चाची ने भतीजे को चुदाई का पाठ पढ़ाया- 1

(Desi Chachi Nude Bath Story)

देसी चाची न्यूड बाथ स्टोरी में मेरी चाची कड़क माल थीं. मैं उनके साथ रहने की कोशिश करता था. एक दिन मैंने चाची को बाथरूम में पूरी नंगी नहाती देखा.

हैलो लंड वालो, आप सभी अपनी अपनी जिप खोलकर लंड बाहर निकाल लो और मुट्ठ मारने के लिए मूड बना लो.
क्योंकि आपका दोस्त शरद एक बार पुन: आपका रस निकलवाने के लिए हाजिर है.

इसी के साथ लड़कियों, भाभियों और प्यासी आंटियों को भी मेरी यह नई सेक्स कहानी चुत में उंगली, मोमबत्ती, गाजर, मूली आदि डालने के लिए गर्म करने वाली है.

यह मेरी कल्पना की उड़ान लेती एक नई कहानी है.
इस कहानी का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है.
मैं इस देसी चाची न्यूड बाथ स्टोरी को बस आपके जिस्म की खुजली बढ़ाने के लिए लिख रहा हूं.

मैं शरद सक्सेना उर्फ आशु हूँ, उम्र 21 साल, लंबा तगड़ा कसरती बदन वाला लड़का हूं.
चेहरा-मोहरा भी ठीक-ठाक है.

कई लड़कियां मेरी दोस्त हैं, पर मेरी चाची जैसी कोई नहीं.

जब चाचा की शादी हुई थी तब मैं जवान हो गया था.

मेरी चाची उस समय 24 साल की कड़क माल थीं.
उम्र के साथ ही उनके यौवन में और निखार आता जा रहा है.

चूंकि हम लोग ज्वॉइंट फैमिली से हैं और मेरी चाची ऊपर के माले में रहती हैं.

मैं नई युवा पीढ़ी का हूं इसलिए यह नहीं कह सकता कि मुझे सेक्स या चुदाई के बारे में नहीं पता, पर मैंने किसी चुत का स्वाद अभी तक नहीं लिया है.

बात कुछ दिन पहले की ही है … मतलब यही कोई 20-25 दिन पहले की बात है.
संयुक्त परिवार में रहने के कारण मैं जब भी चाहूं उनके कमरे में बेधड़क जा सकता हूं.

बस यही बेधड़क आने जाने की छूट ने एक दिन मेरी देसी चाची की चुदाई की कहानी बना दी.

हुआ यूं कि उस दिन चाचा को कहीं बाहर जाना था तो चाचा ने मुझसे कहा- आशु, मुझे कुछ काम से बाहर जाना है … तुम अपनी चाची का ध्यान रखना!
मैंने हामी भर दी.
मुझे तो मौका चाहिए था, मैं सारा दिन भर चाची के आस-पास ही घूमता रहा.

फिर जब रात हुई तो मैं चाची के कमरे में पहुंच गया.
चाची उस समय ब्लैक कलर की मैक्सी पहनी हुई थीं.
वे उस मैक्सी में गजब की माल लग रही थीं और कहर ढा रही थीं.

चाची ने मुझे देखा तो वे बोलीं- रात हो चुकी है, तू यहां क्या कर रहा है?
मैंने बड़ी मासूमियत से कहा- चाचा ने कहा था कि मैं आपका ध्यान रखूं, इसलिए मैं आपके साथ यहीं सोऊंगा.

चाची ने पहले तो मना किया लेकिन दो-चार बार बोलने के बाद वे मान गईं.
हम दोनों काफी समय तक बातें करते रहे और फिर सो गए.

करीब आधी रात के बाद मुझे लगा कि मेरा लंड कहीं टकरा रहा है.
मेरी नींद खुल गई, देखा तो मेरा एक हाथ चाची के चूची के ऊपर था, एक पैर चाची के ऊपर था और लंड उनके चूतड़ों के बीच में मतलब गांड से सटा हुआ था.

मैं हड़बड़ा गया और झट से उनसे अलग हो गया.
मेरी आंखों से नींद कोसों दूर हो चुकी थी.

चाची अभी भी गहरी नींद में थीं.

कुछ देर बाद उन्होंने करवट बदली और मेरी नजरों के सामने उनकी चूचियां और उनकी गहराई … दोनों ही गर्मी परोस रही थीं.
मैं चोर नजरों से चाची के दूध घूरता ही जा रहा था.

मेरे हाथ बार-बार उनके मम्मे को पकड़ कर दबाने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे लेकिन गांड फट कर फ्लावर हुई पड़ी थी तो मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी.

किसी तरह मैंने रात करवट बदल-बदल कर काटी और चाची के उठने से पहले मैं अपने कमरे में आ गया.
मेरी बेचैनी इतनी थी कि मुट्ठ मारने के बाद ही मैं सो पाया.

