जुड़वां बहन के संग हनीमून सेक्स- 3
(My Sister Girlfriend Hot Kahani)
माय सिस्टर गर्लफ्रेंड हॉट कहानी में मैं अपनी बहन के साथ होटल के कमरे में अपनी गर्लफ्रेंड से फोन सेक्स कर रहा था. मेरी बहन हमारी बातें सुनकर गर्म हो गयी.
फ्रेंड्स, मैं शौर्य आपको अपनी भाई बहन सेक्स कहानी में पुनः मजा देने हाजिर हूँ.
इस कहानी के पिछले भाग
बहन के साथ होटल में हनीमून सूट में
में आपने पढ़ा था कि मैं और मेरी जुड़वां बहन रश्मि शॉपिंग करके वापस अपने होटल के कमरे में आ गए और तभी निमिता का मैसेज आया.
अपनी गर्लफ्रेंड का मैसेज पढ़ कर मैं सोच में पड़ गया.
एक तरफ निमिता है, जिसके साथ मैं फ़ोन सेक्स से हस्त मैथुन करके सो जाऊंगा.
दूसरी तरफ रश्मि है, एक जीती जागती परियों सी सुंदर अप्सरा.
अगर मैं थोड़ी कोशिश करूँगा तो आज अच्छे से मुझे रश्मि की चुत चोदने को मिल जाएगी.
एक अनछुई कुंवारी बुर …
फिर ध्यान आया रश्मि मेरी बहन है, मैं उसके साथ सम्भोग कैसे कर सकता हूँ.
पति पत्नी का नाटक तो ठीक है, पर सम्भोग … नहीं नहीं!
मैं इसी उधेड़बुन में था, तभी सन्नाटे को चीरती हुई रश्मि की आवाज़ आयी- किसका मैसेज है भाई!
अब आगे माय सिस्टर गर्लफ्रेंड हॉट कहानी:
रश्मि के मुँह से भाई सुनते ही मुझे पता चल गया कि वह अपने पत्नी वाले रूप से बाहर आ गयी है.
हमारे बीच जो पल कल्पनाओं में चल रहा था और जिस पल में मैं उसकी चुत चोद सकता था, वह पल टूट चुका था.
मैं अपने ख्यालों से बाहर आ गया- निमिता का मैसेज है यार.
रश्मि- तो बात कर लो न … इतना क्या सोच रहे हो. कुछ पर्सनल बात करनी है … तो मैं बाहर चली जाऊं!
इतना कह कर उसने एक आंख मारी.
मैं- कोई पर्सनल बात नहीं है. ऐसे ही हम जो हर रोज़ बात करते वही है. तू सुन भी लेगी तो क्या होगा!
रश्मि- अच्छा अगर ऐसा है, तो आज जब बात करना … तो स्पीकर पर डाल कर बात करना. मैं भी तो सुनूं कि तुम दोनों रोज़ क्या बात करते हो?
मैंने भी उसे टालने के लिए बोल दिया कि अच्छा सुन लेना.
मैं- पहले कपड़े बदल कर सोने का इंतजाम करें?
‘हां ओके.’
फिर मैंने निमिता को मैसेज कर दिया कि आधा घंटा में फ़ोन करता हूँ.
कमरे में एक ही बिस्तर था तो मैंने रश्मि से कहा- तू बिस्तर पर सो जा … मैं वहां सोफे पर सो जाता हूँ.
रश्मि- इतना बड़ा तो बिस्तर है. हम दोनों आराम से सो सकते हैं. फिर सोफे पर क्यों कमर टेढ़ी करनी तुम्हें? दो कम्बल हैं न … एक तुम लेकर सो जाओ, एक मैं ले लेती हूँ.
मैं- मुझे लगा तुझे झिझक होगी एक बिस्तर पर सोने में?
रश्मि- जुड़वां भाई है तू मेरा … तेरे साथ मां के पेट में सोई हूँ नौ महीने … यहां क्यों झिझक होगी. हां अगर तुझे अलग सोकर निमिता के साथ कुछ पर्सनल करना है … तो अलग बात है!
इतना कह कर वह हंसने लगी.
मैं थोड़ा झेंप गया.
अब उसे कैसे बताता कि रात में हम फ़ोन सेक्स करने वाले हैं.
इधर निमिता को भी नहीं बता सकता था कि मैं और मेरी बहन होटल के कमरे में एक ही बिस्तर पर सोये हुए हैं.
मैं- अच्छा चल कपड़े बदल करके आ … फिर सोते हैं.
रश्मि थोड़ी देर में बाथरूम जाकर कपड़े बदल कर आ गयी.
