचे हो रही थी!
एकदम लंड खड़ा कर देने वाला दृश्य था।

मैं अपने लंड को सहलाने लगा।
तभी दीदी बच्चे को लेकर मेरी तरफ आने लगीं।
मैंने अपने लंड को जल्दी से पैंट में एडजस्ट कर लिया।

अब दीदी मेरे सामने सोफे पर बैठकर बच्चे को अपना दूध पिलाने लगीं और मुझसे बात भी कर रही थीं।

मैं बात करते हुए उनकी नंगी चूची देखने की फिराक में था।
लेकिन दीदी ने अपने पल्लू से ऐसा कवर किया हुआ था कि कुछ भी नहीं दिख सका।

फिर शाम को मैं और दीदी बच्चे को सुलाकर खेत की तरफ चले गए।
तब दीदी ने अपनी पूरी ज़मीन दिखाई।

दोस्तो, हमने दीदी की शादी गाँव में इसलिए की थी क्योंकि जीजू के पास बहुत सारी ज़मीन थी।

करीब एक घंटे तक मैंने सारी ज़मीन देख ली।
फिर शायद दीदी का ब्लाउज़ गीला होने लगा।

दीदी ने कहा, “चलो, जल्दी घर चलते हैं। बच्चा उठ गया होगा।”
मैं और दीदी जल्दी घर आ गए।

देखा, बच्चा अभी भी सो रहा था।
दीदी ने उसे उठाया और अपना दूध पिलाया।

उसके बाद हमने रात को डिनर किया और दीदी ने मुझे दूसरे कमरे में सोने के लिए भेज दिया।
फिर हम सब सो गए।

इसी तरह तीन-चार दिन बीत गए।
मगर मुझे कुछ भी नहीं मिला जो मैं चाहता था।

लेकिन अगले दिन जो हुआ, वो मेरे लिए किसी सपने जैसा ही था, जो पूरा हुआ।
वो सब अगले भाग में!

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हॉट सिस्टर ब्रदर कहानी का अगला भाग: दीदी के दूध की चाय से चुदाई तक का सफर- 2

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