सुबह चाची ही मुझे जगाने आईं, उनकी नजर मेरे लोअर के ऊपर टिकी हुई थी.
उनके इस तरह देखने के कारण मेरी नजर भी लोअर पर चली गई.

लोअर के बीचो-बीच दाग चीख-चीख कर मुट्ठ मारने की शिकायत कर रहे थे.
मैं झेंप गया और चादर को तुरन्त अपने ऊपर खींच लिया.

चाची बिना कुछ बोले कमरे में चली गईं.

थोड़ी देर बाद अपने को सही करने के बाद मैं बाहर आ गया.
मैं चाची से नजरें नहीं मिला पा रहा था.

उस रात के बाद चाची के प्रति मेरा नजरिया बदल गया और मैं दूसरे दिन चाची के आस-पास ज्यादा से ज्यादा रहने की कोशिश करता रहा.

मुझे चाची और ज्यादा कामुक और अच्छी लगने लगी थीं.
एक पल के लिए भी उन्हें छोड़ने का मन नहीं कर रहा था.

इसी चक्कर में एक बार फिर से मैं चाची के कमरे में उनको देखने के लिए चला गया.
उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था, मैंने झांककर अन्दर देखा, कोई नजर नहीं आया.

तभी मुझे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई.
मैं कमरे में चला गया और बाथरूम के अन्दर झांकने की कोशिश कर रहा था.
उधर बाथरूम में बने एक रोशनदान के अतिरिक्त ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था, जिससे मैं आसानी से अन्दर देख सकूं.

इसलिए मैं पास रखे स्टूल पर चढ़ गया और रोशनदान से झांकने लगा.
चाची पूरी नंगी थीं.

वे शॉवर के नीचे गोल-गोल घूम कर नहा रही थीं.
उनको नग्न देखकर मैंने अपने लंड को पकड़ लिया.

चाची के जिस्म का हर हिस्सा बड़ा ही सेक्सी था.
उनकी उठी हुई गोल-गोल गांड, खरबूजे की तरह चूचियां, जिस पर अंगूर जैसे निप्पल एकदम तने हुए थे और अपने निप्पलों को चाची अपनी उंगलियों से मसल रही थीं.

नीचे उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच बन पाव की तरह उभरी हुई चूत, जिसकी फांकों के बीच चाची बार-बार उंगली चलाकर उसका स्वाद ले रही थीं.

चाची के जिस्म की संरचना ऐसी थी कि पानी की कोई बूंद टिक ही नहीं पा रही थी.

देसी चाची न्यूड बाथ के नज़ारे से मेरे मुँह में पानी भर आया.
मेरी जीभ बार-बार चूत चाटने के लिए लपलपा रही थी.

जितनी देर चाची नहाती रहीं, उतनी देर तक मैं केवल उनको निहारता रहा.

कुछ देर बाद मेरी तंद्रा शॉवर के बंद होने की आवाज से टूटी, मैं तुरन्त उतरकर स्टूल को अपनी जगह व्यवस्थित करके दबे पाँव कमरे से बाहर अपने कमरे में आ गया.
अब मैं चाची को चोदने का प्लान करने लगा था क्योंकि चाची को देखने का मेरा नजरिया बदल गया था.

मैं रात का इंतजार करने लगा.
आज चाहे कुछ हो जाए, पर मैं चाची से चिपक कर ही सोऊंगा.

पर ये क्या … चाचा वापिस आ गए!
शायद इसी को खड़े लंड पर धोखा देना कहते हैं.

इस समय चाचा मुझे कवाब में हड्डी की तरह नजर आ रहे थे.

अब तो चाची के साथ चिपक कर सोने का प्लान धाराशायी हो गया था.
मुझे खुद पर और चाचा दोनों पर ही गुस्सा बहुत आ रहा था.
बड़ी मुश्किल से मेरी रात कटी.

सुबह-सुबह चाचा कमरे में आए और मुझे झकझोरते हुए बोले- सोता ही रहेगा क्या, चल मुझे स्टेशन छोड़कर आ!
मैं तुरन्त ही उठा और चाचा को छोड़ने के लिए स्टेशन चल पड़ा.

चाची को नहाते हुए देखने के चक्कर में कमरे में घुसने लगा, पर मेरी किस्मत … मैं उस दिन चाची को नहाते हुए नहीं देख सका क्योंकि मेरे आने से पहले ही चाची नहाकर बाथरूम से बाहर आ चुकी थीं.
वे अपने दूध जैसे जिस्म पर काली पैंटी पहन कर अपनी चूत और गांड को छिपा चुकी थीं और ब्रा पहन रही थीं.

मैं ठिठक कर और किसी बुत की तरह स्थिर हो गया.
मेरी नजर चाची के दूध जैसे जिस्म पर जाकर अटक गई.