उसने एक चुस्त हाफ पैंट और एक शर्ट पहनी थी.
शर्ट के ऊपर की एक बटन खुली थी और उसके स्तन थोड़ा ढलके हुए से थे, जिन्हें देखने से साफ़ पता चल रहा था कि उसने ब्रा नहीं पहनी है और पैंट के आकार से साफ लग रहा था कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी है.
वह बिस्तर पर आकर अपना कम्बल ओढ़ कर लेट गयी.
थोड़ी देर में मैं भी अपना पायजामा और टी-शर्ट पहन कर सोने के लिए आ गया.
रश्मि- अब करो निमिता को फ़ोन … मैं भी तो सुनू कि तुम दोनों क्या बातें करते हो?
मैं- तुझे सच में हमारी बात सुननी है?
रश्मि- हां, तूने ही तो बोला था. कहीं तुम दोनों को वह सब तो नहीं करना?
मैं- वह सब क्या?
रश्मि- अरे फ़ोन सेक्स!
रश्मि के मुँह से फ़ोन सेक्स सुन कर मैं अवाक रह गया- तुझे पता है फ़ोन सेक्स?
रश्मि- मेरी शादी हो चुकी है. शादी के पहले मैंने भी रोहित के साथ बहुत फ़ोन सेक्स किया है. वह तब भी जल्दी झड़ कर मुझे बीच में छोड़ देता था. तब अंदाजा नहीं था कि वह सही में भी इतना जल्दी झड़ जाता है. चलो तुम दोनों करो बातें … मैं सोती हूँ. मुझे नहीं सुनना तुम दोनों की कामक्रीड़ा!
वह थोड़ा मुस्कुरा कर दूसरी तरफ मुँह करकर सो गयी.
मुझे उसकी मुस्कुराहट में एक उदासी और एक खालीपन सा दिखा.
मुझे लगा शादी के बाद भी उसे शारीरिक सुख नहीं मिला, शायद इस वजह से ये उदासी और खालीपन है.
फिर मैंने सोचा मोबाइल की थोड़ी आवाज़ तेज़ कर देता हूँ ताकि रश्मि को हमारा फ़ोन सेक्स साफ़ सुनाई दे.
इससे उसका थोड़ा तो पानी निकलेगा. हो सकता है थोड़ी तृप्ति भी मिल जाए उसे!
उसके बाद कमरे की बत्ती बुझा कर नाइट बल्ब जला दिया और निमिता को फ़ोन मिलाया- हैलो मेरी जान … मैं आ गया!
निमिता- आओ मेरी जान … चूसो मुझे!
रश्मि बगल में सोई थी इसलिए मुझे खुल कर बोलने में थोड़ी परेशानी हो रही थी.
पर मुझे अपना फ़ोन सेक्स उसे सुनाना भी था.
तो मैंने निमिता को बोला- बेबी, क्या आज तुम मुझे पूरा चूसोगी और चाटोगी. तुम्हें जैसे मन करे … मेरे साथ करो!
निमिता- हाय मेरी जान, तुझे तो आज खा जाउंगी. ये मैंने तेरे होंठों को चूसना शुरू किए … अम्म्म उमाह अम्म् अम्म्म … अब मैं तेरे गले पर काट रही हूँ … उम्ह … साले कितना नमकीन लौंडा है तू!
मैं- आह बेबी और चूसो.
निमिता- अब मैं तेरा पायजामा उतार कर तेरा लंड चूसने जा रही हूँ … ले ये मैंने तेरे लौड़े को मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया … अम्म्म अम्म् अम्म्म कितना मोटा लवड़ा है तेरा … लवड़ा क्यों बोली … मालूम है?
मैंने कहा- नहीं … तुम बताओ न!
वह बोली- इसमें लव आता है और लवड़ा मतलब बड़ा वाला लव करने वाला लंड!
मुझे उसकी बात सुनकर बड़ा अच्छा लगा क्योंकि मेरी बहन भी शायद मेरे लौड़े के बारे में सुनकर मजा ले रही थी.
मैं- आह बेबी चूसो न … बहुत मजा आ रहा है!
निमिता- अब मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और तुम्हें अपने ऊपर ले आयी हूँ. अब तुम मेरी चुत के पास हो और अपनी जीभ मेरी चुत में डाल रहे हो. आअह्ह्ह … मेरी चुत … तुम अपनी पूरी जीभ मेरी चुत में डाल कर ज़ोर ज़ोर से घुमा रहे हो … आअह् आअह्ह आअ शह्ह्ह उय्य्यी इइ. मैं गयी आअह्ह्ह!
