चुदासी चाची को बुरी तरह से रगड़ डाला
(Steamy Home Sex Kahani)
स्टीमी होम सेक्स कहानी में मेरे चाचा का एक्सीडेंट हुआ तो वे लाचार हो गए. मैं उनकी सेवा करता था. लेकिन चाची दुखी थी. मैंने बहुत बार पूछा तो उन्होंने अपनी जिस्मानी जरूरत का बताया.
मेरा नाम रवि है और मैं पुणे में अपने परिवार के साथ रहता हूँ.
मैं पिछले आठ वर्षों से जिम कर रहा हूँ, एक मजबूत शरीर का मालिक हूँ और छह फीट लंबा हूँ.
मेरा वजन अस्सी किलो है. सात इंच का बड़ा, मूसल जैसा लंड है.
यह स्टीमी होम सेक्स कहानी मेरी चाची की चूत चुदाई की है.
मेरे एकमात्र चाचा हैं और वे हमसे अलग घर में रहते हैं.
उनकी शादी को लगभग दस साल हो चुके हैं और उनके दो ब/च्चे भी हैं.
पहले हमारी और चाचाजी की कोई खास बातचीत नहीं होती थी क्योंकि चाचाजी की काफी ऊंची पोस्ट थी.
वे हमारे मुकाबले में बहुत अमीर थे.
इसी वजह से चाचा और चाची में काफी घमंड था और वे हमसे बात करना पसंद नहीं करते थे.
लेकिन एक दिन ऐसा आया कि उन्हें हमारे सहारे की जरूरत पड़ी.
हुआ यूँ कि मेरे चाचाजी का एक्सिडेंट हो गया जिससे उन्हें काफी गंभीर चोटें आईं.
वे दो महीने तक आईसीयू में रहे.
उनके बचने की संभावना बहुत कम थी.
किसी तरह उनकी जान तो बच गई लेकिन उनकी रीढ़ की हड्डी टूटने से वे चल-फिर नहीं पा रहे थे और उन्हें दिमागी चोट भी लगी थी, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति कम हो गई थी.
उन्हें ठीक होने के लिए काफी समय चाहिए था.
खैर … मुश्किल की घड़ी में अपने ही काम आते हैं.
इसी लिए मेरा चाचाजी के घर में काफी आना-जाना होने लगा.
मैं सच्चे मन से उनकी सेवा करता और चाची को भी घर के कामों में मदद करता.
मेरी चाची दिखने में बहुत सुंदर हैं और उनके स्तन काफी बड़े हैं.
वे घर में हमेशा सलवार-सूट पहनती हैं.
उनके बड़े-बड़े स्तन उनके सूट में नहीं समाते और हमेशा बाहर झांकते रहते थे जिससे मेरी निगाहें उन पर जम जाती थीं.
हालांकि मुझे यह सब गलत भी लगता था लेकिन क्या करूँ … मुझसे संयम ही नहीं होता था!
कभी-कभी चाची भी मुझे उनके स्तनों की ओर देखते हुए पकड़ लेती थीं लेकिन फिर भी वे उन्हें छुपाने की कोशिश नहीं करती थीं.
इससे मुझे लगता कि शायद वे भी मुझे अपने स्तन दिखाना चाहती हैं.
लेकिन फिर मैं यह भी सोचता कि यह मेरा भ्रम ही होगा और मैं नजरें फेर लेता.
चाचाजी की हालत में सुधार हो रहा था लेकिन चाची फिर भी दुखी रहती थीं.
मैं पूछता तो वे कुछ नहीं बताती थीं.
एक दिन जब चाचाजी सो रहे थे और उनके दोनों ब/च्चे कॉलेज गए थे, तब चाची छत पर उदास बैठी थीं.
मैंने उनसे पूछा- चाची, अब तो चाचाजी की तबीयत भी सुधर रही है. फिर भी आप उदास क्यों रहती हैं? आखिर बात क्या है?
उन्होंने पहले तो कुछ नहीं बताया, लेकिन मेरे बार-बार पूछने पर वे बोलीं- रवि बात यह है कि जब से तुम्हारे चाचाजी की तबीयत खराब हुई है, मैं बहुत अकेलापन महसूस कर रही हूँ. एक औरत को एक मर्द के साथ की जरूरत होती है, जो मुझे नहीं मिल रहा है.