आधी पहनी ब्रा और जांघों पर चढ़ी पैंटी में चाची काम देवी नजर आ रही थीं.

मेरी नजर उनके संगमरमरी बदन से हट ही नहीं रही थी.

चाची को देखकर मेरा तो पूरा जिस्म थर्राने लगा, हाथ-पाँव काँपने लगे थे.

तभी चाची की नजर मेरे ऊपर पड़ी.
मैं हड़बड़ाते हुए ‘सॉरी चाची, सॉरी चाची’ कहते हुए बाहर जाने लगा.

‘रुको!’
मैं रुक गया.

‘चल जल्दी से आकर ब्रा का हुक लगा दे!’
चाची ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रही थीं लेकिन उनसे लग नहीं पा रहा था.

हालांकि वे ब्रा के कप्स से अपने गोल-गोल खरबूजे जैसे उजले दूध छिपा चुकी थी, बस एक हाथ को पीछे करके ब्रा का हुक लगाने का असफल प्रयास रही थीं.

अभी भी मैं बुत के समान खड़े होकर बस उनको निहारे ही जा रहा था.

तभी चाची झल्लाती हुई बोलीं- अब वहीं से घूरता रहेगा कि आकर हुक भी लगाएगा!

मैं कांपते पैरों से चाची के पास गया और हुक लगाने लगा.
चाची का जिस्म तरो-ताजे फूल से आती हुई सुगंध की तरह महक रहा था.

मेरा लंड तन चुका था, मैं हुक लगाते हुए जानबूझ कर चाची से सट गया.

चाची के चूतड़ों से मेरा तना हुआ लंड टच हो रहा था.
एक तो वैसे ही मेरे हाथ-पैर फूल रहे थे, हलक सूखा जा रहा था, उस पर चाची अपनी गांड हिलाए पड़ी थीं.
बड़ी मुश्किल से मैं उनकी ब्रा के हुक को लगा पाया.

जैसे ही हुक लगा, मैं झट से चाची से दूर होकर खड़ा हो गया.

चाची घूमी और बोलीं- हां, अब बता क्या बात है?

उन्हें यूं अधनंगी देख कर मेरा हलक सूख रहा था.

चाची ने वहीं पड़ी हुई अपनी सलवार और कुर्ते को पहना और फिर मेरी तरफ देखती हुई बोलीं- बता न … क्या काम है?
‘कुछ नहीं चाची, बस यही बताने आया था कि चाचा को मैं स्टेशन छोड़कर आ गया हूं.’ मैंने हकलाते हुए कहा.

‘ठीक है.’ वे थोड़ा मुस्कुराती हुई बोलीं.

अभी भी मैं वहीं खड़ा था.

‘अब खड़ा क्यों है, जा यहां से!’
‘चाची आप बहुत खूबसूरत हो!’ इतना कहकर बिना उनका रिएक्शन देखे मैं उनके कमरे से भागकर अपने कमरे में आ गया.

मैं बार-बार कोशिश कर रहा था कि चाची अकेली हों, तो मैं उनके पास जाऊं.
पर चाची किसी न किसी बहाने मां के पास बनी हुई थीं.

हालांकि इस बीच चाची मुझसे कई बार टकराईं, पर उन्होंने मुझे उस बात का कोई रिएक्शन नहीं दिया.
इस तरह से पूरा दिन और शाम बीत गई, फिर रात आई और खाना खाकर सब फ्री हो गए.
चाची अपने रूम में चली गईं.

मैं भी बेशर्म आशिक की तरह चाची के पीछे-पीछे उनके कमरे में घुस गया.

नाइटी में चाची मादकता से भरपूर, कामुक, यौवन से परिपूर्ण, काम वासना युक्त एक प्यारी और प्यासी नारी मुझे नजर आ रही थीं.

पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा था कि वे भी चाहती हैं कि मैं उन्हें चोदूं.
पर वे अपनी तरफ से ऐसा कोई इशारा भी नहीं कर रही थीं.

मैं जाकर उनके बगल में लेट गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी.

चाची करवट करके लेटी हुई थीं, उनके उभार लिए हुए चूतड़ मेरी ही तरफ थे.

मेरे हाथ बार-बार उनकी गांड को सहलाना चाह रहे थे, पर हिम्मत नहीं पड़ रही थी.

मेरा लंड टाइट हो चुका था, लोअर फाड़कर बाहर आने को बेताब था.
मैंने लोअर को हल्का सा नीचे किया और लंड को उनकी गांड से टच कर दिया.

जब चाची ने कोई हरकत नहीं की तो मैं चाची से थोड़ा और सट गया और अपने हाथ को उनके वक्षस्थल पर टिका दिया.
फिर अपनी टांगें भी उनकी कमर के ऊपर टिका दीं.

