मामा की बेवफाई और मामी की चुदाई- 1
(Kiss Love Story)
किस लव स्टोरी में मेरी मामी से अच्छी बनती थी. एक बार मामी ने मुझे बुलाया और बताया कि मामा का चक्कर कहीं चल रहा है. मैंने मामी को बदला लेने को कहा कि आप भी अपना चक्कर चला लो.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राहुल कुमार (बदला हुआ नाम) है और मैं मध्य प्रदेश के गुना शहर का रहने वाला हूँ.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं अपने साथ घटी एक वास्तविक घटना को आप लोगों के साथ साझा करूँगा!
लेकिन आज मैं यह कर रहा हूँ और लिखते हुए मेरे अन्दर एक अजीब सी बेचैनी शुरू हो गई है!
मुझे पूरा विश्वास है कि जब आप यह कहानी पढ़ेंगे, तो आप भी मदहोश होते चले जाएंगे!
तो चलिए शुरू करते हैं मेरे जीवन की सबसे सुखद और कामुक भरी घटना!
जितने मर्द हैं, वे अपना सख्त लंड पकड़ कर रेडी हो जाएं और जितनी भी औरतें हैं, वे सब अपनी मखमली, प्यारी सी चूत को सहलाना शुरू करें.
इस घटना को 8 साल बीत चुके हैं.
यह सच्ची घटना मेरे और मेरी प्यारी सेक्सी मामी के बारे में है.
आइए मैं आपको मामी के यौवन के बारे में बता दूँ.
किस लव स्टोरी के समय मेरी मामी की उम्र करीब 28 साल रही होगी.
मामी की हाइट सिर्फ 5 फुट थी, गोरी जैसे मलाई, गुलाबी होंठ, लंबे बाल, लाल बिंदी और लाल लिपस्टिक लगाकर वह बिल्कुल अप्सरा जैसी लगती थीं!
उनके गुलाबी निप्पलों वाले दूध 34 इंच के थे और उनकी मटकती गांड का साइज 36 था.
उनकी चूत पर मैंने कभी बाल नहीं देखे, वे अपनी चुत को हमेशा साफ करके रखती थीं.
उनके दो छोटे बच्चे थे.
तो ये था मेरी मामी की खूबसूरती और कामुकता का वर्णन … अब आते हैं चुदाई पर.
ये बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में था.
मैं अपनी मामी से बहुत खुला हुआ था, अपनी सारी समस्याएं उन्हें बता देता था.
एक बार मेरे बैग में मेरे घरवालों को कंडोम मिल गया.
घर वालों ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन मैं डर गया था.
मैं जल्द से जल्द मामी के पास पहुंचा और उन्हें ये बात बता दी.
मैंने कहा- आप संभाल लेना!
लेकिन कोई बात हुई ही नहीं.
मैं उनसे हंसी-मजाक करता रहता था और वे भी मुझे अपनी बातें बताती रहती थीं.
कुल मिलाकर हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए थे.
मेरे मन में उनके लिए थोड़ी-बहुत फीलिंग्स तो हमेशा से थीं लेकिन मैंने कभी उसे बाहर नहीं आने दिया.
एक बार मेरे भाई ने उनसे डायरेक्ट बोल दिया था- दूध पिलाओ!
तो उन्हें बुरा लगा था.
उन्होंने मुझसे भी इस बात का जिक्र किया था, तो इस वजह से मेरी भी गांड फटी रहती थी!
खैर … उस बात को समय बीत गया था, हमारी दोस्ती दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही गई.
एक बार दोपहर के वक्त मुझे मामी का कॉल आया.
उस वक्त मैं क्लास में था, तो फोन नहीं उठाया.
फ्री होने के बाद मैंने मामी को कॉल किया और हाल-चाल लिया.
जैसे ही मैंने पूछा- क्या हो रहा है मामी दोस्त?
तो वे सिसकती हुई आवाज में बात करने लगीं.
मुझे लगा कोई बात हो गई है, तो मैं भी टेंशन में आ गया.
