मौसी और उनकी जेठानी की चुदाई- 3

(Full Porn Mausi Sex Kahani)

फुल पोर्न मौसी सेक्स कहानी मेरी मौसी की है जो अपने पति के सेक्स से नाखुश थी. वो अपने पति को गाल्लियाँ निकालती थी. मौसी को मेरे लंड से प्यार हो गया था.

दोस्तो, आपके सामने मैं राहुल एक बार फिर से अपनी मौसी रूपाली की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
जवान मौसी की गांड मारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि रूपाली मेरे साथ चुदाई में गाली देकर बात करने लगी थी.

अब आगे फुल पोर्न मौसी सेक्स कहानी:

मैंने रूपाली से कहा- गाली देने से प्यार जागता है मेरी जान!
रूपाली- हां राहुल, तुझे नहीं पता. मैं तुझसे कितना प्यार करती हूँ. जब तूने मुझसे कहा था कि तू नीतू दीदी को चोदना चाहता है, तो सच में मेरा मन किया कि उस साली छिनाल की जान ले लूँ. लेकिन बहुत सोचने के बाद मुझे लगा कि तूने कुछ सोच कर ही उसे चोदने को बोला होगा. मैं उस रात तुम दोनों की चुदाई देख रही थी कि कैसे तू मजे से उसकी चूत मार रहा था. एक बार के लिए मुझे लगा कि शायद ही तू अब कभी मुझे हाथ लगाए, आखिर नीतू रंग रूप सब में मुझसे अव्वल है.

मैं- ऐसा नहीं है मेरी जान, अभी भी मैं तुझसे ही सबसे ही ज्यादा प्यार करता हूँ. अगर मेरा बस चले, तो तुझसे शादी करके सच में अपनी पत्नी बना लूँ. लेकिन तू भी जानती है कि ऐसा हमारे लिए संभव नहीं है.
रूपाली- शादी नहीं कर सकता तो क्या हुआ … तू मुझे मां तो बना सकता है. मैं बहुत दिनों से सोच रही थी कि अब हर्ष के बाद इस दुनिया में आने वाली अगली संतान जो होगी, उसमें तेरा ही बीज हो. ताकि तेरा अंश हमेशा मेरे पास रहे.

इस तरह की बातें हम दोनों को जोश दिला रही थीं और हम दोनों ही एक दूसरे को हचक कर चोदने में लगे हुए थे.
रूपाली की चूत में इतनी तेजी से लंड अन्दर बाहर हो रहा था कि कमरे में फच्च फच्च का शोर हो रहा था.

मैंने रूपाली के दोनों कंधे पकड़ कर उसे अपने ऊपर झुका लिया और उसका एक दूध मुँह में भर लिया.
उसका चूचा चूसते हुए मैं उसे चोदने लगा.

कभी कभी मैं उसकी गांड पर जोर से चमाट लगा देता तो उसके मुँह से ह्म्म्म जैसे कराह निकल जाती.
लेकिन फिर भी रूपाली उसी गर्मजोशी से मेरा साथ दे रही थी.

हम दोनों सारी बातें इतनी तेज आवाज में कर रहे थे कि बाहर आंगन के किसी भी हिस्से में भी बैठ कर हमारी बातें सुनी जा सकती थीं.

रूपाली की चूत प्रीकम से एक बार फिर से लबलबा गई थी.

मैं नीचे से इतनी जोरों से अपनी कमर उचका कर रूपाली को चोद रहा था कि उसके मुँह से आह्ह … शाबाश मेरे राजा … अब चोद रहा है तू मुझे चोदू के जैसे … आअह्ह हाय … और जोर लगा … आह और जोर से चोद मेरी चूत भोसड़ी के… य्ह्ह्ह … उम्म्म अब रूक मत … पूरा दम लगा के चोद भोसड़ी के … अब मैं आने वाली हूँ.

इतना कहते ही रूपाली मेरे सीने पर गिर गई और मेरी छाती को यहां-वहां चूमने लगी.

उधर मैं नीचे से अभी भी उसे चोदने में लगा हुआ था.
तभी रूपाली का बदन अकड़ने लगा; उसकी गर्म सांसें मेरे सीने पर लग रही थीं.

तभी रूपाली की चूत ने रस का बांध तोड़ दिया और उसकी चूत से लावा बहने लगा.

उसकी चूत से बहता रस मेरे लंड से लिपटता हुआ मेरे पेट और लंड के आस पास गिरने लगा.

जब तक रूपाली झड़ती रही, तब तक मैं उसकी चूत में हल्के धक्के लगाता रहा.
पूरी तरह से झड़ने के बाद रूपाली मेरे ऊपर ही पड़ी रही.

