चचेरे भाई को गे बनने से रोका- 2
(Nude Sister Oral Sex Kahani)
न्यूड सिस्टर ओरल सेक्स कहानी में भाई को गे बनने से रोकने के लिए मैंने उसे अपनी नग्नता दिखाकर लड़की के जिस्म की तरफ आकर्षित किया. उसके बाद उसका लंड भी चूसा.
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कहानी के पहले भाग
चचेरे भाई को गे पोर्न देखते पकड़ा
में आपने पढ़ा कि मेरी चचेरी बहन निशा ने मुझे बताया कि उसका भाई अमर ब्लू फ़िल्में देखने लगा है. मैंने पता लगाया कि वह गे फ़िल्में ज्यादा देखता है, मतलब उसकी रूचि लड़कियों में कम है.
तो निशा ने मुझे कहा कि मैं अपने नंगे जिस्म से अमर की रूचि लड़कियों में जगाऊँ.
मैंने 2-3 बार उसे अपना नंगा बदन दिखाया तो वह मुझमें रूचि लेने लगा था.
अब आगे न्यूड सिस्टर ओरल सेक्स कहानी:
अगले दिन घर पर सिर्फ़ मैं, अमर और निशा ही थे।
चाचा-चाची बाहर गए थे।
अमर मेरे कमरे में था और कोई काम कर रहा था।
मैंने निशा से कहा, “चल यार, पार्टी में जाना है, मैं तैयार होती हूँ!”
उसने कहा, “तू जा, मैं तो चली सोने मम्मी के कमरे में!”
उसके जाते ही मैंने तैयार होना शुरू कर दिया।
मैंने बाथरूम में जाकर सूट सलवार उतार दी और ब्रा-पैंटी में ही अमर के सामने टहलती हुई आ गई।
अमर ने देखा और भौचक्का रह गया।
फिर कुछ पल बाद बोला, “अरे दीदी, ये क्या? आपने कपड़े क्यों उतार दिए?”
वह आँखें बंद करने लगा।
मैंने कहा, “क्यों? तुम्हें क्या! तुम्हें लड़कियों के शरीर में कोई दिलचस्पी तो है नहीं, तो क्या फ़र्क पड़ता है!”
मैं उसके बालों में हाथ फिराते हुए हँसने लगी।
फिर मैं बेड पर बैठी और अपने नाखूनों पर गहरी गुलाबी नेल पॉलिश लगाने लगी।
मैंने उससे कहा, “इधर आ अमर! ले, मेरे पैरों पर भी लगा दे!”
वो घबराता हुआ आया और लगाने लगा।
मैंने पूछा, “कुछ हो तो नहीं रहा ना?”
उसने हकलाते हुए कहा, “नहीं तो दीदी!”
फिर जब नेल पॉलिश सूख गई, तो मैंने उसे दिखाया।
मैंने पूछा, “अच्छी लग रही है ना, अमर?”
उसने थोड़ा हकलाते से स्वर में कहा, “हाँ दीदी, बहुत अच्छी लग रही है!”
फिर मैं हाथों-पैरों पर बॉडी लोशन लगाने लगी, उसे दिखा-दिखाकर।
वो आँखें फ़ाड़-फ़ाड़कर देख रहा था।
मैंने भी अपने पूरे जिस्म को एकदम चिकना कर लिया।
अमर ये सब सामने बैठा देख रहा था।
फिर मैं उठी और बाथरूम में जाकर पहनी हुई ब्रा-पैंटी उतारी।
सेक्सी-सी लाल ब्रा-पैंटी पहनकर बाहर आ गई और एक छोटी-सी ड्रेस ऊपर से पहन ली।
अब अमर का काम पर ध्यान नहीं था।
वो खुलकर मुझे देख रहा था।
मुझे उसकी आँखों में एक लड़की के जिस्म के लिए हवस दिखने लगी।
मैंने अब मेकअप शुरू किया—फ़ेस पाउडर, ब्लश, मस्कारा, काजल, लिपस्टिक वगैरह।
वो मुझे सेक्सी अवतार में बदलते हुए देखता रहा।
बाल बनाकर मैं एकदम हॉट और सेक्सी लग रही थी।
पार्टी के लिए तैयार हो गई।
मैंने उठकर कहा, “कैसी लग रही हूँ, अमर?”
