जुड़वां बहन के संग हनीमून सेक्स- 2
(Young Sister Sex Kahani)
यंग सिस्टर सेक्स कहानी में मेरी बहन की सुहागरात नाकाम होने पर वह मेरे साथ शिमला आई अपने पति के इलाज की बात करने. लेकिन उसकी चुदास इतनी थी कि वह रुक नहीं पा रही थी.
फ्रेंड्स, मैं शौर्य आपको अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग का पुनः आनन्द देने के लिए हाजिर हूँ.
इस कहानी के पहले भाग
मेरी बहन का पति मेरी बहन ना चोद पाया
में आपने पढ़ा था कि मेरी जुड़वां बहन रश्मि अपने पति के इलाज के लिए मेरे साथ शिमला आ गई थी.
उधर डॉक्टर ने दो दिन बाद का अपॉइन्टमेंट दिया था तो हम लोग किसी होटल में रुकने के लिए निकल आए.
होटल में आने से पहले रश्मि ने तुरंत पापा मम्मी को फ़ोन किया और बताया कि रोहित किसी काम में फंस गए हैं और वे शिमला 2-3 दिन बाद आ पाएंगे. उन्होंने मेरा और शौर्य का एक होटल में रुकने का इंतजाम कर दिया है. दो दिन बाद जब वे आ जाएंगे तब शौर्य वापस आ जाएगा.
इसके बाद उसने रोहित को फ़ोन करके सब समझा दिया और बताया कि दो दिन बाद वह डॉक्टर से मिलने के बाद उसके पास आ जाएगी.
अब आगे यंग सिस्टर सेक्स कहानी:
रश्मि- मैंने घर पर और रोहित को समझा लिया है, अब कोई होटल देखते हैं जहां हम दोनों दो दिन रुक सकें. भाई एक 4 स्टार या 5 स्टार होटल में रूम देखना. हनीमून तो जा नहीं पायी. कम से कम ये दो दिन तक अच्छी तरह से छुट्टी किसी बढ़िया होटल में मना लूँ.
मैंने ऑनलाइन चेक किया तो सारे होटल बुक थे.
फिर मैंने सोचा कि चल कर देखते हैं, क्या पता कहीं सही से होटल में कमरा मिल जाए.
चार-पांच होटल में पूछने के बाद हम एक होटल पहुंचे.
वहां हमसे पहले एक युगल जोड़ा रिसेप्शन पर खड़ा था और रिसेप्शनिस्ट से बात कर रहा था.
हमें ठीक से सुनाई नहीं दिया पर शायद वह उस रिसेप्शनिस्ट को कमरे के बदले ज्यादा पैसे देने की बात कर रहा था.
रिसेप्शनिस्ट पैसे लेने को मान भी गया था कि तभी होटल मैनेजर ने आकर उन दोनों को वहां से चले जाने को कहा और उसने रिसेप्शनिस्ट को भी घूस लेकर कमरा देने के लिए डांटा.
फिर हम दोनों रिसेप्शन पर पहुंचे और एक कमरा मांगा.
मैनेजर- सर क्या आप दोनों नवविवाहित हैं?
मैं- क्यों? क्या यहां सिर्फ नव-विवाहित जोड़ों को ही कमरा दिया जाता है?
मैनेजर- नहीं सर, ऐसा ही नहीं है. हम सभी को कमरा देते हैं, पर अभी हमारे पास सिर्फ एक हनीमून सुईट बचा है और होटल की पॉलिसी के हिसाब से वह हम सिर्फ नव विवाहित जोड़ों को दे सकते हैं. आपसे पहले जो जोड़ा कमरा मांग रहा था, वह नवविवाहित नहीं था. वे दोनों प्रेमी थे तो हमने उन्हें कमरा नहीं दिया.
मैं- पर आपको कैसे पता वह नव विवाहित नहीं है?
मैनेजर- अरे सर, न तो लड़की के हाथ में मेहंदी और न कोई साज़ शृंगार, देखने से ही पता चल रहा था कि वे नवविवाहित नहीं हैं. अब आप मैडम को देखिये (रश्मि की ओर इशारा करते हुए), ऐसे होते हैं नवविवाहित लोग. गलती हो गयी कि आपसे पूछा. सॉरी … मैं आप दोनों को कमरा दे देता हूँ. एन्जॉय योर हनीमून सर!
इससे पहले कि मैं और रश्मि कुछ समझ पाते, उसने हमें कमरा दे दिया.
बड़ी मुश्किल से कमरा मिला था इसलिए हम दोनों ने भी चुप रहना ही ठीक समझा.