फिर अगले ही पल वे फूट-फूटकर रोने लगीं और पूछने लगीं- तुम कहां हो? कब तक आ सकते हो?
मैंने कहा- मुझे टाइम लगेगा, आप बताओ हुआ क्या है!
उन्होंने कुछ नहीं बोला और फोन काट दिया.
कॉलेज खत्म होने में एक घंटा बाकी था.
कॉलेज खत्म होते ही मैं सीधा मामी के पास गया.
वे बहुत उदास लग रही थीं और बच्चों के साथ बैठी थीं.
मैंने जाते ही पूछा- क्या हुआ?
तो वे उठकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दूसरे रूम में ले गईं और रोने लगीं.
मैंने फिर से पूछा- हुआ क्या है?
तो वे बोलीं- मुझे लगता है कि तुम्हारे मामा का किसी और के साथ अफेयर चल रहा है!
ये कहते ही वे पुनः रोने लगीं.
मैंने कहा- पहले शांत हो जाओ!
वे थोड़ा शांत होकर बोलीं- मुझमें क्या कमी है? मैं उनके लिए हर वह चीज करती हूँ, जो उन्हें पसंद है!
मैंने कहा- शायद उन्हें कोई और पसंद आ गई होगी, तो इसमें गलत क्या है? चाहो तो आप भी किसी के साथ अफेयर कर लो!
वे बोलीं- क्या बोल रहे हो तुम? मैं कैसे? वे तो मर्द हैं, उन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा, लेकिन मैं तो औरत हूँ … ये दुनिया मुझे जीने नहीं देगी!
इतना कह कर वे फिर से रोने लगीं.
मैंने उन्हें साइड से हग किया और उनके आंसू पौंछने लगा.
मेरा तो उसी वक्त हालत खराब होने लगी थी क्योंकि पहली बार मैं मामी के इतना करीब था.
मैंने कहा- जरूरी थोड़े ही कि किसी बाहर के आदमी से करो, आपके घर में भी कोई हो सकता है … घर की बात घर में रहेगी, किसी को पता भी नहीं चलेगा!
ये सुनते ही वह थोड़ा शांत हुईं और बोलीं- ऐसा कौन हो सकता है? और मैं कैसे किसी के भी साथ सब कुछ कर लूँ?
मैंने कहा- तो क्या हो गया? मामा भी तो कर ही रहे हैं!
यह कह कर मैंने उन्हें थोड़ा और जोर से पकड़ लिया.
मैं उनके कोमल गालों पर हाथ फेरने लगा.
उन्हें भी ये ठीक लगने लगा था.
फिर मैंने धीरे से उनके गाल पर एक किस कर दिया और उन्हें जोर से गले लगाया.
मैं बोला- आप टेंशन मत लो, सब ठीक हो जाएगा! मैं हूँ न आपके साथ!
इतना कहते ही उन्होंने भी मुझे और जोर से पकड़ लिया.
मैंने छेड़ते हुए कहा- अब थोड़ा तो मुस्कुरा दीजिए! इतने खूबसूरत गालों पर आंसू नहीं, मुस्कान ज्यादा अच्छी लगती है!
वे मुस्कुराईं और बोलीं- तुम्हें अच्छे से पता है कि किसी का दिल कैसे जीतना है.
मैंने कहा- ऐसी कला हर किसी के पास नहीं होती.
उस दिन तो मैं वहां से निकल गया.
लेकिन मेरे मन में अब खलबली मचने लगी थी.
मुझे यकीन था कि मामी की हालत भी वैसी ही हो गई होगी!
अगले दिन मेरी छुट्टी थी, तो मैंने मामी को कॉल किया और पूछा- ठीक हो?
वे बोलीं- हां ठीक हूँ!
एक पल रुकने के बाद वे फिर से बोलीं- मैंने सोच लिया कि किसके साथ अफेयर करना है!
मैंने धड़कते दिल से पूछा- कौन?
