जुड़वां बहन के संग हनीमून सेक्स- 4
(Virgin Sister Xxx Kahani)
वर्जिन सिस्टर Xxx कहानी में मैं शिमला में अपनी बहन के साथ होटल रूम में पति पत्नी की तरह रह रहा था. मैं उसे चोदना चाहता था और वह भी अपनी पहली चुदाई के लिए बेक़रार थी.
दोस्तो, मैं शौर्य एक बार पुनः अपनी भाई बहन सेक्स कहानी में आप सभी का स्वागत करता हूँ.
इस सेक्स कहानी के पिछले भाग
बहन की कुंवारी चूत की अभिलाषा
में आपने पढ़ा था कि मैं और रश्मि शाम की पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रहे थे.
रश्मि ने कहा कि आप बाहर वाले कमरे में कपड़े बदल लीजिये तो मैं इस कमरे में आराम से लहंगा पहन लूँगी. बाथरूम में सही से पहन नहीं पाऊंगी, तो मैंने उससे अपने सामने ही कपड़े बदल लेने के लिए कह दिया. वह यह सुनकर एकदम चुप हो गई और कमरे में भी सन्नाटा छा गया.
अब आगे वर्जिन सिस्टर Xxx कहानी:
रश्मि अलमारी खोल कर कपड़े निकालने लगी.
मुझे लगा मेरी इस बात का उसे बुरा लग गया है- सॉरी यार. मुझे लगा पति पत्नी ऐसे ही बात करते हैं. मैं तो बस अपने पति वाले किरदार में आने की कोशिश कर रहा था!
रश्मि ने अलमारी से मेरा सूट लाकर मुझे दिया और मेरे कान के पास आकर बोली- मुझे कपड़े बदलते देखने के लिए थोड़ा इंतजार करो. अभी दो दिन हुए हैं हमें पति पत्नी बने. पहले थोड़ा सही से जान तो लूँ आप को. उसके बाद जो देखना है … देख लेना!
मैं- अच्छा जी!
मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा, जिससे वह मेरे सीने से चिपक गयी.
मैं- यही बात थी तो पहले चुप क्यों हो गयी थी?
रश्मि- अब अपने पति को छेड़ भी नहीं सकती क्या?
इतना कह कर उसने मुझे बाहर धकेलते हुए सुईट के गेस्ट रूम में धकेल दिया और बेडरूम का दरवाजा बंद करके कपड़े बदलने लगी.
मैंने भी कपड़े बदलते बदलते सोचा कि निमिता को मैसेज डाल दूँ कि आज रात बात नहीं कर पाऊंगा. होटल में कोई कार्यक्रम है, तो वह मेरा इंतजार न करे.
थोड़ी देर में रश्मि तैयार होकर बाहर आ गयी.
मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया.
महरून लहंगा, उस पर महरून दुप्पटा. लग रहा था कोई अप्सरा मेरे सामने खड़ी है.
उसका ये रूप देख कर उसके लिए मेरा आकर्षण दोगुना हो गया.
तभी मैंने देखा कि वह भी मुझे एकटक देखे जा रही है.
मैं- क्या हुआ?
रश्मि- ये ब्लैक सूट बहुत ही जंच रहा आप पर पतिदेव … अगर तू मेरा सगा भाई न होता तो मैं सच में तेरे से शादी कर लेती.
वह जब आप कहती तो मुझे पति समझ कर बात करती और जब तू तड़ाक की भाषा बोलती तो वह मुझे भाई समझने लगती.
मैं- सच में!
रश्मि- हां … मुझे आप को बचाना होगा कहीं कोई आप पर डोरे न डाले.
रश्मि ने मेरे हाथ में हाथ डाला और हम नीचे कार्यक्रम में आ गए.
नीचे आते ही वह रिसेप्शनिस्ट हमारे आजू-बाज़ू घूमने लगा कि उसे किसी तरह से पता चल जाए कि हम दोनों पति पत्नी हैं भी या नहीं.
उसने जानबूझ कर हमारा कपल फोटोशूट करवाया.
फोटोग्राफर ने मुझे रश्मि को कमर से पकड़ कर उसे थोड़ा झुकाते हुए और खुद उस पर झुकते हुए पोज़ देने को कहा.
मैंने बिना झिझक के रश्मि की कमर में हाथ डाला.
उफ़ क्या कमर थी, एकदम जीरो फिगर.