रिसेप्शनिस्ट- सर, आप दोनों अपना कोई पहचान पत्र दे दीजिये.
पहचान पत्र सुनते ही हम थोड़ा घबरा गए क्योंकि हम दोनों के पहचान पत्र पर पिता का नाम एक ही था. कोई भी आसानी से समझ जाता कि हम भाई बहन हैं. कमरा तो जाते ही हाथ से ऊपर से बदनामी होती अलग से.
शायद हमारे डर को रिसेप्शनिस्ट भांप गया था.
वह लालची तो था ही, दूर से उसने इशारा किया कि अगर हम पैसे दे दें तो वह पहचान पत्र नहीं लेगा.
हम सोच ही रहे थे कि क्या करें कि तभी मैनेजर बोल पड़ा- सर, पहचान पत्र?
रश्मि ने आगे बढ़ कर अपना आधार कार्ड रिसेप्शनिस्ट को दे दिया. रश्मि का आधार कार्ड देख कर मुझे कुछ याद आया और मैंने अपना भी आधार कार्ड निकाल कर दे दिया.
रिसेप्शनिस्ट ने रश्मि का कार्ड पढ़ा
रिसेप्शनिस्ट- नाम रश्मि प्रताप रघुवंशी, पिता का नाम रूद्र प्रताप रघुवंशी
फिर उसने मेरा कार्ड पढ़ा.
रिसेप्शनिस्ट- नाम शौर्य प्रताप रघुवंशी, पिता का नाम पी आर रघुवंशी.
दरअसल मेरे आधार में पिता का नाम पूरा नहीं छपा था और उनके नाम के अक्षर आगे पीछे हो गए थे. इस कारण हम वहां बच गए और हमें हनीमून सुईट मिल गया.
पर अभी भी रिसेप्शनिस्ट को कुछ शक था. वह हमारे पीछे पीछे आया और बोला कि या तो हम उसे पैसे दें … नहीं तो वह इस बात का पता लगा लेगा कि हम दोनों नवविवाहित हैं अथवा नहीं.
हम दोनों उसकी बात पर ध्यान न देते हुए अपने कमरे में आ गए.
वह कमरा देखते ही बन रहा था.
एक बड़ा आलीशान बिस्तर, उस पर अच्छी सजावट, महकदार फूल … अगर सचमुच के नव विवाहित जोड़े होते तो उस रूम में आते ही एक दूसरे को चुम्बन से भर देते.
पर हम भाई बहन बस एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए.
तभी हमें लगा दरवाज़े पर कोई है. हमें समझते देर नहीं लगी कि वह रिसेप्शनिस्ट ही होगा जो शायद कुछ पता लगाने आए हो.
अचानक से रश्मि उठी और चुम्बन देने की आवाज़ निकालती हुई शोर करने लगी.
रश्मि- उम्माह उम्माह उम्माह, उम्माह, उम्माह. आज आपने मुझे खुश कर दिया. मुझे नहीं पता था कि हम अपना हनीमून इतने बढ़िया होटल में मनाएंगे. मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो आप से मेरी शादी हुई. मन कर रहा आप को चूमती ही जाऊं … उम्माह … उम्माह उम्माह!
उसके बाद शायद रिसेप्शनिस्ट दरवाज़े से हट गया.
पर रश्मि की कामुक आवाजें और चुम्बन की पुच पुच सुन कर मैं अति उत्तेजित हो गया.
मैंने किसी तरह अपने पैंट में खड़े लंड को छुपाया और सोफे पर बैठ कर रश्मि को देखने लगा.
रश्मि- भाई अब जब तक यहां हैं, हमें इनके सामने पति पत्नी का थोड़ा नाटक करना पड़ेगा. नहीं तो कमरा हाथ से चला जाएगा. फिर इस ठंड में दूसरी जगह भी नहीं मिलेगी.
मैं- हां करना तो कुछ ऐसे ही पड़ेगा. पर यार तुझे ये चुम्बन देने की कैसे सूझी?
रश्मि- पिछले कुछ दिनों से काल्पनिक चुम्बन ही तो दे रही हूँ अपने पति को … उसमें ही वह झड़ जा रहा था. उसका असलियत में तो हम दोनों ढंग से गले भी नहीं मिल पाए हैं.
अपनी बहन को इतना सहजता से बात करते देख मुझे लगा मैं भी इससे आराम से बात करूँ तो शायद इसे अच्छा लगेगा.
मैं- मैं समझ सकता हूँ तेरी फीलिंग.