मैंने कहा- चाची … मेरे होते हुए आप फिक्र क्यों करती हैं? मैं हूँ ना आपके साथ!
चाची बोलीं- तूने हमारी बहुत मदद की है, लेकिन मेरी यह समस्या तुम नहीं सुलझा सकते.
मैंने कहा- क्यों नहीं चाची? मैं आपकी हर तरह से मदद करूँगा! आप बताएं तो सही कि बात क्या है? अभी तक मैं समझ नहीं पाया था कि चाची किस अकेलेपन की बात कर रही थीं.
वे बोलीं- नहीं, तुम मेरे बेटे जैसे हो और यह परेशानी तुम नहीं सुलझा सकते. मैं तुमसे ऐसी बात भी नहीं कर सकती.
अब तक मुझे कुछ कुछ अंदाजा हो गया था कि चाची किस ओर इशारा कर रही हैं, लेकिन मैं यह बात उनके मुँह से सुनना चाहता था.
मैंने कहा- चाची, आखिर बताएं तो सही कि बात क्या है?
कुछ सोचती हुई चाची बोलीं- मैं शारीरिक रिश्ते की बात कर रही हूँ. देखो, तुम मुझे गलत न समझना. तुमने पूछा तो मैंने बता दिया. हर औरत को शारीरिक संबंध की जरूरत होती है और मुझे भी है. इसी लिए मैं उदास रहती हूँ.
यह सुनकर मैं कुछ नहीं बोल सका.
लेकिन चाची शायद कुछ ज्यादा ही अकेलापन महसूस कर रही थीं.
वे बोलीं- बोलो! अब चुप क्यों हो गए? क्या तुम मेरी यह समस्या सुलझा सकते हो? मेरा अकेलापन दूर कर सकते हो?
मैंने कहा- चाचीजी! मैं कर तो सकता हूँ, लेकिन यह तो गलत होगा. हम इस तरह चाचाजी को धोखा नहीं दे सकते!
वे बोलीं- इसी लिए तो मैं तुम्हें नहीं बता रही थी. पहले मैं रोजाना तुम्हारे चाचा के साथ सेक्स करती थी. अब इसी वजह से मेरा कहीं मन नहीं लगता. जी करता है कि आत्महत्या कर लूँ! देखो, अब तुम मेरी समस्या सुलझा सकते हो … तो मेरी मदद करो … वरना मैं मर ही जाऊंगी. वैसे मुझे तुमसे बड़ी उम्मीद है.
जब चाची ने यह कहा कि उन्हें मुझसे उम्मीद भी है, तो मैं समझ गया कि चाची को मेरे लौड़े की चाह है.
मैं भी एक जवान लड़का था.
मेरा भी मन सेक्स के लिए लालायित रहता था.
मैंने कहा- नहीं चाची, आप प्लीज ऐसा मत कहो. मैं आपका हर स्थिति में साथ देने के लिए तैयार हूँ.
यह सुनकर वे बहुत खुश हुईं और उन्होंने उठकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
उनके नर्म स्पर्श से मेरा मन मचल उठा और मैंने उनके बड़े-बड़े स्तनों को पकड़ लिया.
क्या कमाल का अहसास था.
मैंने पहली बार किसी औरत के स्तन को छुआ था.
ऊपर से नर्म-नर्म और जोर से दबाने पर सख्त लगता था.
सच में चाची के दूध दबाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने चाची को अपनी गोद में उठा लिया और उन्हें अन्दर कमरे में ले गया.
वहां वे मेरे होंठों पर टूट पड़ीं और उन्हें चूसने व काटने लगीं.
मैं भी उनका साथ देने लगा.
फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसे चूसने लगा.
क्या गर्म-गर्म अहसास था!
हम दोनों करीब बीस मिनट तक इसी तरह किस करते रहे.
मैं चाची की गर्दन पर किस कर रहा था और हल्के से काट रहा था.
वे मेरी पीठ को अपने नाखूनों से नोंचने की कोशिश कर रही थीं लेकिन कपड़े पहने होने के कारण मुझे बस मीठा मीठा अहसास मात्र हो रहा था.