मैं सोच रहा था कि मेरी बहन इतने आकर्षक शरीर की मालकिन है और मैंने आज तक देखा ही नहीं.
उसकी कमर पकड़ते ही मेरे रोम रोम में उत्तेजना दौड़ गयी.
मैं उसके ऊपर झुक कर उसकी आंखों में प्यार से देखता रहा.
फिर फोटोग्राफर ने मुझे रश्मि को आलिंगन में लेकर अपने सीने से लगाने को कहा.
जैसे ही मैंने उसे अपने आलिंगन में लिया, उसके दोनों स्तन मुझे अपने सीने में चिपकते हुए से महसूस हुए.
इतने बड़े और सख्त दूध … जिन्हें मैंने कल रात देखा था, वे दोनों गोले आज मेरे सीने में धँसे हैं.
मुझे एक अलग ही सुख की अनभूति होने लगी.
उसके बाद हमने एक खेल खेला, जिसमें पति को बताना था कि वह अपनी पत्नी के बारे में कितना जानते हैं.
मैंने रश्मि के बारे में वे सब चीज़ें बताईं, जो शायद रश्मि को भी पता नहीं थीं.
मुझे आज भी आश्चर्य है कि उस रात मुझे रश्मि के बारे इतना कैसे पता था.
मैंने देखा रश्मि मेरे जवाब सुन कर बहुत ही खुश थी.
उस खेल के बाद मैंने उसकी आंखों में अपने लिए एक खास चमक देखी.
इस बार जब उसने मेरा हाथ पकड़ा, तब मुझे लगा जैसे वह सच में मेरी पत्नी है.
उसके भाव में एक ऐसा अपनापन था, जो सिर्फ एक पत्नी का उसके पति के लिए होता है.
शायद मेरे जवाब से उसे लगा हो कि कोई तो है जो उसे पूरी तरह जानता और समझता है.
फिर हम सब ने खाना खाया और कार्यक्रम के अंत में सभी नव विवाहित पतियों को अपनी पत्नियों को गोद में उठा कर ले जाने को बोला गया.
ये भी बताया गया कि हमारे लिए कमरे में सरप्राइज भी है.
मैंने रश्मि को अपनी गोद में उठाया और लिफ्ट की ओर चल दिया.
रश्मि के शरीर का स्पर्श पाकर मैं उत्तेजना से भरता जा रहा था.
लिफ्ट के पास पहुंच कर जैसे ही मैंने रश्मि को नीचे उतारना चाहा, उसने मेरे गले में हाथ डाल कर मुझे कसके पकड़ लिया- मुझे ऐसे ही अपनी गोद में कमरे तक ले चलो न!
मैं वैसे ही गोद में लेकर उसे कमरे तक आया.
कमरे में आते ही हमने देख पूरा कमरा सुहागरात की सेज़ की तरह सजा हुआ है.
मैंने फिर से रश्मि को नीचे उतारना चाहा, पर उसने फिर मुझे कसके पकड़ लिया.
रश्मि- अब मुझे ऐसे ही बिस्तर पर लिटा दो डियर हसबैंड … सिर्फ नाईट बल्ब जला कर बाकी लाइट बंद कर दो.
मैंने वैसे ही किया.
उसने मुझे हाथ से इशारा करके अपने बगल में लेटने को कहा.
उसके चहरे पर आज बहुत सुकून था.
मैं भी अपना कोट उतार कर उसके बगल में लेट गया.
मैंने कमरे के सन्नाटे को तोड़ना चाहा अब तो तू खुश है न!
रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा- हां बहुत ज्यादा … थैंक्यू मेरा साथ देने के लिए! मुझे नहीं पता था कि आप मुझे इतना जानते और समझते हो!
मैं- आप नहीं, मुझे तुम्हारे मुँह से तुम ही अच्छा लगता है.
रश्मि- अगर तुम्हें तुम अच्छा लगता है तो अबसे मैं तुम ही कहूँगी. तुम्हारी वजह से आज मैं अपना 70% हनीमून कर पायी.
मैं- 70% क्यों? बाकी 30% क्या कम रह गया … बताओ उसे पूरा करने में मैं कैसे तुम्हारी मदद करूँ. अभी कल तक का समय है अपने पास!
ये सुन कर रश्मि शर्मा गयी और जाने अनजाने में मुझसे लिपट कर अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया.