रश्मि- नहीं यार तू नहीं समझ पाएगा कि पूरे तन बदन में कैसी आग लगी है. पूरे बदन में एक खुजली सी है. ऐसा लग रहा कि कोई मुझे सीधी लिटा कर सहलाए, मेरे पूरे शरीर को चूमे, मेरे पूरे अंग को अच्छे से जीभ से चाटे.
अपनी भावना में शायद वह भूल गयी थी कि वह अपने भाई से बात कर रही है.
थोड़ी देर में उसे अहसास हुआ तो उसने शर्म से अपनी नजरें झुका लीं.
उसकी भावना और शर्म को समझते हुए मैं उसके पास गया और उसका सर सहलाने लगा.
उसने भी थोड़ा आराम पाकर अपना मुँह मेरे सीने पर लगा दिया.
हम दोनों थोड़ी देर तक वैसे ही रहे.
मेरे दिल के धड़कने तेज़ होने लगी.
शायद रश्मि को भी वह समझ में आ गया.
तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी, जिसने हमें एक दूसरे से अलग किया.
मैंने देखा तो निमिता का कॉल आ रहा था.
मैंने फ़ोन उठाया- हैलो
निमिता- क्या हैलो यार … कहां हो. न कोई फ़ोन न मैसेज … बहन की शादी के बाद तो तुम गायब ही हो गए!
मैं- नहीं यार … मैं अपनी बहन रश्मि को ले कर शिमला आया हूँ. रोहित भी यहीं आएगा तो दो दिन में इसे रोहित के साथ छोड़ कर मैं वापस आ जाऊंगा.
निमिता- तुम उन दोनों के हनीमून में क्या करोगे? तुम्हें मनाना है तो मुझे ले चलो. शिमला की ठंडक में मैं और तुम जब चिपकेंगे तो क्या मस्त मजा आएगा!
रश्मि भी साथ में ही खड़ी थी और फ़ोन की आवाज़ तेज़ होने के कारण उसे सब सुनाई दे रहा था.
इस कारण मैं निमिता से बात करने में थोड़ा शर्मा रहा था.
निमिता- रश्मि को अपने पति का चूसने दो और तुम मेरे पास आ जाओ … मैं तुम्हारा अच्छे से चूसती हूँ … ये तुम्हें पता है.
इतना सुन कर रश्मि शर्मा कर बाथरूम में चली गयी. उसके जाने से मुझे निमिता से बात करने में थोड़ी सहजता हुई.
मैं- अच्छा सुन, अभी रखता हूँ. रात को फ़ोन करूँगा, तब अच्छे से चूस लेना मेरा … और मैं भी पूरी जीभ तेरी चुत में घुसा घुसा कर चूसूंगा और चाटूँगा.
निमिता- आह हह … साले तेरी बात सुनकर ही मेरी बुर से पानी निकलने लगा है … शाम को बात करके अच्छे से निकालना मेरा पानी!
मैं- उम्माह … चल अब रख … बाय.
निमिता- बाय.
फ़ोन रख कर मैंने देखा तो रश्मि अभी भी बाथरूम में ही थी.
थोड़ी देर में वह बाहर आ गयी.
रश्मि- हो गयी तुम दोनों की बातें? बड़ी ही प्यारी बातें करते हो तुम दोनों?
यह कहते हुए उसने एक आंख दबा दी.
मैं हंस दिया.
वह आगे बोली- निमिता के अन्दर तो बहुत ज्यादा फंतासी भरी है. तूने उससे कभी नहीं पूछा क्या?
मैं- नहीं यार, मुझे लगा हम दोनों गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड हैं इसलिए शायद ऐसे बात करते हैं.
रश्मि- तुम जितना खुल कर और बिना झिझक के उसे प्यार करोगे, वह उससे दोगुने अच्छे से … और खुल कर तुम्हें प्यार करेगी. सेक्स लाइफ का यही तो असली आनन्द है मेरे भाई.
मैं- तुझे तो कुछ ही दिनों में बहुत ज्यादा एक्सपीरिएंस हो गया?
रश्मि- एक्सपीरिएंस नहीं यार, जब शादी तय हुई थी, तभी से इन सब के बारे में जानने की कोशिश कर रही थी. सोचा था सब कुछ अपने पति के साथ अपने हनीमून पर आजमाऊंगी. अपने सेक्स लाइफ को सब से ज्यादा एन्जॉय करूंगी. पर कुछ भी नहीं हो पाए. तू मेरा भाई है अब इस से ज्यादा मैं और तुझ से क्या ही शेयर करूँ!
