मेरा गुप्त जीवन- 135

(Mera Gupt Jeewan- part 135 Chachi Aur Juhi Dulhan Ka Garbhadhan)

यश देव 2016-01-29 Comments

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चाची और जूही दुल्हन का गर्भाधान

चाची भी बहुत अधिक गरमा चुकी थी तो वो भी जल्दी ही झड़ गई और वहीं बिस्तर पर ढेर हो गई लेकिन मैंने इस बार अपना वीर्य चाची की चूत में ही स्खलित किया।
निम्मो और पर्बती भी जल्दी ही अपने कपड़े पहन कर अपनी कोठरियों में चली गई।
चाची को भी मैंने उसकी नाइटी पहना दी और उनको उसके कमरे तक छोड़ आया।

अगले दिन कम्मो ने प्रोग्राम बनाया कि चाची और मैं कॉटेज में जायेंगे और उनका गर्भाधान करने की कोशिश करेंगे। बाद में अगर कुछ समय हुआ तो जूही दुल्हन को भी गर्भवती करने का प्रयास किया जाएगा।

जब चाची को लेकर हम कॉटेज पहुँचे तो चाची एकदम हॉट हो चुकी थी और वो अंदर जाए बिना ही मुझ से लिपटने का प्रयास करने लगी लेकिन कम्मो ने उसको टाइम पर संभाल लिया और लगभग खींचते हुए अंदर ले गई।
बैडरूम में पहुँचते ही चाची ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जैसे ही वो नंगी हुई, वो फ़ौरन मुझ से आकर लिपट गई और मेरे भी कपड़े उतारने लगी।

फिर चाची मुझको या फिर कम्मो को मौका दिए बगैर ही मुझको खींचते हुए बिस्तर पर ले गई और मुझको लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे खड़े लंड को अपनी निहायत गीली चूत में डाल कर ऊपर से मुझे चोदने लगी और बिना सांस लिए उन्होंने मुझको कई बार धक्के मार दिए और जब मैंने कम्मो की तरफ देखा तो उसने भी अपने हाथ खड़े कर दिए।

चाची की तरफ देखा तो उनका चेहरा एकदम लाल हो रहा था और बिना रुके मेरी सवारी करती रही और 3-4 बार उनका छूटने के बाद वो मेरे ऊपर से उठी और बिस्तर पर निढाल होकर लेट गई।

अब कम्मो ने उनके कान में कहना शुरू किया- चाची, अगर तुम अपनी इस बिमारी से निजात पाना चाहती हो तो अपने को थोड़ा संभाल लीजिये, वर्ना मैं आपकी मदद नहीं कर पाऊँगी। जैसे मैं कहती हूँ वैसे ही करिये, नहीं तो मैं कुछ नहीं कर सकूँगी।
चाची रुआंसी हो गई और बोली- कम्मो, मेरी मदद करो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी या फिर पागल हो जाऊँगी।

कम्मो मुझसे बोली- छोटे मालिक, चाची की जांच मैंने की है, वो गर्भाधान के लिए बिल्कुल तैयार है, अगर वो कुछ ठीक से व्यव्हार करे तो उनका गर्भाधान हो सकता है।
चाची बोली- मुझको माफ़ करना कम्मो, जब मुझ पर काम का भूत चढ़ता है तो कुछ भी मेरे कंट्रोल में नहीं रहता! सॉरी कम्मो!

कम्मो चाची को लेकर दूसरे बैडरूम में चली गई और कुछ देर बाद लौटी और मुझको भी उसी हालत में यानि मेरे खड़े लंड के साथ चाची के पास ले गई और उनको घोड़ी बनने के लिए कहा और मुझको समझाया कि यह घोड़ी बड़ी जंगली है, इसको तरकीब से काबू करना पड़ेगा। पहले धीरे धक्के मारना, फिर जब वो छूट जाए तो फिर तेज़ धक्कों में अपना वीर्य उसके अंदर गर्भ का मुख ढूंढ कर छूटा देना और उस को आनन्द देने की ज़्यादा कोशिश मत करना।