मैं चाची की चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था और बीच-बीच में दोनों उंगलियों से उनके निप्पल रगड़ देता.
मेरी इस हरकत से चाची बुरी तरह कराह उठती थीं.
मैंने एक हाथ नीचे उनकी चूत की तरफ बढ़ाया तो पाया कि चाची की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और पानी छोड़ रही थी.
किस करते-करते मैंने एक उंगली उनकी चूत में घुसा दी और जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा.
चाची तड़प रही थीं और जोर-जोर से आवाज़ निकाल रही थीं.
फिर मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू किए. उस दिन भी वे सलवार-सूट में थीं.
मैंने पहले उनकी कमीज़, फिर सलवार उतार दी और पीछे हटकर उनके बदन को देखने लगा.
वे लाल रंग की ब्रा और पैंटी में कमाल की माल लग रही थीं.
मैं हैरान था कि दो बच्चों की मां होने के बावजूद उन्होंने खुद को इतना फिट रखा था.
बड़ी-बड़ी चूचियां और पतली कमर, उनका फिगर शानदार था.
मैं उन्हें देखता ही रह गया.
तभी वे आगे बढ़ीं और उन्होंने मेरे पैंट व शर्ट उतार दिए.
इसके बाद मैंने उनकी ब्रा उतारी तो उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्रा की कैद से उछल कर बाहर आ गईं.
क्या रसभरी चूचियां थीं!
बिल्कुल दूध जैसी सफेद और बीच में सांवले रंग का निप्पल बहुत जँच रहा था.
मैं तो पागल हो गया और उनके निप्पल व चूचियों को चूसने व काटने लगा.
एक बार मैंने बहुत ज़ोर से काट लिया, तो वे चिल्ला उठीं और कराह कर बोलीं- आह बदमाश … क्या कर रहे हो? इन्हें खा ही जाओगे क्या!
मैंने कहा- मन तो बहुत कर रहा है चाची … खाने का!
तो वे बोलीं- फिलहाल तुम मुझे चाची मत कहो … बड़ा अजीब-सा लगता है!
मैंने कहा- ठीक है, पूनम डार्लिंग!
यह कहते हुए मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी.
घनी झांटों के बीच उनकी फूली हुई चूत अब मेरे सामने थी.
उनकी चुत देखने में बहुत ही गर्म कचौड़ी सी लग रही थी.
जब मैंने चाची की चुत को छुआ तो सचमुच बहुत गर्म थी.
मैं उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा.
झांटों की वजह से वह जगह बहुत मखमली और मुलायम लग रही थी.
अब चाची घुटनों के बल बैठ गईं और उन्होंने मेरा अंडरवियर उतार दिया.
अंडरवियर उतरते ही मेरा खड़ा लंड चाची के गाल से जा टकराया.
वे मेरे सात इंच के मोटे लंड को देखकर बहुत खुश हुईं.
चाची बोलीं- वाह … कितना प्यारा है … तुम्हारा लंड तो बिल्कुल तुम्हारे चाचा जैसा है!
इतना कहकर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया.
मैं यह देखकर बहुत हैरान रह गया. मुझे अंदाज़ा नहीं था कि मेरी चाची इतनी वाइल्ड होंगी.
अब तक मैंने लंड चूसते हुए सिर्फ़ ब्लू फिल्मों में ही देखा था.
लंड चुसवाने का यह मेरा पहला अनुभव था.
चाची के मुँह का गर्म स्पर्श बहुत आनन्द दे रहा था.
कभी वे मेरे लंड को जीभ से चाटतीं, तो कभी मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगतीं.
उस वक्त जो मज़ा मुझे आ रहा था, वह मैं बता नहीं सकता.
थोड़ी देर बाद मुझे अपने लंड पर दबाव-सा महसूस हुआ. मैं समझ गया कि मैं झड़ने वाला हूँ.
मैंने चाची को कहा- आह पूनम जान … मैं झड़ने वाला हूँ!
लेकिन उन्होंने मेरी बात अनसुनी कर दी और लंड चूसती रहीं.
मैं भी नहीं चाहता था कि वे लंड को अपने मुँह से बाहर निकालें.
