मौसी बनी छह दिन की बीवी-4

(Mausi Bani chheh din ki biwi- Part 4)

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अब तक मेरी मौसी के साथ सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी मौसी की चड्डी को उतार दिया और अपनी एक उंगली को चूत के अंदर डाल कर मस्ती से अंदर बाहर करने लगा। फिर मैंने चूत के ऊपरी भाग पर एक पप्पी की और जीभ से उनकी चूत के साथ खेलने लगा।
अब आगे:

मौसी की चूत की खुशबू मेरे नाक घुस रही थी जिसकी वजह से मुझे किसी नशे जैसा अनुभव होने लगा था। कभी मैं चूत में अंदर तक जीभ घुसा देता तो कभी फाँकों को मुँह में भर कर खींचने लग जाता। मौसी मेरे बालो में अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी और आह्ह्ह… शश… हाययय… उम्म्म जैसी आवाजें निकाल रही थी।
मैं हाथ ऊपर ले जा कर उनकी चूचियों को पकड़ कर उन्हें दबाने लगा।

अब मुझे उनकी चूत में तनाव महसूस होने लगा था, वो अपनी गांड उचका कर मेरे मुँह में अपनी चूत देने लगी थी। मौसी बोली- ऐसे ही चाटते रहो बेटू… मैं आने वाली हूँ।
उन्होंने मेरे सिर को अपनी जाँघों में दबा लिया और आअह्ह्ह…. मैं आ गयी मेरे राजा….. कहते हुए झड़ना चालू कर दिया।
उनके रस का स्वाद इस बार कुछ नमकीन और कुछ पेशाब जैसी गंध वाला मिश्रण था।

मैंने उनका थोड़ा सा रस अपने मुँह में भर लिया और उनकी बहती हुई चूत को छोड़ कर उनके होंठ तरफ चल दिया। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। शायद मौसी को मेरी शरारत का पूर्वाभास हो गया था इसलिये उन्होंने अपनी आँखें और होंठ दोनों बलपूर्वक बंद कर रखे थे। मैंने अपने होंठों से उनके होंठ को अच्छे से दबा रखे थे। अब उन्हें साँस लेने परेशानी होने लगी थी। वो साँस लेने के लिय मचलने लगी।

जैसे ही उन्होंने अपना मुँह सांस लेने के लिय खोला, मैंने उनके मुँह में उन्ही के कामरस को अन्दर उड़ेल दिया और फिर से उनके होंठ को अपने होंठ में बंद कर लिया।
मौसी को न चाहते हुए भी वो करना पड़ा जो मैं चाह रहा था। उन्होंने अपनी चूत के कामरस को गले के नीचे उतार लिया। मैंने उनका ऊपर वाला होंठ चूमा और पैरो के पास सिर रख कर लेट गया।
मैं उनके पैर के पास सर करके लेट गया।

मौसी मुझसे बात करने लगी- बेटू, तुम सच में बहुत गंदे हो!
मै- क्यों क्या हुआ मौसी जान?
मौसी- मेरा ही चूत का रस मुझे ही चटा कर पूछते हो कि क्या हुआ।
मैं- अरे जान, यह भी एक तरह का सेक्स का हिस्सा ही है।

मौसी उठी और मेरी कमर के पास आयीं, उन्होंने मेरी चड्डी को सरका के घुटनों तक कर दिया। मेरा लंड आसमान की ओर तना हुआ खड़ा था, मौसी ने हाथों से लंड की चमड़ी नीचे की, लंड के मूत्रछेद पर उत्तेजना की एक चमकदार बूँद रखी हुई थी जिसे मौसी ने अपनी जीभ नुकीली कर के चाट लिया।

लंड सुपारा भी फूल कर बड़ा हो गया था। मौसी अपनी जीभ से मेरे लंड को ऊपर नीचे चाटती तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ घुमा देती। वो अब लंड चूसने में एक माहिर खिलाड़ी हो गयी थी, मौसी एक हाथ से मेरे टट्टे को सहलाने लगी।

मैं अब ज्यादा देर रुकने वाला नहीं था तो मैंने उनका सर कस के पकड़ लिया और अपनी कमर को नीचे से उचका कर मौसी का मुख-चोदन करने लगा, फिर कुछ देर बाद उनके मुख में झड़ने लगा। मौसी मेरे वीर्य को गटक गई।
कुछ देर में लंड भी मुरझाने लगा।