निमिता बुरी तरह से हांफने लगी.
मुझे समझ में आ गया कि उसके छेद से रस का स्खलन हो गया है.
थोड़ी देर में वह थक कर सो गयी.
मेरा स्खलन अभी भी नहीं हुआ था. मेरा लंड पूरे तनाव में था.
मुझे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था कि निमिता बिना मेरा स्खलन कराये सो गयी.
तब मुझे रश्मि की भावनाओं का अहसास हुआ कि उसे कैसा लगता होगा जब रोहित उसकी आग भड़का कर झड़ जाता है.
मुझे तो फ़ोन सेक्स पर स्खलन न होने पर इतना गुस्सा आ रहा तो रश्मि का गुस्सा तो जायज़ है.
मुझे लगा अगर उसने हमारा फ़ोन सेक्स सुना होगा तो शायद उसे कुछ तृप्ति मिल गई होगी.
तभी मुझे बिस्तर पर कुछ हलचल होती महसूस हुई.
मैंने पलट कर देखा तो रश्मि कुछ बेचैन सी दिखी.
वह कभी अपने पैर सिकोड़ रही थी तो कभी सीधे करके दोनों पैर आपस में रगड़ रही थी.
यह देख कर मुझे ऐसा लगा मानो उसके शरीर में बहुत हलचल मची हो और वह खुद से अपने शरीर को मसल रही हो.
उसके हिलने से उसकी कमर के नीचे से कंबल हट गया और मुझे उसके गोल गोल कूल्हे दिखाई देने लगे.
उफ़ … क्या उभरे हुए गोल कूल्हे थे.
मैं सोच रहा था कि मैंने अपनी बहन को आज तक इतना गौर से पहले क्यों नहीं देखा.
उसके भरे हुए कूल्हे देख कर मेरे लंड में और तनाव आ गया.
मुझे लगा मेरा लंड पैंट फाड़ कर अभी बाहर आ जाएगा और रश्मि की पैंट को चीरता हुआ सीधा उसकी गुदा में प्रवेश कर जाएगा.
मैं धीरे धीरे पैंट में हाथ डाल कर अपने लंड को मसलने लगा.
पर जब सामने साक्षात रस चुहचुहाती हुई चुत हो तो हस्त मैथुन से क्या होगा!
मेरे दिल में बेचैनी बढ़ती जा रही थी.
उधर रश्मि कभी अपने पैरों को मोड़ रही तो कहीं सीधा कर रही थी, जिससे उसके कूल्हे ऊपर नीचे उछाल मार मार कर मानो आमंत्रण दे रहे थे कि आओ मेरी गुदा का भोग करो.
मैं बहुत मुश्किल से अपने लंड पर हाथ फेर कर उसे समझा रहा थे कि मान जा वह बहन की गुदा है … उसमें जाना ठीक नहीं है.
पर लिंग और गर्म होकर बाहर आने को तैयार था.
तभी मैंने महसूस किया कि रश्मि की हलचल बंद हो गयी.
थोड़ी देर के लिए उसका शरीर स्थिर हो गया.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैंने अपना फ़ोन सेक्स उसे सुना कर उसको तृप्त किया या उसकी आग और भड़का दिया?
इधर मेरा लंड तनाव में हिलोरें मारने लगा था.
मुझे रश्मि की सारी स्थिति समझ आने की लगी कि कैसा लगता है जब वासना की आग जगा कर बुझाई न जाए!
तभी रश्मि ने करवट बदली और मेरी तरफ मुँह करके सोने लगी.
मैंने देखा कि उसके चेहरे पर अब शांत भाव था.
मैंने थोड़ी नज़र नीचे की तो मेरी नज़र उसकी छाती पर पड़ी.
कंबल हटा हुआ था.
उफ्फ … क्या नजारा था.
मेरा लंड फिर से हरकत में आ गया.
रश्मि ने अपनी शर्ट के अब 3 बटन खोल रखे थे.
उसके दोनों स्तन शर्ट से झांक रहे थे.
कमर के बल सोने से उसके उसके दोनों स्तन आपस में चिपक गए थे और बिस्तर के दबाव से दोनों बाहर आने को तैयार थे.
मुझे मन हुआ कि अपने हाथ से शर्ट थोड़ी सरका दूँ तो शायद एक स्तन बाहर आ जाए और रश्मि के एक निप्पल का दर्शन हो जाए!
बड़ी मुश्किल से मैंने अपने हाथ को रोका.
फिर मैं अपने हाथ को अपने लंड के पास ले गया और रश्मि के स्तन निहारते हुए हस्तमैथुन करने लगा.