अब तक मेरा लंड उनकी गांड से सट चुका था कि तभी चाची ने अपनी गांड को हिलाया तो मैं एक बार फिर से डर गया और उनसे अलग हो गया.

मैं सोचने लगा कि अगर डरेगा तो केवल मुट्ठ मारकर ही काम चलाना पड़ेगा … साले हिम्मत कर और कोशिश कर … डर के आगे जीत है!

बस यही सोचकर मैं चाची के गाउन को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाने लगा.
लेकिन पैरों में फंसा होने के कारण ज्यादा उठ नहीं रहा था.

उनकी गोरी-गोरी टांगें मेरे सामने थीं, मुझे रहा न गया और मैंने उठकर चाची की टांगों को चूम लिया.
मेरी उत्तेजना में बढ़ोत्तरी होती जा रही थी, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

मैं गाउन ही फाड़ देना चाहता था.
सब कुछ मेरे संयम से बाहर होता जा रहा था और इसी वजह से मुझे अब खुद पर गुस्सा भी आने लगा था.

मैं मौका जाने नहीं देना चाहता था और समय निकला जा रहा था.

मैंने अपने सब कपड़े उतार दिए और चाची से सट गया.
मैं उनकी चूचियों को मसलने लगा.

चाची सीधी होकर लेट गईं, उतने ही देर में मैंने चाची के गाउन में बंधी डोरी की गांठ को खोल दिया.
उनका गाउन सामने से खुलकर बिखर गया.

चाची ने अन्दर न तो ब्रा पहनी थी और न ही पैंटी.
उनके तने हुए निप्पल बिल्कुल मेरे सामने थे, मैंने तुरन्त उन्हें चूसना शुरू कर दिया.

चाची मुझे धक्का देती हुई बोलीं- आशु, ये क्या कर रहा है?

मैंने चाची को तुरन्त ही अपने हाथ और पैर से जकड़ लिया.
मैं गिड़गिड़ाता हुआ बोला- चाची, मैं आपको बहुत प्यार करता हूं … मुझे आपको प्यार करना है!

‘प्यार करना है या चोदना है?’
‘आप कुछ भी समझो, बस करना है!’ यही कहते हुए मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

गूं-गूं करके अपने आपको मेरी जकड़ से छुड़ाती हुई और कसकर मेरे गालों में तमाचा मारती हुई चाची बोलीं- भोसड़ी के … ऐसे प्यार किया जाता है!

मेरे गाल झनझना उठे और मैं अपने गालों को सहलाने लगा.
तभी चाची ने बड़े ही प्यार से मेरे गालों को सहलाया और चूमती हुई बोलीं- चल सीधे लेट … मैं बताती हूं कि प्यार कैसे किया जाता है!

मैं सीधा लेट गया.

चाची ने अपने गाउन को जिस्म से अलग कर दिया और नंगी होकर मेरे ऊपर बैठ गईं.

उनके अपने ऊपर बैठते ही मुझे उनकी चूत की गर्मी का अहसास होने लगा.
चाची की चूत ऐसे लग रही थी जैसे कि आग का गोला हो.

इसी बीच चाची मेरे ऊपर झुकीं और बड़े ही प्यार से मेरे होंठों को चूसने लगीं.

फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी और वे अपनी जीभ को घुमाने लगीं.

उसके बाद मेरी पलकों को चूमती हुई दोनों कानों को बारी-बारी दांत से काटती हुई मेरे गले में चुंबन की बौछार करने लगीं और मेरे एक निप्पल को चूसने लगीं.
फिर वे मेरी छाती को दबाते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगीं.

वे मेरी एक जांघ की मुलायम चमड़ी को चाटने लगीं और धीरे से मेरे लंड पर जीभ चलाती हुई उसे अपने मुँह के अन्दर भर लिया.

मैं इतना उत्तेजित था कि मैंने अपनी कमर उचका दी.
मेरा पूरा लंड चाची के मुँह के अन्दर चला गया.

कुछ देर मेरे लंड को चूसने के बाद बोलीं- देख आशु, ऐसे प्यार करके लड़की या औरत को चुदाई के लिए तैयार करते हैं!
यह कहती हुई चाची मेरे बगल में लेट गईं.

दोस्तो, मैं चाची के साथ किस तरह से चुदाई का पाठ सीखा, यह सब आपको अगले कुछ भागों में पूरे विस्तार से लिख कर बताऊंगा.
साथ ही आपको मेरी चाची की मस्त चुदाई की कहानी का मजा तो मिलेगा ही.

आप सब प्लीज मेरी इस देसी चाची न्यूड बाथ स्टोरी वाली सेक्स कहानी पर अपने विचार जरूर भेजें.
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देसी चाची न्यूड बाथ स्टोरी का अगला भाग:

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