उसने बोला, “वाह दीदी, बिल्कुल बॉलीवुड हीरोइन लग रही हो! बहुत सुंदर हो आप!”
मैंने कहा, “थैंक यू डियर!”
मैंने उसके गाल पर पप्पी दे दी।
प्लान के हिसाब से तभी निशा ने फ़ोन करके कहा, “क्या चल रहा है, मेरी जान?”
मैंने अमर को सुनाने के लिए झूठमूठ की एक्टिंग करते हुए कहा, “क्या? पार्टी कैंसिल! अरे यार, अब क्या करूँ? मैं तो तैयार हो गई थी! चलो, अब क्या कर सकते हैं, बाय!”
मैंने फ़ोन काट दिया।
अमर ने पूछा, “क्या हुआ, दीदी?”
मैंने कहा, “होना क्या था! इतनी मेहनत से तैयार हुई और दोस्तों ने पार्टी कैंसिल कर दी!”
वो बोला, “ओह, ये तो बहुत बुरा हुआ!”
मैंने कहा, “चलो, कोई नहीं! मैं कपड़े बदल लेती हूँ वापस!”
अमर बोला, “थोड़ी देर रहने दो ना दीदी! आप बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही हो इन कपड़ों में!”
मैंने कहा, “अच्छा, तो फिर मैं पार्टी घर पर ही मना लूँगी! वैसे भी चाचा-चाची शाम से पहले नहीं आने वाले, तो पूरा दिन है!”
अमर बोला, “अच्छा आइडिया है! मैं निशा दीदी को भी बुला लेता हूँ!”
मैंने कहा, “वो सो रही है, तो हम दोनों ही कर लेते हैं पार्टी!”
उसने कहा, “जैसा आप ठीक समझो!”
अब तक अमर काफ़ी सामान्य बर्ताव कर रहा था।
पर उसका ध्यान बार-बार मेरे सेक्सी अवतार पर जा रहा था।
वो फ़्रिज से कोल्ड ड्रिंक और चिप्स वगैरह ले आया।
मैंने गाने लगा दिए, हल्की-सी तेज़ आवाज़ पर।
धीरे-धीरे कोल्ड ड्रिंक और चिप्स का मज़ा लेते हुए हम दोनों झूमते हुए नाचने लगे।
मैं और वो खूब एंजॉय कर रहे थे।
इसके बाद मैंने थोड़ी नज़दीकी बढ़ाते हुए उसके साथ चिपककर डांस करने लगी।
वो थोड़ा असहज-सा होने लगा, जिससे मेरा मज़ा किरकिरा हो रहा था।
मैंने कहा, “चलो, एक गेम खेलते हैं! मैं तुम्हारे लिए डांस करती हूँ और तुम कुर्सी पर बैठकर बताना मैंने कैसे किया!”
उसने बोला, “ठीक है, दीदी!”
मैंने कहा, “पर एक शर्त है!”
उसने पूछा, “क्या?”
मैंने कहा, “कहीं तुम उठकर ना भाग जाओ! मैं तुम्हें कुर्सी से बाँधना चाहती हूँ!”
उसने कहा, “पर क्यों?”
मैंने कहा, “मुझे पसंद है इसलिए! चलो, अब बैठ जाओ कुर्सी पर!”