मैं- जानता हूँ कि हम दोनों भाई बहन हैं और सेक्स के ऊपर भाई बहन में बात होना थोड़ा अजीब है. पर अगर मुझ पर भरोसा है तो तू अपनी हर फीलिंग मुझे आराम से बता सकती है, जैसे तू अपनी किसी सहेली को बताती है. या ये मान ले मैं तेरी जुड़वां बहन हूँ. हम दोनों बचपन से साथ हैं. मुझे पता है कि तू एक बहुत अच्छी लड़की है. तू इस बात की चिंता छोड़ दे कि मैं तेरे चरित्र को लेकर कुछ सोचूंगा.
रश्मि- थैंक्यू भाई, हमेशा मेरे साथ खड़े रहने के लिए … आज से पहले हमने कभी इतना खुल कर ऐसे बात नहीं की है न … इसलिए बीच बीच में झिझक हो जाती है. मैं पूरी कोशिश करूंगी कि अपने जुड़वां भाई से सेक्स पर खुल कर बात करूँ!
इतना कह कर रश्मि खिलखिला कर हंस दी.
उसकी हंसी में वह आकर्षण था जो मुझे फिर से उसकी ओर खींचने लगा और मैं एकटक उसे देखने लगा.
रश्मि ने शायद मेरी वह नज़र देख ली- क्या हुआ भाई. इतनी गौर से क्या देख रहे हो … मैं आपकी बहन ही हूँ.
मैं सकपका गया और अपने आपको संभालते हुए उसे देखने लगा- कुछ नहीं यार … चल बाहर जाकर कुछ खा कर आते हैं और मुझे कुछ कपड़े भी खरीदने हैं, क्योंकि मेरे पास कुछ पहनने को नहीं है.
रश्मि- तो मेरे कपड़े पहन लो, वैसे भी अब तो तू मेरी बहन है.
यह कह कर वह फिर से हंसने लगी.
मैं- मजाक छोड़ … चल पहले कुछ कपड़े खरीदूं और फिर रात का खाना बाहर ही खा कर आते हैं.
रश्मि- अच्छा रुको मैं चेंज करके आती हूँ.
थोड़ी देर में रश्मि तैयार हो कर आयी और हम नीचे जाने लगे.
तभी हमने देखा वह रिसेप्शनिस्ट हमें घूर रहा है.
रश्मि ने ज़ोर से मेरा बाज़ू पकड़ा और मेरे गाल पर एक चुम्बन देती हुई बोली- चलो न डार्लिंग!
रश्मि के इस अचानक बर्ताव को समझ पाता तब तक उसने अपना हाथ मेरे बाज़ू से हटा कर मेरी कमर में डाल दिया और मुझे ज़ोर से अपनी ओर खींचती हुई मुझसे पूरी चिपक गयी.
फिर उसने मेरी तरफ देख कर एक आंख मारी और मैं समझ गया.
हम दोनों टैक्सी लेकर शॉपिंग करने चले गए.
जैसे ही हम कपड़े की दुकान में जाने लगे, रश्मि ने मुझसे बोला- भाई तुझे बुरा न लगे तो एक बात बोलूं?
मैं- यार, तू ऐसे क्यों बोल रही है. मैंने कहा न तू मुझसे खुल के कुछ भी कह सकती है!
रश्मि- मैंने सोचा था कि जब मैं अपने हनीमून पर जाऊंगी तो अपने पति के साथ खूब घूमूंगी और ढेर सारी शॉपिंग करूंगी. मेरी बदकिस्मत ऐसा कुछ भी न हो पाया. पर शायद ये दो दिन भगवान ने मुझे इसलिए दिए है ताकि मैं अपने कुछ अरमान असलियत में जी सकूं. मैं अपनी सेक्स लाइफ का कुछ नहीं कर सकती. पर क्या मैं ये दो दिन अपने हनीमून की तरह मना सकती हूँ?
मैं- बस इतनी सी बात. तू ये दो दिन जैसे जीना चाहती है … जी. मैं तेरे साथ हूँ. बस मुझे बोल क्या करना है. मैं बिना कोई सवाल किए करूँगा.
रश्मि- तो चलिए, पहले आप के लिए कुछ कपड़े लेते हैं.
मैं- सीधे तू से आप?
रश्मि- होटल वाले वैसे भी हमें नवविवाहित मानते हैं, उनके सामने तो वैसे भी ऐसे ही बोलना है. इसी बहाने थोड़ी प्रेक्टिस भी हो जाएगी और तुझे … ओह्ह सॉरी, आप को सुनने की आदत भी हो जाएगी.