रश्मि के स्तनों ने मेरे मन को ऐसा आकर्षित किया कि मेरा लंड थोड़ी ही देर में हिचकोले मारता हुआ वीर्य निकालने को तैयार हो गया.
मैंने ज़ोर से अपने लंड के अगले हिस्से को पकड़ा ताकि वीर्य बाहर निकल कर मेरे पायजामे और बिस्तर पर न लग जाए.
बस कुछ ही झटकों में मेरे लंड ने पूरा वीर्य उगल दिया, जिसे मैंने लंड और उसके सुपारे को ढकने वाली खाल के बीच कैद कर दिया था.
फिर मैं धीरे से उठा और बाथरूम जा कर खुद को अच्छे से साफ़ करके आ गया.
मैं बिस्तर पर वापस से लेट गया.
पूरी तरह स्खलित होने के बाद मेरे मन में आत्मग्लानि होने लगी.
मैं सोचने लगा कि ये मुझे क्या हो गया है.
अगर रश्मि को पता चल गया तो क्या सोचेगी मेरे बारे में?
वह मेरे भरोसे अपने पति का इलाज कराने आयी है और मैं उसके प्यार में उसकी तरफ ही आकर्षित हो रहा हूँ.
मैंने देखा रश्मि के दोनों स्तन अभी ही उसी स्थिति में थे.
मैंने धीरे से कम्बल खींच कर रश्मि को पूरा ओढ़ाया और दूसरी तरफ मुँह करके सोने लगा.
मेरा दिमाग बहुत असमंजस में था.
ये सब सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.
सुबह मेरी नींद रश्मि की आवाज़ से खुली- भाई उठो, चलो नीचे नाश्ता करने चलना है … नहीं तो नाश्ता बंद हो जाएगा!
मैं- क्या टाइम हो रहा है?
रश्मि- अभी 9 बज रहे है. बस 10 बजे तक ही नाश्ते का टाइम है. नहा कर तैयार हो जाओ, फिर नीचे चल कर नाश्ता करके आते हैं.
मैं- हां चलते हैं. तू नहा लिया?
रश्मि- हां मैं तैयार हूँ. अब तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ. लगता है कल रात निमिता ने बहुत मेहनत करवा दी. बस मैं तुम दोनों की काल्पनिक सुहागरात में हड्डी बनी रही!
इतना कह कर रश्मि हंसने लगी.
मैंने सर झुका लिया.
रश्मि को इस बात का अहसास हो गया.
वह मेरे पास आयी और सर पर हाथ फेर कर बोली- तू भी न भाई. मुझे पता है कि तुझे क्या लग रहा. यही ना कि तूने अपनी बहन के बगल में सो कर ये सब कैसे कर लिया? अरे यार, हम दोनों अब बड़े हैं. हमारी कुछ शारीरिक जरूरतें हैं. तू इतना मत सोच … तू भी तो आया न मेरे साथ इतना दूर … अपना सब काम छोड़ कर ताकि मैं अपने पति का इलाज़ करवा सकूं और अच्छे से शारीरिक सुख पा सकूं!
मुझे मन तो हुआ कि पूछ लूँ कि क्या तूने भी हमारा फ़ोन सेक्स सुना, पर उसकी अगली बात सुन कर मैं सन्न रह गया.
रश्मि- और अगर तू ये सोच रहा कि तू ये सब करते हुए मुझे या मेरे शरीर को निहार रहा था, तो उसमें ग्लानि मत कर. ये एकदम स्वाभाविक है. अब मैं हूँ ही इतनी सुन्दर तो कोई क्या करे!
उसने ऐसे इठलाते हुए बात कही कि मेरा मन तो किया उसे खींच कर बिस्तर पर गिरा लूँ और चुम्बनों से सारा शरीर भर दूँ.
पर मैंने पुनः अपने अरमान सम्हाले और बाथरूम की ओर चल दिया.
उसकी बातें सुन कर मैं अपनी आत्म ग्लानि से बाहर आ गया था.
क्योंकि जब मेरी बहन को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता तो मैं ही क्यों जयादा सोच रहा!
कुछ देर बाद हम दोनों तैयार हो कर नाश्ता करने पहुंचे.
नीचे हमें होटल मैनेजर ने बताया कि आज होटल के मालिक की शादी की सालगिरह है, इस उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उनके होटल में हमें मिला कर 5 नवविवाहित जोड़े हैं, जो इस कार्यक्रम में होने वाले कुछ खेलों में भी हिस्सा लेंगे.