थोड़ी देर बाद मौसी मेरे लंड से फिर खेलने लगी।
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?
तो उन्होंने अपनी एक उंगली चूत पर रखी और बोली- अभी इसका काम बाकी है।

मौसी कभी मेरे लंड को चूसती तो कभी मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करने लगती। कुछ देर में लंड भी खड़ा होने लगा था।
पूरी तरह से लंड खड़ा होने के बाद मैंने मौसी को अपने ऊपर आने को बोला!
मौसी मेरे ऊपर आ गयी।

मैंने लंड उनकी चूत के मुहाने पर रखा और उनको धीरे-धीरे बैठने को बोला। यह हम दोनों के लिय बिल्कुल नया अनुभव था। मौसी धीमे से लंड पर दबाव बनाते हुए बैठने लगी। इस बार मुझे भी कुछ दर्द महसूस हुआ। वो जब नीचे सरकती तो मेरा थोड़ा सा लंड उनकी चूत में चला जाता। इस तरह कुछ देर में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया।
मौसी की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मैंने मौसी को लंड पर ऊपर नीचे होने का इशारा किया तो वो धीरे धीरे मेरे लंड पर उछलने लगी। मैं उनके दोनों चूतड़ों पर हाथ रख कर नीचे से धक्के लगाने लगा। जब मौसी थक जाती तो अपनी कमर को मेरे लंड पर रख कर गोल-गोल घुमाने लगती। कभी कभी मैं उनके चूतड़ पर जोर से हाथ मार देता जिससे वो और तेजी से उछलने लगती।
उनके झूलते हुए आमों को कभी मैं मुख में भर कर चूस लेता तो उनका मज़ा दोहरा हो जाता। मैं उनकी कमर को अपने हाथों में लॉक कर के नीचे से उनकी चूत में लंड अंदर बाहर करने में लगा था।

मौसी की रफ़्तार अब कुछ कम हो गई थी इसलिये मैंने मौसी मैंने उनको अपने ऊपर से उतार कर बेड पर लिटा दिया और उनकी टांगों के बीच में आ गया। मैं अपना लंड उनकी चूत की लकीर में रगड़ने लगा तो उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर लंड चूत के अंदर डाल लिया।

मैंने उनकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर उनकी जोरदार चुदाई करने लगा। मौसी अब ‘आह्ह… ह्ह्ह… हम्म… उफ्फ्फ… और जोर से चोदो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… चूत की चटनी बना दे!’ कहने लगी।
उनकी चूत भी अब पनियाने लगी थी। मौसी ने कहा- ऐसे ही चोदते रहो, मैं आने वाली हूँ।
कुछ 10-15 धक्के के बाद वो ‘मैं आई… मैं आई…’ कहते हुए एक आह्ह की आवाज के साथ झड़ने लगी।

उनकी चूत से निकलते हुए पानी की गर्मी को मैं अपने लंड पर महसूस कर सकता था। उनकी चूत मेरे लंड को अपने अंदर खींचने लगी। चूत से रस निकल कर मेरे लंड को गीला कर रहा था। जिससे चुदाई करते वक़्त कमरे में पच…पच… का मधुर शोर हो रहा था। उनका माल उनकी चूत के कोने से बह कर उनकी जांघ को गीला करने लगा।
अब वो झड़ कर शांत हो गयी थी लेकिन मैं चूत में तेजी से लंड पेलता रहा। गीले होने की वजह से लंड चूत में सटासट अंदर बाहर हो रहा था।

कुछ मिनट बाद मेरे लंड की नसें फूलने लगी, टट्टे भी भरी होने लगे। अब मैं कभी भी अपने अंत-बिंदु पर पहुँच सकता था। कुछ धक्के मारने के बाद मैंने लंड को चूत से निकाला और उनके मुख में दिया।
मेरा लंड उनकी चूत रस सना पड़ा था जिसे मौसी बड़े मज़े से मुख में लेकर चूसने लगी। मेरा लंड उनके मुख में रह रह कर तुनके मार रहा था।

कुछ देर बाद मेरे लंड ने उनके मुख को गाढ़े, गर्म और चिपचिपे वीर्य से भर दिया। वो मेरे वीर्य को मजे से पी गई और लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
थोड़ी देर में लंड भी सिकुड़ कर छोटा हो गया था। मैंने लंड उनके मुंह से निकाला और उनके बदन से चिपक कर लेट गया।