फिर मेरा शरीर कांपने लगा और मेरे वीर्य का फव्वारा चाची के मुँह में ही छूट गया.
मेरे वीर्य से उनका मुँह भर गया और कुछ वीर्य उनकी चूचियों पर भी गिर गया, जिससे वे और भी हसीन लग रही थीं.
मैं पहले भी हस्तमैथुन करता था, लेकिन जो मज़ा आज चाची के मुखमैथुन से आया, वैसा मज़ा मैंने कभी महसूस नहीं किया था.
तभी चाची ने मुझे देखकर कहा- क्यों लंड चुसवाने में मज़ा आया?
मैंने जवाब दिया- मेरी जान तुम्हारी कसम … सच कह रहा हूँ … ऐसा मज़ा मुझे जिंदगी में अभी तक कभी भी नहीं आया!
फिर चाची बोलीं- तो मुझे भी ऐसा ही मज़ा दोगे ना!
यह कहकर चाची अपनी दोनों टांगें फैलाकर बेड पर लेट गईं.
मैं समझ गया कि वे मुझसे अपनी चूत चटवाना चाहती हैं.
एक बार झड़ने के बावजूद मेरा जोश कम नहीं हुआ था, क्योंकि चाची मेरे सामने नंगी लेटी हुई थीं.
मैं तुरंत उनकी टांगों के बीच बैठ गया और उनकी चूत चाटने लगा.
मैं पहली बार किसी औरत की चूत चाट रहा था लेकिन फिर भी बहुत अच्छे से चाट रहा था क्योंकि ब्लू फिल्म देखने का मेरा अनुभव काम आ रहा था.
मैंने अपनी पूरी जीभ उनकी चूत के अन्दर डाल दी और उसे अन्दर-बाहर करने लगा.
फिर मैंने एक उंगली भी उनकी चूत में डाल दी.
जल्द ही वे अपना शरीर उठा-उठा कर मेरे मुँह पर मारने लगीं.
मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि वे झड़ रही हैं और मैंने अपनी जीभ पेलने की स्पीड और तेज़ कर दी.
चाची ‘आह आह एई आह अए!’ चीखती हुई झड़ गईं.
कुछ देर तक हम शांत रहे.
फिर मैंने उन्हें चूमा और कहा- जान, आगे का काम शुरू करें?
वे बोलीं- क्यों नहीं … उसी का तो मुझे इंतजार है!
अब मैं फिर से उनकी टांगों के बीच था.
तभी वे बोलीं- देखो रवि काफ़ी समय से मेरी चूत के अन्दर लंड नहीं गया है, इसलिए थोड़ा आराम-आराम से ही डालना और जितना मैं कहूँ, उतना ही डालना.
मैंने कहा- जान तुम चिंता मत करो, मैं बड़े प्यार से लंड चुत में डालूँगा!
फिर मैंने उनकी चूत पर अपना लंड टिकाकर हल्के से दबाया.
उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं.
मेरा लंड आसानी से उनकी चूत में जाने लगा.
करीब दो इंच लंड अन्दर डालकर मैंने पूछा- जान और डालूँ?
उन्होंने अपने दांत होंठों से पीसते हुए कहा- हां … प्लीज.
मैंने थोड़ा और लंड सरकाकर पूछा- और?
वे अपने हाथों की मुट्ठियों से चादर भींचती हुई बोलीं- हां और!
‘और?’
‘हां और!’
इसी तरह करते-करते मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया.
फिर मैंने मज़ाक में कहा- और?
वे बोलीं- हां थोड़ा और …
मैंने गाली देते हुए कहा- साली रांड … पूरा तो अन्दर ले गई … अब और कहां से लाऊं?
उन्होंने हंस कर कहा- अरे वाह मेरे भड़वे … साले तुमने तो सच में दिल खुश कर दिया. मुझे चुदाई में गाली देना बहुत अच्छा लगता है … तुमने सच में बड़े प्यार से अपना लंड अन्दर डाला, बिल्कुल दर्द नहीं हुआ!
फिर मैंने अपना पूरा लंड एक झटके से बाहर निकाला और एक ही झटके में अन्दर डाल दिया.