वो सामने कुर्सी पर बैठ गया।
मैंने बैग से रिबन निकाले और उसके पीछे जाकर उसके हाथ आपस में बाँध दिए।
फिर मैंने आगे उसके पैर भी कुर्सी के एक-एक पैर से अलग-अलग बाँध दिए।
अब कमरे में एक 18 साल के लड़के के आगे एक 25 साल की सेक्सी हसीना, यानी उसकी दीदी थी।
माहौल गरमाने लगा था।
मैंने तड़कता-भड़कता-सा गाना तेज़ आवाज़ में लगाया।
उसके सामने सेक्सी अदाएँ बिखेरते हुए नाचने लगी।
वो भी बड़े गौर से मुझे देख रहा था और लुत्फ़ ले रहा था।
धीरे-धीरे मैंने उसकी तरफ़ नाचते हुए बढ़ी।
उसकी जाँघों पर अपनी गाँड रगड़कर डांस करने लगी, आगे-पीछे हिलते हुए।
इसके साथ ही मैंने अपनी छाती भी उसकी छाती से सटा दी।
रगड़-रगड़कर आनंद लेने लगी।
उसे भी मज़ा आ रहा था और मुझे भी।
ऐसे ही कुछ देर उसकी आग भड़काने के बाद मैं नाचते हुए पीछे आ गई।
एक-एक करके अपने ऊपर के कपड़े उतारने लगी।
वो आँखें फ़ाड़-फ़ाड़कर देख रहा था।
उसका लंड भी हल्का-हल्का उठना शुरू हो गया था।
अब कुछ ही देर में मैं सिर्फ़ लाल ब्रा-पैंटी में रह गई।
वो मेरे आधे नंगे जिस्म को जी भरकर देख रहा था।
मैं अब भी सेक्सी अदाओं को बिखेरते हुए डांस कर रही थी।
फिर मैं घुटनों के बल चलती हुई उसके पास आई।
वो बिना पलक झपकाए मेरी डांस परफ़ॉर्मेंस देख रहा था।
मैंने अपने हाथ उसके पैरों से रगड़ते हुए जाँघों तक ले जाने लगी।
वो टाँगें सिकोड़ने की कोशिश करने लगा, पर पैर बँधे होने के कारण नहीं कर पाया।
मैंने फिर उसकी पाजामे का नाड़ा खोल दिया और नीचे सरका दिया।
वो बोला, “आह… दीदी, ये क्या कर रही हो… आह!”
मैंने कहा, “अपने गे भाई का जिस्म देख रही हूँ! अंदर से मर्द है या लड़कियों जैसा है!”
फिर मैं उठकर उसकी गोद में, उसकी तरफ़ मुँह करके बैठ गई।
टाँगें खोलकर और सिर एक तरफ़ हल्का-सा झुका लिया।
इससे मेरे खुले बाल एक तरफ़ झूलने लगे।
मैंने उसकी शर्ट के बटन एक-एक करके खोलने शुरू किए।
उसने अंदर बनियान नहीं पहनी थी।
उसकी छाती मेरे सामने थी।
मैंने शर्ट को पीछे कर दिया।
फिर मैं थोड़ा ऊपर-नीचे हो-होकर उसके लंड को सहलाने लगी, ऊपर-ऊपर से।
उसकी छाती पर अपनी सेक्सी हथेलियाँ फिराने लगी, ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर।
वो कहने लगा, “अह… हह… स्सी… दीदी, क्या कर रही हो, छोड़ो मुझे!”
मैंने कहा, “तुम्हें तो लड़के पसंद हैं ना, तो मेरे कुछ भी करने से क्या होगा!”
उसने कहा, “आह… दीदी… कुछ-कुछ हो रहा है!”
फिर मैं उसके होंठों के करीब अपने चमकते हुए लाल होंठ ले गई।
पर कुछ नहीं कर रही थी।
बस उसकी आँखों में देख रही थी, मुस्कुराते हुए।
हम दोनों ऐसे ही कुछ देर एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे।
फिर वो मेरे होंठों को उचककर चूमने की कोशिश करने लगा।
पर मैं बार-बार अपना सिर पीछे करके उसे सता रही थी और मज़े ले रही थी।
उसकी धड़कनें तेज़ हो रही थीं।
वो पूरे जोश में आ रहा था।
वो गिड़गिड़ाने लगा, “दीदी, प्लीज़! एक बार अपने होंठों को चूम लेने दो! इतनी सेक्सी लग रही हो कि मैं खुद पर काबू नहीं कर पा रहा!”
मैंने कहा, “अच्छा? पर तुम तो गे हो ना!”