कुछ देर बाद हम सो गये।

अगली सुबह मैं देर तक सोता रहा। मेरे चेहरे पर पानी की कुछ बूँद पड़ने से मेरी आँख खुल गई। मैंने आँख खोल के देखा तो मौसी मेरे सामने नग्न अवस्था में खड़ी खुद को शीशे में निहार रही थी। उनके बालों से टपकते हुए पानी से पता चल रहा था कि वो अभी अभी नहा कर आयी हैं।
मौसी अपने बालों को झटक कर सुखा रही थी जिससे पानी की छीटें मेरे चेहरे पर आ रहे थे। उनके बदन की भीनी भीनी खुशबू से कमरा महक रहा था।
इस समय वो बिना कपड़ों के संगमरमर की सफ़ेद मूर्ति की तरह लग रही थी।

मैं उठा और नंगा उनकी पीठ से चिपक के खड़ा हो गया। उनके कंधे पर किस किया और उनको शीशा दिखाते हुए कहा- देखो आपकी चूचियाँ कुछ दिनों में थोड़ी बड़ी और सुडौल हो गई हैं.
तो उन्होंने कहा- यह सब तुम्हारी शैतानी का नतीजा है।

मैं अपना हाथ नीचे ले जा कर उनकी चूत को उंगली से सहलाने लगा तो मौसी ने मुझे रोका और मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर बोली- क्या तुम हर वक़्त सेक्स के लिय तैयार रहते हो?
मैंने अपनी एक उंगली को मौसी चूत के अंदर डालते हुए कहा- जब से आप यहाँ आई हो, तब से ये हमेशा तैयार रहता है।
वो बोली- नहीं, पहले नहा आओ, फिर बाकी काम बाद में।

थोड़ी देर बाद मैं नहा कर निकला और कपड़े पहनने के बाद अपनी अलमारी से मौसी का गिफ्ट निकाला। वो कमरे में बैठी थी, मैंने गिफ्ट उनके हाथ में रखकर उनसे खोलने को बोला।
उन्होंने गिफ्ट खोला और मुझसे पूछा- यह किसलिये?
मैंने कहा- आज आपका यहाँ आखिरी दिन है, कल आप किसी भी वक़्त चली जाओगी। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिये इसे पहन कर अच्छे से तैयार हो जैसे मौसा जी के लिये होती हो।
मौसी ने कहा- इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?
मैंने कहा- जो भी आपका मन हो!
तो मौसी ने कहा- हम इतने दिनों से साथ में सेक्स कर रहे हैं लेकिन तुमने कभी मेरे अंदर अपना रस नहीं छोड़ा, मैं चाहती हूँ कि तुम आज मेरी चूत को अपने रस से भर दो।
कुछ देर सोचने के बाद मैंने मौसी से हां कह दिया।

थोड़ी देर बाद हर्ष स्कूल से आ गया, हमने खाया और दोपहर को सो गये।

रात को मौसी आज हर्ष को खाना खिला कर जल्दी सुलाने लगी। लेकिन आज जैसे हर्ष ने कसम खा रखी हो कि आज वो हमको कुछ नहीं करने देगा। लेकिन थोड़ी देर बाद हर्ष सो गया।

दस बजे मौसी मेरे पास आयी और कहा- मुझे बस थोड़ा सा समय दो, तब तक तुम आराम से दूसरे कमरे में बैठो।

मैं कमरे में इन्तजार करने लगा कि कब मेरी सेक्सी मौसी मुझे बुलाएगी। धीरे-धीरे घड़ी में ग्यारह बज गये तो मेरे लिये खुद को रोक पाना अब मुश्किल हो रहा था।
लेकिन कुछ मिनट बाद मौसी ने आवाज लगाई तो मैं भाग कर कमरे में पंहुचा और आखिर भागता भी क्यों नहीं… आज की चुदाई में अलग सा मज़ा जो मिलने वाला था।

कमरे में पूरा अँधेरा हुआ पड़ा था। मैंने लाइट चालू की तो देखा कि मौसी बेड के एक कोने में मेरी तरफ पीठ कर के बैठी थी। उन्होंने आज हल्के नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी।
मैंने मौसी को आवाज दी तो वो मेरी तरफ मुड़ी।