लेकिन मेरा लंड भी झड़ने के बेहद करीब था इसलिए मैंने रूपाली को अपने ऊपर से ऊपर से उतार दिया और बेड पर लिटा दिया.
फिर मैंने उसकी टांगें पकड़ कर कमर के नीचे का हिस्सा बेड के नीचे लटका दिया.

मैंने उसकी एक टांग उठाई और सामने से खुली दिख रही उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
लंड पर सारी नसें ऐसे उभर आयी थीं कि जैसे नसें न हों, छोटे सांप के बच्चे और लंड खुद काले नाग जैसा फुंफकार रहा हो.

मेरे आंड भी फूल कर भारी हो गए थे.
जब मुझे लगा कि अब मेरा माल किसी भी वक़्त निकलने वाला है तो मैंने जल्दी से अपना लंड चूत से खींच कर निकाल लिया.

मैं मौसी के मुँह को चोदने लगा.

कुछ देर में लंड से वीर्य की एक धार निकली जो सीधे हलक के अन्दर चली गई.
अब रूपाली मेरा लंड चूसने लगी और मेरा लंड धीमे-धीमे अपना माल उगलने लगा.
जब तक मेरे लंड से माल निकलता रहा, तब तक रूपाली मेरे लंड को चूसती रही.

पूरा माल पीने के बाद लंड उसके मुँह में सुकड़ने लगा.
फुल पोर्न का मजा लेने के बाद मैंने घड़ी में देखा, तो सुबह के चार बज रहे थे.

मैंने मौसी से कहा- अब तुम्हें जाना चाहिए, नहीं तो अब सच में मौसा जी जाग जाएंगे.
रूपाली ने भी हां में सर हिलाया और मुझसे कमरे की लाइट जलाने को बोला.

मैंने उसके कहे अनुसार कमरे की लाइट जला दी.

रूपाली ठीक मेरे पीछे खड़ी थी और उसके बदन मेरे वहशीपन के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे.
रूपाली के शरीर पर जगह-जगह लाल गुलाबी निशान दिखाई दे रहे थे और उसके चूचों, गर्दन पर मेरे काटने के निशान तो दूर से ही साफ़ दिखाई दे रहे थे.

मैंने उससे पूछा- इन निशानों के लिए क्या कहोगी, जब मौसा पूछेंगे कि ये निशान कैसे आए?
तो रूपाली बोली- वो आप सब मुझ पर छोड़ दो.
इतना बोल कर वो मुस्कुरा दी और अपने कमरे की तरफ जाने लगी.

चलते समय रूपाली अपनी दोनों टांगों को खोलकर चल रही थी.
मेरे पूछने पर उसने बताया कि इतनी जोरदार तरीके से चोदा है, तो चूत में जलन हो रही है.

मैंने रूपाली से कहा- लाओ चाट कर जलन दूर कर देता हूँ.
इस बात पर उसने मेरे सीने पर एक मुक्का मार दिया और कहा- हां ताकि आपका लंड फिर से खड़ा हो जाए और आप मुझे यहीं आंगन में सुबह तक चोदते रहो.

मैंने रूपाली को सहारा दिया और हम दोनों उसके कमरे में चले गए.
वहां मैंने देखा कि नीतू अपने देवर के सीने से अपनी पीठ सटा कर ऐसे सो रही थी, जैसे वो उसका पति ही हो.

मौसा जी ने अपना एक हाथ उसकी बाजू के ऊपर से ले जाकर उसकी एक चूची पर रखा हुआ था. अपनी एक टांग नीतू की जांघ के ऊपर रखी थी और लंड तो ठीक नीतू की चूत के मुहाने पर रखा था.

ऐसा सब देख कर मुझे तो एक बार को ये लगा कि कहीं मौसा जी ने रूपाली के धोखे में कहीं अपनी भाभी की चूत तो नहीं मार दी.

लेकिन फिर मौसा जी का छोटा सा लंड देख कर मेरी हंसी निकलते निकलते रूक गई.
मैंने मौसा जी का लंड रूपाली को दिखाया, तो उसने सड़ा सा मुँह बना लिया.

मैं मौसा जी का लंड देख कर सोच में पड़ गया कि सच में अगर पुरूष के पुरूषार्थ में कमी आ जाए तो घर की इज्जत बाहर नीलाम होते देर नहीं लगती.
देर सबेर लंड की अंधी औरत अपने सुख के इंतजाम के लिए गलत राह पर चल पड़ती हैं, फिर चाहे वो कितनी ही पतिव्रता और शिष्टाचारी कुल वधू ही क्यों न हो.

अभी मैं अपने ख्यालों में खोया था कि रूपाली की आवाज ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा.

मैंने देखा कि रूपाली धीमी आवाज में नीतू का नाम लेकर उसे जगा रही थी.
लेकिन गहरी नींद में होने की वजह से नीतू पर कोई असर नहीं हो रहा था.

