पहली बार मेरी बुल्ली चाची की चूत में

राज ठाकरे 2014-05-07 Comments

प्रेषक : राज वानखेड़े (बदला हुआ नाम)
दोस्तों मैं हमेशा से अन्तर्वासना का पाठक रहा हूँ। आप लोगों की सच्ची कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे भी लगा कि क्यों न मैं भी अपनी सच्ची कहानी आप को बताऊँ और यह एकदम सच्ची है।
बात उन दिनों की है जब मैं 18 साल का था और हमारा पूरा खानदान विदर्भ के वर्धा जिले से सटे एक गाँव में रहता था। मेरे पिता के सगे भाई यानि मेरे चाचा भी हमारे घर के बाजू में ही रहते थे।
मेरे चाचा-चाची की शादी 1983 में हुई थी और चाचा को 2 लड़के और 1 लड़की थी। चाची की उम्र चाचा से 12 साल कम थी। जब चाची की शादी हुई, तब चाची ने जवानी में कदम रखा ही था और तब मैं 2 साल का था यानि वो मुझसे सिर्फ 12-13 साल बड़ी थीं। चाचा बहुत ज्यादा दारू पीते थे।
एक दिन चाची शाम को बाथरूम में नहा रही थी लेकिन मुझे यह मालूम नहीं था। उतने में ही मुझे पेशाब लगने की वजह से मैं बाथरूम चला गया और देखा तो चाची के शरीर पर सिर्फ पेटीकोट ही था और उसके मम्मे पूरे दिख रहे थे।
उनको नंगा देखते ही मैं वापस चला आया लेकिन उस रात को मैं सो नहीं पाया, बार-बार वही सीन मेरे दिमाग आ रहा था।
वो चाची के बड़े-बड़े और गोरे-गोरे मम्मे देखकर दिल कह रहा था कि काश मैं चाचा की जगह होता तो खूब जी भर के चूसता और मसलता।
बस इसके बाद मैं चाची को सोच-सोच के मुठ मारने लगा और ऐसा करीब एक महीने चला।
मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ हो गई थीं और मेरी दसवीं की परीक्षा ख़त्म होने से मैं बिल्कुल फ्री हो चुका था।
इस प्रसंग के एक महीने बाद..
बात उस दिन की है जब हमारे परिवार में चचेरी बहन की सगाई का कार्यक्रम दिन भर चलने की वजह से मैं भी थक कर सोने के लिए अपने घर गया और देखा की मेहमानों की वजह से पूरा घर पैक हो चुका था।
उस दिन मैं अपने चाचा के यहाँ सोने गया, चाचा दारू पीकर दोनों लड़कों के साथ एक खटिया पर सो गए थे। मेरी चचेरी बहन जो उस समय 5 साल की थी, वो अकेली एक खटिया पर सो रही थी और चाची कार्यक्रम से आने को थीं।
मुझे जोर की नींद आने की वजह से मैं अपनी बहन के साथ सो गया और उसके फ़ौरन बाद मुझे नींद लग गई।
रात को करीब 2 बजे मुझे मेरी नींद खुली तो देखा कि हमारे बीच में मेरी चाची सो रही थी। जैसे ही मैंने चाची को देखा तो मेरे दिमाग में वही सीन आने लगा और मैं उठ कर बाथरूम जाकर अपना 6 इंच का लंड सहलाने लगा, तो वो पूरा खड़ा हो गया था।
मैंने उसको सहलाते हुए थोड़ा सोचा कि क्या मैं आज चाची की चूत के दर्शन कर पाउँगा, उसके मम्मे दबा पाउँगा लेकिन मैं डर भी रहा था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए।
सब सोच-विचार के बाद मैंने निर्णय लिया कि अब जो होगा देखा जाएगा, आज तो चाची की चूत के दर्शन करना ही है।
उसके बाद मैं चुपचाप आकर चाची के साथ सो गया। तब चाची का मुँह उनकी लड़की की तरफ था और गांड मेरी तरफ थी। उस समय मैं लुंगी पहने था, मैंने अपनी लुंगी धीरे से छोड़ दी और चड्डी में से अपना खड़ा लंड चाची के गांड से रगड़ने लगा।