उसने कहा, “पता नहीं, पर अभी आपको किस करने का बहुत मन कर रहा है! प्लीज़ दीदी, मेरे पास आओ ना!”
मैंने फिर एक-दो बार ऐसे ही उसे छेड़ा।
किस करने को होती और पीछे हो जाती।
इसके साथ ही वो और उत्तेजित होता जा रहा था।
फिर मैंने उसको गौर से देखा और एकदम से उसके होंठों को अपने होंठों से सील करते हुए चिपक गई।
उसकी आँखें पहले पूरे आश्चर्य में खुली रह गईं … फिर किस के साथ धीरे-धीरे बंद हो गईं।
हम उस चुंबन के पल में पूरी तरह डूब गए।
उसकी गोद में बैठे होने के कारण मुझे उसके लिंग में तनाव महसूस होने लगा।
फिर तो बस हम होंठ खोल-खोलकर चुंबन करते रहे, 2-3 मिनट तक।
मैंने कहा, “मज़ा आया?”
उसने कहा, “हाँ दीदी, बहुत मज़ा आया!”
मैंने कहा, “अभी और मज़ा आएगा!”
मैं उसकी गोद से उतरकर टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठ गई।
मैंने धीरे-धीरे उसका कच्छा नीचे खींच दिया।
उसका लंड मेरे सामने खड़ा हुआ, काँपते हुए सलामी दे रहा था।
हालाँकि उसका लंड इतना बड़ा भी नहीं था पर 5 इंच तो होगा ही और मोटाई भी उसी अनुपात में थी।
मैंने अपनी उंगलियों को उसके लंड पर चलाया।
वो खड़ा और सख्त हो गया, पूरी तरह से।
मैंने उसकी आँखों में देखकर आँख मारी, मुस्कुराते हुए लंड के टोपे से उसे एक बार में मुँह में ले गई।
अमर के मुँह से ज़ोर की, “आह… दीदी… स्सी…” निकल गई।
मैं ऊपर-नीचे उसका लंड चूसने लगी।
न्यूड सिस्टर ओरल सेक्स करती हुई अपनी जीभ से लंड सहलाने लगी।
मैं चूसते हुए ऊपर देख रही थी.
एक मिनट में वो आँखें बंद करके, “स्सी… स्सी…” करते हुए आनंद ले रहा था।
2 मिनट में ही उसका लंड थरथर काँपने लगा।
उसकी टाँगों में करंट-सा दौड़ने लगा, उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
वो “आह… दीदी… आह…” कहते हुए रुक-रुककर मेरे मुँह में ही झड़ गया।
मैं कोई बच्ची तो थी नहीं और ना ही पहली बार चूसा था।
जितना गटक सकती थी, अंदर निगल गई।
बाकी मेरे होंठों से बहकर नीचे गिरने लगा।
मैं उससे अलग होकर सामने बेड पर बैठ गई।
वो हाँफते हुए खुशी से मुस्कुरा रहा था।
जैसे पहली बार इतनी खुशी मिली हो।
और शायद मिली ही होगी।
जब वो थोड़ा शांत हो गया, तो मैंने कहा, “हाँ भाई, गे बॉय! मज़ा आया या लड़कों के साथ ही आता है?”
वो बोला, “नहीं दीदी, बहुत मज़ा आया! सच में, इतना मज़ा कभी नहीं आया ज़िंदगी में!”
मैंने कहा, “देखा मेरी सर्विस! आज तक किसी ने शिकायत नहीं की!”
वो बोला, “बहुत अच्छी सर्विस दी आपने तो! अब तो हाथ खोल दो!”
मैंने कहा, “क्यों? इतना ही मज़ा चाहिए था क्या? और नहीं चाहिए?”
उसने कहा, “अब तो पूरा मज़ा चाहिए! पर हाथ खोल दो दीदी, अब आपका जिस्म भोगना है मुझे, प्लीज़!”
मैंने कहा, “चल, रुक जा, खोलती हूँ!”
मैंने उसके हाथ-पैर खोल दिए।
फिर मैं बाथरूम में जाकर मुँह साफ़ करके आ गई।
वैसे ही बैठ गई।
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