दोस्त की बहन पिंकी की चूत की चुदाई
वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मेरा लण्ड उसके चूतड़ों से दबा हुआ था। मेरा लण्ड अब तक खड़ा हो गया था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं पिंकी को बार-बार ‘कोई देख ना ले..’ ये कहकर और ज़ोर से खींच रहा था।
जवान लड़की को प्रेम प्यार के चक्कर में फांस कर सेक्स का मजा लेने या अपनी अन्तर्वासना शांत करने के लिए चूत चुदवाने वाली कहानियाँ हिंदी में
jwan Ladki Ko Prem Pyar ke chakkar me fans kar sex ka maja lene ya apni antarvasna shant karne ke liye bur chudvane vali kahaniyan
Indian Sex stories of teen girls and Boys
वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मेरा लण्ड उसके चूतड़ों से दबा हुआ था। मेरा लण्ड अब तक खड़ा हो गया था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं पिंकी को बार-बार ‘कोई देख ना ले..’ ये कहकर और ज़ोर से खींच रहा था।
उसने मुस्कुराते हुए अपने होंठ सिकोड़े और मेरे लंड को पूरा मुँह के अन्दर भर लिया। उसने जो पूरी लम्बाई का मेरा लंड अन्दर लिया.. तो पहली बार उसे खांसी आई। 'पूरा नहीं जाता..'
सोमू यार, तुम जैसा चोदू हम को आज तक नहीं मिला। क्या चुदाई का स्टाइल है तुम्हारा, कितनी देर तक चुदाई करने की क्षमता है तुम में। उफ्फ, ऐसा चोदू हमको कभी नहीं मिल सकता।
कुछ कामिनियाँ ऐसी होती हैं जो चूत लण्ड जैसे शब्द कभी मुंह से नहीं ले सकतीं, कुछ अत्यंत शर्मीली लज्जालु होती हैं वे चुपचाप लेट कर चुदवाना पसन्द करतीं हैं, पूरी नंगी भी नहीं होतीं और अपना कोई सहयोग भी नही देतीं...
'और तेज तेज धक्के मारो मुझे… गाली दे के चोदो मुझे… जैसे मेरी मम्मी चुदवाती है पापा से!' वो अपनी कमर उछालते हुए तड़प कर बोली।
'तुम्हारी मम्मी को गाली सुनते हुए चुदवाना पसन्द है... कौन सी गाली देते हैं तुम्हारे पापा?' मैंने धक्के लगाते हुए पूछा।
एक सुन्दर यौवना मेरे पड़ोस में रहती थी, मैं उसे पसन्द करता था और शायद वो मुझे भी… उसे देख कर मेरा दिल मचल जाता था और वो मुस्कुरा देती थी। और एक शाम…
जब कोई लड़की अपनी चूत अपने हाथों से खोल कर इस तरह से लेटकर चोदने का न्यौता देती है तब यह उसके समर्पण की पराकाष्ठा होती है, अपनी लाज शर्म त्याग कर ही वो ऐसा कर पाती है...
फोटोकॉपी की दुकान पर काम करने वाली सेक्सी जवान लड़की को कैसे पटा कर मैंने उसे चोदा, बस यही है इस कहानी में… पढ़ कर मज़ा लीजिये।
पहली बार अपनी चूत फड़वाना और वो भी जैसे अधेड़ से.. ये थोड़ा अजीब था, ये बेमेल रिश्ता हुआ कैसे? यह मेरी समझ में तब आया.. जब उसने खुल कर बात बताई।
आरती के कहने पर मैंने वत्सला को अपनी बाहों में भर लिया और उसके कुंवारे बदन से खेल कर उसे मज़ा देने लग, उत्तेजित करने लगा। वो बेचैन हो उठी थी।
मैं घर पर अकेला था, पड़ोस की युवती रीमा ने आकर घर से चूहा निकालने में मदद मांगी। फ़िर वो रात को मेरे घर सोने आई क्योंकि उसे अकेले घर में डर लग रहा था।
मेरी एक क्लासमेट दोस्त बहुत अमीर घर से थी। मैं उसे चोदना चाहता था तो उसे अपनी इच्छा बताई। एक दिन उसने मुझे अपने घर चलने के लिये बोला तो मैं समझ गया कि आज चूत मिल जाएगी।
वत्सला ने डरते डरते अपनी जीभ मेरे लण्ड से छुआ दी, फिर दुबारा थोड़ा और शहद चाट लिया। मैंने भी लण्ड को आगे की तरफ कर दिया और वत्सला रुक रुक कर लण्ड पर अपनी जीभ लगा लगा कर चाटने लगी।
कुछ देर बाद उसने मुंह हटा लिया और उसकी लार से चुपड़ा हुआ मेरा लण्ड लहराने लगा; उसके मुखरस का एक गाढ़ा सा तार अभी भी मेरे लण्ड और उसके होठों के बीच झूल रहा था।
मैं उसकी नाभि और कमर के हिस्से पर चुम्बन करने लगा और सच बताऊँ तो उसकी साँसें ऐसे ऊपर-नीचे हो रही थीं कि मैं उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
'आ जाओ बड़े पापा... मैं नंगी हो रही हूँ... और अपनी चूत के पट अपने हाथों से खोल के लेटती हूँ आपके स्वागत के लिए...हा हा हा!' आरती हँसते हुए बोली और फोन कट गया।
शाम को पिंकी की जगह सोनी खाना बनाने आई। उसने पूछ ही लिया कि हम दोनों ने सेक्स किया था। वो पार्टी मांगने लगी तो अगले दिन दोपहर की पार्टी तय हुई।
सुबह आरती मुझे दूसरी चाय देने आई तो मैंने उसे पास बिठाया और उसके जवाँ बदन का मज़ा लेने लगा। तब हम दोनों में वत्सला की चुदाई की बातें हुईं, पढ़ें इस कहानी में !
मेरी कम्पनी में एक नई लड़की आई और उसे मेरे पड़ोस में ही फ़्लैट मिला कम्पनी से... अक्सर सामना होने पर हाय हेलो होने लगी और आगे चल कर ...
मेरे अहसास की रंगीनियों को अब तक आपने पढ़ा.. वो टी-शर्ट ऊपर सरकाने लगा.. पर मैं पेट के बल लेटी थी.. तो टी-शर्ट ज्यादा ऊपर नहीं गई। अचानक से मुझे मेरे पेट पर कुछ महसूस हुआ। समीर की गर्म हथेली मेरे पेट के ऊपरी हिस्से में थी.. और जैसे ही उसने मुझे वहाँ पकड़ा.. मैं […]