उस समय मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे मैंने चाची की साड़ी भी अपने पैर और हाथों से ऊपर करनी शुरू कर दी। साड़ी के साथ-साथ उसका पेटीकोट भी ऊपर आ रहा था।
अब उसकी साड़ी और पेटीकोट दोनों भी उसकी कमर तक आ गए थे जिससे उसकी चड्डी पूरी खुली हो गई थी और वैसे भी गर्मी होने की वजह से ऊपर कोई चादर भी नहीं थी।
थोड़ी देर के बाद चाची ने करवट बदली और सीधी हो गई, जिसकी वजह से मैं अब उसकी चूत को छू सकता था। मैं चाची के पैरों पर से हाथ फेरने लगा और धीरे-धीरे मेरे हाथ चाची की चूत के ऊपर आ गए।
मैं उसे अपने हाथों से सहला रहा था। अभी तक चाची पूरी नींद में ही थी और इसके साथ-साथ मेरी हिम्मत भी बढ़ रही थी।
मैंने धीरे से उसके चड्डी में एक ऊँगली डाल दी, मुझे उसकी झाटें महसूस हुईं। मैं उनमें उंगली घुमा ही रहा था कि चाची की नींद खुल गई और उसने मेरा हाथ अपनी चड्डी में से बाहर निकाला और फिर से सो गईं।
मेरी धड़कनें जोर-जोर से चल रही थीं।
मुझे लगा कि अब हो गया, कल तो बापू के डंडे झेलना ही है। मेरी पूरी फट गई थी और साथ साथ में लंड को भी हाथ से मरोड़ रहा था।
ऐसा करते-करते 3 बज गए। मैं सो नहीं पा रहा था और उठके बाथरूम जाकर मुठ मारने की सोचा। मैं उठा और बाथरूम चला गया, चड्डी उतार कर मुठ मार रहा था कि पीछे से कोई आहट हुई।
मैं डर गया और अपना लंड चड्डी में डाल दिया, पलटकर देखा तो मेरे पीछे चाची खड़ी थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने मेरे कान पकड़े और धीमी आवाज में बोली- तू क्या कर रहा था मेरे साथ? मेरे सामने बड़ा हुआ और मेरे पर ही डोरे डाल रहा है, तुझे इतना भी ध्यान नहीं रहा कि मैं तेरी चाची हूँ?
मैं नीचे मुंडी लटका कर खड़ा था।
उसने मेरा कान छोड़ा और मेरी मुंडी ऊपर करके पूछने लगी- अब बोलता क्यों नहीं?
मैं डरते-डरते कहने लगा- चाची मैंने आपको उस दिन नहाते देखा और उस दिन से मेरा मन सिर्फ आप में ही घूम रहा है।
उसने मुझे ‘बेशरम’ कहा और जाने लगी।
मैंने आव देखा ना ताव और पीछे से चाची को पकड़ लिया, जिससे मेरा लंड उसके गांड के साथ चिपक गया, वो मेरा हाथ को छुड़ाने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उसको कस कर पकड़ा हुआ था, वो चिल्ला भी नहीं पा रही थी, क्योंकि इसमें उसकी भी बदनामी थी। मैं पीछे से धक्के मार रहा था और उसके गर्दन के पास चूम रहा था।
अब मैंने उसके हाथों के नीचे से अपने हाथ घुसाए और उसके ब्लाउज के ऊपर से मम्मे दबाना चालू किये।
वो अभी भी छुड़ाने के लिए ताकत लगा रही थी। फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और दूसरे हाथ से ब्लाउज के बटन खोलने चालू किए।
जैसे ही पूरे बटन खुले, वैसे ही चाची के बड़े-बड़े और गोरे मम्मे मेरे हाथ को लगे, मैंने उसको दोनों हाथों से मसलना शुरू किया। निप्पल को चुटकी भी ले रहा था।
थोड़े ही बाद उसकी पकड़ ढीली हो गई क्योंकि तब तक वो भी गरम हो गई थी, अब क्या, उसने कहा- ले, कर ले जो करना है..!