सच में यार… आज मुझे वो रोज़ से ज्यादा सुंदर लग रही थी। मैं सोचने लगा कि क्या ये वही औरत है जिसकी चुदाई मैं इतने दिन से कर रहा था।

तभी मेरे कान में आवाज पड़ी- कहाँ खो गये बेटू?
मैंने देखा कि मेरी जान मौसी मेरे बगल में खड़ी थी।

मैंने आगे बढ़ कर उनके चेहरे को हाथ में थाम कर उनके माथे को चूम लिया और उनको अपने हाथों में उठा कर बेड पर लिटा दिया। आँखों में काजल, चेहरे पर हल्का सा मेकअप, अच्छे से बांधे हुए बाल, होंठों पर लाल लिपस्टिक और बदन से आती हुई भीनी भीनी खुशबू… ये सब मुझे दीवाना बना रहे थे। आज मौसी अपनी सुन्दरता से किसी भी अप्सरा को टक्कर दे रही थी।

मैंने उनके कान पर किस किया और उनकी झुमकी उतार कर अलग रखने के बाद कान की लौ को अपने होंठों में भर चूसने लगा। उनको गुदगुदी होने लगी थी जिससे वो अपने सिर को हिलाने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे के साथ भी ऐसा किया। फिर मैं थोड़ा नीचे सरक कर उनके गालों को चूमने और चाटने लगा। मैं थोड़ी देर और उनके गालों को चूमना चाहता था लेकिन मौसी ने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर नीचे किया और मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला दिया।

मैं भी मौसी के होंठों का रस पीने लगा, कभी उनके ऊपर वाले होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसता तो कभी नीचे वाले को। बीच में अचानक से मौसी मेरी जीभ को अपने होंठ में दबा कर चूसने लगती। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं उनके मुंह में पिघलता जा रहा हूँ।
कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे को चूमने के बाद उनके होंठ को छोड़ कर मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा। मौसी तो इतने में सिसियाने लगी थी, उनके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाययय… श्श्श… जैसी आवाजें निकलने लगी थी।

मैंने मौसी के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिये। फिर मैंने उनके ब्लाउज को उनके गोरे बदन से अलग कर दिया और उनके हाथ को ऊपर कर के उनकी बगलों में नाक लगा कर उसकी गंध को नाक में भरने लगा, फिर अपनी जीभ निकाल कर बगलों को चाटने लगा।
मेरी हरकतों से मौसी को गुदगुदी हो रही थी जिससे वो मचलने लगी थी।

मौसी की चूचियाँ मेरी लायी हुई काली ब्रा में कैद थी, उस पारदर्शी ब्रा में उनकी सुडौल चूची साफ़ दिख रही थी। मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनकी चूची पर रख दिये और उनको हल्के से दबाने लगा। फिर ब्रा के ऊपर से उनके निप्पल पर जीभ चलाने लगा। थोड़ा और नीचे आने के बाद उनके चिकने पेट पर जगह जगह किस करने लगा, फिर अपने होंठ उनकी नाभि पर रख कर उसे चाट कर गीला करने लगा।

मैं उठा कर उनके पैर के पास बैठ गया, उनके पैर के तलवे को चूमने लगा। फिर मैंने उनके एक पैर के अंगूठे को मुंह में भर कर चूसते हुए ऊपर बढ़ने लगा। उनके पैर से पायल निकाल कर अलग रख दी और उनकी साड़ी को धीरे धीरे खोलने लगा।

साड़ी उतारने के बाद मैंने उनके पेटीकोट को थोड़ा ऊपर कर के टांगों पर चुम्मियों की बरसात कर दी।
फिर मैंने मौसी का पेटीकोट भी निकाल दिया।

मौसी की चूत पर वो तिकोने आकार की नयी पैंटी बहुत गजब की लग रही थी। मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनकी ब्रा उतारी और चुचियों को जोर जोर से मसलने लगा। एक को दबाता तो दूसरी को मुंह में भर कर पीने लगता।

अब उनके शरीर पर केवल पैंटी शेष रही थी जिसे मैंने हाथों से खींच कर उतार दिया। उनके सारे आभूषण और कपड़े उतारने के बाद अब मेरी मम्मी की बहन मेरे सामने मादरजात नंगी पड़ी हुई थी।
यह सब देख कर मेरे लंड में दर्द होने लगा।

कामुकता से भरपूर यह कहानी जारी रहेगी, आप अपने विचार [email protected] पर भेजें!

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