मुझे अहसास हुआ कि वह बाकी 30% सम्भोग है, जो शायद अधूरा रह गया है.
मैंने भी रश्मि को अपने आलिंगन में बांध लिया.
रश्मि और कसके मुझसे लिपट गयी.
उस पल हम पूरी तरह भूल गए कि हम भाई बहन हैं.
मुझे रश्मि की गर्म सांसें अपने सीने पर महसूस होने लगीं.
मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके अपनी शर्ट के दो बटन खोल दिए.
अब रश्मि के होंठ सीधे मेरे सीने को छू रहे थे. रश्मि की गर्म गर्म सांसें मेरे सीने की धड़कन बढ़ा रही थीं.
तभी रश्मि के होंठ हरकत में आ गए और रश्मि मेरे सीने को चूसने लगी.
मैं- रश्मिइइ आह.
रश्मि- शहह हहह … कुछ मत बोलो. अभी तुमने कहा कि तुम मेरा 30% हनीमून भी पूरा करने में मदद करोगे. तुम्हें जानना था न कि लड़कियों की क्या फंतासी होती है. अब मैं जैसे बोलती हूँ … बस वैसे करो!
इतना बोल कर उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और मेरे सीने को चूमने और मेरे एक निप्पल को अपनी गर्म सांसों से घायल करने लगी.
रश्मि- उमाहहह उम्म आह.
मैं- आहहह रश्मि प्लीज चूसो न!
रश्मि- उम्मम्मम उम्म उम्मम्ह!
फिर रश्मि ने अपने नाज़ुक होंठों से मेरे निप्पल को पकड़ कर भरपूर मस्ती से चूसा.
रश्मि- कहा था न थोड़ा इंतजार करो … फिर जो देखना है सब दिखाऊंगी. मेरी चोली और ब्रा खोलो!
रश्मि मेरे ऊपर झुक गयी.
मैंने हाथ पीछे ले जाकर उसकी चोली और ब्रा खोल दी और उसके स्तनों के दर्शन का इंतजार करने लगा.
रश्मि वापस लेट गयी और मुझे ऊपर आने को कहा.
रश्मि- मेरी चोली को ऊपर करके मेरे स्तनों को चाटो!
मैंने उसके एक दूध को अपने मुँह में भर लिया- उम्म … म्मम!
रश्मि- आअहह उईईई आअ आअह उईईई … बहुत अच्छा लग रहा है और चूसो … आह और अच्छे से चाटो!
मैं- कहो तो ब्रा और चोली हटा कर अच्छे से करूँ!
रश्मि- नहीं … मुझे इतना जल्दी नंगी मत करो … आराम आराम से खोलने में जो मजा है, वह एक साथ नंगी करने में कहां. बस चूसते जाओ मुझे. अब मेरी ब्रा ऊपर करके निप्पल को भी चूसो!
अंततः मुझे रश्मि के निप्पलों के भी दर्शन हुए.
क्या खड़े और तने हुए निप्पल थे.
काफी देर तक उसके दोनों स्तनों और निप्पलों की चुसाई के बाद रश्मि वापस मेरे ऊपर आ गयी.
रश्मि- अब पहले तुम्हें नंगा करूंगी ताकि अपने काम का सामान देख सकूँ!
रश्मि उस वक़्त इतनी कामुक अवस्था में थी कि उसे रोक पाना मुश्किल था.
वह अपनी वर्षों की आग आज पूरी तरह शांत करना चाहती थी.
उसने मेरे पैंट को खींच कर उतार दिया और मेरी चड्डी के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी.
कुछ ही पल बाद उसने मेरी चड्डी भी उतार दी और मेरे पैरों के बीच बैठ कर मेरे लंड को अपने होंठों से चूमने लगी.
रश्मि- उम्म उम्म आह … मस्त लंड है.
मैं उसे देख कर वासना से तप्त होता जा रहा था.
उसके दूध देख कर मेरे लौड़े में तनाव बढ़ता ही जा रहा था.
रश्मि कभी मेरे सख्त लंड को चूमती कभी चाटती तो कभी चूसने लगती.
थोड़ी ही देर में उसने मेरे अंडकोष भी चाटने शुरू कर दिए.
मैं- आअह्ह मेरी जान बहुत अच्छा लग रहा है … आह और करो … बहुत प्यार से कर रही हो जान … बहुत मजा आ रहा है!