और यह सुनते ही मैं खुश हो गया जिससे मेरा लंड और ज्यादा कड़ा हो गया।
उसने मुझे कहा- यहाँ नहीं करते ये सब, चल अन्दर चलते हैं।
और हम घर के अन्दर चले गए। हमने एक ग़द्दा नीचे डाल दिया, सब लोग बाहर सो रहे थे इसीलिए घर के अन्दर हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था।
मैंने अपनी लुंगी निकाल दी और उसने भी अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट निकाल दिया। अब हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे। सब तरफ अँधेरा था, अब मैं ज्यादा देर रुक नहीं सकता था इसलिए मैंने उसको पकड़ के गद्दे पर खींच लिया और उसके होठों को चूमने लगा।
वो भी मुझे चूमने लगी। धीरे-धीरे मैं उसके मम्मे भी दबाने लगा और बाद में उसको चाटने लगा।
उसके निप्पल खूब कड़क हो गए थे।
जैसे जैसे मैं दबाता वैसे-वैसे उसके आवाज में तेजी आ रही थी, “आह्ह …आह्ह…हु…हु..।”
मैं अन्दर ही अन्दर खुश हो रहा था क्योंकि जिसके नाम से मुठ मारी, आज उसको ही चोदने जा रहा था। फिर मैंने उसकी चड्डी उतारी और उसने भी मेरी चड्डी उतारी। अब मैं उसकी चूत के झाटों में से उसकी चूत को चाटने की कोशिश कर रहा था और वो मेरे लंड को आगे-पीछे कर रही थी। वो मुझे चूत चाटने से मना कर रही थी।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उसके चूत में डाल दी, वैसे ही वो ‘आह्ह…आह्ह…’ के साथ झटके मारने लगी।
मैं भी ऊँगली जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर रहा था। अब तक उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी।
मैंने उसको कहा- तुम मेरा लंड मुँह में लो।
लेकिन वो नहीं मानी और बोलने लगी, “देर मत कर अब, जल्दी डाल दे नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।
मैंने उसको बोला- चाची मुझे तो ज्यादा अनुभव नहीं है, सिर्फ फिल्मों में ही देखा है।
तो वो बोली- आ जा, मैं सिखाती हूँ।
उसने अपनी दोनों टाँगें फैलाई और बोली- अब तेरी बुल्ली डाल दे इसमें।
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक झटके के साथ पूरा अन्दर ठेल दिया। उसको थोड़ा दर्द हुआ, क्योंकि बहुत दिनों के बाद जो लंड से चुदवा रही थी।
अब मैं उसके शरीर पर चढ़ गया और आगे-पीछे होने लगा। उसको भी मजा आ रहा था और मुझे भी। फिर धीरे-धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई।
इससे उसकी आवाज और बढ़ गई- आह्ह….आह्ह्ह..हु….हू….. हे भगवान आज चूत चुदवाई वो भी अपने लड़के से।
अब तक आधा घंटा बीत चुका था और अभी पौने चार बज रहे थे, हमको लगा कि अब जल्दी झड़ जाना चाहिए क्योंकि गाँव में लोग जल्दी उठते हैं।
उसके बाद मैंने बहुत जोर-जोर से चोदना चालू किया और अगले ही 2 मिनट में चाची झड़ गई और कुछ ही मिनटों के बाद मेरा पूरा पानी मैंने चाची की चूत में छोड़ दिया।
अन्दर पानी छोड़ने का कोई डर नहीं था क्योंकि चाची का फॅमिली प्लानिंग का ऑपरेशन हो चुका था और मैं भी ऐसे माल के फिराक में था जिसमें कोई खतरा ना हो।
उसने अपने पेटीकोट से मेरा लंड पोंछा और अपनी चूत भी साफ़ की, ग़द्दा जैसे के तैसा ही लगा दिया और अपने-अपने कपड़े पहन कर वापस बाहर खटिया पर आकर सो गए।
तब से 2008 तक मेरी सेक्स कामना.. मेरी चाची ने पूरी की, जब भी मौका मिलता था, जैसे दोपहर, रात या जब चाचा कहीं बाहर टूर पर गए हों, तब हम दोनों भी अपनी चुदाई की भूख मिटा लेते थे क्योंकि चाची-भतीजा का रिश्ता होने की वजह से कोई शक भी नहीं करता था।
2008 में मेरी शादी होने के बाद जब मेरी बीवी दस दिन के लिए मायके गई, तब भी मैंने चाची के साथ चुदाई की, लेकिन अभी कुछ सालों से उसकी इच्छा होती नहीं है। फिर भी जब कभी गाँव को जाता हूँ, तो मौका देख कर उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने से नहीं चूकता।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top