तो वे बोलीं- शाम को 4 बजे घर आना, तब बच्चे ट्यूशन जाते हैं!
मैंने कहा- ओके, मैं आता हूँ!
मैं उत्साहित हो गया और सोचने लगा कि कौन होगा वह? कहीं मेरे बारे में तो बात नहीं कर रही थीं? अजीब-अजीब तरह के सवाल और बेचैनी बढ़ रही थी.
मैं बस 4 बजे का इंतजार कर रहा था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं 4 बजे से पहले ही मामी के घर पहुंच गया.
जैसे ही मैं पहुंचा, मामी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वे बोलीं- इतनी भी क्या जल्दी थी?
फिर उन्होंने बच्चों को तैयार करके पढ़ने भेज दिया.
अब घर पर सिर्फ मैं और मामी ही थे.
मेरी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी.
मुझसे सब्र नहीं हो रहा था.
मैंने पूछा- मामी अब तो बताओ कौन है वह खुशकिस्मत?
तो मामी बोलीं- रुको जरा सब्र करो!
वे चाय बनाने चली गईं.
मैं भी उनके पीछे-पीछे चला गया और पूछने लगा.
लेकिन उन्होंने नहीं बताया.
चाय लेकर हम दोनों बैठ गए.
मैंने फिर पूछा- मामी अब तो बता दो!
तो मामी ने एक गहरी सांस ली और बोलीं- मैंने रात भर सोचा कि ऐसा कौन है, जिसके साथ मैं अफेयर कर सकती हूँ!
मैंने फिर व्याकुल होकर पूछा- हां, तो बताओ न … कौन है वह?
वे बोलीं- मेरे मामा के बाद सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाला, मेरी हर प्रॉब्लम को सुनने वाला, मेरे रोने पर मुझे हंसाने वाला … और कौन हो सकता है तेरे अलावा?
यह कह कर उन्होंने आंख मारी.
ये सुनते ही मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैं तो जैसे नाचने लगा.
मैंने चाय रखी साइड में और मामी को जोर से हग कर लिया.
इस बार उन्होंने भी मुझे हग किया.
गले तो पहले लगे थे हम दोनों, लेकिन इस बार जो गले लगे, तो ऐसे लगे कि 15 मिनट तक एक-दूसरे को गले से लगाए रखे रहे.
मामी के दूध और मेरी छाती एक हो गए थे.
हम दोनों की सांसें तेज चलने लगी थीं, एक-दूसरे की पीठ पर हमारे हाथ घूम रहे थे.
उनकी गर्म सांसें मुझे बेचैन कर रही थीं और नीचे मेरा 7 इंच लंबा लंड चड्डी फाड़ कर बाहर निकलने के लिए तड़प रहा था.
मैंने मामी के गले पर अपने होंठ रख दिए थे, जिससे वे मचलने लगीं.
मैं उनके दिल की धड़कन सुन पा रहा था.
मैंने उनके सिर को पकड़ कर पहले उनके माथे पर चूमा और फिर उनके गुलाबी, कोमल होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
हम दोनों कामुकता की उस आग में जलने लगे, जिसकी ख्वाहिश हर मर्द और औरत रखता है.
हमें ऐसे करते-करते एक घंटा हो चुका था.
गर्मी के दिन थे, तो हम पसीने-पसीने भी चुके थे.
हम दोनों ने होश संभाला और एक-दूसरे से अलग हुए क्योंकि बच्चों के आने का समय हो गया था.
मैंने उनकी कमर में हाथ डालकर कहा- आई लव यू!
यह सुनकर वे शर्मा गईं और उन्होंने भी मुझे भी ‘आई लव यू टू’ बोला.
ऐसे शुरू हुई हमारी प्रेम कहानी.
खैर … उस दिन समय के अभाव की वजह से हम दोनों ने अपने मन को मार लिया.
लेकिन अब आग भड़क चुकी थी और ऐसे ही नहीं बुझने वाली थी.
मैंने पहले भी सेक्स किया है लेकिन इस बार कुछ अलग ही फीलिंग्स थीं.