रश्मि- मैं आज वह सब करूंगी जो भी मैंने सोचा था. तुम बहुत अच्छे हो. तुमने आज मेरा हनीमून का सपना पूरा कर दिया!
रश्मि अपनी उत्तेजना में मेरे लंड को बस चाटे जा रही थी.
मैं भी उसे सुख की अनभूति लेता हुआ देख अपने आनन्द लोक में गोते लगा रहा था.
फिर रश्मि ने अपनी चोली और ब्रा निकाल कर फेंक दी और मेरे हाथों से अपने स्तनों को दबवाने लगी.
रश्मि- देखो लो मुझे अब नंगी … दबाओ मेरे स्तनों को आह इन्हें रगड़ो … मेरे निप्पलों को अच्छे से मींजो … मुझे आज वह सुख दो जो मैं कभी न भूलूँ!
मैंने रश्मि के स्तनों को मजबूती से पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया.
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिन स्तनों को देख कर कल मैंने हस्तमैथुन किया था, वे दोनों आज मेरे हाथ में हैं.
मैंने काफी देर तक रश्मि के स्तनों की मालिश की.
रश्मि वापस से लेट गयी और मादक आवाज़ में बोली- बस ऊपर से ही नंगी देखना है … या नीचे भी देखना है?
मैं- जो दिखाओगी सब देखूंगा!
रश्मि- तो मेरा लहंगा हटा दो!
मैंने रश्मि का लहंगा खोल कर उसकी नाज़ुक पतली कमर से सरका दिया.
अब वह मेरे सामने सिर्फ पैंटी में थी.
मैं- इसे भी हटाऊं!
रश्मि- उसी के अन्दर तो असली खजाना है … पर पैंटी को हाथ से नहीं मेरे राजा … उसे अपने मुँह से हटाना प्लीज!
मैंने जैसे ही अपना मुँह पैंटी पर लगाया, रश्मि पूरी तरह सिहर गयी.
उसने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके गर्म सिसकारियां भरने लगी.
रश्मि- आअह उउउइइ मर गयी!
मैंने उसकी पैंटी निकाल कर अलग कर दी.
मेरे सामने रश्मि की अनछुई चुत थी जिस पर एक भी बाल नहीं था.
उसकी चुत को देख कर ऐसा लगा जैसे ब्यूटी पार्लर से वह आज मेरे लिए ही तैयार होकर आयी हो!
चुत की दोनों फांकें आपस में एकदम कसके जुड़ी हुई थीं, जैसे उसमें लंड तो छोड़ो … उसने छोटी वाली उंगली भी न डाली हो.
मैं आज ऐसी अनछुई कुंवारी बुर का भोग करके उसका शील भंग करने जा रहा था.
मैंने बिना देर करते हुए चुत पर चुम्बनों की बौछार कर दी.
अचानक हुए इन चुम्बनों से रश्मि एकदम कसमसा गयी.
उसकी सिसकारियां और तेज़ हो गईं- आह चूमो और चूमो … मेरी चुत की आग आज तुम ही बुझा सकते हो आह तृप्त कर दो मुझे … भर दो अपने लंड का रस मेरी चुत में!
रश्मि की इतनी खुली बातें सुन कर मैं अति-उत्तेजना में आ गया.
मैंने उसकी चुत के दोनों फांकों को हल्का सा फैलाया.
फिर चुत की लालिमा देख कर मैं खुद को रोक ही सका और मैंने झट से अपनी जीभ अपनी बहन की चुत के छेद में घुसा दी.
अपनी चुत के साथ मुख मैथुन होते देख कर रश्मि की उत्तेजना चरम पर आ गयी.
अपने दोनों कूल्हे उछाल उछाल कर वर्जिन सिस्टर Xxx मुख मैथुन का आनन्द लेने लगी- अह्ह अह्ह उईई … हां ऐसे ही करो .. जीभ को गोल गोल घुमाओ अपनी जीभ को अन्दर तक पेलो … आह और अन्दर डालो … अहह अहह … चूसो और चूसो!
मैं पूरी तल्लीनता से रश्मि की चुत को चूसता रहा … चाटता रहा … मैं बार बार उसकी चुत में जीभ को पेल आगे पीछे करता हुआ उसे परम सुख का आनन्द दे रहा था.
काफी देर तक रश्मि की चुत का मर्दन करने के बाद मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखा और अपने लौड़े को चुत के मुख पर टिका दिया.