उसने हमें भी आमंत्रित किया और कहा कि कार्यक्रम 5 बजे से शुरू होगा.
मैंने रश्मि की तरफ देखा तो उसने सर हिला कर हामी भर दी.
फिर हम दोनों नाश्ता करने चल दिए.
मैं- यार, हमने हां तो कर दी है, पता नहीं किस तरह के खेल होंगे. सब पति पत्नी आराम से कर लेंगे पर हम कैसे करेंगे?
रश्मि- यार, तू हर चीज़ में परेशान जल्दी हो जाता है. शाम को देखेंगे क्या करना है. अभी आराम से नाश्ता कर! उसके बाद चल शिमला घूम कर आते हैं. एक दिन की और बात है, निकाल लेंगे कैसे भी. कहीं उस रिसेप्शनिस्ट ने सुन लिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे.
हमने नाश्ता किया, फिर शिमला घूमने निकल गए.
बीच में रश्मि ने कहा कि उसे ब्यूटी पार्लर जाना है तो मैं उसे ब्यूटी पार्लर लेकर गया.
शाम 4 बजे हम दोनों अपने कमरे पर वापस आ गए.
मैं- शिमला तो बहुत प्यारी जगह है. घूम कर अच्छा लगा न!
रश्मि- हां ठीक है.
मैं- क्या हुआ तुझे पसंद नहीं आया क्या?
रश्मि- ऐसा नहीं है. जगह बहुत अच्छी है. पर सब जोड़ों में घूम रहे थे न .. तो वह देख कर थोड़ा लगा.
मैं- तो हम भी तो जोड़े में ही थे न!
रश्मि- क्या जोड़े में थे, पूरे टाइम तो तू भाई की तरह दूर दूर ही चल रहा था. न एक बार अच्छे से हाथ पकड़ा … न ढंग से कोई साथ में फोटो खिंचाई!
मैं- पर मैं हूँ तो तेरा भाई ही न!
रश्मि- हां भाई है तू मेरा. पर जब से घर से निकले हैं, सब तुझे मेरा पति समझ रहे हैं. मैंने भी तुझसे कल कहा था कि मुझे बस दो दिन अच्छे से अपनी हनीमून वाली लाइफ जीने दे. तूने कहा था तू मेरे साथ है. पर आज फिर से तू वैसे ही हो गया. अब शाम की पार्टी में भी वैसे ही रहोगे तो हम पकड़े जाएंगे!
मैं- सॉरी यार. क्या करूँ बीच बीच में मैं झिझक जाता हूँ!
रश्मि- नाटक ही तो करना है. अन्दर से सब भूल जाओ, सिर्फ ये सोचो कि तुम मेरे पति हो. पूरी पार्टी में बस ये सोचना कि तुम अपने पत्नी के साथ हो और कुछ नहीं. मेरी कसम खाओ कि अब से लेकर जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते, तुम मेरे पति की तरह रहोगे. मुझे ये बचा हुआ समय अपने हनीमून की तरह जीना है.
मैं- तू तो भावुक हो गयी. अच्छा मैं कसम खाता हूँ कि हम जब तक घर नहीं पहुंच जाते मैं पूरे समय तेरे साथ तेरे पति की तरह ही रहूँगा.
रश्मि एकदम से पत्नी के रोल में आती हुई बोली- जी पतिदेव, अब चलिए तैयार हो जाइये हमें नीचे भी जाना है!
मैं- पहना क्या जाए?
रश्मि- आप वह सूट पहन लीजिये, बहुत स्मार्ट लगेंगे. मैं अपना लहंगा पहन लेती हूँ.
मैं- अच्छा चलो आज स्मार्ट लग कर भी देख लेते हैं.
रश्मि- आप बाहर वाले कमरे में कपड़े बदल लीजिये तो मैं इस कमरे में आराम से लहंगा पहन लूँगी. बाथरूम में सही से पहन नहीं पाऊंगी.
मैं- तो मेरे सामने ही कपड़े बदल लो. पति ही तो हूँ तुम्हारा!
मेरे इतना बोलते ही रश्मि एकदम शांत हो गयी और कमरे में सन्नाटा छा गया.
इस माय सिस्टर गर्लफ्रेंड हॉट कहानी के अगले भाग में बताऊंगा कि क्या रश्मि शांत ही रहती है या मुझे कुछ जवाब देती है.
आप अपने विचार मुझे ज़रूर ईमेल करें.
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माय सिस्टर गर्लफ्रेंड हॉट कहानी का अगला भाग: जुड़वां बहन के संग हनीमून सेक्स- 4
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