कम्मो के बताये हुए ढंग से मैंने चाची की चुदाई शुरू कर दी पहले धीरे धक्के और बाद में तेज़ धक्कों से उसको 2 बार स्खलित किया और फिर उनकी चूत के अंदर लंड द्वारा गर्भ का मुख ढूंढने के बाद वहीं अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी।
चाची की चूत में वीर्य स्खलित करने के बाद चाची एकदम थक कर बिस्तर पर लेटने लगी, कम्मो ने फ़ौरन उनकी कमर को ऊपर उठा दिया और उसको पीठ के बल लिटा कर उसकी चूत के द्वार पर एक मोटा तौलिया लगा दिया ताकि सारा वीर्य गर्भाशय में ही रहे।

फिर कम्मो ने चाची को एक ख़ास काढ़ा पिलाया और चाची को बिस्तर पर चित लिटा कर मुझको चाची को ऊपर से चोदने के लिए कहा।
कम्मो के बताये तरीके से मैंने चाची को चोदना शुरू कर दिया और पहले बहुत ही धीरे से चोदता रहा और साथ में चाची के मोटे और सॉलिड मुम्मों को चूसता रहा।

चाची ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के इर्दगिर्द लपेट रखी थी और वो हर धक्के का ज़ोरदार जवाब दे रही थी और फिर वो एकदम से बहुत ही गर्म हो गई और मुझको अपने से चिपका कर ज़ोर ज़ोर चिल्लाती हुई स्खलित हो गई।
लेकिन मैंने उनकी चुदाई में ज़रा भी ढील नहीं डाली और पूरे ज़ोर शोर से उसकी ताबड़तोड़ चुदाई करता रहा।
लंड को पूरा निकाल कर फिर से पूरा अंदर डालने की मेरी प्रक्रिया से चाची हाय हाय करने लगी और उछल उछल कर अपनी गांड को मेरे लंड से जोड़ने लगी और अपनी रसीली चूत का भरपूर आनन्द मुझको प्रदान करने लगी।

चाची को चुदाई का अति आनन्द आ रहा था और जब वो 3 बार स्खलित हो गई तब उसकी चुदाई की स्पीड में कुछ कमी आई। कम्मो ने यह मौका अछा समझा और मुझको चाची की चूत में गर्भ के अंदर अपना वीर्य छोड़ने के लिए कहा।
मैंने भी ऐसा ही किया, चाची के गर्भ के मुख पर लंड द्वारा वीर्य छोड़ दिया और कुछ देर अपने लंड को चूत के अंदर डाल कर ही मैं चाची के ऊपर लेटा।

फिर धीरे से लंड को बाहर निकाला और कम्मो ने चाची की चूत पर तौलिया रख कर मुझको उसके ऊपर से उठ जाने के लिए कहा।
कम्मो ने चाची की दोनों टांगें हवा में लहरा दीं और उनको पकड़ कर वहीं बैठी रही ताकि वीर्य अधिक से अधिक मात्रा में चूत में पड़ा रहे।

फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए और जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन कम्मो ने कहा कि वो तो अभी रुक रही है क्यूंकि थोड़ी देर में शायद जूही दुल्हन आ जाएगी।
मैं चाची को बाइक पर बिठा कर हवेली वापस ले आया और हमारे पहुँचने के थोड़ी देर बाद ही चाचा जी भी वापस लौट आये और चाची को कहा कि वो शाम को घर वापस जा रहे हैं, सामान पैक कर लें।

खाना खाकर मैं फिर कॉटेज वापस आ गया और जल्दी ही वहाँ चला गया जहाँ जूही दुल्हन बैठी हुई कम्मो से बातें कर रही थी और वो मुझको देख कर बड़ी ख़ुश हुई।
मैंने उससे पूछा- क्यों दुल्हन, आजकल पति के साथ कैसी कट रही है रात में?

दुल्हन थोड़ी शरमाई और फिर बेझिझक होकर बोली- क्या बताएँ छोटे मालिक, उनका हर ढंग ही अति निराला है, कहते हैं स्त्री के संग समागम से पुरुष एकदम कमज़ोर और बूढ़ा हो जाता है तो वो तो सिर्फ हफ्ते या फिर 15 दिन बाद ही मेरे निकट आते हैं।
मैं हैरान होकर बोला- अरे वाह, ऐसा उससे किस ने कहा?
दुल्हन बोली- वो गाँव में एक स्वामी जी आये थे कुछ दिन पहले, उन्होंने सत्संग में यह कहा था। तब से मेरे पति क्या गाँव की दूसरी औरतों के पति भी यह उपदेश सुनने के बाद अपनी औरतों के पास कम ही जाते हैं, बेचारी सब सूखी घूम रही हैं।