तभी उसने तकिये के नीचे से एक जैल निकाला और अपनी चुत पर ढेर सारा लगा लिया.
मैं समझ नहीं पाया कि यह क्या है.
उस वक्त मुझे बस अपनी बहन की कुंवारी चुत दिख रही थी तो मैंने भी ध्यान नहीं दिया.
फिर मैंने लौड़े को चुत के छेद पर सैट करके एक हल्का सा धक्का दे दिया.
उसकी बुर कुंवारी थी तो मैं नहीं चाहता था कि उसे दर्द हो और चुदाई का मजा सजा में बदले.
मेरे हल्के धक्के से लंड चुत में थोड़ा सा प्रवेश हुआ.
रश्मि ने आंखें बंद करके एक मादक सी आह भरी.
मैंने लंड को उसी अवस्था में गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया.
रश्मि की चुत से निकल रहे पानी से लंड चिकना होकर धीरे धीरे चुत में अपना रास्ता बनाने लगा.
हल्के हल्के धक्कों और चुत के पानी की चिकनाई से थोड़ी ही देर में लंड पूरा चुत में समा गया.
जब लंड पूरा चुत में समा गया, तब रश्मि ने अपनी आंख खोली.
उसकी आंखों की मादकता ने मेरी उत्तेजना और बढ़ा दी और मैं लंड को आगे पीछे करने लगा.
मैं कुछ चकित भी था कि इसे ज्यादा दर्द क्यों नहीं हुआ, फिर समझ में आया कि इसने जो जैल लगाया था, शायद उसी का कुछ कमाल था.
मैंने उसे चूसना और चूमना चालू कर दिया. मेरा लंड उसकी चुत की गर्मी पाकर और ज्यादा फूलने लगा था.
कुछ ही पलों बाद कमरे में बस रश्मि की नाजुक सिसकारियां और आहें निकल रही थीं.
रश्मि ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर में फंसा दीं और कूल्हे उठा उठा कर सम्भोग का मजा लेने लगी.
मैं आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाता गया.
कुछ ही मिनटों में रश्मि का शरीर अकड़ने लगा.
उसने और कसके मुझे जकड़ लिया.
मुझे आभास हो गया कि रश्मि अपने चरम पर पहुंचने वाली है.
मैं भी उसके साथ स्खलित होना चाहता था तो मैंने लंड तो तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
रश्मि- आह्ह्ह्ह मैं गई … आअहह … मैं गई!
इतना बोल कर रश्मि ने मुझे कसके भींच लिया और स्खलित हो गयी.
थोड़े और धक्कों के बाद मेरे लंड ने भी हिचकोले मारे और गर्म गर्म वीर्य का लावा रश्मि की चुत में भर गया.
उसने एक संतोष भरी लम्बी आह भरी और मुझे अपने शरीर में भींचती चली गयी.
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के आलिंगन में लेटे रहने के बाद अलग हुए, एक दूसरे को साफ़ किया और फिर से बिस्तर पर लेट गए.
मैंने रश्मि की तरफ देखा उसकी आंखों में तृप्ति और चेहरे पर संतोष था.
मैं- अब तो पूरा हो गया 100% हनीमून?
रश्मि हंस कर बोली- अभी तो बस 85% हुआ है?
मैं- 15% क्या बाकी …
इससे पहले मैं आगे और कुछ बोलता रश्मि ने अपने होंठों से मेरे होंठ बंद कर दिए.
रश्मि- तुम्हें सब कुछ अभी जानना होता है. सुबह बताउंगी बचा हुआ 15%. अभी मुझे इस पल का आनन्द लेने दो बस!
फिर हम दोनों बातें करने लगे. उसने बताया कि ब्यूटीपार्लर से ही वह जैल लाई थी, जिसको लगा लेने से दर्द का अहसास कम होता है.
उस रात रश्मि ने मेरे होंठों को अच्छे से चूमा और मेरे आलिंगन में नंगी ही लिपट कर सो गयी.
मुझे सुबह का इंतजार था ताकि जान सकूँ कि 15% क्या बचा है!
वर्जिन सिस्टर Xxx कहानी के अगले भाग में आप भी मेरे साथ जानिए कि रश्मि का बचा हुआ 15% क्या है. आप अपने विचार मुझे ज़रूर ईमेल करें.
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वर्जिन सिस्टर Xxx कहानी का अगला भाग:
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