इस बार वे चिल्ला पड़ीं- हाय मर गई मादरचोद धीरे चोद … बहन के लौड़े … आह मेरी फट गई … आह.
मैं चाची को आज पूरी रंडी की तरह रगड़ना चाहता था. मैंने फिर से पूरा लंड बाहर निकाल कर पूरी ताकत से पेल दिया.
उनकी आह निकली- आह … धीरे चोद न साले हरामी आह.
मैं चाची को ताबड़तोड़ चोद रहा था.
चाची बुरी तरह तड़प रही थीं और आवाज़ निकाल रही थीं- आह रवि, धीरे साले भगवान के लिए धीरे चोदो बहन के लौड़े! आह रुक जा मादरचोद रवि … साह छोड़ दे भोसड़ी के.
लेकिन मैं उनकी एक नहीं सुन रहा था.
मैं चाची को न केवल बुरी तरह चोद रहा था बल्कि अपने एक साथ चाची के दूध भी मसल रहा था.
उनके मुँह से गालियां और चूत से फट फट की आवाज़ें आ रही थीं.
मैं चाची को नीचे लेकर उनके ऊपर बुरी तरह चढ़ कर चोद रहा था.
कुछ देर बाद चाची सहज हुईं तो वे बोलीं- मैंने कहा था कि आराम से डालना!
मैं बोला- ठीक है … अब तो मजा आ रहा है न … ले और ले.
मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.
थोड़ी देर बाद चाची भी नीचे से गांड उछालने लगीं.
मैंने भी अपनी स्पीड तेज़ कर दी.
अब उन्हें दर्द नहीं हो रहा था और वे मज़े में चिल्ला रही थीं- आह उ ई … ऐऽ शीऽ आह मज़ा आ रहा है … हाय और ज़ोर से हाय क्या बात है!
क्योंकि हम दोनों पहले ही झड़ चुके थे, इसलिए इस बार ज़्यादा समय लगना ही था.
मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में लंड पेलता रहा.
फिर वे बोलीं- अब तुम नीचे आ जाओ और मुझे ऊपर आने दो.
मैंने कहा- ठीक है.
अब वे मेरे लंड पर बैठकर कूद रही थीं.
जब वे कूदतीं, तो उनकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं.
नीचे से मैं उनकी चुत में अपने लंड पेल कर उन्हें चोद रहा था.
मत पूछो यारो … क्या गजब मज़ा आ रहा था!
चाची का तो मुझसे भी बुरा हाल था. वे लगातार चिल्ला रही थीं.
‘हाय आऽऽ ओऊ!’
आख़िरकार हमारी मंज़िल नज़दीक आने लगी थी. मुझे अपने लंड में गुदगुदी सी महसूस होने लगी थी.
चाची भी चिल्लाने लगी थीं- हाय मैं झड़ने वाली हूँ … और ज़ोर से … आह और ज़ोर से पेल आह भड़वे आह मादर चोदद आऽऽ फाड़ डालो मेरी चूत को मैं मर गई आ … आह.
ऐसे ही चिल्लाती हुई वे झड़ गईं और कुछ ही देर में मैं भी चिल्लाने लगा.
‘आह जान मैं भी आ रहा हूँ हाय …’
स्टीमी होम सेक्स के बाद मैंने उनकी चूत में अपने लंड का फव्वारा छोड़ दिया.
फिर हम दोनों शांत हो गए और लेट गए.
कुछ देर बाद चाची ने एक कपड़े से मेरा लंड साफ किया और अपनी चूत की भी सफाई की.
हम दोनों फिर से एक-दूसरे को चूमने लगे. उसके बाद हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहन लिए और नीचे आ गए.
अब मेरी चाची काफ़ी खुश लग रही थीं.
उस दिन से आज तक हम यूँ ही मज़े ले रहे हैं. मेरी चाची अब काफ़ी खुश और संतुष्ट लगती हैं.
चाची को मैंने अपनी रखैल बना लिया है. जब चाहे चोद लेता हूँ, जब चाहे लंड चुसवा लेता हूँ.
आप मुझे मेल और कमेंट्स में बताना कि आपको यह स्टीमी होम सेक्स कहानी कैसी लगी?
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