संडे को तो मैं भी अपने काम में था और मामा और बच्चे भी घर पर ही थे.
तो सुबह ही फोन लगाकर एक-दूसरे के हाल लिए और एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ बोलकर फोन रख दिया.
अब सोमवार को मैंने मन बना लिया था कि आज खेल करना ही है. उस दिन मैंने घर पर बोल दिया कि आज मुझे कुछ काम खत्म करने हैं, तो मैं कॉलेज नहीं जा रहा.
मेरे घर पर भी ऐसी कोई रोक-टोक नहीं थी.
मैं अपने मन का मालिक था.
मुझे पता था कि मामी के बच्चे दोपहर में स्कूल जाते हैं, तो मैं दोपहर का इंतजार करने लगा.
वह समय भी आ गया और मैंने अपनी गाड़ी उठाई और मामी के घर के लिए निकल गया.
घर जाते ही देखा कि मामा घर पर ही थे और खाना खा रहे थे.
मामी मुझे देखकर हैरान भी हुईं और खुश भी.
मामा ने मुझसे खाने के लिए पूछा, तो मैंने बोल दिया- खाकर आया हूँ.
अब उन्हें क्या पता कि मेरी भूख तो आज किसी और चीज से मिटेगी.
खैर … मामा ने खाना खाया और हाथ-मुँह धोकर तैयार होकर अपने काम पर जाने के लिए जूते पहनने लगे.
मामा ने मामी से कहा- इसके लिए पिज्जा ऑर्डर कर दो, रोटी-सब्जी तो ये खाएगा नहीं!
मामा का मुझसे बहुत लगाव था और वे मेरी हर बात मान जाया करते थे.
मामी ने हां बोला और पिज्जा ऑर्डर कर दिया.
फिर मामा अपनी बाइक लेकर चले गए.
अब घर में फिर से मैं और मामी ही थे.
मैंने मामी को आंख मारी.
उस दिन उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, माथे पर लाल बिंदी और लाल लिपस्टिक.
इतनी खूबसूरत मुझे वे आज तक नहीं लगी!
उन्होंने भी मेरा साथ दिया और मुझे एक किस करके बोलीं- तू बैठ, मैं काम खत्म करके आती हूँ!
मैंने कहा- नहीं मामी!
वे बोलीं- अब तो कोई नहीं है. मैं और तुम ही तो हैं … बहुत समय है हमारे पास! तुम टीवी देखो, मैं बस अभी आई.
मैं मान गया और जाकर टीवी देखने लगा.
मेरा मन तो नहीं मान रहा था; मैं बार-बार पूछ रहा था- कब तक काम खत्म होगा?
तो वे बस यही बोलतीं- खत्म होने ही वाला है!
खैर … कुछ मिनट बाद वे काम खत्म करके आईं.
मैं बेड पर लेटा था.
मामी भी वहीं आकर बैठ गईं.
जैसे ही वे बैठीं, मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और एक जोरदार किस कर दिया.
उन्होंने भी उस किस का जवाब किस से ही दिया.
हमारे होंठ जुड़ गए और मैं उनके होंठों का रस चूसने लगा.
क्या मस्त रसीले होंठ थे उनके!
किस लव करते हुए हम दोनों में इधर-उधर की बातें होने लगीं.
फिर मैंने उन्हें अपने बगल में लिटा लिया और अब हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में थे.
मैंने उन्हें किस करना शुरू कर दिया और उनकी पीठ पर, कभी गांड पर हाथ फेरने लगा.
वे भी मेरी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डालकर मेरी छाती के बालों को सहलाने लगीं और मेरे निप्पलों पर अपनी उंगलियां चलाने लगीं.
हम दोनों वासना की आग में सराबोर थे.
ऐसा लग रहा था कि ये समय यहीं पर ठहर जाए!
दोस्तो, मामी के साथ चुदाई वाली इस सेक्स कहानी में अभी बहुत रस आना बाकी है.
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