कई आवाजें लगाने पर भी जब नीतू नहीं जागी तो मैंने उसे थोड़ा सा हिलाया.

तो नीतू ने जागने की जगह एक करवट ले ली और अपनी चूचियां मौसा जी के सीने में धंसा कर सोने लगी.
अब मौसा जी का लंड ठीक नीतू की चूत के छेद को चूम रहा था.

नीतू को जगाना मुश्किल लग रहा था क्योंकि शायद वो बहुत गहरी नींद में थी.

इससे पहले मौसा जी नीतू से और चिपकते, मैंने उससे पहले ही फुर्ती दिखाई.
मैं बेड पर घुटनों के बल चढ़ा और नीतू की कमर में हाथ डाल कर उसे बाहर की तरफ खींचा.

नीतू अब मौसा जी की पहुंच से दूर थी लेकिन अभी भी वो सो रही थी.
मैंने रूपाली से पूछा कि अब क्या करें.

रूपाली ने खिसिया कर कहा- करना क्या है, इसे गोद में उठाइए और इसे यहां से लेकर जाइए वरना आपके मौसा उठ जाएंगे.
मैं नीतू को लेकर कमरे से बाहर निकला.
केवल हमारे कमरे की लाइट जल रही थी बाकी पूरे घर में अंधेरा हुआ पड़ा था.

मैं आंगन में पहुंच कर रूक गया.
वह दृश्य ही इतना मनमोहक था.

ऊपर आंगन पर लगे जाल से चाँद की हल्की रोशनी छन कर आ रही थी जो सीधे नीतू के नंगे जिस्म पर पड़ रही थी.
इस समय नीतू का बदन ऐसा लग रहा था जैसे चांदी की परतों से ढका हुआ हुआ हो.

उसकी आकर्षक देह लचकती कमर और चेहरे पर इस संसार की सारी मासूमियत का समावेश.

मैंने उसके माथे को चूमा और अपना अंडरवियर पहन कर बिस्तर पर सो गया.

सुबह दस बजे के करीब रूपाली मुझे जगाने आयी.

जैसे रूपाली मुझे जगा कर जाने के लिए मुड़ी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने बिस्तर पर बिठा लिया.

मैं- रात को ज्यादा तकलीफ हुई क्या?
रूपाली- नहीं आपके जाने के बाद मैं कुछ देर के लिए सो गई. फिर सबके जागने से पहले उठ कर अच्छे से नहा ली.

मैं- मौसा जी को पता तो नहीं चला कि तुम रात भर मेरे साथ थी?
रूपाली- उस चूतिये को कुछ पता नहीं चला. सुबह कितनी देर जगाने के बाद जागा और तुरंत तैयार हो कर निकल गया.

मैं- और अगर आज रात तुमको मौसा जी चोदने के लिए कोशिश करेंगे, तो तब तुम क्या करोगी?
रूपाली- अब तो मेरा मन ही नहीं करता उस गांडू से चुदवाने का. अगर सेक्स के लिए बोलेगा, तो कोई बहाना बना कर टाल दूंगी. आप जल्दी से नहा लीजिए.

मैं उठा और सीधे बाथरूम में घुस गया.
नहा कर निकलने के बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में जा कर लेट गया.

मेरा मोबाइल बजने लगा, देखा तो मां का फोन आ रहा था.
मैंने रूपाली से बात करने को कहा और फ़ोन उसे दे दिया.

रूपाली ने फ़ोन उठाया- हैलो दीदी नमस्ते!
मां- नमस्ते!
रूपाली- कैसी हो आप?
मां- मैं ठीक हूँ और राहुल का फ़ोन तुम्हारे पास कैसे?

रूपाली- हां, वो घर के काम में लगा हुआ है … तो उसका फ़ोन मैंने उठा लिया.
मां- और राहुल के मौसा अपने काम से लौटे या नहीं?

रूपाली- हां, वो तो कब का, दो दिन पहले ही आ गए थे.
मां- तो आखिर राहुल वहां कब तक रहेगा, उसे आना नहीं है क्या?

रूपाली- वो तो जाने के लिए कह रहा था लेकिन मैंने उसे जाने नहीं दिया.
रूपाली ने नीतू को फ़ोन पकड़ाया और मेरे पास आ गई.

नीतू- नमस्ते दीदी!
मां- अरे तुम कब आयी नीतू?

नीतू- वो जब हर्ष और उसके पापा काम के लिए बाहर जा रहे थे तो छोटे (मौसा जी) ने खुद फ़ोन करके मुझे बुलाया था तो मैं तभी आयी थी.
मां- राहुल ने तुम लोगों को परेशान तो नहीं किया?

नीतू- अरे नहीं दीदी, राहुल तो सच में बड़ा अच्छा लड़का है. दिन रात हम दोनों का खूब अच्छे से ख्याल रखता है.
इतना बोल कर नीतू ने मेरी तरफ देखकर आंख मार दी.