मैं और कम्मो इस बात पर बहुत ही हँसे।

फिर मैंने दुल्हन से पूछा- क्यों दुल्हन, तेरा पति अब तो तेरी तसल्ली करवा देता है ना? कितनी देर करता रहता है तेरी चूत की सेवा?
दुल्हन फिर उदास हो कर बोली- कहाँ छोटे मालिक !! मेरा पति तो अंदर डालते ही 5-6 धक्के के बाद ही झड़ जाता है। मेरा तो वो कुछ भी नहीं कर पाता।
कम्मो बोली- घबरा मत दुल्हन, मैं तुझको कुछ दवाएँ दूंगी, अपने पति को खिला देना, फिर देखना क्या मज़ा आता है। चल फिर तुझ को गर्भधान करवाना छोटे मालिक से या रहने दें अभी?

दुल्हन बोली- कम्मो दीदी, मैं अभी गर्भधान करवाना चाहती हूँ छोटे मालिक से, बाद में फिर मौका मिले या ना मिले।
कम्मो दुल्हन को साथ लेकर बैडरूम में चली गई और दस मिन्ट के बाद मुझको भी बुला लिया।
वहाँ दुल्हन एकदम नंगी लेटी हुई थी और अपनी काले बालों से ढकी चूत को मसल रही थी।

मैंने भी जल्दी से कपड़े उतारे, दुल्हन के साथ बिस्तर पर लेट गया और फिर मैंने उसको लबों को चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथों से उसके गोल गदाज़ मुम्मों को भी सहलाना शुरू कर दिया।

फिर मैंने उसकी मस्त जांघों के बीच बैठ कर उसकी चूत को चूमना और चाटना शुरू कर दिया, बार बार उसकी भग को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाया और जीभ से चाटा और जब मैंने देखा कि दुल्हन पूरी तरह से मस्त हो चुकी है तो मैंने अपने अकड़े हुए लोहे की रॉड के समान लंड को उसकी चूत पर रख कर उसको थोड़ी देर आगे पीछे किया।

फिर जब दुल्हन अपने को कंट्रोल नहीं कर सकी और झटके से चूत को ऊपर कर लंड को पूरा अंदर ले गई और मुझ को अपनी छाती से चिपका कर बेतहाशा मेरे होटों को चूमने लगी।
मैं भी लंड को पूरा चूत में डाल कर दुल्हन के साथ मस्ती से धीरे धीरे चोदने लगा।
लेकिन दुल्हन काफी दिनों से लौड़े की प्यासी थी, वो जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही थी और मैं भी उसकी स्पीड से मैच करते हुए चुदाई का आनन्द लेने लगा।

इस कामातुर चुदाई के दौरान दुल्हन 3 बार झड़ गई है ऐसा मेरा अंदाजा है।
और अब कम्मो के इशारे के मुताबिक़ मैंने बड़ी तीव्रता से दुल्हन की चुदाई शुरू कर दी और उसको एक बार फिर स्खलित करके मैंने अपना वीर्य उसके गर्भ के मुख के ऊपर छोड़ दिया और कम्मो ने मुझको उसके ऊपर लिटाये रखा।

फिर कम्मो ने वो सब किया जो वो चाची के साथ कर चुकी थी और उसी प्रकार मैंने दुबारा दुल्हन को कम्मो के प्लान के मुताबिक़ चोदा।
यह काम खत्म करके हम वापस हवेली आ गए और लखनऊ वापस जाने की तैयारी में जुट गए।

रात को मम्मी पापा भी लौट आये और मुंशी जी ने और मैंने उनको फिल्म वालों का पैसों का सार हिसाब भी बता दिया जिसे सुन कर वो बहुत खुश हुए और फ़ौरन ही उन पैसों में से मुझको एक नई मोटरसाइकिल लेने के लिए पैसे भी दे दिए।
अपनी बाइक लेने की ख़ुशी से मैं फूला नहीं समा रहा था।

अगले दिन सुबह ही मैं, कम्मो और निम्मो लखनऊ वापस जाने के लिए चल पड़े और 3-4 घंटे में लखनऊ पहुँच गए। सबसे पहले निम्मो को मैडम जी के घर में छोड़ा और फिर अपनी कोठी में आ गए।

कहानी जारी रहेगी।
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