मैं- हम्म … ठीक है चलो बेबी.
फिर मैं और रश्मि एक दूसरे के साथ ऐसे हो गए जैसे एक पति पत्नी अपने हनीमून पर हो जाते हैं.
रश्मि ने अपनी पसंद से मेरे लिए कुछ कपड़े और एक सूट खरीदा. उसने अपने लिए भी शॉपिंग की.
हमने बाहर खाना खाया और वापस होटल आ गए.
रिसेप्शन पर आते ही रश्मि ने मुझे टाइट से पकड़ते हुए मेरे गाल पर एक चुम्बन दे दिया और हम दोनों अपने रूम में आ गए.
इस पूरे समय रश्मि मेरे साथ ऐसे चिपकी थी जैसे वह सच में मेरी पत्नी हो.
मुझे भी लगने लगा कि मैं सच में अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर आया हूँ.
मेरे अन्दर एक अजीब सी ख़ुशी और उत्तेजना उत्पन होने लगी.
मुझे लगा हम दोनों पति पत्नी की तरह कमरे में पहुंच कर एक दूसरे को आलिंगन करेंगे, एक दूसरे के शरीर को अपने होंठों से छुएंगे और चूसेंगे. रश्मि मेरे लंड को हाथों में लेकर मर्दन करेगी. उसे अपने होंठों के स्पर्श से गीला करेगी और अपने मुँह में लेकर अच्छे से चूसेगी. मैं उसकी चुत के रस का पान करूँगा. उसे पूरी रात अपनी जीभ से चाटूँगा.
मैं अपने ख्वाबों में खोया हुआ रश्मि का हाथ पकड़े अपने कमरे की तरफ जा रहा था.
मैं पति पत्नी के खेल में इतना डूब गया था कि मैं भूल ही गया मेरे हाथ में मेरी बहन का हाथ है.
रश्मि भी उतने ही भरोसे के साथ मेरा हाथ पकड़े मेरे साथ कमरे की तरफ बढ़ रही थी.
उसे भी लग रहा था कि वह अपने पति के मज़बूत हाथों में है.
यंग सिस्टर सेक्स के ख्याल से मेरी दिल की धड़कन और सांसें काफी तेज़ हो गयी थीं जो शायद रश्मि को भी साफ़ सुनाई दे रही थीं.
जैसे ही कमरे में पहुंचे, रश्मि मेरा हाथ छोड़ कर बिस्तर पर जा कर बैठ गयी और एक लम्बी से अंगड़ाई ली.
मुझे ऐसा लगा जैसे कि वह मुझे बुला रही कि आओ … मुझे अपनी बांहों में भर लो और बुझा दो मेरी प्यास.
मैं धीमे कदमों से रश्मि की तरफ बढ़ने को हुआ कि तभी मेरे फ़ोन के मैसेज ने मेरे कदम रोक लिए.
मैंने देखा तो निमिता का मैसेज था.
निमिता- बाबू, फ़ोन करो न … मेरे तन बदन में आग लग रही है.
मैसेज पढ़ कर मैं सोच में पड़ गया.
एक तरफ निमिता है, जिसके साथ मैं फ़ोन सेक्स से हस्त मैथुन करके सो जाऊंगा.
दूसरी तरफ रश्मि है, एक जीती जागती परियों सी सुंदर अप्सरा.
अगर मैं थोड़ी कोशिश करूँगा तो आज अच्छे से मुझे रश्मि की चुत चोदने को मिल जाएगी.
एक अनछुई कुंवारी बुर फाड़ने का सुख याद करते ही मेरे लौड़े न जुंबिश ली.
फिर ध्यान में आया कि रश्मि तो मेरी बहन है, मैं उसके साथ सम्भोग कैसे कर सकता हूँ.
पति पत्नी का नाटक तो ठीक है, पर सम्भोग … नहीं नहीं.
मैं इसी उधेड़ बुन में था.
तभी सन्नाटे को चीरती हुई रश्मि की आवाज़ आयी- किसका मैसेज है भाई?
मैं उसकी तरफ देखता हुआ सोचने लगा कि क्या कहूँ इससे?
इस सेक्स कहानी के अगले भाग में बताऊंगा कि क्या मैं इस असमंजस से निकल पाया?
क्या हम जिस काम के लिए आए थे … वह काम हो पाया? क्या मैं अपनी सगी बहन को चोद पाया?
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यंग सिस्टर सेक्स कहानी का अगला भाग:
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