कुछ देर हम वैसे ही बातें करते रहे और हम तीनों साथ खाना खाने बैठ गए.

मैंने रूपाली से घर जाने की बात कही तो उसका मुँह उतर गया.
‘कुछ दिन और रूक जाइये न आप!’ रूपाली भारी मन से कहा.

मैंने उसे समझाया कि मेरी जान घर जाना भी जरूरी है. घर में भी मां का हाथ बंटाने वाला कोई नहीं है और वैसे भी अब तो मौसा जी भी घर आ गए हैं. आखिर कब तक मैं यहां रहूँगा, कभी न कभी जाना ही है. तो आज ही सही.

रूपाली ने भारी मन से मुझे जाने की इजाजत दी.
तभी नीतू ने कहा- मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगी. रास्ते में मुझे मेरे घर पर छोड़ देना!

खाना खाने के बाद मैं जैसे ही जाने के लिए खड़ा हुआ, रूपाली ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोकने लगी.
शायद इस बार वो मुझे वासना से नहीं बल्कि अपने प्यार के बल पर रोकना चाह रही थी.

मैंने बिना कुछ कहे उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए और रूपाली को स्मूच करने लगा.
हमारी स्मूच गहरी होती ही जा रही थी.

वो तो नीतू ने हम दोनों को अलग किया … नहीं तो शायद हम दोनों एक बार फिर से मिलन के लिए तैयार हो जाते.

मैंने रूपाली की तरफ बिना देखे उससे विदा ली और अपनी बाइक स्टार्ट कर दी.

रूपाली ने नीतू के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लिया तो नीतू ने लपक कर उसे गले लगा लिया.

नीतू ने बिना कुछ कहे अपना सामान उठाया और मेरे पीछे आकर बैठ गई.
मैंने भी बाइक को रेस देना शुरू कर दिया.

कुछ देर तक तो नीतू आराम से बैठी रही, फिर मेरी पीठ से अपनी चूचियां दबा कर ऐसे बैठ गई जैसे वो सच में मेरी पत्नी हो.
फिर उसने मेरी जांघ पर अपना एक हाथ रख दिया और मुझसे बातें करने लगी- राहुल, सच में तुम्हारे साथ बिताये कुछ दिन कितनी जल्दी बीत गए, पता ही नहीं चला. तुमने फिर से मेरे जीवन को खुशियों से भर दिया, जिसका कर्ज शायद ही मैं कभी उतार पाऊं.

मैं- ऐसा नहीं है मेरी जान, मैंने तो वही किया जो रूपाली के साथ करने वाला था. आखिर तुम दोनों की परेशानी भी एक जैसी भी थी, तो मैंने बस तुम लोगों की मदद की.
नीतू- सच में तुम बहुत अच्छे हो. अच्छा ये तो बताओ कि तुमने रूपाली को पहली बार कैसे चोदा?

मैंने उसके इस सवाल पर उसे बताया कि रूपाली की पहली चुदाई की कहानी उसे अन्तर्वासना3.कॉम पर पढ़ने को मिलेगी.
इस तरह बातें करते हुए हम घर की ओर बढ़ने लगे.

मैंने नीतू को उसके घर पर छोड़ा और आगे बढ़ गया.
सारे रास्ते मैं नीतू और रूपाली के बारे में सोचता रहा.

तो दोस्तो, ये सेक्स कहानी बस यहीं तक थी.
उम्मीद करता हूँ कि आपको जरूर पसंद आयी होगी.

जब मैंने ये कहानी लिखना शुरू किया था, तब बीच में बहुत बार मेरी रूपाली और नीतू से बात हुई.

अब तो नीतू भी अन्तर्वासना की बहुत बड़ी प्रसंशक है.
रोज यहां प्रकाशित होने वाली सभी कहानियों को बड़े चाव से पढ़ा करती है और उन पर कमेन्ट भी करती है.
क्या पता वो अभी भी कोई कहानी ही पढ़ रही हो.

आप सभी से अनुरोध है कि कृपया करके मुझसे रूपाली या नीतू का नम्बर अथवा फोटो न मांगें, वो मैं नहीं दे सकता.
उन दोनों की पहचान गोपनीय रखना मेरा पहली प्राथमिकता है.

जल्द ही आप सबके सामने पेश होऊंगा एक नई घटना के साथ … तब तक के लिए सुरक्षित रहें और मजा लेते रहें.

मेरी इस फुल पोर्न मौसी सेक्स कहानी पर आप सभी लोग अपने प्यार भरे सन्देश मुझे मेरी ईमेल पर भेजें.
[email protected]
अब आप सभी मुझसे अपने विचार फेसबुक पर भी साझा कर सकते हैं.

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